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बाल्यावस्था के विकास में परिवार ,पडोस , समुदाय और विद्यालय का योगदान | BALYA AVSHTHA ME PRIVAR PDOS SMUDAY AEVM VIDYALY KA YOGDAN


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बाल्यावस्था के विकास में परिवार ,पडोस , समुदाय और विद्यालय का योगदान


BALYA AVSHTHA ME PRIVAR PDOS SMUDAY AEVM VIDYALY KA YOGDAN



POST TITLE  बाल्यावस्था के विकास  
COURSE बी.एड एवं डी.एल.एड 
UNIVERSITYALL UNIVERSITY (बी.एड एवं डी.एल.एड)
Short Information  बाल्यावस्था के विकास में  परिवार ,पडोस , समुदाय और विद्यालय का योगदान |

इस पोस्ट में निम्नलिखित जानकारी दी गयी है-


TABLE OF CONTENT


CONTENT DETAILS

01.बाल्यावस्था के अर्थ
BALYA AVSTHA KE ARTH


विद्वानों का कहना है की शैशवास्था के पश्चात एवं किशोरावस्था के बिच का काल बाल्यावस्था हैं। यह एक ऐसी अवस्था होती हैं। जिसमे बालक का विकास गति कम हो जाती है | इसका मंद होना भी आवश्यक होता है । क्योकि मंद गति के कारण इसके विकास में मजबूती आती है। बाल्यावस्था की आयु 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक होती हैं। बाल्यावस्था को संवेगों की अवस्था कहा जाता हैं। क्योंकि इस(बाल्यावस्था) अवस्था मे ही सबसे अधिक सवेगों का विकास होता हैं | मनोविज्ञानिको ने बाल्यावस्था को दो भागों में बांटा गया है। प्रथम 6 से 9 वर्ष तक की अवस्था को पूर्व बाल्यावस्था तथा 9 से 12 वर्ष तक की अवस्था को उत्तर बाल्यावस्था कहा गया है। इस अवस्था में बच्चे में कुछ ऐसे परिवर्तन आते हैं जिन्हें अभिभावक और शिक्षक सरलता से नहीं समझ पाते।बालक में इस अवस्था में विभिन्न आदतों, रुचि एवं इच्छाओं के प्रतिरूपों का निर्माण होता है।जो बाद में जाकर बड़ा रूप लेता है |यह अवस्था छात्रों के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण की अवस्था होती हैं, इसलिए कई मनोवैज्ञानिक इस अवस्था को निर्माण की अवस्था , संवेग की अवस्था कहा हैं।


बाल्यावस्था के परिभाषाये
BALYA AVSTHA KE PRIBHASHAYE
Definition of Childhood


बाल्यावस्था के निम्नलिखित परिभाषाये है

(1) किलपैट्रिक के अनुसार बाल्यावस्था की परिभाषा


"बाल्यावस्था जीवन का निर्माण काल है।”

 

(2)रास के अनुसार बाल्यावस्था की परिभाषा


“बाल्यावस्था मिथ्या परिपक्वता का काल है।”

(3) ब्लेयर जॉन्स सिंपसन के अनुसार बाल्यावस्था की परिभाषा


“बाल्यावस्था वह समय है।जब व्यक्ति के आधारभूत दृष्टिकोण व मूल्यों और आदर्शों का बहुत सीमा तक निर्माण होता है।”

(4) कोले के अनुसार बाल्यावस्था की परिभाषा


“बाल्यावस्था जीवन का अनोखा काल है।”

(5) कोल एवं ब्रुस अनुसार :-


” वास्तव में माता-पिता के लिए बाल विकास की अवस्था को समझना कठिन है।”


बाल्यावस्था के विकास में परिवार ,पडोस , समुदाय और विद्यालय का योगदान


BALYA AVSHTHA ME PRIVAR PDOS SMUDAY AEVM VIDYALY KA YOGDAN


(1) बाल्यावस्था के विकास में परिवार का योगदान
(1)BALYA AVSHTHA ME PRIVAR  KA YOGDAN 

 

बाल्यावस्था के विकास में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान है | परिवार बालक के विकास की प्रथम पाठशाला है परिवार या घर समाज के न्यूनतम समूह इकाई है ।परिवार मे बालक उदारता ,अनुदारता,निस्वार्थ ,स्वार्थ उसमें न्याय और अन्याय व सत्य औरअसत्य, परिश्रम एवं आलस में अंतर सीखता है। बाल्यावस्था के विकास में परिवार का योगदान की चर्चा करते हुवे मांउटेसरी ने कहा की " बालकों के विकास के लिए परिवार के वातावरण तथा परिस्थितियों महत्वपूर्ण है।


बाल्यावस्था के विकास में परिवार का योगदान

* परिवार या घर बालक की प्रथम पाठशाला है।

* परिवार में समायोजन तथा अनुकूलन के गुण विकसित होते हैं ।

* परिवार में समाजिक व्यवहार का अनुकरण करता है।

* परिवार वालों को समाज में व्यवहार करने की शिक्षा देता है।

* परिवार में समाजिक ,नैतिक ,सांस्कृतिक व अध्यात्मिक मूल्यों का विकास होता है।

* परिवार में रुचि ,अभिरुचि तथा का प्रवृत्तियों का विकास होता है।

* परिवार में नैतिकता व सामाजिकता का प्रशिक्षण मिलता है ।

* परिवार में उत्तम आदतों एवं चरित्र के विकास में योग देता है।


* परिवार में बालक की वैयक्तिकता विकसित होती है।

* परिवार में प्रेम एवं सहानुभूति की शिक्षा मिलती है।

* परिवार में सहयोग, परोपकार, सहिष्णुता, कर्तव्य-पालन के गुण विकसित होते है।

* परिवार में बालक को समाज में व्यवहार करने की शिक्षा देता है।

* परिवार में प्लेटो के अनुसार-“यदि आप चाहते हैं कि बालक सुन्दर वस्तुओं की प्रशंसा और निर्माण करे, तो उसके चारों ओर सुन्दर वस्तुयें रखिये।

इसके आलावा परिवार पर निम्नलिखित का भी प्रभाव पड़ता है --
(1) शारीरिक विकास
(2) मानसिक विकास
(3) चारित्रिक विकास
(4) भाषा विकास
(5) संवेगात्मक विकास
(6) सामाजिक विकास
(7) सृजनात्मकता का विकास
(8) शैक्षिक विकास
(9) मूल्यों का विकास
(10)श्रम के महता का विकास
(11) सौन्दर्य अनुभूति का विकास
(12) दक्षता का विकास


(2) बाल्यावस्था के विकास में पडोस का योगदान

(2) BALYA AVSHTHA ME PDOSI KA YOGDAN 


बाल्यावस्था के विकास में पडोस का निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है --
(1) शारीरिक विकास
(2) मानसिक विकास
(3) चारित्रिक विकास
(4) भाषा विकास
(5) संवेगात्मक विकास
(6) सामाजिक विकास
(7) सृजनात्मकता का विकास
(8) शैक्षिक विकास
(9) मूल्यों का विकास
(10)श्रम के महता का विकास
(11) सौन्दर्य अनुभूति का विकास
(12) दक्षता का विकास

(3) बाल्यावस्था के विकास में समुदाय का योगदान
(3) BALYA AVSHTHA ME SMUDAY KA YOGDAN
 



बाल्यावस्था के विकास में समुदाय का निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है --
(1) शारीरिक विकास
(2) मानसिक विकास
(3) चारित्रिक विकास
(4) भाषा विकास
(5) संवेगात्मक विकास
(6) सामाजिक विकास
(7) सृजनात्मकता का विकास
(8) शैक्षिक विकास
(9) मूल्यों का विकास
(10)श्रम के महता का विकास
(11) सौन्दर्य अनुभूति का विकास
(12) दक्षता का विकास

(4) बाल्यावस्था के विकास में विद्यालय का योगदान
(4) BALYA AVSHTHA ME VIDYALY  KA YOGDAN 

बाल्यावस्था के विकास में विद्यालय का निम्नलिखित योगदान है-


आधुनिक विद्यालयों में बालकों का दृष्टिकोण विश्व के संदर्भ में विकसित किया है।
आज के विद्यालय, बालक के विकास के लिए विशेष वातावरण प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। पवित्र वातावरण में बालक में पवित्र भावनाओं का सृजन होता है। उनके व्यक्तित्व में संतुलन उत्पन्न होता है।
आज विद्यालय, सामुदायिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। यह लघु समाज है।
थॉमसन के अनुसार- " विद्यालय, बालकों का मानसिक, चारित्रिक, सामुदायिक, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास करता है तथा स्वस्थ रहने का प्रशिक्षण देते हैं।"
विद्यालय बालकों को जीवन की जटिल परिस्थितियों का सामना करने योग्य बनाता है।
विद्यालय सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करता है तथा उसे अगली पीढ़ी में हस्तांतरित करता है।
विद्यालय, बालकों को घर तथा संसार से जोड़ने का कार्य करते हैं।
व्यक्तित्व का सामंजस्य पूर्ण विकास करने में विद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है।
विद्यालय में समाज के आदर्शों, विचारधाराओं का प्रचार होता है तथा अशिक्षित नागरिकों के निर्माण में योग देता है।
मनोविज्ञान में बालक के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाने की सहायता दी है,इसीलिए विद्यालय, सूचना के बजाय, बालकों को अनुभव प्रदान करते हैं।
इसके आलावा विद्यालय इसे भी प्रभावित करता है --
(1) शारीरिक विकास
(2) मानसिक विकास
(3) चारित्रिक विकास
(4) भाषा विकास
(5) संवेगात्मक विकास
(6) सामाजिक विकास
(7) सृजनात्मकता का विकास
(8) शैक्षिक विकास
(9) मूल्यों का विकास
(10)श्रम के महता का विकास
(11) सौन्दर्य अनुभूति का विकास
(12) दक्षता का विकास



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23. BALYA AVSHTHA ME PRIVAR PDOS SMUDAY AEVM VIDYALY KA YOGDAN B.Ed 1st(FIRST) YEAR  से सम्बन्धित प्रश्न -उत्तर

BALYA AVSHTHA ME PRIVAR PDOS SMUDAY AEVM VIDYALY KA YOGDAN B.Ed 1st(FIRST)  से सम्बन्धित प्रश्न एवं उसके समाधान >>>

प्रश्न आपके उत्तर AB JANKARI के
(1) प्रश्न:- बाल्यावस्था काल क्या है ?
उत्तर :www.abjankari.in --5-6 से 12 वर्ष 

(2) प्रश्न: -BALYA AVSHTHA के बाद कौन काल  आता है ?
उत्तर :www.abjankari.in -किशोरा अवस्था 

(3) प्रश्न:- CHILDHOOD के पहले कौन अवस्था है ?
उत्तर :www.abjankari.in - शिशुअवस्था  

(4) प्रश्न:-
उत्तर :www.abjankari.in -

(5) प्रश्न:-
उत्तर :www.abjankari.in -

आप भी बाल्यावस्था - BALYA AVSHTHA - CHILDHOOD   से सम्बन्धित निम्नलिखित विन्दुओं के अंतर्गत प्रश्न निचे कमेंट कर पूछ सकते है , जल्द ही उसका उत्तर देने का प्रयास किया जायेगा|

(1) CHILDHOOD DEVELOPMENT B.Ed 1st(FIRST)  YEAR SYLLABUS के अंतर्गत ALL टॉपिक से सम्बन्धित प्रश्न पूछ सकते है

CHILDHOOD DEVELOPMENT BALYA AVSHTHA ME PRIVAR PDOSi SMUDAY AEVM VIDYALY KA YOGDAN   IN HINDI

BCHPAN KE KAURAN PRIVAR PDOSH SMUDAY AUR VIDYALY

बचपन के दौरान प्रमुख कारक : परिवार, पडोस, समुदाय और विद्यालय 

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