वर्तमान परिवेश में पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता
Vrtman Privesh Me Paryavaran shiksha ki Avashyakta
प्रश्न 10. वर्तमान परिवेश में पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करें।
उत्तर-मानव अपने और पर्यावरण के बीच होने वाली अंतः क्रियाओं की उपज है।
पर्यावरण मुख्यतः दो प्रकार का है।
(1) प्राकृतिक पर्यावरण
(2) समाज सांस्कृतिक पर्यावरण
दोनों प्रकार के पर्यावरण निरंतर एक-दूसरे से अंतःक्रिया करते हैं तथा मानव विकास की कहानी इन दोनों के पारस्परिक सम्बन्धों की कहानी है। लेकिन यह अंतःक्रिया बहुत सहज नहीं रही है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं के साथ मानव की अंतः क्रियाओं के कारण कुछ परिवर्तन हुए हैं। परन्तु कुल मिलाकर पर्यावरण की कार्यप्रणाली में संतुलन बना रहा है। पूर्ववर्ती काल में मानव दैनिक जीवन की आश्यकताओं के लिए प्रकृति से यह वह सब कुछ ले लेता था, जिसकी उसे जरूरत महसूस होती थी, परन्तु तब उसकी आवश्यकताएँ सीमित थीं। तब संतुलन के न बिगड़ने के तीन कारण थे-कम जनसंख्या, कम हस्तक्षेप और उपलब्ध संसाधनों की तुलना में कम माँग । प्राचीन काल में पर्यावरण को क्षति पहुँचाने वाली मानव गतिविधियाँ बहुत ही सीमित थी, लेकिन मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य का जीवन जटिल होता गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति के कारण मानव ने प्रकृति का उपयोग करने, खोजने, समझने और उसके संसाधनों का दोहन करने की असीम शक्तियाँ प्राप्त कर ली हैं। इसके परिणामस्वरूप अब प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो गई है और मानव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
प्रकृति का संतुलन बड़ा ही नाजुक होता है। इसके साथ एक सीमा तक ही छेड़छाड़ की जा सकती है। अब समय आ गया है कि हम अच्छी तरह समझ लें कि एक सीमा तक ही छेड़छाड़ की जा सकती है।
इस प्रकार के सारे मुद्दे पर्यावरण अध्ययन के केन्द्रीय बिन्दु हैं। पर्यावरण अध्ययन से अभिप्राय है, प्राकृतिक तथा मानव जगत का सुव्यवस्थित अध्ययन । पर्यावरण अध्ययन केवल इसीलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इसके द्वारा हमें उस जगत की जानकारी मिलती है, जिसमें हम रहते हैं। अपितु इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इससे हमें आधुनिक संसार की गम्भीर समस्याओं से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में सहायता मिलती है। इसीलिए पर्यावरण, पर्यावरण अध्ययन को उन आधारभूत नियमों को संस्थापित करने के एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, जिसके द्वारा भविष्य में पर्यावरण की अधिक प्रभावी व्यवस्था की जा सके।
पर्यावरण के बारे में शिक्षा, पर्यावरण के माध्यम से शिक्षा और पर्यावरण सुरक्षा के लिए शिक्षा से व्यक्ति सम्पूर्ण पर्यावरण के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझने के योग्य हो सके।
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