भाषा सीखने के साधन
Means of Language Learning
Bhasha Sikhne Ke Sadhn
शिक्षा मनोवैज्ञानिकों ने भाषा सीखने के कई साधनों पर प्रकाश डाला है जिनमें निम्नांकित साधन सर्वाधिक प्रचलित हैं
(1) अनुकरण (Imitation) (2) खेल (Play) (3) कहानी सुनना (Listening of stories) (4) वार्तालाप तथा बातचीत (Talking) (5) प्रश्नोत्तर (Question-answer) |
(1) अनुकरण (Imitation)-
बालकों द्वारा भाषा सीखने का अनुकरण एक प्रमुख साधन है। अकसर बालक परिवार के सदस्यों जैसे भाई-बहन, माता-पिता, चाचा-चाची, दादा-दादी तथा साथियों को जैसा बोलते सुनता है, वैसा ही बोलने का अनुकरण करता है और कुछ प्रयासों के बाद वह वैसे ही बोलना प्रारंभ कर देता है। इसी तरह बालक अन्य लोगों को लिखते-पढ़ते देख स्वयं भी लिखना-पढ़ना प्रारंभ कर देता है। इस तरह से अनुकरण के माध्यम से बालकों में भाषा का विकास होता है। स्कीन्नर (Skinner, 1957) ने भाषा सीखने की इस विधि पर अधिक बल डाला है। उन्होंने भाषा सीखने के एक विशेष मॉडल (model) का भी निर्माण किया है जिसे अनुकरण-तथा सशोधन मॉडल (imitation-and-correction model) की संज्ञा दी गई है। इस मॉडल के अनुसार बालक वयस्कों के शब्दों, वाक्यों आदि को ध्यानपूर्वक सुनते हैं, तथा उनका अनुकरण करते हैं। अगर वे सही-सही अनुकरण करने में समर्थ हो जाते हैं, तो वयस्क उनके इस व्यवहार को उनकी प्रशंसा कर पुनर्बलित (reinforce) करते हैं। इससे बालक में उन शब्दों या वाक्यों को सीखने की प्रवृत्ति तीव्र हो जाती है। स्कीन्नर की इस विचारधारा को भाषा विकास का सीखना सिद्धांत (learning theory) भी कहा जाता है।
(2) खेल (Play)-
बालक अपनी प्राक्स्कूली अवस्था (pre school age) तथा स्कूली अवस्था (school age) के प्रारंभिक कुछ वर्षों में तरह-तरह के खेल खेलते हैं जिसमें वे काफी आनंद उठाते हैं। इन खेलों में टेढ़ी-मेढ़ी लकीरों को खींचना तथा खेल की सामग्रियों द्वारा अक्षर बनाना प्रधान है। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि ऐसे खेलों में भाषा के अक्षरों को लिखना, पढ़ना तथा बोलना सीख लेता है।
(3) कहानी सुनना (Listening of stories)-
बालक वयस्कों, जैसे दादा-दादी, चाचा-चाची, माता-पिता तथा अन्य समकक्षी लोगों से कहानियाँ सुनना अधिक पसंद करते हैं। टिनकर (Tinker, 1990) के अनुसार यदि बालकों को ऐसी कहानियाँ सुनाई जाती हैं जिनमें पशु पात्र के रूप में हों और जिनमें नैतिक एवं शैक्षिक तथ्य भरे हों तो उनसे भाषा विकास अधिक तीव्रता से होती है।
(4) वार्तालाप तथा बातचीत (Talking)-
अपने साथियों एवं परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करके भी बालक भाषा को सीखते हैं। बातचीत में बालक विशेषकर उन बोलियों पर अधिक ध्यान देते हैं जो उनकी रुचि की होती हैं। इससे भाषा सीखने में सहूलियत होती है।
(5) प्रश्नोत्तर (Question-answer)-
बालक स्वभाव से ही जिज्ञासु (curious) होते हैं। अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए बालक घर में परिवार के सदस्यों तथा स्कूल में शिक्षकों तथा खेल के मैदान में साथियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर पाकर वे वस्तु का अर्थ समझते हैं तथा साथ-ही-साथ उनमें वैसे शब्दों को बोलने, लिखने तथा पढ़ने की प्रवृत्ति अधिक प्रोत्साहित होती है।
इस तरह हम देखते हैं कि बालक भाषा सीखने में कई साधनों या विधियों का उपयोग करते हैं। इनमें अनुकरण (imitation) का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है।
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