हिंदी का शिक्षण शास्त्र -1 (प्राथमिक स्तर )
SCERT BIHAR DElEd FIRST YEAR PAPER F-8HINDI KA SIKSHN SHASTR -1 PRAIMARY LEBEL
TOPIC | हिंदी का शिक्षण शास्त्र -1 (प्राथमिक स्तर ) सिलेबस |
विषय | हिंदी का शिक्षण शास्त्र -1 (प्राथमिक स्तर ) |
COURSE | BIHAR D.El.Ed |
D.El.Ed FIRST YEAR | |
FULL MARKS | 40+10 = 50 |
इकाई 1 : प्राथमिक स्तर पर हिन्दी : प्रकृति एवं उसके शिक्षण के उद्देश्य
इकाई 2 : प्राथमिक स्तर की हिन्दी : पाठ्यचर्या-पाठ्यक्रम और पाठ्य-पुस्तकों की समझ
इकाई 3 : भाषायी क्षमताओं का विकास : सुनना व बोलना
इकाई 4: पढ़ने की क्षमता का विकास
इकाई 1 : प्राथमिक स्तर पर हिन्दी : प्रकृति एवं उसके शिक्षण के उद्देश्य
बच्चों की दुनिया में हिन्दी।
हिन्दी भाषा की प्रकृति एवं प्राथमिक स्तर की हिन्दी की समझ।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 और बिहार पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2008 के आलोक में हिन्दी भाषा के उद्देश्यों को समझना।
इकाई 2 : प्राथमिक स्तर की हिन्दी : पाठ्यचर्या-पाठ्यक्रम और पाठ्य-पुस्तकों की समझ
बिहार के प्राथमिक स्तर की हिन्दी के पाठ्यचर्या-पाठ्यक्रम के उद्देश्य
प्राथमिक स्तर की पाठ्चर्या-पाठ्यक्रम की संरचना।
प्राथमिक स्तर की हिन्दी की पाठ्य-पुस्तकों एवं अभ्यास प्रश्नों की प्रकृति की समझ।
इकाई 3 : भाषायी क्षमताओं का विकास : सुनना व बोलना
भाषायी क्षमताओं की संकल्पना : विभिन्न भाषायी क्षमताएँ और उनके बीच आपसी सम्बन्ध।
सुनने व बोलने का अर्थ।
सुनने व बोलने को प्रभावित करने वाले कारक।
प्राथमिक स्तर के बच्चों के सुनने और बोलने की क्षमताओं का विकास
बच्चों को कक्षा में सुनने व बोलने के मौके उपलब्ध करवाना; जैसे-आज की बात, बातचीत, अपने बारे में
बात करना, स्कूल अनुभवों पर बात करना, आँखों देखी या सुनी हुई घटनाओं के बारे में अभिव्यक्ति करना, बातगीत/कविता सुनना-सुनाना, कहानी सुनना-सुनाना, चित्र-वर्णन, दिए गए शब्दों से कहानी सुनाना, रोल प्ले करवाना, सुने हुए विचारों को संक्षिप्त व विस्तारित कर पाना, परिचित सम-सामयिक विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करना, बच्चों को कहानी, कविता, नाटक, आदि रचने, उसे बढ़ाने तथा प्रस्तुत करने के अवसर देना (कविताओं,कहानियों व बातगीतों, आदि के उदाहरण प्रारम्भिक कक्षाओं की हिन्दी की पाठ्य-पुस्तकों से भी लिए जाएँ)।
भाषा सीखने के संकेतक : सुनने और बोलने के सन्दर्भ में।
इकाई 4: पढ़ने की क्षमता का विकास
पढ़ने का अर्थ : शुरुआती पढ़ना क्या है, शुरुआती पढ़ना' की चरणबद्ध प्रक्रिया को समझना।
पढने की प्रक्रिया और विभिन्न सोपानों में अनुमान लगाने, अर्थ समझने, लिपि पहचानने, पढ़कर प्रतिक्रिया देने, पढ़कर सार प्रस्तुत करने का तात्पर्य और महत्त्व।
पढ़ने के प्रकार : सस्वर, मौन पठन, गहन पठन, विस्तृत पठन, शब्द और अर्थ का अनुमान लगाते हए पढना. स्किप रीडिंग, स्कैन रीडिंग, आदि।
पढ़ना सिखाने के विभिन्न तरीके और उनकी समीक्षात्मक समझ : वर्ण विधि, शब्द विधि, वाक्य विधि अर्थपूर्ण सन्दर्भ आधारित उपागम।
पढ़ना सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में बाल साहित्य की भूमिका।
भाषा सीखने के संकेतक : पढ़ने के सन्दर्भ में।