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प्रबन्धन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। PRBANDHAN KI AVDHARNA KO SPST KRE | Concept of Management in Hindi

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NOTES FOR ---

CLASS- BIHAR D.El.Ed. FIRST YEAR 

PAPER - 04

SUBJECT- VIDYALY SANSKRITY PRIVRTN AUR SHIKSHK VIKAS

Question- prbandhan ki avdharna ko spst kijiye ? or Concept of Management in Hindi .

प्रश्न 1. प्रबन्धन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर-

उद्योग, व्यापार तथा शिक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रबन्धन का अपना महत्त्व है। प्रबन्धन के द्वारा समस्त मानवीय एवं भौतिक संसाधनों की व्यवस्था तथा उनका  अधिकतम उपयोग किया जाता है। इससे कार्यप्रणाली में गति आती है, संसाधनों का मितव्ययतापूर्ण उपयोग होता है तथा उद्देश्यों की पूर्ति सहजता के साथ हो जाती है। प्रबन्धन ही वह तत्त्व है जिसके द्वारा हम पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों को कम से कम समय तथा परिश्रम के साथ प्राप्त कर सकते हैं। उद्योगों में प्रबन्धन को इसी अर्थ में लिया जाता है किन्तु डेविस ने इसका प्रयोग उद्योगों से लेकर शिक्षण तथा अधिगम के क्षेत्र में भी किया। इस प्रकार प्रबन्धन या व्यवस्था प्रत्यय का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में प्रारम्भ हुआ। प्रबन्धन के द्वारा शिक्षण तथा अधिगम के लिये न केवल मानवीय तथा भौतिक संसाधनों की व्यवस्था ही की जाती है अपितु उनमें इस प्रकार परस्पर समन्वय किया जाता है जिससे वांछित उद्देश्यों की सहज ही प्राप्ति हो सके। 

प्रबन्धन के द्वारा ही हम विभिन्न अधिकारियों तथा व्यक्तियों के उत्तरदायित्व तथा उनके स्थिति-क्रम (Hierarchy) का निर्धारण भी करते हैं। प्रबन्ध किसी भी संगठन-चाहे वह औद्योगिक जगत से सम्बन्धित हो या शिक्षा-जगत से-का मस्तिष्क कहलाता है। यही नीति-निर्धारण का कार्य करता है तथा उनके क्रियान्वयन की व्यवस्था करता है। यही भविष्य के लिये योजना निर्माण का भी कार्य करता है। कहा भी गया है, "प्रबन्धन सतत् निर्णय-निर्माण में लगा रहता है तथा उनके क्रियान्वयन के प्रयास करता है।" 

शिक्षा के क्षेत्र में जब से तकनीकी (Technology) का प्रवेश हुआ है तब से शिक्षा तथा शिक्षण के क्षेत्र में प्रबन्धन का महत्त्व और भी अधिक बढ़ गया है। फलतः प्रबन्धन में अब शिक्षण से सम्बन्धित कार्यों तथा क्रियाओं को भी सम्मिलित किया जाने लगा है।

 स्काट के अनुसार, विवादों को न्यूनतम करना (To minimise the conflicts) ही का अन्तिम उद्देश्य है। प्रबन्धन के द्वारा नियोजन का कार्य किया जाता है। 

कामरावण म आनाश्चतता तथा अस्पष्टता तथा उद्देश्यों में स्पष्टता तथा सोद्देश्यता लाते है। इससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया अधिक प्रभावी तथा उद्देश्यपरक बनती है। शिक्षक एक नेता होता है। प्रबन्धन हमें नेता के कार्य गण तथा दायित्वों से अवगत कराता है। प्रबन्धन से नेता की कार्य-दक्षता में वद्धि होती है। "प्रबन्धन में केवल अधिकारत्व ही शामिल नहीं है अपितु इसमें वैज्ञानिक चिन्तन व्यवस्थापन, दिशा-निर्देशन तथा नियन्त्रण आदि भी शामिल होते हैं।" 

मैकफारलैण्ड (McFarland) के अनुसार, "प्रबन्धन आधारभूत समन्वय तथा संचालन संक्रिया है जिसमें संगठित प्रयास सम्मिलित रहते हैं।' 


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