Course- 8 (knowledge and curriculum)
Topic - शिक्षा की प्रक्रिया में पाठ्यक्रम के महत्व एवं आवश्यकता (Need and importance of syllabus in Education process)
पाठ्यक्रम शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति का साधन है !शिक्षाविदों ने भी यह स्पष्ट किया है कि पाठ्यक्रम विद्यालय तक ही सीमित नहीं रहता है बल्कि इसमें उसमें विद्यालय से बाहर की जाने वाली क्रियाएं भी सम्मिलित होती है जिन्हें विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा की प्राप्ति के लिए किया जाता है ! प्रत्येक समाज, राज्य, राष्ट्र की अपनी कुछ मान्यताएं होती है, विश्वास आदर्श एवं मूल्य होते हैं इनकी पूर्ति के लिए शिक्षा की व्यवस्था करता है और उद्देश्य निश्चित करता है ! इस प्रकार, पाठ्यक्रम शिक्षक एवं शिक्षार्थी के सामने स्पष्ट एवं निश्चित लक्ष्य रखता है और उनकी प्राप्ति के लिए उनके कार्य निश्चित करता है ! नियोजित शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम बहुत आवश्यक है जिसके निम्नलिखित उपयोग है -
1. शिक्षा प्रक्रिया की व्यवस्था -
निश्चित पाठ्यक्रम अध्यापक और विद्यार्थी दोनों की कार्य निश्चित कर देता है ! पाठ्यक्रम एक ऐसा लेखा-जोखा है जिसमें यह तय किया जाता है कि शिक्षा के किस स्तर पर इस पाठय विषय का कितना ज्ञान दिया जाए एवं किन क्रियाओं मैं कितनी दक्षता उपलब्ध कराई जाएगी और पाठ्यगामी सहगामी क्रियाओं को कैसे आयोजित किया जाएगा ! पाठ्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय के बाहर एवं भीतर दिए जानेवाले कार्यों की पूरी रूपरेखा होती है ! अतः निश्चित पाठ्यक्रम शिक्षा की रूपरेखा को तय करता है और व्यवस्थित भी करता है !
2. शक्ति एवं समय का सदुपयोग -
निश्चित पाठ्यक्रम में विद्यार्थी को यह पता रहता है कि उन्हें क्या- क्या सीखना है ! अध्यापक और विद्यार्थी किसी भी स्तर पर भटक नहीं पाते हैं ! परिणामस्वरूप शिक्षा की व्यवस्था बहुत ही सुचारू रूप से चलती है और अध्यापक एवं विद्यार्थी दोनों निश्चित रूप में कार्यों को पूरा करते हैं ! इस तरह, समय एवं शक्ति दोनों का सदुपयोग होता रहता है !
3. बालकों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति -
मनुष्य में यह एक बड़ा गुण है कि वह सप्रयोजन क्रियाओं में रुचि लेता है और इस प्रकार के कार्य करना चाहता है जिससे उसे बर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति तो होती है, भावी आवश्यकताओं की पूर्ति की भी व्यवस्था होती है ! पाठ्यक्रम की निर्माण इन बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है ! अतः बच्चे उसे पूरा करने में रुचि लेते हैं ! यह बात भी ध्यान देने की है कि यदि बालक निश्चित समय में अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लेते हैं तो वह दुगुने उत्साह से आगे बढ़ते हैं !
4. पाठ्य पुस्तकों के निर्माण में सहयोग -
किसी भी स्तर में निश्चित पाठ्यक्रम में उस स्तर पर पढ़ाए जाने वाले विषयों की सामग्री भी निश्चित होती है ! इसके आधार पर ही लेखक पाठ्य-पुस्तक तैयार करते हैं और उनमें आवश्यक सामग्री को भी स्थान देते हैं ! पाठ्य पुस्तकों के अभाव में शिक्षा नियंत्रित एवं व्यवस्थित हो जाती है !
5. समान शिक्षा स्तर के लिए -
पाठ्यक्रम निश्चित होने पर पूरे समाज का शिक्षा का स्तर समान रहता है ! पाठ्यक्रम स्वरूप हमें शिक्षा में सुधार की सही दिशा प्राप्त होती है ! पाठ्यक्रम निश्चित नहीं होने की स्थिति में हम शिक्षा के स्तर के गिरते एवं उठने के कार्यों का पता नहीं लगा सकते हैं !
6. सही मूल्यांकन के लिए -
विशेष स्तर के लिए विशेष पाठ्यक्रम के निश्चित होने से विशेष स्तर के विद्यार्थियों का मूल्यांकन हो जाता है ! यदि विशेष स्तर के लिए विशेष पाठ्यक्रम की व्यवस्था नहीं होगी तो मूल्यांकन असंभव हो जाएगा ! अध्यापक विद्यार्थियों का मूल्यांकन पाठ्यक्रम के आधार पर ही करता है !
7. शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए -
किसी भी स्तर पर पाठ्यक्रम निर्माण कुछ निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है ! यदि हम पाठ्यक्रम को पूरा कर पाते हैं तो उद्देश्यों की प्राप्ति भी हम सफल होते हैं वरना असफल हो जाते हैं ! यदि हम देखते हैं कि ऐसी पाठ्यक्रम विशेष से हमारे उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो रही है तो हम पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर देते हैं ! यदि हमारे पास पाठ्यक्रम नहीं रहेगा तो हम यह तय करने में असमर्थ हो जाएंगे कि किन विषयों के सहयोग एवं किन क्रियाओं को करने से हमारे उद्देश्यों की पूर्ति हो रही है ! कौन से विषय में कौन सी क्रियाएं कम उपयोगी है !
By - 🖍
Chhotelal Yadav
Assistant Professor
Department Of Education
S. Sinha College Aurangabad (Bihar)
Topic - शिक्षा की प्रक्रिया में पाठ्यक्रम के महत्व एवं आवश्यकता (Need and importance of syllabus in Education process)
पाठ्यक्रम शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति का साधन है !शिक्षाविदों ने भी यह स्पष्ट किया है कि पाठ्यक्रम विद्यालय तक ही सीमित नहीं रहता है बल्कि इसमें उसमें विद्यालय से बाहर की जाने वाली क्रियाएं भी सम्मिलित होती है जिन्हें विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा की प्राप्ति के लिए किया जाता है ! प्रत्येक समाज, राज्य, राष्ट्र की अपनी कुछ मान्यताएं होती है, विश्वास आदर्श एवं मूल्य होते हैं इनकी पूर्ति के लिए शिक्षा की व्यवस्था करता है और उद्देश्य निश्चित करता है ! इस प्रकार, पाठ्यक्रम शिक्षक एवं शिक्षार्थी के सामने स्पष्ट एवं निश्चित लक्ष्य रखता है और उनकी प्राप्ति के लिए उनके कार्य निश्चित करता है ! नियोजित शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम बहुत आवश्यक है जिसके निम्नलिखित उपयोग है -
1. शिक्षा प्रक्रिया की व्यवस्था -
निश्चित पाठ्यक्रम अध्यापक और विद्यार्थी दोनों की कार्य निश्चित कर देता है ! पाठ्यक्रम एक ऐसा लेखा-जोखा है जिसमें यह तय किया जाता है कि शिक्षा के किस स्तर पर इस पाठय विषय का कितना ज्ञान दिया जाए एवं किन क्रियाओं मैं कितनी दक्षता उपलब्ध कराई जाएगी और पाठ्यगामी सहगामी क्रियाओं को कैसे आयोजित किया जाएगा ! पाठ्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय के बाहर एवं भीतर दिए जानेवाले कार्यों की पूरी रूपरेखा होती है ! अतः निश्चित पाठ्यक्रम शिक्षा की रूपरेखा को तय करता है और व्यवस्थित भी करता है !
2. शक्ति एवं समय का सदुपयोग -
निश्चित पाठ्यक्रम में विद्यार्थी को यह पता रहता है कि उन्हें क्या- क्या सीखना है ! अध्यापक और विद्यार्थी किसी भी स्तर पर भटक नहीं पाते हैं ! परिणामस्वरूप शिक्षा की व्यवस्था बहुत ही सुचारू रूप से चलती है और अध्यापक एवं विद्यार्थी दोनों निश्चित रूप में कार्यों को पूरा करते हैं ! इस तरह, समय एवं शक्ति दोनों का सदुपयोग होता रहता है !
3. बालकों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति -
मनुष्य में यह एक बड़ा गुण है कि वह सप्रयोजन क्रियाओं में रुचि लेता है और इस प्रकार के कार्य करना चाहता है जिससे उसे बर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति तो होती है, भावी आवश्यकताओं की पूर्ति की भी व्यवस्था होती है ! पाठ्यक्रम की निर्माण इन बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है ! अतः बच्चे उसे पूरा करने में रुचि लेते हैं ! यह बात भी ध्यान देने की है कि यदि बालक निश्चित समय में अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लेते हैं तो वह दुगुने उत्साह से आगे बढ़ते हैं !
4. पाठ्य पुस्तकों के निर्माण में सहयोग -
किसी भी स्तर में निश्चित पाठ्यक्रम में उस स्तर पर पढ़ाए जाने वाले विषयों की सामग्री भी निश्चित होती है ! इसके आधार पर ही लेखक पाठ्य-पुस्तक तैयार करते हैं और उनमें आवश्यक सामग्री को भी स्थान देते हैं ! पाठ्य पुस्तकों के अभाव में शिक्षा नियंत्रित एवं व्यवस्थित हो जाती है !
5. समान शिक्षा स्तर के लिए -
पाठ्यक्रम निश्चित होने पर पूरे समाज का शिक्षा का स्तर समान रहता है ! पाठ्यक्रम स्वरूप हमें शिक्षा में सुधार की सही दिशा प्राप्त होती है ! पाठ्यक्रम निश्चित नहीं होने की स्थिति में हम शिक्षा के स्तर के गिरते एवं उठने के कार्यों का पता नहीं लगा सकते हैं !
6. सही मूल्यांकन के लिए -
विशेष स्तर के लिए विशेष पाठ्यक्रम के निश्चित होने से विशेष स्तर के विद्यार्थियों का मूल्यांकन हो जाता है ! यदि विशेष स्तर के लिए विशेष पाठ्यक्रम की व्यवस्था नहीं होगी तो मूल्यांकन असंभव हो जाएगा ! अध्यापक विद्यार्थियों का मूल्यांकन पाठ्यक्रम के आधार पर ही करता है !
7. शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए -
किसी भी स्तर पर पाठ्यक्रम निर्माण कुछ निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है ! यदि हम पाठ्यक्रम को पूरा कर पाते हैं तो उद्देश्यों की प्राप्ति भी हम सफल होते हैं वरना असफल हो जाते हैं ! यदि हम देखते हैं कि ऐसी पाठ्यक्रम विशेष से हमारे उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो रही है तो हम पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर देते हैं ! यदि हमारे पास पाठ्यक्रम नहीं रहेगा तो हम यह तय करने में असमर्थ हो जाएंगे कि किन विषयों के सहयोग एवं किन क्रियाओं को करने से हमारे उद्देश्यों की पूर्ति हो रही है ! कौन से विषय में कौन सी क्रियाएं कम उपयोगी है !
By - 🖍
Chhotelal Yadav
Assistant Professor
Department Of Education
S. Sinha College Aurangabad (Bihar)