BIHAR D.El.Ed 1st YEAR SYLLABUS
इस पोस्ट में आपको केवल BIHAR D.El.Ed 1st YEAR SYLLABUS के बारे में बताया जायेगा| यहाँ PAPER F1 से F-12 तक सभी SUBJECT के SYLLABUS के सूची दिया गया है , जिसको आपको आवश्यकता है उसपर क्लिक कर आप सम्बन्धित SYLLABUS को देख सकते है |- F-1 समाज, शिक्षा और पाठ्यचर्या की समझ >>>
- F-2 बचपन और बाल विकास >>>
- F-3 प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा >>>
- F-4 विद्यालय संस्कृति, परिवर्तन और शिक्षक विकास >>>
- F-5 भाषा की समझ तथा आरम्भिक भाषा विकास >>>
- F-6 शिक्षा में जेण्डर एवं समावेशी परिप्रेक्ष्य >>>
- F-7 गणित का शिक्षणशास्त्र-1 (प्राथमिक स्तर) >>>
- F-8 हिन्दी का शिक्षणशास्त्र-1 (प्राथमिक स्तर) >>>
- F-9 Proficiency in English >>>
- F-10 पर्यावरण अध्ययन का शिक्षणशास्त्र >>>
- F-11 कला समेकित शिक्षा >>>
- F-12 शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीक >>>
- D.El.Ed 1st AND 2nd YEAR SYLLABUS >>>
- SEP-1 विद्यालय अनुभव कार्यक्रम -1 (4 सप्ताह )
F-1 समाज, शिक्षा और पाठ्यचर्या की समझ br />
- इकाई 1: बच्चे, बचपन और समाज
- इकाई 2 : विद्यालय और समाजीकरण
- इकाई 3 : शिक्षा और ज्ञान : विविध परिप्रेक्ष्य की समझ
- इकाई 4: प्रमुख चिन्तकों के मौलिक लेखन की शिक्षाशास्त्रीय समझ
- इकाई 5 : पाठ्यचर्या की समझ : बच्चों तथा समाज के सन्दर्भ में
- बच्चे तथा बचपन : सामाजिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक समझ।
- समाजीकरण की समझ : अवधारणा, कारक तथा विविध सन्दर्भ।
- बच्चों का समाजीकरण : माता-पिता, परिवार, पड़ोस, जेण्डर एवं समुदाय की भूमिका।
- बाल अधिकारों का सन्दर्भ : उपेक्षित वर्गों से आने वाले बच्चों पर विशेष चर्चा के साथ।
- शिक्षा, विद्यालय और समाज : अन्तर्सम्बन्धों की समझ।
- विद्यालय में समाजीकरण की प्रक्रिया : विभिन्न कारकों की भूमिका व प्रभावों की समझ।
- शिक्षा, शिक्षण तथा विद्यालय : सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक आधार|
- शिक्षा : सामान्य अवधारणा, उद्देश्य एवं विद्यालयी शिक्षा की प्रकृति।
- शिक्षा को समझने के विभिन्न आधार/दृष्टिकोण : दर्शनशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक, समाज-शासत्र
- शिक्ष का साहित्य, शिक्षा का इतिहास आदि।
- ज्ञान की अवधारणा : दार्शनिक परिप्रेक्ष्य।
- ज्ञान के विविध स्वरूप एवं अर्जन के तरीके।
- महात्मा गाँधी-हिन्द स्वराज : सामाजिक दर्शन और शिक्षा के सम्बन्ध को रेखांकित करते हुए
- गिजुभाई बधेका—दिवास्वप्न : शिक्षा में प्रयोग के विचार को रेखांकित करते हुए।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर–शिक्षा : सीखने में स्वतन्त्रता एवं स्वायत्तता की भूमिका को रेखांकित करते हुए।
- मारिया माण्टेसरी—ग्रहणशील मन पुस्तक से 'विकास के क्रम' शीर्षक अध्याय : बच्चों सीखने के सम्बन्ध में विशेष पद्धति को रेखांकित करते हुए।
- ज्योतिबा फुले-हण्टर आयोग (1882) को दिया गया बयान : शैक्षिक, सामाजिक सांस्कृतिक असमानता को रेखांकित करते हुए।
- डॉ. जाकिर हुसैन–शैक्षिक लेख : बालकेन्द्रित शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए।
- जे. कृष्णमूर्ति 'शिक्षा क्या है' : सीखने-सिखाने में संवाद की भूमिका को रेखांकित करते हुए
- जॉन डीवी–शिक्षा और लोकतन्त्र से 'जीवन की आवश्यकता के रूप में शिक्षा' शीर्षक लेर शिक्षा और समाज की अन्तक्रिया को रेखांकित करते हुए।
- पाठ्यचर्या तथा पाठ्यक्रम : अवधारणा तथा विविध आधार।
- बच्चों की पाठ्य-पुस्तकें : शिक्षा, ज्ञान एवं समाजीकरण के माध्यम के तौर पर।
- स्थानीय पाठ्यचर्या की समझ। ।
F-2 बचपन और बाल विकास
- इकाई 1 : बचपन व बाल विकास की समझ
- इकाई 2 : बच्चों का शारीरिक एवं मनोगत्यात्मक विकास
- इकाई 3 : बच्चों में सृजनात्मकता
- इकाई 4: खेल और बाल विकास
- इकाई 5 : बच्चे और व्यक्तित्व विकास
इकाई 1 : बचपन व बाल विकास की समझ
- बच्चे एवं बचपन : मनो-सामाजिक अवधारणा
- बचपन को प्रभावित करने वाले मनोसामाजिक कारक
- बाल विकास : अवधारणा, विकास के विविध आयाम, प्रभावित करने वाले कारक
- वृद्धि एवं विकास : अन्तर्सम्बन्धों की समझ, अध्ययन के तरीके।
इकाई 2 : बच्चों का शारीरिक एवं मनोगत्यात्मक विकास
- * शारीरिक विकास की समझ।
- * मनोगत्यात्मक विकास की समझ।
- * बच्चों के शारीरिक एवं मनोगत्यात्मक विकास की समझ।
इकाई 3 : बच्चों में सृजनात्मकता
- * सृजनात्मकता : अवधारणा, बच्चों के सन्दर्भ में विशेष महत्त्व।
- * बच्चों में सृजनात्मक विकास हेतु विविध तरीके।
- * सृजनात्मकता : प्रभावित करने वाले कारक।
इकाई 4: खेल और बाल विकास
- * खेल से आशय : अवधारणा, विशेषता, बच्चों के विकास के सन्दर्भ में महत्त्व।
- * बच्चों के खेल : विविध प्रकार एवं सन्दर्भ ।
- * बच्चों के विविध खेल : सीखने-सिखाने के माध्यम के रूप में।
इकाई 5 : बच्चे और व्यक्तित्व विकास
- * विकास के विविध आयाम : एरिक्सन के सिद्धान्त का विशेष सन्दर्भ ।
- * बच्चों में भावात्मक/संवेगात्मक विकास का पहलू : जॉन बाल्बी का सिद्धान्त एवं अन्य विचार
- * नैतिक विकास और बच्चे : सही-गलत की अवधारणा, ज्यां पियाजे तथा कोहलबर्ग का सिद्धान
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