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STET SOCIAL SCIENCE NOTES - आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद

 

STET SOCIAL SCIENCE NOTES

 आदिवासी  समाज और उपनिवेशवाद 

EXAM NAME BIHAR STET 2023
. .
BOARD BIHAR SCHOOL EXAMINATION BORD ,PATNA
SUBJECT SOCIAL SCIENCE
पाठ 06 ( नये सिलेबस के अनुसार 6 वे नम्बर पर है  )
पाठ का नाम आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद  ( नये सिलेबस के अनुसार 6 वे नम्बर पर है) 
संछिप्त जानकारी अगर आप बिहार STET 2023 का तैयारी कर रहे है और आपका विषय सोशल साइंस ( STET SOCIAL SCIENCE )  है तो  आप सही जगह है | इस पेज में आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद के सभी वस्तुनिष्ट प्रश्न  दिया गया है | आप यहा से STET 2023 की तैयारी कर सकते है | कोई समस्या होतो नीचे कमेंट कर सकते है|अगर आप STET के तैयारी के लिए अन्य लोगो से जुड़ना चाहते है तो  नीचे लिंक पर क्लिक करे |
आवश्यक सूचना-2 बिहार STET पेपर -1 में 150 प्रश्न पूछे जाते है जिसमे 100 प्रश्न आपके विषय (सोसल साइंस , साइंस , कॉमर्स , भाषा )से एवं 50 प्रश्न शिक्षण अभिरुचि से पूछे जाते है | इस पेज में सोसल साइंस (सामाजिक विज्ञान ) में सिर्फ  आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद   के  सिर्फ वही प्रश्न को समिल किया गया है जो STET 2023 के परीक्षा में पूछे जा सकते है | ये पूर्णतया STET NEW SYLLABUS पे आधारीत है |  इस पाठ से 1 एक  या दो अवश्य प्रश्न  में पूछे जा सकते है|
आवश्यक सूचना -3 इस पेज में STET के नये सिलेबस पर आधारित प्रश्न शामिल किया गया है |

 
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BIHAR STET SOCIAL SCIENCE SYLLABUS PDF





इस पेज में STET के नये सिलेबस पर आधारित प्रश्न शामिल किया गया है

STET SOCIAL SCIENCE

 आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद 


# # आदिवासी -- भारतीय प्रायद्वीप के मूल निवासी ।


# # सरहुल -- चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को आदिवासियों द्वारा मनाया जानेवाला पर्व ।


# # भारतीय वन अधिनियम -- इस अधिनियम के द्वारा आदिवासियों को पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दिया गया एवं जंगल को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया ।


# # पाहन -- धर्म निरपेक्ष कार्यों के सम्पादन के लिए सृजित किया गया पद ।


# # मानकी या महतो -- पाहन के मदद के लिए बनाया गया पद ।


# # साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी -- कोलो के लिए शोषण विहिन शासन की स्थापना हेतु बनाया गया संस्था ।


# # दामन-ए-कोह -- भागलपुर से राजमहल के बीच का क्षेत्र जो संथाल बहुल था ।


# # गंगा नारायण हंगामा –- सन् 1832 ई. में वीरभूम के जमींदार के पत्र गंगा नारायण के नेतत्व में भूमिज विद्रोह की शुरुआत हुई, जिसे इतिहास में गंगा नारायण हंगामा के नाम से जाना जाता है।


# # अधिनियम 37 -- अधिनियम के अनुसार संथाल परगना को जिला बनाकर उसे वहिर्गत क्षेत्र घोषित कर शासन को सीधे गवर्नर जनरल के अधीन कर दिया गया ।


# # मरियाह प्रथा -- कंध जाति में विपत्तियों एवं आपदाओं से मुक्ति पाने के लिए मानव को बल देने का प्रथा ।


# # नई वन नीति –- वनों की रक्षा तथा आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा 1852 ई. में बनाया गया अधिनियम ।


# # 30 जून 1855 ई. -- भगनाडीह गाँव में संथालों की आम सभा ।


# # 1864 ई.-- वन सेवा की स्थापना ।


# # 1865 ई. -- भारतीय वन अधिनियम बना ।


# # 1750 ई.-- तिलकामांझी का जन्म हुआ ।


# # 1779 ई. -- तिलकामांझी ने राजस्व की राशि कम करवाने एवं किसानों की भूमि जमींदार से छुड़वाने के लिए सशस्त्र विद्रोह किया।


# # 1784 ई. -- भागलपुर के प्रथम तत्कालीन कलक्टर अंगस्टरन क्लेवलैंड पर सशस्त्र प्रहार तिलकामांझी ने किया ।


# # 1785 ई.-- तिलकामांझी को फाँसी दिया गया ।


# # 1789 ई.-- तमार विद्रोह की शुरुआत |


# # 1794 ई.-- तमार विद्रोह का अन्त ।


# # 1800 ई. -- चेरो विद्रोह ।


# # 1802 ई. -- चेरो विद्रोह के नायक भूषण सिंह को फाँसी ।


# # 1798 ई. -- चुआर विद्रोह चरमोत्कर्ष पर ।


# # 6 अप्रैल 1799 ई. -- रानी सिरोमणी को गिरफ्तार कर कलकत्ता जेल भेज दिया गया ।


# # 1820-21 ई. 1831 ई. -- छोटानागपुर के सिंहभूम जिला में हो विद्रोह ।


# # 1831 ई. -- छोटानागपुर में मुंडा, उरांव एवं अन्य जनजातियों के द्वारा कोल विद्रोह ।


# # 1832 ई. -- वीरभूम के पुत्र गंगा नारायण के नेतृत्व में भूमित्व विद्रोह की शुरुआत ।


# # जुलाई 1855 ई. -- संथाल विद्रोह का आरम्भ ।


# # 1857 ई. -- मंगल पांडे की अगुबाई में बैरकपुर छावनी में सैनिक विद्रोह ।


# # 1855 ई. -- अधिनियम 37' पारित किया गया ।


# # 1899-1900 ई. -- बिरसा मुंडा के नेतृत्व में उपनिवेशवाद का विरोध किया गया ।


# # 15 नवम्बर 1874 ई. -- बिरसा मुंडा का जन्म।


# # 1895 ई. -- बिरसा मुंडा ने अपने आपको ईश्वर का दूत घोषित किया।


# # 25 दिसम्बर 1899 ई. -- ईसाई मिशनरियों पर आक्रमण ।


# # 3 मार्च 1900 ई. -- बिरसा को गिरफ्तार कर राँची जेल भेज दिया गया।


# # 1837 ई. -- ब्रिटिश सरकार ने मरियाह प्रथा को रोकने का प्रयास किया।


# # 1867-68 ई. -- उड़ीसा में धरनीधर नायक के नेतृत्व में कंध विद्रोह ।


# # 1879-80 ई. -- बेट्टी प्रथा के खिलाफ विद्रोह ।



वन्य समाज और उपनिवेशवाद

# भारत में सबसे बड़ी जनजाति भील है। दूसरी बड़ी जनजाति गौंड है और संथाल तीसरी बड़ी जनजाति है ।


# वन संपदा पर अपना जीविकोपार्जन करने वाले जनजाति सामाजिक जीवन में अहस्तक्षेप की नीति अपनाती थी ।


# जनजातीय शासन प्रणाली में सत्ता का विकेंद्रीकरण था। बिहार के सिंहभूम में 'मानिकी' व 'मुंडा' और संथाल परगना में 'मांझी' व 'परनैगत' प्रणालियाँ आज भी प्रचलित हैं।


# चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को सबसे महत्वपूर्ण पर्व 'सरहुल' मनाया जाता था।


# जनजातीय महिलाएँ समाज में पूर्णतः स्वच्छंद थीं और वे जीविकोपार्जन में पुरुषों का खुलकर हाथ बंटाती थीं ।


# सन् 1870 से भारत के जनजातीय क्षेत्रों में लोहे के कारोबार में आशातीत वृद्धि हुई ।


# डायट्रिच बैडिस नामक जर्मन वन विशेषज्ञ ने सन् 1864 में 'वन सेवा' की स्थापना की तथा सन् 1865 में 'भारतीय वन अधिनियम' पारित कर ब्रिटिश शासन ने आदिवासियों के लिए मौलिक अधिकार मानी जाने वाली पेड़ों की कटाई पर पूर्णत: रोक लगा दिया।


# सरकार ने जंगल से राजस्व प्राप्त करने के लिए जमींदारी कानून लागू किया।


# ईसाई मिशनरियों ने भोले भोले, अनपढ़ आदिवासियों को धर्मान्तरण द्वारा ईसाई बनाना शुरू किया।


# भागलपुर के राजमहल पहाड़ियों में रहने वाली पहाड़िया जनजाति ने भारत में पहला जनजातीय विद्रोह किया। इस विद्रोह के नेता तिलका मांझी संथाली थे।


# तिलका मांझी का जन्म 1750 ई. में भागलपुर स्थित सुल्तानगंज के पास तिलकपुर गांव में हुआ था।


# सन् 1779 में उन्होंने पहली बार भू-राजस्व राशि कम करने एवं किसानों की जबरन छीनी गई भूमि वापस दिलाने के लिए सशस्त्र विद्रोह किया था ।


# सन् 1784 में तिलका मांझी ने भागलपुर के प्रथम गवर्नर अगस्टस क्लेवलैंड को तीर-धनुष से जख्मी कर दिया। फलतः उसकी मृत्यु हो गई ।


# सन् 1785 में गिरफ्तार तिलका मांझी को भागलपुर के बीच चौराहे पर बरगद के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गई ।


# तिलका मांझी का असफल विद्रोह संथाल जनजातियों को अंग्रेजी सरकार का घोर दुश्मन बना दिया ।


# 1789 ई. में छोटानागपुर की उरांव जनजाति ने जमींदारों के शोषण के विरुद्ध ' तमार विद्रोह' किया। अंग्रेजी सरकार ने सन् 1894 ई. में इसे क्रूरतापूर्ण तरीके से दबाया ।


# बिहार के पलामू क्षेत्र की चेरो जनजाति ने भूषण सिंह के नेतृत्व में अपने शासक चुडामन राय के विरुद्ध 1800 ई. में खुला विद्रोह कर दिया। अंग्रेजी सेना ने चेरो विद्रोह को दबाकर सन् 1802 में भूषण सिंह को फांसी दे दी।


# बंगाल प्रांत की चुआर जनजाति मिदनापुर स्थित करणगढ़ की रानी शिरोमणि के नेतृत्व में अंग्रेजों की लगान व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह कर दिया।


# अंग्रेज सरकार ने 6 अप्रैल 1799 ई. को रानी शिरोमणि को गिरफ्तार कर कलकत्ता जेल भेज दिया।


# सन् 1820-21 में छोटानागपुर के ही सिंहभूम जिले में 'हो जनजाति' के लोग स्थानीय क्रूर शासक जगन्नाथ सिंह के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह कर दिए।


# कोल विद्रोह की शुरुआत छोटानागपुर क्षेत्र के मुंडा, उरांव एवं अन्य जनजातियों द्वारा 1831 ई. में की गई। शांतिपूर्ण कबीलाई जीवन गुजारने वाले ये लोग अंग्रेजों द्वारा थोपे गए जमींदार 'मानकी' या 'महतो' का विरोध करने लगे।



# कोल जनजाति की प्रथा के अनुसार, धर्मनिरपेक्ष कार्यों के लिए सृजित पद 'पहन' की सहायता 'मानकी' या 'महतो' करते थे। अंग्रेजों की दमनकारी नीति के कारण मानकी या महतो जमींदार बन कोलों का शोषण तथा जमीन हड़पने लगे। इसलिए कोल विद्रोह गैर आदिवासी लोग ( दिकू) के खिलाफ हुआ था।


# अंग्रेजों ने कोल विद्रोह और शोषण रोकने के लिए 'साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी' कायम कर दी।


# सन् 1832 ई. में वीरभूम के जमींदार के पुत्र गंगा नारायण ने नेतृत्व में भूमिज विद्रोह शरू हुआ। यह घटना इतिहास में 'गंगा नारायण हंगामा' के नाम से जाना जाता है।


# अंग्रेजी शासन द्वारा बढ़ाए राजस्व बोझ के विरुद्ध 'हो' एवं 'कोल' जनजाति के समर्थन से गंगा नारायण ने रांची और डोरंडा के खजाने को लूटा और जेल में बंद कैदियों को आजाद करा दिया।


# भागलपुर से राजमहल के बीच का क्षेत्र 'दामन - ए - कोह' संथाल बहुल था, जहाँ अंग्रेजी शासन और गैर आदिवासी लोग के शोषण के खिलाफ क्रांति शुरू हो गई थी ।


# 1857 ई. की क्रांति का विद्रोह करने की प्रेरणा देने वाला संथाल विद्रोह को उत्प्रेरित करने का कार्य भगनाडीह गांव के चुलू संथाल के चार पुत्र - सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव ने किया।


# सिद्धू ने अपने आपको 'ठाकुर' का अवतार बताया। 30 जून 1855 ई. को भगनाडीह पहुँचकर उन्होंने ठाकुर का आदेश जारी किया- “जमींदारी, महाजनी तथा सरकारी अत्याचारों का विरोध तथा अंग्रेजी शासन को समाप्त कर सतयुग का राज, न्याय और धर्म की प्रतिष्ठापना की जाए।"


# सिद्ध-कान्हू ने कहा- “हमारे ऊपर कोई राज नहीं है। केवल आदिवासियों के लिए संथाली राज्य स्थापित हो चुका है।”


# जुलाई, 1855 ई. में संथाल विद्रोह शुरू हुआ। कलकता और पूर्णिया से अंग्रेज सेना बुलाकर कान्हू सहित 5000 से अधिक संथालियों को मार दिया गया।


# सन् 1885 में 'वन अधिनियम-37' पारित कर सथाल परगना जिला बना दिया गया, जो 'बहिर्गत क्षेत्र' के रूप में गर्वनर जनरल के अधीन था।


# सन् 1899-1900 में छोटानागपुर में मुंडा आदिवासियों ने। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में विद्रोह किया।


# उनका जन्म 15 नवंबर 1874 ई. को पलामू जिले के तमाड़ के निकट उलिहातु गांव में हुआ।


# कुशाग्र बुद्धि का ईश्वरभक्त बिरसा मुंडा ने सन् 1895 में स्वयं को 'ईश्वरदूत' बताया। 25 दिसंबर 1899 ई. में उसने ईसाई मिशनरियों पर आक्रमण किया।


# 8 जनवरी 1900 ई. को सरकार ने मुंडा विद्रोह कुचल दिया । 3 मार्च 1900 ई. को बिरसा मुंडा गिरफ्तार कर रांची के जेल में डाल दिया गया, जहाँ हैजा से उनकी मौत हो गई।


# सन् 1914 में ताना भगत के आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को बहुत परेशान किया था। इसके बाद सरकार को आदिवासी क्षेत्रों में सुधारात्मक कार्य करने के लिए बाध्य होना पड़ा।


# मद्रास प्रांत तथा बंगाल प्रांत में आदिम निवासी कंध आदिवासी ने मानव बलि की प्रथा 'मरियाह' में अंग्रेजी हस्तक्षेप के विरुद्ध आंदोलन कर दिया।


# कंध आदिवासी के नेता चक्र बिसाई का जन्म घुमसार के ताराबाड़ी गांव में हुआ।


# 1857 ई. की क्रांति में कंध आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया।


# उड़ीसा के भुइयाँ एवं जुआँग आदिवासियों ने 1867-68 ई. धरनीधर नायक के नेतृत्व में विद्रोह किया था।


# सन् 1879-80 में आंध्र प्रदेश के आदिवासी किसानों अधिक लगान वसूली तथा 'वेही प्रथा' (बलात मजदूरी) के खिलाफ अंग्रेजी शासन का विद्रोह किया।


# सन् 1935 में जनजातियों के लिए शिक्षा और आरक्षण का प्रस्ताव भी पास हुआ।


# भारतीय संविधान में जनजातीय व्यक्तियों को धारा-342 में कमजोर वर्ग मानकर विशेष सुविधाएँ तथा आरक्षण की व्यवस्था की गई है।


# सन् 1952 में भारत सरकार ने 'नई वन नीति' बनाकर आदिवासी अधिकारों की विशेष रक्षा की गई है।


# 1 नवंबर 2000 ई. को आदिवासी बहुल क्षेत्रों को अलग कर tag-
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