मनो-विश्लेषणात्मक विधि
Psycho-Analytical Method
मनो-विश्लेषणात्मक विधि का प्रतिपादन सिगमन्ड फ्रायड (Sigmond Freual किया था। फ्रायड के अनुसार व्यक्ति का अचेतन मन भी उसके व्यवहार का प्रभाव करता है। अचेतन वास्तव में व्यक्ति की अतृप्त अथवा दमित इच्छाओ, भावनाओ का पुंज होता है तथा यह सदैव क्रियाशील रहता है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति का व्यवहार अनजाने ही इन अतृप्त अथवा दमित इच्छाओं से प्रभावित होता रहता है | मनोविश्लेषण विधि के द्वारा व्यक्ति के अचेतन मन का अध्ययन करके उसका इन्छाओं की जानकारी प्राप्त की जाती है जिससे इन अतृप्त इच्छाओं का परिस्कार अथवा मार्गान्तरीकरण करके व्यक्ति के व्यवहार को सुधारा जा सके । स्पष्ट है कि यह विधि सामान्य व्यवहार करने वाले व्यक्तियों की असामान्यता का निदान करने के लिए प्रयुक्त की जाती है। अचेतन में निहित व्यक्ति की अतृप्त इच्छाओं को जानने के लिए शब्दसाहचर्य, स्वप्न-विश्लेषण जैसी विभिन्न प्रक्षेपीय तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
मनोविश्लेषणात्मक विधि की विशेषताएं
Characteristics of Psycho-Analytical Method
इस विधि की प्रमुख विशेषताएं निम्नवत् हैं
(i) इस विधि से व्यक्ति के अचेतन तथा चेतन दोनों ही का ज्ञान प्राप्त होता है
(ii) व्यक्ति की भावना ग्रंथियों को ज्ञात करना तथा मानसिक विकारों का निदान इस विधि के प्रयोग से ही सम्भव है।
(iii) इस विधि में व्यक्ति अपने मन की बातों को छुपा नहीं पाता है।
मनो-विश्लेषणात्मक विधि की सीमाएं
Limitations of Psycho-Analytical Method
मनो-विश्लेषणात्मक विधि की निम्न सीमाएँ हैं
(i) इस विधि का प्रयोग केवल दक्ष मनोविश्लेषक ही कर सकते हैं।
(ii) इस विधि के प्रयोग में धन एवं समय अधिक लगता है।
(iii) इस विधि में व्यक्ति तथा मनोविश्लेषक दोनों को ही अत्यधिक धैर्य से कार्य करना होता है जो कभी-कभी असम्भव हो जाता है।
(iv) व्यक्ति के मन में छिपी अनेक वांछनीय इच्छाओं के सार्वजनिक हो जाने के कारण व्यक्ति तथा समाज इस विधि के प्रयोग करने में सहयोग नहीं देते