भाषा विकास को प्रभावित करनेवाले कारक
Bhasha Vikas Ko Prbhavit Krne Vale Kark
Factors Influencing Language Development
बालकों में भाषा विकास एक निश्चित क्रम (sequence) के अनुसार विभिन्न अवस्थाओं में होता रहता है। कभी इसकी गति तीव्र हो जाती है तो कभी इसकी गति तुलनात्मक रूप से मंद हो जाती है। भाषा विकास की गति कई कारकों (factors) द्वारा प्रभावित होती है जिनमें निम्नांकित प्रमुख है |
(1) स्वास्थ्य (Health) (2) बुद्धि (Intelligence) (3) यौन भिन्नता (Sex differences) (4) सामाजिक-आर्थिक स्तर (Socio-economic status) (5) परिवार का आकार (Size of the family) (6) जन्मक्रम (Birth order) (7) बहुजन्म (multiple birth) (8) एक से अधिक भाषा का उपयोग (Bilingualism) (9) साथियों के साथ संबंध (Contact with peers) (10) माता-पिता द्वारा प्रेरणा (Stimulation by parents)- |
बालकों का भाषा विकास उनके स्वास्थ्य (health) द्वारा काफी प्रभावित होता है। प्रथम चार वर्ष में यदि बालक कोई प्रचंड (severe) तथा लंबी बीमारी (prolonged illness) से पीड़ित हो जाता है, तो उसकी शब्दावली (vocabulary) उसकी उम्र के सामान्य बालकों की अपेक्षा काफी कम रहती है और उसका भाषा विकास मंदित हो जाता है।
(2) बुद्धि (Intelligence)-
जिन बालकों में बुद्धि-स्तर ऊँचा होता है, उनका भाषा विकास (language development) अधिक जल्दी तथा तेजी से होता है। कम बुद्धि के बालकों में कम शब्दावली (poor vocabulary), साधारण शब्दों का गलत उच्चारण तथा अपने अनुभवों से कम सीखना आदि खामियाँ पाई जाती हैं। फलतः, उनका भाषा विकास मंदित (retarded) होता है। मानसिक दृष्टि से कुशल बालक न केवल जल्दी बोलना, लिखना एवं पढ़ना सीख लेते हैं बल्कि वे अपने परिपक्व विचारों का संप्रेषण (communicate) भी करते हैं। इसका प्रधान कारण यह है कि तेज बुद्धि होने के कारण उनमें मानसिक परिपक्वता जल्दी आ जाती है।
जीवन के प्रथम वर्ष में शिशुओं के भाषा विकास में यौन (sex) का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को नहीं मिलता है। परंतु, 2-3 साल की आयु से यौन का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है और आगे के प्रत्येक उम्र-स्तर पर लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा भाषा विकास अधिक श्रेष्ठ होता है और वे लड़कों की अपेक्षा अधिक लंबे त्रुटिरहित वाक्यों (errorless sentences) का प्रयोग कर लेती हैं। मनोवैज्ञानिकों ने इस अंतर के दो कारण बताए हैं
(i) पहला कारण माँ एवं पुत्री का घनिष्ठ संबंध है। सामान्यतः, पिता का अधिकतर समय घर के बाहर और माता का अधिकतर समय घर के भीतर व्यतीत होता है। परिणामस्वरूप लड़कियाँ माँ के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित कर लेती हैं। परंतु, लड़के पिता के साथ इस तरह का घनिष्ठ संबंध स्थापित नहीं कर पाते हैं (क्योंकि पिता का अधिकतर समय घर के बाहर बीतता है) और माता के साथ चूँकि वे कम तादात्म्य (identification) स्थापित कर पाते हैं, इसलिए उनके साथ घनिष्ठ संबंध नहीं हो पाता है। माँ-पुत्री का घनिष्ठ संबंध लड़कियों में भाषा विकास को अधिक प्रोत्साहित करता है।
(ii) दूसरा कारण माँ तथा पत्रियों (daughters) की आवाज में एकरूपता (similarity) बताई गई है। मनोवैज्ञानिकों का मत है कि लड़कियों की आवाज माँ से या अन्य वयस्क माहलाआ से ज्यादा मिलती है परंत, लड़कों की आवाज पिता या अन्य वयस्क पुरुषों सकम मिलती है। आवाज की यह समरूपता लड़कियों को अधिक शब्दों या बड़े वाक्यों का बालन के लिए प्रोत्साहित करती है जिससे उनमें भाषा विकास अपेक्षाकृत अधिक तेजी से होता है।
डेढ़ (1.5) वर्ष की आयु तक बालको में सामाजिक-आर्थिक स्तर का प्रभाव भाषा-विकास पर कोई खास देखने को नहीं मिलता है | उसके बाद की उम्र में भाषा विकास पर सामाजिक-आर्थिक स्तर का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है | प्रयोगात्मक अध्ययनों के आधार पर यह पता चला है कि उच्च सामाजिक-आथिक स्तर (Socio-economic status) वाले परिवार के बालक निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले परिवार के समान उम्र के बालकों की अपेक्षा लंबे-लंबे वाक्यों का प्रयोग करते हैं तथा उनकी शब्दावली (vocabulary) भी अधिक बड़ी होती है। इसके कई कारण बताए गए हैं जिनमें निम्नाकित प्रमुख हैं-
(ii) प्रायः उच्च सामाजिक-आर्थिक स्तर के परिवार का वातावरण अधिक उत्तेजक (stimulating) एवं आधुनिक सामग्रियों जैसे रेडियो, टेलीविजन, मैगजीन, टेलीफोन, अखबार आदि से लैस होता है जो बालकों के भाषा विकास के लिए एक अच्छा उत्तेजक वातावरण (stimulating environment) तैयार करते हैं और भाषा-विकास की गति को बढ़ावा देते हैं। परंतु, निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले परिवार में इन सभी चीजों की कमी पाई जाती है। फलतः, ऐसे वातावरण में पलनेवाले बालकों के भाषा विकास की गति मंद हो जाती है।
(iii) प्राय: उच्च सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले परिवार के माता-पिता में बालकों को बोलने, लिखने एवं पढ़ने का विशेष प्रशिक्षण देने की भावना तीव्र होती है तथा इन सब चीजों के प्रति समझदारी अधिक होती है। परंतु, निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर के परिवार के माता-पिता में ऐसी समझ या प्रवृत्ति नहीं पाई जाती है जिससे इनके बालकों में भाषा विकास की गति मंद होती है।
(5) परिवार का आकार (Size of the family)-
ऐसा परिवार जिसमें सिर्फ एक ही बच्चा होता है. में भाषा विकास तेजी से होता है। परंतु, जिस परिवार में 2-3 बच्चे होते हैं या उससे भी अधिक संख्या में बच्चे होते हैं, वहाँ के बच्चों का भाषा-विकास मंदित हो जाता है। इसका कारण यह बताया गया है कि एक ही बच्चे के होने पर माता-पिता उसे बोलने, पढ़ने एवं लिखने का हर संभव प्रशिक्षण दे पाते हैं और उनकी शब्दावली को भी बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर पाते हैं। इन सभी कार्यो के लिए वे पयाप्त समय निकाल लेते हैं। परंतु, परिवार में एक से अधिक बच्चे होने पर माता -पिता उतना समय इन सभी बच्चों को नहीं दे पाते। फलस्वरूप, माता-पिता के साथ बच्चों का इतना घनिस्ट सम्बन्ध तथा तादात्म्य (identification) नहीं हो पाता है इससे बालक के भाषा विकास मंदीत हो जाता है | इतना ही नही, इकलौता बच्चा भाई-बहन की प्रतिद्वंद्विता (rivalry) बच जाता है। मिसिलडाइन (Missildine, 1946) तथा मैककार्थी (McCarthy. 1954) ने अपने अपने अध्ययनों से साबित कर दिया है कि ऐसी प्रतिद्वंद्विता से बालकों का भाषा विकास तो मंदीत होता ही है ,साथ ही साथ उनमें भाषा संबंधी दोष (speech defect ) जैसे हकलाना - तुतलाना आदि भी उत्पन्न हो जाता है।
कुछ अध्ययनों में यह भी देखा गया है कि भाषा विकास पर बालको के जन्मक्रम (birth order) का भी प्रभाव पड़ता है। पैरी (Parry, 1974) तथा सारासन (Sarason, 1990) के अध्ययन के अनुसार वैसे बालकों, जिनका जन्मक्रम पहला होता है, उनका भाषा विकास बाद के उम्र क्रम वाले बालकों की अपेक्षा अधिक तेजी से होता है। इसका कारण यह है कि माता-पिता पहले बच्चे पर दूसरे, तीसरे जन्म क्रम वाले बच्चों की अपेक्षा अधिक समय तथा ध्यान देते हैं। फलत:, उसका भाषा विकास अधिक तेजी से होता है।
(7) बहुजन्म (multiple birth)-
बहजन्म से तात्पर्य जुड़वाँ (twins) तथा त्रिज (triplets) बच्चों के जन्म लेने से होता है। मनोवैज्ञानिकों ने जड़वाँ (twins), त्रिज (triplets) तथा इकहर (singletons) बालकों का तुलनात्मक अध्ययन किया है जिसके आधार पर यह पता चला है कि 5 वर्षों की आयु तक जडवा तथा त्रिज बालकों का वाकविकास (language development) इकहर बालकाका अपक्षा अधिक मंदित होता है। ऐसे बालक देर से बोलना शुरू करते हैं, इनकी शब्दावली कम होती ह तथा वे धीरे-धीरे बोलते हैं। इसका कारण यह है कि जन्म के समय से ही ऐसे बालकों को इकहरे बालकों की अपेक्षा माता के साथ स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित करने का कम समय मिलता है। स्नेहपूर्ण संबंध के अभाव में बालकों में भाषा विकास मंदित हो जाता है।
(8) एक से अधिक भाषा का उपयोग (Bilingualism)-
मनोभाषागत अध्ययनों (psycholinguistic studies) की समीक्षा से यह पता चला है कि 80% भारतीय या तो द्विभाषी (bilingual) या बहुभाषी (multilingual) हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों, जिनमें लव तथा पार्कर-रॉबिन्सन (Love & Parker Robinson, 1972) का नाम प्रमुख है, का मत है कि जब बालकों को एक से अधिक भाषा सिखाई जाती है तब इससे उसके मन में एक तरह की संभ्रांति पैदा होती है; क्योंकि एक ही वस्तु के लिए बालकों को दो या तीन शब्दों को सीखना पड़ता है। दूसरी तरफ जब बालकों को एक ही भाषा सिखलाई जाती है तो उनके चिंतन में किसी प्रकार की संभ्रांति (confusion) पैदा नहीं होती है तथा वे शब्दों को ठीक ढंग से समझते हैं तथा उनका वाक्यों में प्रयोग कर पाते हैं। फलत:, एक भाषा सीखनेवाले बालकों में भाषा-विकास एक से अधिक भाषा सीखनेवाले बालकों की अपेक्षा अधिक तेजी से होता है।
(9) साथियों के साथ संबंध (Contact with peers)-
कुछ ऐसे माता-पिता होते हैं जो अपना नियंत्रण बच्चों पर अधिक रखते हैं और फलस्वरूप वे साथियों (peers) के साथ अपने बच्चों को ज्यादा मिलने-जुलने नहीं देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि ऐसे बच्चों का सामाजिक सम्पर्क contact) सीमित हो जाता है। फलतः, ऐसे बच्चों का भाषा विकास (language development) प्रभावित हो जाता है। अकसर देखा गया है कि ऐसे बच्चों का भाषा विकास वैसे बच्चों के भाषा विकास की तुलना में, जिनके माता-पिता उन्हें अपने साथियों के साथ मिलने-जुलने देते हैं, अधिक मंदित होता है।
(10) माता-पिता द्वारा प्रेरणा (Stimulation by parents)-
जिन बालकों को माता-पिता द्वारा शब्दों को बोलने, लिखने तथा पढ़ने के लिए अधिक प्रेरणा (stimulation) मिलती है, उनमें भाषा विकास अधिक तीव्रता से होती है। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह पता चला है कि इसी कारण से मध्यम सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले परिवार के बालकों का भाषा विकास निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले परिवार के बालकों के भाषा विकास की तुलना में तेजी से होता है।
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