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VATAVRN KA ARTH AEVM PRIBHASHA NOTES | वातावरण का अर्थ एवं परिभाषा नोट्स | Meaning of Environment

 



वातावरण का अर्थ 
Meaning of Environment


 वातावरण के लिए पर्यावरण शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। साधारण बोलचाल की भाषा में वातावरण का तात्पर्य व्यक्ति के आस-पास के चारों तरफ उपस्थित परिस्थितियों से है। पर्यावरण शब्द के संधि विच्छेद से भी स्पष्ट है कि पर्यावरण शब्द परि तथा आवरण से मिलकर बना है। 'परि'का अर्थ है चारों ओर तथा 'आवरण' का अर्थ है ढकने वाला । अतः पर्यावरण शब्द का शाब्दिक अर्थ हुआ-चारों ओर से ढ़कने वाला । अतः किसी व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ भी है वही उसका पर्यावरण है । मनोवैज्ञानिक दृष्टि से पर्यावरण के अन्तर्गत वे सभी वातें आ जाती हैं जो मानव के जीवन तथा व्यवहार को प्रभावित करती हैं। 


विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने पर्यावरण की निम्नलिखित परिभाषाये बताई है जो इस प्रकार है -


डगलस एवं हालैंड के अनुसार - 


वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावों तथा दशाओं को सामूहिक रूप से वर्णित करने के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणियों के जीवन, स्वभाव, व्यवहार, तथा वृद्धि, विकास व परिपक्वता को प्रभावित करती हैं
1. Square ADD


। 


The term environment is used to describe in aggregate all the external forces, influences and conditions, which affect the life, nature, behaviour and the growth, development and maturation of living organisms. 

-Douglas and Holland. 


बोरिंग, लैंगफील्ड तथा वेल्ड के अनुसार-


“वातावरण वह प्रत्येक वस्तु है जो व्यक्ति के पित्रैकों के अतिरिक्त उसकी अन्य सभी बातों को प्रभावित करती है।" 


The environment is everything that affects the individual except his genes. 


--Boring, Langfield and Weld. 


बरवर्थ के अनुसार-


“वातावरण में वे समस्त बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने जीवन प्रारम्भ करने के समय से व्यक्ति को प्रभावित किया हो।" 


Environment covers all the outside factors that have acted on the individual since he began 


-Woodworth 


उपरोक्त परिभाषाओं के अवलोकन से स्पष्ट है कि वातावरण अनेक वस्तुओं के समावेश से बनता है तथा इसके अंतर्गत वे सभी बातें आ जाती हैं जो बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक तथा अध्यात्मिक विकास को प्रभावित करती है। वातावरण का विस्तार असीमित होता है तथा इसके अंतर्गत वे सभी परिस्थितियाँ आ जाती हैं जो प्राणी को किसी भी रूप में प्रभावित करती हैं । वातावरण को दो भागों में में बाँटा जा सकता है-आन्तरिक वातावरण तथा बाह्य वातावरण। आन्तरिक वातावरण से तात्पर्य व्यक्ति के शरीर में विद्यमान परिस्थितियों से हैं, जबकि बाह्य वातावरण से तात्पर्य घर, परिवार, समाज में उपलब्ध परिस्थितियों से होता है। बाह्य वातावरण को पुनः भौतिक वातावरण, सामाजिक वातावरण, आर्थिक वातावरण, सांस्कृतिक वातावरण आदि में बाँटा जा सकता है। कुछ विद्वान् वातावरण को जन्म-पूर्व वातावरण (Prenatal Environment) तथा जन्म पश्चात् वातावरण (Post natal Environment) में विभक्त करते हैं । जन्म पूर्व वातावरण से तात्पर्य जन्म से पूर्व माता के गर्भाशय की परिस्थितियों से है। गर्भकाल के दौरान माता के गर्भाशय के जिस वातावरण में भ्रूण का विकास होता है वह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है जो जन्म के उपरान्त बालक को तरह-तरह से प्रभावित करता है। 


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