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जल-प्रदूषण के विभिन्न स्रोत क्या हैं? इसका प्रभाव एवं इससे बचाव के उपाय || Jal Pradushan ke Vibhin Srot Eska prbhav aevm bchav ke upay ||

जल-प्रदूषण के विभिन्न स्रोत क्या हैं? इसका प्रभाव एवं इससे बचाव के उपाय

Jal Pradushan ke Vibhin Srot Eska prbhav aevm bchav ke uppay

What are various sources of water pollution? Describe its effect and suggestions of protection from it.



जल ही जीवन है। वनस्पति से लेकर समस्त जीव-जन्तु अपने पोषक तत्वों की प्राप्ति जल के माध्यम से करते हैं। जल ठोस, द्रव तथा गैस तीनों रूपों में पाया जाता है। मनुष्य इन तीनों ही रूपों में जल का प्रयोग करता है। यदि जल में कुछ ऐसे पदार्थ घुल जायें जो स्वास्थ्य के लिए तथा जीवधारियों के लिए हानिकारक हो तो इस प्रकार जल में इन अवांछित तत्वों के मिलने से जल के दूषित होने की स्थिति को जल प्रदूषण कहा जाता है।


अर्थात वह जल, जिसमें अनेक प्रकार के खनिज, कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों तथा गैसों के एक निश्चित अनुपात से अधिक अथवा अनावश्यक तथा हानिकारक पदार्थ घुल जाते हैं, प्रदूषित जल कहलाता है। दूसरे शब्दों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, "जब जल में भौतिक या मानवीय कारणों से कोई बाहरी पदार्थ मिलकर जल के स्वाभाविक या नैसर्गिक गुण में परिवर्तन लाते हैं तथा जिसका कुप्रभाव जीवों के स्वास्थ्य पर प्रकट होता है तो ऐसे जल को प्रदूषित जल कहा जाता है।"





जल प्रदूषण मुख्यतः दो प्रकार का होता है-

(1) अलवण जलीय प्रदूषण
(2) समुद्री प्रदूषण।

जल प्रदूषण के स्त्रोत

 (Sources of water Pollution)



 1. रासायनिक खाद तथा कीटनाशक पदार्थ (Chemical Manure and Poisoned Material)

2. औद्योगिक व घरेलू अपशिष्ट (Industrial and Domestic Garbage)

3. aifea Hai (Flowing Garbage)

4. मनुष्य के दैनिक कृत्यों से गन्दगी (Durty from Daily Activities of People)

5. खनिज तेल (Petrolium)

6. शवों का जल में प्रवाह (Flowing Dead Body in Water)

7. उद्योगों एवं मशीनों द्वारा जल का उपयोग कर गर्म जल को पुनः जल स्रोतों में छोड़ना
(To Leave used Water of Industries and Machines into water sources)



जल प्रदूषण के प्रभाव 

(Effect of Water Pollution)

 
1. जल में रहने वाले जन्तुओं एवं पेड़-पौधों पर प्रभाव (Effect on Water Living Creatures, Trees and Plants) 2. मनुष्यों पर प्रभाव (Effect on Human Beings)

जल प्रदूषण से बचाव 

(Protection from water Pollution)


1. रासायनिक खाद तथा कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग कम किया जाना।

2. औद्योगिक व घरेलू अपशिष्ट पदार्थों का चक्रीकरण करना।

3.वाहित मल ट्रीटमेन्ट

4. मनुष्यों और पशुओं के लिए पृथक-पृथक तालाब बनाना।


5. शवों तथा कूड़ा करकटों को जमीन के अन्दर खोदकर ढंकना।


6. विभिन्न मशीनों को ठंडा रखने के लिए जल के स्थान पर किसी अन्य साधन का प्रयोग करना।


7. उद्योगों को मानव बस्तियों से दूर स्थापित करना एवं उनके अपशिष्ट जल के विसर्जन की उचित व्यवस्था करना।


8. भूगर्भ जल स्रोतों का निरंतर आँकलन करते रहना।


9. ऐसी तकनीकों का प्रयोग जिससे जल खपत कम हो।


10. कम खर्चेवाली शोधन प्रणालियों का उपयोग।


11. उत्तम जल प्रबन्धन।


12. वर्षा जल संचयन।


13. रीचार्ज द्वारा भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाना।



जल स्रोतों में मानव अपशिष्ट पदार्थों का विसर्जन, जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकीकरण के कारण जलस्त्रोतों का दुरुपयोग जल प्रदूषण है। भारत में जल प्रदूषण पर्यावरण के साथ साथ सामाजिक एवं आर्थिक उपायों से जुड़ी एक समस्या है। जल के गुणों में हास जिससे मानव की क्रिया-कलाप हानिकारक रूप से प्रभावित हो, को क्रियात्मक जल प्रदूषण कहते हैं।

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