शैशवावस्था में विकास
(Development During Infancy)
शैशवावस्था जन्मोपरांत मानव विकास की प्रथम अवस्था है। गर्भावस्था जन्म पूर्व विकास का काल है जिसमें नवीन मानव जीवन का प्रारम्भ होता है तथा निषेचित को शरीर का आकार ग्रहण करता है। शैशवावस्था में नवजात शिशु का विकास होता है। शैशवावस्था को जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल माना जाता है। यह वह अवस्था है जो बालक के सम्पूर्ण भावी जीवन को प्रभावित करती है, इसलिए शैशवावस्था को मानव जीवन का आधार माना जाता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार जीवन के प्रथम पांच-छ: वर्षों में शरीर तथा मस्तिष्क अत्यंत ग्रहणशील (Receptive) रहते हैं । इस अवस्था में बालक को जो कुछ भी सिखाया जाता है या कराया जाता है उसका बालक के ऊपर अमिट प्रभाव तत्काल पड़ता है। सामान्यत: शिशु के जन्म के उपरान्त के प्रथम छ: वर्ष शैशवावस्था कहलाते हैं। शिशु को अंग्रेजी भाषा में इन्फैंट (Infant) कहते हैं। इनफैंट लैटिन भाषा के दो शब्द (In एवं Fari) से मिलकर बना है। In' का अर्थ है-नहीं, तथा 'Fari' का अर्थ है-बोलना । अतः 'इनफैट' का शाब्दिक अर्थ है-बोलने के अयोग्य। अतः 'इनफेंट' शब्द का प्रयोग बच्चों की उस अवस्था तक के लिए किया जाता है जब वे सार्थक शब्दों का प्रयोग प्रारम्भ करते हैं। सामान्यतः तीन वर्ष की आयु तक का बालक शब्दों का सार्थक प्रयोग करना प्रारम्भ कर देता है। इसलिए तकनीकी दृष्टि से शून्य से तीन वर्ष आयु तक की अवधि को शैशवावस्था कहते हैं तथा तीन से छ: वर्ष की आयु को उतर बाल्यावस्था कहते हैं। परंतु जब मानव विकास को शैशवा, बाल्या, किशोरा तथा प्रौढ़ावस्था नामक केवल चार भागों में बाँटा जाता है, तब शून्य से 6 वर्ष की अवस्था को शैशवावस्था के नाम से ही सम्बोधित करने का प्रचलन रहा है|
CTET या STATE TET तथा अन्य परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु -
- शैशवावस्था जन्मोपरांत मानव विकास की प्रथम अवस्था है |
- शैशवावस्था को जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल माना जाता है |
- मनोवैज्ञानिकों के अनुसार जीवन के प्रथम पांच-छ: वर्षों में शरीर तथा मस्तिष्क अत्यंत ग्रहणशील (Receptive) रहते हैं |
- इस अवस्था में बालक को जो कुछ भी सिखाया जाता है या कराया जाता है उसका बालक के ऊपर अमिट प्रभाव तत्काल पड़ता है
- शिशु को अंग्रेजी भाषा में इन्फैंट (Infant) कहते हैं। इनफैंट लैटिन भाषा के दो शब्द (In एवं Fari) से मिलकर बना है |
- In' का अर्थ है-नहीं, तथा 'Fari' का अर्थ है-बोलना |
- सामान्यतः तीन वर्ष की आयु तक का बालक शब्दों का सार्थक प्रयोग करना प्रारम्भ कर देता है |