शिक्षा मनोविज्ञान की विधिया
बहिर्दर्शन विधि
Extrospection Method
किसी अन्य व्यक्ति का अवलोकन करके उसके व्यवहार को जानना बहिर्दर्शन कहलाता है । इसीलिए बहिर्दर्शन विधि को पर-अवलोकन विधि या पर-निरीक्षण विधि के नाम से भी जाना जाता है । बहिर्दर्शन विधि में व्यक्ति के व्यवहार, उसके आचरण, क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं आदि को ध्यानपूर्वक देखकर उसके व्यवहार के कारणों का अनुमान लगाया जाता है। उदाहरणार्थ व्यक्ति क्रोधित अवस्था में क्यों आता है, क्रोधित अवस्था में व्यक्ति किस प्रकार का व्यवहार करता है, क्रोध की व्यक्ति के ऊपर क्या प्रतिक्रिया होती है, क्रोध के कारण व्यक्ति में क्या शारीरिक परिवर्तन आ जाते हैं, जैसी बातों का सूक्ष्म अवलोकन करके क्रोध से सम्बंधित व्यवहार की व्याख्या की जा सकती है। जैसे यदि किसी व्यक्ति की आँखें लाल हों, भवें तनी हुई हों तथा वह तेजी से अपने हाथों को इधर-उधर फैकता हुआ जोर जोर से बोल रहा हो तो उसके इस व्यवहार को देखकर अन्य व्यक्ति समझ जाते है कि वह क्रोधित अवस्था में है।
बहिर्दर्शन अथवा पर अवलोकन दो प्रकार का हो सकता है
(i ) औपचारिक बहिर्दर्शन (Formal Extrospection) तथा
(ii) अनौपचारिक बहिर्दर्शन (Informal Extrospection)।
Characteristics of Extrospection
बहिर्दर्शन विधि की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है
(i) बहिर्दर्शन विधि का प्रयोग शिशुओ , बालको, किशोरों, सभी पर किया जा सकता है।
(ii) अचेतन, अर्द्धचेतन, विकृत तथा विक्षिप्त अवस्थाओं में किए जाने वाले व्यवहारों का अध्ययन भी बहिर्दर्शन विधि के प्रयोग से किया जा सकता
(iii) बहिर्दर्शन विधि में एक साथ अनेक व्यक्ति किसी व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन कर सकते है जिससे परिणाम अपेक्षाकृत अधिक वस्तुनिष्ठ, विश्वसनीय तथा वैध प्राप्त होते है।
(iv) बहिर्दर्शन विधि की सहायता से पशुओं से प्राप्त परिणामों को मनुष्यों पर लागू करने की सम्भावना को देखा जा सकता है।
बहिर्दर्शन की सीमाएं
Limitations of Extrospection
बहिर्दर्शन विधि की सीमाएं निम्नवत् हैं
(i) बहिर्दर्शन विधि की सबसे बड़ी सीमा यह है कि अवलोकनकर्ता अन्य व्यक्तियों के व्यवहार का अवलोकन या व्याख्या करते समय प्रायः अपनी पूर्वधारणाओं तथा पूर्वाग्रहों से ग्रसित रहता है जिसके कारण इस विधि से प्राप्त परिणाम कभी-कभी आत्मनिष्ठ हो जाते हैं। अवलोकित किए जाने वाला व्यक्ति कभी-कभी जानबूझकर अस्वाभाविक तथा कत्रिम व्यवहार करता है, परंतु अवलोकनकर्ता इस व्यवहार को वास्तविक मानकर उसकी त्रुटिपूर्ण व्याख्या कर देता है । अवलोकित व्यक्ति के लोंगपर्ण व्यवहार से धोखा खाकर निकाले गए निष्कर्ष असत्य होते है।
(iii) बहिर्दर्शन विधि में अवलोकनकर्ता को एक साथ अनेक कार्य करने पड़ते हैं। व्यवहार का अवलोकन करना एक अत्यंत कठिन कार्य हैं । अवलोकनकर्ता के द्वारा की गई स्वाभाविक त्रुटियों के कारण बहिर्दर्शन विधि अविश्वसनीय परिणाम दे देती है।
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