BHASHA VIKASH KO PRBHAVIT KRNE WALE KARK
भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक
भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक
BHASHA VIKASH KO PRBHAVIT KRNE WALE KARK
TOPIC | भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक |
BHASHA VIKASH KO PRBHAVIT KRNE WALE KARK | |
D.El.Ed , B.Ed , CTET |
उत्तर -
भाषा विकास में बैयक्तिक भिन्नता पाई जाती है | भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
1.परिपक्वता -
1.परिपक्वता -
2.बुद्धि-
3. स्वास्थ्य -
4. यौन -
5.सामाजिक अधिगम के अवसर
6.निर्देशन
7. प्रेरणा -
8.सामाजिक आर्थिक स्थिति -
9. शारीरिक स्वास्थ्य व शरीर रचना -
10.बैयक्तिक विभिन्नताये -
11.कई भाषाओं का प्रयोग-
12. पारिवारिक संबंध -
भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
1.परिपक्वता -
जिस प्रकार क्रियात्मक विकास के लिए शरीर के विभिन्न अंगों की परिपक्वता आवश्यक है! उसी प्रकार भाषा विकास के लिए भी होठ, जीभ, दांत, फेफड़े, स्वर यंत्र और मस्तिष्क आदि की परिपक्वता आवश्यक है ! मस्तिष्क में बानी केंद्र का विशेष रूप से परिपक्व होना आवश्यक है ! इन विभिन्न अंगों के परिपक्व होने पर ही बालक भाषा सीख सकता है !
2.बुद्धि-
विभिन्न अध्ययन में यह देखा गया है कि जिस बच्चों की बुद्धि लब्धि उच्च होती है, उनका कम IQ. वाले बालकों की अपेक्षा शब्द भंडार अधिक होता है ! उच्च IQ. वाले बालक शुध्द और बड़े वाक्य भी बोलते हैं ! अधिक बुद्धि वाले बालकों में शब्द भंडार एवं वाक्य रचना की अधिक क्षमता और शुद्ध उच्चारण की क्षमता भी पाई जाती है !
3. स्वास्थ्य -
यदि बालक लंबी अवधि तक बीमार रहता है, विशेष रूप से 2 वर्ष की आयु की अवधि तक तो उसके भाषा का विकास कमजोर स्वास्थ्य और अभ्यास न कर सकने के कारण पिछड़ जाता है ! बीमार बालक में भाषा बोलने के लिए सीखने की प्रेरणा का अभाव भी पाया जाता है !
4. यौन -
माइक नील का विचार है कि प्रत्येक आयु के बालक भाषा विकास में बालिकाओं से पीछे रहते हैं ! लड़कियों का शब्द भंडार, वाक्य में शब्दों की संख्या, शब्द चयन और वाक्य प्रयोग आदि में बालको से अच्छा होता है! लड़कियां लड़कों की अपेक्षा जल्दी बोलना सकती है !
5.सामाजिक अधिगम के अवसर
बालक को भाषा सीखने के लिए सामाजिक अवसर जीतने ही अधिक प्राप्त होते हैं या जिन परिवार में बच्चे अधिक होते हैं, उन परिवार के बच्चे भाषा बोलना जल्दी सीख जाते हैं, क्योकि दूसरे बच्चों को सुनकर उनका अनुकरण करने के अवसर अधिक प्राप्त होते हैं !
# जब परिवार में बच्चे ना हो तो माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बालको को पड़ोस के बच्चों के साथ खेलने का अवसर दें जिससे कि बच्चा दूसरे बच्चों का अनुकरण करके भाषा जल्दी सीख जाए
6.निर्देशन -
बालकों की भाषा के विकास के लिए माता-पिता और अध्यापको आदि का निर्देशन भी आवश्यक है ! बालक की भाषा उतनी ही अधिक विकसित होती है जितने अच्छे उसके सामने मॉडल प्रस्तुत किए जाते हैं !
7. प्रेरणा -
अभिभावकों को चाहिए कि बालकों को हमेशा सीखने के लिए प्रेरित करते रहे ! अभिभावक को बालकों के रोने पर वह चीज उपलब्ध नहीं कराना चाहिए जिसके लिए वह रो रहा है तथा बालक यदि संकेत और हाव-भाव से में कोई चीज मांगे तो भी उपलब्ध ना कराएं, क्योकि इस प्रकार बालक शब्दों को सीखने के लिए प्रेरित होंगे !
8.सामाजिक आर्थिक स्थिति -
ऐसे बालक जिसका सामाजिक आर्थिक स्तर उच्च रहता है,निम्न सामाजिक आर्थिक स्तर वाले बालकों की अपेक्षा भाषा ज्ञान में आगे होता है ! उच्च सामाजिक स्तर वाले बालक पहले बोलना अधिक बोलना व अच्छा बोलना, अपेक्षाकृत शीघ्र सीखते हैं !
9. शारीरिक स्वास्थ्य व शरीर रचना -
जो बच्चे स्वास्थ्य, निरोगी होते हैं उनका भावात्मक विकास शीघ्र होता है ! शारीरिक रचना भी भाषा विकास को प्रभावित करती हैं ! शारीर रचना या शारीरिक रचना से अभिप्राय सवरयंत्र, तालु, जीभ, दांतो आदि की बनावट से है, क्योकि ये अंश बोलने की क्रिया में भाग लेता है !
10.बैयक्तिक विभिन्नताये -
जो बच्चे उत्साही होते हैं उनमे शांत प्रकृति के बच्चों की अपेक्षा भाषा शीघ्र विकसित होती है !
11.कई भाषाओं का प्रयोग-
छोटे बच्चों के माता-पिता की भाषा यदि अलग-अलग हो, तो बच्चों में भाषा का विकास अवरुद्ध होकर मंद गति से होता है!
12. पारिवारिक संबंध -
जिन बच्चों के परिवारिक संबंध अच्छे नहीं होते हैं उनमे अनेक भाषा संबंधी दोष उत्पन्न हो जाते हैं ! परिवार का आकार भी भाषा विकार को प्रभावित करता है ! जब परिवार का आकार छोटा होता है तब माता पिता बालकों की ओर अधिक ध्यान देते हैं ! फलसवरूप उनमे भाषा का विकास शीघ्र होता है ! परन्तु यदि माता-पिता ध्यान नहीं देते तो बच्चो में भाषा का विकास देर से होता है !
जिस प्रकार क्रियात्मक विकास के लिए शरीर के विभिन्न अंगों की परिपक्वता आवश्यक है! उसी प्रकार भाषा विकास के लिए भी होठ, जीभ, दांत, फेफड़े, स्वर यंत्र और मस्तिष्क आदि की परिपक्वता आवश्यक है ! मस्तिष्क में बानी केंद्र का विशेष रूप से परिपक्व होना आवश्यक है ! इन विभिन्न अंगों के परिपक्व होने पर ही बालक भाषा सीख सकता है !
2.बुद्धि-
विभिन्न अध्ययन में यह देखा गया है कि जिस बच्चों की बुद्धि लब्धि उच्च होती है, उनका कम IQ. वाले बालकों की अपेक्षा शब्द भंडार अधिक होता है ! उच्च IQ. वाले बालक शुध्द और बड़े वाक्य भी बोलते हैं ! अधिक बुद्धि वाले बालकों में शब्द भंडार एवं वाक्य रचना की अधिक क्षमता और शुद्ध उच्चारण की क्षमता भी पाई जाती है !
3. स्वास्थ्य -
यदि बालक लंबी अवधि तक बीमार रहता है, विशेष रूप से 2 वर्ष की आयु की अवधि तक तो उसके भाषा का विकास कमजोर स्वास्थ्य और अभ्यास न कर सकने के कारण पिछड़ जाता है ! बीमार बालक में भाषा बोलने के लिए सीखने की प्रेरणा का अभाव भी पाया जाता है !
4. यौन -
माइक नील का विचार है कि प्रत्येक आयु के बालक भाषा विकास में बालिकाओं से पीछे रहते हैं ! लड़कियों का शब्द भंडार, वाक्य में शब्दों की संख्या, शब्द चयन और वाक्य प्रयोग आदि में बालको से अच्छा होता है! लड़कियां लड़कों की अपेक्षा जल्दी बोलना सकती है !
5.सामाजिक अधिगम के अवसर
बालक को भाषा सीखने के लिए सामाजिक अवसर जीतने ही अधिक प्राप्त होते हैं या जिन परिवार में बच्चे अधिक होते हैं, उन परिवार के बच्चे भाषा बोलना जल्दी सीख जाते हैं, क्योकि दूसरे बच्चों को सुनकर उनका अनुकरण करने के अवसर अधिक प्राप्त होते हैं !
# जब परिवार में बच्चे ना हो तो माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बालको को पड़ोस के बच्चों के साथ खेलने का अवसर दें जिससे कि बच्चा दूसरे बच्चों का अनुकरण करके भाषा जल्दी सीख जाए
6.निर्देशन -
बालकों की भाषा के विकास के लिए माता-पिता और अध्यापको आदि का निर्देशन भी आवश्यक है ! बालक की भाषा उतनी ही अधिक विकसित होती है जितने अच्छे उसके सामने मॉडल प्रस्तुत किए जाते हैं !
7. प्रेरणा -
अभिभावकों को चाहिए कि बालकों को हमेशा सीखने के लिए प्रेरित करते रहे ! अभिभावक को बालकों के रोने पर वह चीज उपलब्ध नहीं कराना चाहिए जिसके लिए वह रो रहा है तथा बालक यदि संकेत और हाव-भाव से में कोई चीज मांगे तो भी उपलब्ध ना कराएं, क्योकि इस प्रकार बालक शब्दों को सीखने के लिए प्रेरित होंगे !
8.सामाजिक आर्थिक स्थिति -
ऐसे बालक जिसका सामाजिक आर्थिक स्तर उच्च रहता है,निम्न सामाजिक आर्थिक स्तर वाले बालकों की अपेक्षा भाषा ज्ञान में आगे होता है ! उच्च सामाजिक स्तर वाले बालक पहले बोलना अधिक बोलना व अच्छा बोलना, अपेक्षाकृत शीघ्र सीखते हैं !
9. शारीरिक स्वास्थ्य व शरीर रचना -
जो बच्चे स्वास्थ्य, निरोगी होते हैं उनका भावात्मक विकास शीघ्र होता है ! शारीरिक रचना भी भाषा विकास को प्रभावित करती हैं ! शारीर रचना या शारीरिक रचना से अभिप्राय सवरयंत्र, तालु, जीभ, दांतो आदि की बनावट से है, क्योकि ये अंश बोलने की क्रिया में भाग लेता है !
10.बैयक्तिक विभिन्नताये -
जो बच्चे उत्साही होते हैं उनमे शांत प्रकृति के बच्चों की अपेक्षा भाषा शीघ्र विकसित होती है !
11.कई भाषाओं का प्रयोग-
छोटे बच्चों के माता-पिता की भाषा यदि अलग-अलग हो, तो बच्चों में भाषा का विकास अवरुद्ध होकर मंद गति से होता है!
12. पारिवारिक संबंध -
जिन बच्चों के परिवारिक संबंध अच्छे नहीं होते हैं उनमे अनेक भाषा संबंधी दोष उत्पन्न हो जाते हैं ! परिवार का आकार भी भाषा विकार को प्रभावित करता है ! जब परिवार का आकार छोटा होता है तब माता पिता बालकों की ओर अधिक ध्यान देते हैं ! फलसवरूप उनमे भाषा का विकास शीघ्र होता है ! परन्तु यदि माता-पिता ध्यान नहीं देते तो बच्चो में भाषा का विकास देर से होता है !
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