Meaning and Deffinition of Psychology
'मनोविज्ञान' शब्द का शाब्दिक अर्थ है-मन का विज्ञान । दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि शाब्दिक अर्थ की दृष्टि से मनोविज्ञान अध्ययन की वह शाखा है जो मन का अध्ययन करती है।
मनोविज्ञान को अंग्रेजी में 'साइकॉलोजी' (Psychology) कहते है | 'साइकॉलोजी' (Psychology)
शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के दो शब्द 'साइकी' (Psyche) तथा logos) से मिलकर हुई है। 'साइकी' शब्द का अर्थ है-आत्मा (Soul) तथा लोगस शब्द का अर्थ है -अध्ययन (Study)। अतः अंग्रेजी शब्द साइकॉलोजी का अर्थ है -आत्मा का अध्ययन। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि साइकालोजी शब्द की उत्पत्ति अध्ययन के उस क्षेत्र को इंगित करने के लिए हुई थी जो आत्मा का ज्ञान प्राप्त करता था। परन्तु वर्तमान समय में मनोविज्ञान व साइकॉलोजी शब्दो के इन दोनों शाब्दिक अर्थों को स्वीकार नहीं किया जाता है। वास्तव में मनोविज्ञान का प्रारम्भ दर्शनशास्त्र की एक शाखा के रूप में अनेक शताब्दियो पूर्व हआ था। परंतु आधुनिक काल में हुए परिवर्तनों के फलस्वरूप धीरे-धीरे मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से पृथक कर लिया तथा अब यह एक स्वतंत्र विषय के रूप म स्वीकार किया जाता है। दर्शनशास्त्र से अलग होने के प्रयास में मनोविज्ञान के अर्थ में अनेक बार परिवर्तन हुए। मनोविज्ञान के आधुनिक अर्थ को समझने के लिए मनोविज्ञान की परिभाषाओं के ऐतिहासिक विकासक्रम को समझना उचित ही होगा।
मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र से किस प्रकार अलग हुआ तथा उसके अर्थ में क्या-क्या परिवर्तन हुए, इसको संक्षेप में निम्न ढंग से व्यक्त किया जा सकता है
1. आत्मा के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान
(Psychology as a Science of Soul)
यदि आज से अनेक शताब्दियों पूर्व प्रश्न किया जाता कि मनोविज्ञान क्या है तो सम्भवतः इसका उत्तर मिलता कि मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जिसमें आत्मा का अध्ययन किया जाता है। प्लेटो (Plato), अरस्तू (Aristotle), डेकाटे (Decarte) आदि यूनानी दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को आत्मा के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया है । जैसा कि चर्चा की जा चुकी है कि साइकॉलोजी शब्द का शाब्दिक अर्थ भी आत्मा के अध्ययन की ओर इंगित करता है। मनोविज्ञान की यह परिभाषा लगभग 16 वीं शताब्दी तक प्रचलित रही, परन्तु बाद में आत्मा की प्रकृति के सम्बन्ध में शंकाएँ उत्पन्न होने लगी तथा तत्कालीन मनोवैज्ञानिक (अथवा दार्शनिक) आत्मा की स्पष्ट परिभाषा, उसके स्वरूप, उसके रंगरूप व आकार, उसकी स्थिति तथा आत्मा के अध्ययन करने की विधियों को स्पष्ट करने में असफल रहे। परिणामत: 16वीं शताब्दी में मनोविज्ञान की इस परिभाषा को अस्वीकार कर दिया गया।
2. मस्तिष्क के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान
(Psychology as a Science of Mind)
आत्मा के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान की परिभाषा के अस्वीकृत हो जाने पर मध्ययुग के दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को मस्तिष्क के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। दूसरे शब्दों में उन्होंने विज्ञान को अध्ययन का वह क्षेत्र माना जिसके अंतर्गत मस्तिष्क या मन का अध्ययन किया जाता है। परंतु मस्तिष्क के अर्थ के सम्बन्ध में भी वही कठिनाई उत्पन्न हुई जो आत्मा के विषय में थी। मनोवैज्ञानिक मस्तिष्क की प्रकृति तथा स्वरूप को स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं कर सके । मस्तिष्क के सम्बन्ध में संतोषप्रद उत्तर उपलब्ध न होने के कारण मनोविज्ञान की यह परिभाषा भी शीघ्र ही अमान्य हो गई।
3. चेतना के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान
(Psychology as a Science of Consciousness)
तत्पश्चात् मनोवैज्ञानिकों के द्वारा मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान के रूप में व्यक्त किया गया । वाइव (Vive), विलियम जेम्स (William James); विलियम वूड (Willaim Wundt), जेम्स सली (James Sully) आदि विद्वानों ने मनोविज्ञान को. चेतना के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया तथा कहा कि मनोविज्ञान चेतन क्रियाओं का अध्ययन करता है। परंतु वे चेतन शब्द के अर्थ व स्वरूप के सम्बन्ध में एक मत न हो सके। चेतन क्रियाओं पर अर्द्धचेतन व अचेतन क्रियाओं का प्रभाव भी होने के कारण मनोवैज्ञानिकों में मनोविज्ञान की इस परिभाषा पर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए तथा इसे मनोविज्ञान की एक अपूर्ण परिभाषा माना जाने लगा। परिणामतः सीमित अर्थ होने के कारण मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान के रूप में स्पष्ट करने का प्रयास भी असफल हो गया।
4. व्यवहार के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान
(Psychology as a Science of Behaviour)
बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाने लगा। वाट्सन (Watson), वुडवर्थ (Woodworth) स्किनर (Skinner) आदि मनोवैज्ञानकों ने मनोविज्ञान को व्यवहार का एक निश्चित विज्ञान (Positive Science) स्वीकार किया। वर्तमान समय में मनोविज्ञान की इस परिभाषा को ही सर्वमान्य परिभाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है।
स्पष्ट है कि मानव जाति के ज्ञान में वद्धि के साथ-साथ मनोविज्ञान के अर्थ में कई बार परिवर्तन आए। मनोवज्ञान के अर्थ की इस यात्रा को वुडवर्थ ने निम्नाकित शब्दों में अभिव्यक्त किया है |
“सर्वप्रथम मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया, फिर इसने अपने मस्तिष्क का त्याग किया, फिर इसने अपनी चेतना का त्याग किया, अब यह व्यवहार की विधि को स्वीकार करता है।"
First psychology lost its soul, then it lost its mind, then it lost its consciousness, it still has behaviour of sort.
-Woodworth
वारेन के अनुसारं-
“मनोविज्ञान जीवधारी तथा वातावरण की पारस्परिक अन्तक्रिया से सम्बन्धित विज्ञान है।"
Psychology is the science which deals with the mutual inter-relation between an organism and enviornment.
-Warren.
वाट्सन ने-“मनोविज्ञान को व्यवहार के धनात्मक विज्ञान के रूप में पारिभाषित किया है।"
Psychology is the positive science of behaviour.
-Watson.
वुडवर्थ के शब्दों में-“मनोविज्ञान वातावरण के सम्पर्क में होने वाले मानव व्यवहारों का विज्ञान है।"
Psychology is the science of activities of the individual in relation to environment.
-Woodworth.
मैकडूगल के अनुसार-
“मनोविज्ञान आचरण एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है |
Psychology is the positive science of conduct and behaviour.
-Mc Dougall.
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मनोविज्ञान एक निश्चित विज्ञान है जो प्राणी के भौतिक तथा सामाजिक दोनों ही प्रकार के व्यवहारों का अध्ययन करता है। मनोविज्ञान का उद्देश्य मानव अथवा पशु के व्यवहारों के कारणों की खोज करना तथा मानव अथवा पशु स्वभाव का भलीभाँति अध्ययन करना है । क्योंकि प्राणी का व्यवहार की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है तथा बाह्य व्यवहार वास्तव में अन्तर्जगत की अभिव्यक्ति मात्र है, इसलिए मनोविज्ञान प्राणी के अन्तर्मन का भी अध्ययन करना मनोविज्ञान व्यवहार का अध्ययन करता है तो प्रश्न उठता है कि व्यवहार क्या है ? वास्तव में मनुष्य अथवा प्राणी जो कुछ भी प्रतिक्रियाएँ करता है वे ही उसका व्यवहार है। जेम्स ड्रेवर के अनुसार-"जीवन की संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के प्रति मनुष्य अथवा पशु की सम्पूर्ण प्रतिक्रया ही व्यवहार है।"
स्पष्ट है कि मनोविज्ञान वातावरण के विभिन्न अंगों के प्रति प्राणी के व्यवहार का अध्ययन करता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान के अन्तर्गत प्राणियों का व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियन्त्रण करने से सम्बन्धित अध्ययन कार्य सम्पादित किए जाते हैं। प्राणी तथा वातावरण के विभिन्न प्रकारों के आधार पर मनोविज्ञान को अनेक शाखाओं में बाँटा जा सकता है।
मनोविज्ञान की कुछ प्रमुख शाखाएँ निम्नवत् है -
1. सामान्य मनोविज्ञान (Normal Psychology)-
इसके अन्तर्गत सामान्य प्राणियों के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियन्त्रण से सम्बंधित अध्ययन किया जाता है
2. असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology)-
इसके अन्तर्गत असामान्य प्राणियों के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियन्त्रण से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है।
3. मानव मनोविज्ञान (Human Psychology)-
इसके अन्तर्गत मनुष्यों के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियन्त्रण से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है।
4.पशु मनोविज्ञान (Animal Pschology)-
इसके अंतर्गत पशुओं के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियन्त्रण से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है।
5. बाल मनोविज्ञान (Child Psychology)
इसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियन्त्रण से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है।
6. किशोर मनोविज्ञान (Adolescent Psychology)-
इसके अंतर्गत किशोरों के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियंत्रण से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता
7.प्रौढ़ मनोविज्ञान (Adult Psychology)-
इसके अन्तर्गत प्रौढ़ों के व्यवहार का वर्णन, पूर्वकथन व नियंत्रण से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है।
8. औद्योगिक मनोविज्ञान (Industrial Psychology)-
इसके अंतर्गत आद्योगिक क्षेत्र में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
9. समाज मनोविज्ञान (Social Psychology)-
इसके अंतर्गत सामाजिक पारास्थितियों में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
10. सैन्य मनोविज्ञान (Military Psychology)
इसके अंतर्गत सैन्य क्षेत्र में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
11. विकासात्मक मनोविज्ञान (Developmental Psychology)-
इसके अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में बालकों के विकासक्रम का अध्ययन किया जाता है।
12. प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Experimental Psychology)-
इसके अंतर्गत प्रयोगों के आधार पर व्यवहार का अध्ययन किया जाता है ।
13. व्यक्तिगत मनोविज्ञान (Individual Psychology)--
इसके अंतर्गत व्यक्तियों के व्यक्तिगत व्यवहार से संबंधित अध्ययन किया जाता है।
14. शिक्षा मनोविज्ञान (Educational Psychology)-
इसके अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं की उपरोक्त सूची के अवलोकन से स्पष्ट ही है कि मनोविज्ञान का विषय क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। प्रस्तुत पुस्तक में मनोवज्ञान की केवल एक ही शाखा शिक्षा मनोविज्ञान की चर्चा की गई है।