बचपन की अवधारणा
उत्तर - बच्चे के जन्म से छ: वर्ष तक का काल बचपन कहलाता है। बचपन में बच्चा एक कोरी स्लेट की भाँति होता है। इस कोरी या साफ स्लेट पर हम कुछ भी लिख सकते हैं। बचपन में बच्चे अनुकरण प्रिय होते हैं. वे जैसा देखते हैं, सुनते हैं, वैसा ही करने के लिये प्रयासरत हो जाते हैं। बचपन में बच्चे के व्यक्तित्व का विकास अत्यन्त तीव्र गति से होता है। अर्थात जीवन के परे विकास का तिहाई विकास बचपन में ही पूर्ण हो जाता है। बचपन के प्रथम ढाई वर्षों में बालक के शरीर और मस्तिष्क की गति सवाधिक होती है परन्तु इस आय में बालक अपने घर में ही रहता है तथा जाने-अनजाने घर की संस्कृति और पर्यावरण को आत्मसात करने लगता है। बचपन के शेष तीन वर्ष अर्थात् छः वर्ष की आयु तक बालक हाथ-पैरों के उपयोग में नवीन कौशल अर्जित करता है। वह आत्मनिर्भर बन जाता है। अतः बचपन के समय में बालक विभिन्न क्रियाकलापों में समन्वय स्थापित करने लगता है।
बचपन की विशेषताएँ (Characteristics of Childhood)
बचपन में बालक की क्रियाशीलता के कारण उसमें निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं -
(1) बालक की माँसपेशियों में वृद्धि होती है अर्थात् उसका शारीरिक विकास होता
(2) बालक में सीखने के साथ ही भाषा का भी विकास होता है।
(3) बालकों के मिलने-जुलने एवं परस्पर एक-दूसरे के साथ खेलने से उनमें भावात्मक विकास तथा सहयोग लेने-देने की क्षमता का विकास होता है।
(4) सोचने-विचारने की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।
(5) बचपन में बालक जिन संस्कारों को ग्रहण कर लेता है, वे स्थायी हो जाते हैं। बचपन से ही बालक में आन्तरिक शक्तियों के विकास पर बल देकर सम्पूर्ण मानव जाति की रक्षा करना सम्भव है।
COURSE (कोर्स ) - डी.एल.एड. ( D.El
साल ----------------- (प्रथम वर्ष )
YEAR -------------- FIRST YEAR
पेपर (PAPER) - ---- 02
विषय ---------------- बचपन और बाल विकाश
SUBJECT --- ------- BACHPAN AEVM BAL VIKASH
यूनिट ---------------- --01 ( बचपन व् बाल विकाश की समझ )