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शिक्षा मनोविज्ञान महत्व |
(Importance of Educational Psychology)
आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा मनोविज्ञान का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है |शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में शिक्षा मनोविज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका करता है। शिक्षार्थी, शिक्षक तथा शिक्षा व्यवस्था तीनों ही दृष्टि से शिक्षा विज्ञान का महत्व व उपयोगिता असंदिग्ध है । शिक्षा से सम्बन्धित अनेकों प्रश्नों का उतर शिक्षा मनोविज्ञान ही प्रदान करता है। बालक की शिक्षा कव प्रारम्भ करनी जाहिए ? सहज ढंग से सीखना कैसे सम्भव हो सकता है ? किस प्रकार से शिक्षण को प्रभावशाली बनाया जा सकता है ? भाषा को सरलता से कैसे सिखाया जा सकता है ? शीघ्र व रोचक ढंग से पाठ्यवस्तु को कैसे स्मरण किया जा सकता है ? छात्रों की मानसिक योग्यताओं का ज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? अमुक बालक को माध्यमिक शिक्षा के उपरान्त किस प्रकार के पाठ्यक्रम में जाना चाहिए? जैसे अनेकानेक प्रश्नों का उत्तर शिक्षा मनोविज्ञान ही प्रदान कर सकता है ।
वास्तव में शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा प्रक्रिया में दो ढंग से अपना योगदान देता है-प्रथम, शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के सिद्धान्त (Theory of Education) के क्षेत्र में योगदान करता है तथा द्वितीय, शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के अभ्यास (Practice of Education) के क्षेत्र में अपना योगदान करता है। शिक्षा के इन दोनों क्षेत्रों में किया जाने वाला योगदान निम्नांकित बिन्दुओं के अवलोकन से स्पष्ट हो सकेगा |
(i) विकासात्मक विशेषताओं को समझने में (To Understand Developmental Characteristics)
(ii) अधिगम की प्रकृति को समझने में (To Understand the Nature of Learning)
(iii) व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझने में (To Understand Individual Differences)
(iv) प्रभावशाली शिक्षण विधियों को समझने में (To Understand Effective Teaching Methods)
(v) बालकों की समस्याओं को समझने में (To Understand Problemst Children)
(vi) मानसिक स्वास्थ्य का ज्ञान (Knowledge of Mental Health)
(vii) पाठयक्रम निर्माण (Curriculur Construction)
(viii)अधिगम परिणामों का मापन (Measurement of Learning Outcomes)
(ix) विशिष्ट बालकों की शिक्षा (Education of Exceptional Children)
(x) समूह गत्यात्मकता की समझ (Understanding of Group Dynamics)
(xi) शिक्षण सामग्री का प्रयोग (Use of Learning Material)
(xii) शैक्षिक प्रशासन (Educational Administration)
(xiii) समय-सारणी (Time Table)
(xiv) पाठ्य-सहगामी क्रियाएँ (Co-curricular Activities)
(xv) पाठ्य-पुस्तकें (Text Books)
(xvi) अनुशासन (Discipline)
स्पष्ट है कि शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वास्तव में शिक्षा मनोविज्ञान ने शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति सी कर दी है। शिक्षा मनोविज्ञान ने शिक्षा को एक नया स्वरूप प्रदान किया है जिसके फलस्वरूप आधुनिक समय में शिक्षा प्रक्रिया में बालक को एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाता है। प्राचीन काल में छात्र को शिक्षा प्रक्रिया में गौण स्थान दिया जाता था, परंतु अब छात्र का स्थान सर्वोपरि है। अब बालक की रुचि, योग्यता तथा परिस्थिति के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया जाता है। बालक का सहज विकास हो सके, इसके लिए पाठ्यक्रम, पाठ्य-पुस्तक, शिक्षण विधियों को नित्य प्रतिदिन नूतन व नवीन रूप दिया जा रहा है। छात्रों की शैक्षिक समस्याओं का मनोवैज्ञानिक ढंग से निदान व समाधान किया जाता है । बालकेन्दित शिक्षा के फलस्वरूप शिक्षा सम्बन्धी दृष्टिकोण में आमूल परिवर्तन आ गया है। शिक्षा को एक आनन्ददायी क्रिया बनाने का प्रयास किया जा रहा है। पहले शिक्षा का अर्थ बालक को अधिकाधिक ज्ञान प्रदान करना मात्र था, परंतु अब शिक्षा का अर्थ बालक को उचित परामर्श देकर उसके विकास का मार्ग प्रशस्त करना है।
अध्यापक के लिए मनोविज्ञान की उपयोगिता
(Utility of Educational Psychology for the Teacher)
विगत पृष्ठों में स्पष्ट किया जा चुका है कि आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं का विवेचन, विश्लेषण और समाधान प्रस्तुत करता है इसलिए शिक्षा प्रक्रिया में संलग्न व्यक्तियों के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है। अध्यापक कक्षा में चलने वाली वास्तविक शिक्षा प्रक्रिया का निर्देशक होता है। वह छात्रों के सममुख सीखने की परिस्थितियों को प्रस्तुत करके उनके शैक्षिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। अतः किसी अध्यापक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान अत्यंत आवश्यक महत्वपूर्ण व उपयोगी है। शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान के अभाव में कोई भी अध्यापक अपने कार्य को कुशलतापूर्वक सम्पादित नहीं कर सकता है। आधुनिक समय में शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान ही अध्यापक की सफलता का रहस्य होता है। अपने शिक्षण कार्य को सफल बनाने के लिए तथा छात्रों के सीखने को सरल, सहज व आनन्दमय बनाने के लिए अध्यापक को मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का उपयोग करना होता है। अध्यापकों के लिए मनोविज्ञान का अध्ययन निम्नांकित दृष्टियों से उपयोगी है |
(i) शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को सम्यक् दृष्टिकोण प्रदान करता है।
ii) शिक्षा मनोविज्ञान कक्षा में उपयुक्त शैक्षिक वातावरण उत्पन्न करने में सहायता प्रदान करता है।
(iii) शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को छात्रों के प्रति प्रेम, सहानुभूति तथा समदर्शी व्यवहार को अपनाने में सहायता करता है।
(iv) शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को श्रेष्ठ शिक्षण विधियों की जानकारी प्रदान करता है।
(v) शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को बाल-स्वभाव तथा व्यवहार के शान से परिचित कराता है।
(vi) शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत भिन्नताओं को ध्यान में रखने पर बल देता है।
(vii) शिक्षा मनोविज्ञान अनुशासन बनाए रखने के मनोवैज्ञानिक तरीकों की जानकारी देता है।
(viii) शिक्षा मनोविज्ञान पाठ्य-निर्माण करने में सहायता प्रदान करता है |
(ix) शिक्षा मनोविज्ञान बालकों के चतुर्मुखी विकास की विधियों की जानकारी प्रदान करता है।
(x) शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक तथा व्यावसायिक मार्गदर्शन प्रदान करने में अध्यापक की सहायता करता है।
(xi) शिक्षा मनोविज्ञान मापन तथा मूल्यांकन की नवीन विधियों से अध्यापक को परिचित कराता है।