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Jean piaget theory one liner in hindi ctet

Jean piaget theory one liner in hindi ctet

TOPIC Jean piaget theory one liner in hindi ctet
EXAM CTET FEB 2026
SHORT INFO इस पेज में जीन पियाजे के जीवनी और सिधांत से सम्बन्धित प्रश्नों को शामील किया गया है , जो CTET के परीक्षा में पूछे जा सकते है |
  1. जीन पियाजे (Jean Piaget) का जन्म 9 अगस्त 1896 को हुआ।
  2. पियाजे स्विट्ज़रलैंड के प्रसिद्ध विकासात्मक मनोवैज्ञानिक थे।
  3. उनका पूरा नाम Jean William Fritz Piaget था।
  4. पियाजे ने बच्चों के बौद्धिक विकास पर दीर्घकालिक शोध किए।
  5. उन्होंने 'genetic epistemology' की स्थापना की।
  6. उनका कार्य ज्ञान के विकास और उसके स्रोत पर केन्द्रित था।
  7. पियाजे ने विकास को चरणों (stages) के रूप में देखा।
  8. उनके चार प्रमुख developmental stages हैं।
  9. पहला चरण—सेंसरीमोटर (Sensorimotor) होता है।
  10. सेंसरीमोटर चरण जन्म से लगभग 2 वर्ष तक रहता है।
  11. इस चरण में बच्चे इंद्रियों और क्रियाओं से सीखते हैं।
  12. सेंसरीमोटर में वस्तु-स्थायित्व (object permanence) विकसित होता है।
  13. दूसरा चरण—पूर्वात्मक (Preoperational) होता है।
  14. पूर्वात्मक चरण लगभग 2 से 7 वर्ष के बीच होता है।
  15. इस चरण में भाषा और प्रतीकात्मक सोच की वृद्धि होती है।
  16. पूर्वात्मक चरण में बालक सामाजिक और नैतिक अवधारणाएँ बनाते हैं।
  17. तीसरा चरण—कंक्रीट ऑपरेशनल (Concrete Operational) है।
  18. कंक्रीट ऑपरेशनल चरण लगभग 7 से 11 वर्ष तक रहता है।
  19. इस चरण में तर्कशीलता और संरक्षण (conservation) की क्षमता आती है।

  20. चौथा चरण—फॉर्मल ऑपरेशनल (Formal Operational) होता है।
  21. फॉर्मल ऑपरेशनल चरण किशोरावस्था से शुरू होता है।
  22. फॉर्मल ऑपरेशनल में अमूर्त (abstract) और प्रणालीगत सोच आती है।
  23. पियाजे ने 'schema' की धारणा प्रस्तुत की।
  24. Schema वह संरचना है जो अनुभवों को संगठित करती है।
  25. वे 'सूत्र' से तुलना कर के बच्चों की संज्ञानात्मक संरचना समझते थे।
  26. पियाजे ने 'assimilation' को परिभाषित किया।
  27. Assimilation में नए अनुभवों को मौजूदा schemas में शामिल किया जाता है।
  28. पियाजे ने 'accommodation' भी बताया।
  29. Accommodation में schema बदलकर नए अनुभवों के अनुसार समायोजित किया जाता है।
  30. Equilibration पियाजे की मुख्य प्रक्रिया है।
  31. Equilibration संतुलन की प्रक्रिया है जो सीखने को प्रेरित करती है।
  32. पियाजे के अनुसार विकास गुणात्मक बदलावों द्वारा होता है।
  33. उनके मॉडल में विनियमन (adaptation) महत्वपूर्ण है।
  34. Adaptation में assimilation और accommodation दोनों शामिल हैं।
  35. पियाजे ने बच्चे की सोच में चरणबद्ध परिवर्तन दिखाया।
  36. उनका दृष्टिकोण निर्माणवादी (constructivist) था।
  37. Constructivism के अनुसार ज्ञान सक्रिय रूप से बनता है।
  38. पियाजे के काम ने शैक्षणिक पद्धतियों को प्रभावित किया।
  39. उन्होंने परीक्षणों में बच्चे-केन्द्रित अवलोकन का प्रयोग किया।
  40. पियाजे ने प्रयोगशाला और प्राकृतिक अवलोकन दोनों किए।
  41. उनकी विधियाँ संरचित और असंरचित दोनों प्रकार की थीं।
  42. पियाजे के सहयोगी में Bärbel Inhelder प्रमुख थीं।
  43. Inhelder के साथ उन्होंने कई सह-लेख प्रकाशित किए।
  44. उनकी प्रमुख पुस्तकों में 'The Origins of Intelligence in Children' है।
  45. दोसी पुस्तक 'The Language and Thought of the Child' भी प्रसिद्ध है।
  46. 'The Moral Judgment of the Child' पियाजे का एक महत्वपूर्ण कार्य है।
  47. पियाजे ने नैतिक विकास पर भी विचार दिए।
  48. उन्होंने नीतिगत शिक्षा के लिए सुझाव दिए।
  49. पियाजे के नजरिए से बच्चे गैट से सीखते हैं न कि सिर्फ़ सिखाए जाते हैं।
  50. उनका ऐतिहासिक और दार्शनिक पृष्ठभूमि से ज्ञान संबंध था।
  51. पियाजे ने तर्क और अनुभव के संबंध को जांचा।
  52. उन्होंने बुद्धिमत्ता को विकासशील संरचना माना।
  53. पियाजे के अनुसंधान का लक्ष्य बौद्धिक विकास को समझना था।
  54. पियाजे ने बच्चों के प्रश्नों और उत्तरों का विश्लेषण किया।
  55. उनका कार्य शिक्षाशास्त्र (pedagogy) पर प्रभावशाली रहा।
  56. उन्होंने सक्रिय खोज और प्रयोगात्मक सीखने की वकालत की।
  57. पियाजे का मानना था कि ज्ञान का निर्माण बालक स्वयं करता है।
  58. उनका दृष्टिकोण शिक्षकों को मार्गदर्शक मानता है न कि केवल सूचना दाता।
  59. पियाजे ने उभरती सोच में गुणात्मक कूद पर ज़ोर दिया।
  60. उनकी स्टेज-थ्योरी ने शैक्षिक पाठ्यक्रमों को प्रभावित किया।
  61. पियाजे ने 'egocentrism' का वर्णन किया।
  62. Egocentrism में बच्चे दूसरों के दृष्टिकोण नहीं समझ पाते।
  63. पूर्वात्मक चरण में egocentrism अधिक प्रकट होता है।
  64. पियाजे ने 'conservation' प्रयोगों से बच्चों की सोच जाँची।
  65. Conservation का मतलब मात्रा के अपरिवर्तन की समझ है।
  66. पियाजे ने दिखाया कि बहुत छोटे बच्चे conservation को नहीं समझते।
  67. उन्होंने 'centration' को भी परिभाषित किया।
  68. Centration में ध्यान एक ही लक्षण पर केंद्रित रहता है।
  69. Decentration के साथ बच्चे कई पहलुओं को विचार करते हैं।
  70. पियाजे ने 'seriation' और 'classification' जैसे कौशल बताए।
  71. Seriation वस्तुओं को क्रमबद्ध करने की क्षमता है।
  72. Classification में वस्तुओं को समूहित करने की क्षमता आती है।
  73. उनके कार्य ने बाल विकास में मापन के तरीके बदले।
  74. पियाजे ने प्रयोगों में खुले प्रश्न और क्वालिटेटिव विश्लेषण प्रयोग किया।
  75. उन्होंने बच्चों के भाषाई उपयोग से संज्ञानात्मक स्तर पता किया।
  76. पियाजे ने परीक्षणों में गलती-आधारित विश्लेषण पर जोर दिया।
  77. गलतियों से बच्चों की सोच के संरचनात्मक पहलू समझ में आते हैं।
  78. पियाजे के मुताबिक़ बुद्धि पर्यावरणीय बातचीत से बनती है।
  79. उन्होंने वयस्क निर्देश को हमेशा निर्णायक नहीं माना।
  80. पियाजे ने अनुभवशून्य (nativist) और पर्यावरणवादी बीच मध्य-स्थ रुख अपनाया।
  81. उनका ज्ञान का दृष्टिकोण विकासवादी और जैविक प्रणालियों पर आधारित था।
  82. पियाजे ने ज्ञान को सक्रिय व्यवस्था (active organization) कहा।
  83. उनका विचार था कि बच्चे समस्याओं को सक्रिय रूप से हल करते हैं।
  84. पियाजे ने 'hypothetico-deductive' तर्क को वयस्क-स्तर पर जोड़ा।
  85. फॉर्मल ऑपरेशनल चरण में hypothetico-deductive reasoning विकसित होती है।
  86. पियाजे के प्रयोगों ने शोध पद्धति में नए मानक स्थापित किए।
  87. उनका काम बच्चों की सोच के गुणात्मक बदलावों पर केंद्रित था।
  88. उन्होंने विभिन्न आयु-समूहों पर तुलनात्मक अध्ययन किए।
  89. पियाजे ने बच्चों के साथ सिंक्रीट प्रयोगों द्वारा विचारों की जांच की।
  90. उनका अनुसंधान शिक्षण विधियों में प्रयोगधर्मी बदलाव ला सका।
  91. पियाजे का प्रभाव विकासात्मक मनोविज्ञान पर दीर्घकालिक रहा।
  92. उनकी थ्योरी ने शिक्षा में discovery learning को उत्प्रेरित किया।
  93. Discovery learning में बच्चे स्वयं खोज कर ज्ञान बनाते हैं।
  94. पियाजे के अनुसार पाठ्यक्रम बच्चों के संज्ञानात्मक स्तर के अनुरूप होना चाहिए।
  95. उनका सुझाव था कि शिक्षण को चरणों के अनुरूप बनाना चाहिए।
  96. पियाजे ने आकलन (assessment) के नए रूप सुझाए जो विकासोन्मुख हों।
  97. उनके विचारों ने प्रारम्भिक बाल शिक्षा (early childhood education) को प्रभावित किया।
  98. पियाजे ने सामाजिक शिक्षा और संज्ञान की परस्परता पर लिखा।
  99. उनका मानना था कि सामाजिक अनुभव सोच पर असर डालते हैं।
  100. उन्होंने सहकारी और संवादात्मक गतिविधियों का समर्थन किया।
  101. पियाजे का कार्य वयस्कों को बच्चों के साथ संवाद का महत्त्व सिखाता है।
  102. उनकी थ्योरी ने पाठ्यक्रम डिजाइन में योजनाबद्ध विकास की सलाह दी।
  103. पियाजे ने बुद्धि के माप में गुणात्मक संकेतकों को महत्व दिया।
  104. उनका दृष्टिकोण विकास को सक्रिय प्रक्रिया मानता है न कि केवल संचित ज्ञान।
  105. पियाजे ने बच्चों के खेल को सीखने का साधन माना।
  106. खेल के माध्यम से बच्चे संगठन और नियम सीखते हैं, यह पियाजे का मत है।
  107. उनकी थ्योरी ने शैक्षिक खेलों के विकास को प्रेरित किया।
  108. पियाजे ने प्रयोगों में प्रश्न पूछकर बच्चे की समझ उभारी।
  109. उनका मानना था कि बच्चों को समस्या-सुलझाने के अवसर दिए जाएं।
  110. पियाजे के अनुसार भाषा विकास और संज्ञान पारस्परिक हैं।
  111. उन्होंने भाषा को सोच के प्रतिबिंब के रूप में देखा।
  112. पियाजे ने बताया कि भाषा प्रतीकात्मक सोच को बढ़ाती है।
  113. उनका कार्य शिक्षा नीति निर्माताओं के लिए मार्गदर्शक बन गया।
  114. पियाजे ने सांख्यिकीय तकनीक से ज्यादा सूक्ष्म विश्लेषण अपनाया।
  115. उनका शोध बच्चों के विचारों के क्रम और संरचना पर केंद्रित था।
  116. पियाजे ने अनुभव के आधार पर तर्क के विकास की रूपरेखा दी।
  117. उनकी सोच विकास के क्रमिक परिर्वतन पर बल देती है।
  118. पियाजे ने कहा कि संज्ञानात्मक विकास जैविक परिपक्वता और अनुभव का सम्मिश्रण है।
  119. उनका काम बच्चों की त्रुटियों को अर्थपूर्ण माना करता है।
  120. गलत उत्तर भी बच्चे के सोच के स्तर को उजागर करते हैं, यह उनका सिद्धांत है।
  121. पियाजे के अनुसंधान ने शिक्षाशास्त्र में व्यावहारिक परिवर्तन लाए।
  122. उनके विचारों ने कक्षा-अधिगम (classroom instruction) को पुनर्परिभाषित किया।
  123. पियाजे के अनुसार शिक्षण को 'स्तरानुकूल' होना चाहिए।
  124. स्तरानुकूल शिक्षा (stage-appropriate) का विचार उन्हीं से प्रचलित हुआ।
  125. उन्होंने बच्चों की自主अन्वेषण (independent exploration) को प्रोत्साहित किया।
  126. पियाजे ने विकासोन्मुख आकलन (developmental assessment) की वकालत की।
  127. उनकी थ्योरी ने शैक्षिक खेल और गतिविधियों को महत्व दिया।
  128. पियाजे ने बताया कि बौद्धिक विकास में क्रमानुसार क्षमताओं का उदय होता है।
  129. उनके सिद्धांत ने बाल मनोविज्ञान को मानकीकृत किया।
  130. पियाजे ने ज्ञान की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर विचार किया।
  131. उनका मानना था कि नियम और लॉजिक का विकास अनुभव से आता है।
  132. उन्होंने बच्चों के कारण-परभाव (cause-effect) समझने के तरीके पर अध्ययन किया।
  133. पियाजे ने दिखाया कि छोटे बच्चे कारणों की सरल व्याख्या देते हैं।
  134. बड़े बच्चों में कारणों की परिष्कृत और बहुआयामी व्याख्या आती है।
  135. पियाजे ने नैतिक विचारों के विकास को व्यवहारिक परीक्षणों से नापा।
  136. उनका कार्य नैतिक शिक्षा के सिद्धांतों को प्रभावित करता है।
  137. पियाजे ने प्राथमिक विद्यालय स्तर के लिए गतिविधि-आधारित शिक्षण सुझाया।
  138. उनके अनुसंधान से शैक्षिक सामग्री के विकास में बदलाव आया।
  139. पियाजे ने बच्चों को सक्रिय समस्या सुलझाने वाला माना।
  140. उनका सिद्धांत बच्चों के 'अवलोकन-उत्साह' को बढ़ावा देता है।
  141. पियाजे ने कहा कि बालक का ज्ञान विकास सांगीतिक रूप से नहीं होता।
  142. उनका मानना था कि बुद्धि में संरचनात्मक परिवर्तन समय-समय पर होते हैं।
  143. पियाजे ने व्यक्तिगत अनुभवों को ज्ञान निर्माण का मूल माना।
  144. उनका कार्य शिक्षकों को मार्गदर्शिका-भूमिका में रखता है।
  145. पियाजे ने तार्किक सोच और व्यवहार के बीच का सम्बन्ध स्पष्ट किया।
  146. उनकी थ्योरी ने अभिभावकों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाया।
  147. पियाजे के अनुसार अनुशासन और निर्देश का तरीका उम्र पर निर्भर होना चाहिए।
  148. उन्होंने 'reflective abstraction' की धारणा पर विचार किया।
  149. Reflective abstraction ज्ञान के पुनरावलोकन से आता है।
  150. पियाजे ने बच्चों की सोच के विकास में खेल के महत्व पर बल दिया।
  151. उनके अनुसार खेल सोच और सामाजिक कौशल दोनों विकसित करता है।
  152. पियाजे ने भाषा को विकास का उपकरण माना न कि केवल संकेत।
  153. उनका कार्य शिक्षण सामग्री में अनुभवजन्य दृष्टिकोण बढ़ाता है।
  154. पियाजे ने बताया कि बच्चे अपने ज्ञान का परीक्षण स्वयं करते हैं।
  155. उनका सिद्धांत शोध-आधारित शिक्षा के पक्ष में है।
  156. पियाजे ने बाल विकास के मापक संकेतों पर गहन अध्ययन किया।
  157. उनके प्रयोगों में नैतिकता और तार्किकता दोनों शामिल थे।
  158. पियाजे ने तार्किक त्रुटियों से विकास के चरण समझाए।
  159. उनका विचार था कि हर चरण में विशिष्ट सोच की सीमाएँ होती हैं।
  160. पियाजे ने बच्चों के तर्क के संगठन को प्रमुख माना।
  161. उनके अनुसार शिक्षा को सोच के संगठन पर केन्द्रित होना चाहिए।
  162. पियाजे ने माता-पिता के साथ शिक्षा संबंधी सुझाव साझा किए।
  163. उनका काम स्कूल-सिलेबस और शिक्षण विधियों में प्रभावशाली रहा।
  164. पियाजे ने विकास के चरणों को सार्वभौमिक माना।
  165. उनका तर्क था कि चरण प्रमुख संस्कृति-स्वतंत्र परिवर्तन दर्शाते हैं।
  166. हालाँकि बाद के शोध ने सांस्कृतिक प्रभावों पर भी जोर दिया।
  167. पियाजे की थ्योरी ने बहु-विषयी अनुसंधान को प्रेरित किया।
  168. उनका प्रभाव मनोविज्ञान, शिक्षा और दर्शन में दिखाई देता है।
  169. पियाजे ने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को विज्ञान की तरह अध्ययन किया।
  170. उनकी पद्धति में व्यवस्थित अवलोकन और परीक्षण प्रमुख थे।
  171. पियाजे ने विकास को सक्रिय और उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया माना।
  172. उनका मानना था कि बच्चे अनुभवों से सिद्धांत बनाते हैं।
  173. पियाजे के अनुसार शिक्षण में प्रश्न पूछना महत्वपूर्ण है।
  174. उनका कार्य शोध-आधारित पाठ्यक्रम निर्माण को बढ़ावा देता है।
  175. पियाजे ने बच्चों की सोच में तार्किकता के विकास का मानचित्र दिया।
  176. उनका योगदान शैक्षिक मनोविज्ञान में अमूल्य है।
  177. पियाजे की थ्योरी ने शिक्षकों को सक्रिय शिक्षण के लिए प्रेरित किया।
  178. उनके विचारों ने शिक्षण-संसाधनों के स्वरूप बदले।
  179. पियाजे ने बच्चों को छोटे-छोटे प्रयोगों के माध्यम से सिखाने की सलाह दी।
  180. उनका दृष्टिकोण कौशल-आधारित और अवधारणा-आधारित दोनों को महत्व देता है।
  181. पियाजे ने बच्चों की सोच की प्रक्रियात्मक प्रकृति पर ध्यान दिया।
  182. उनका शोध बच्चे-केंद्रित आकलन के पक्ष में है।
  183. पियाजे ने ज्ञान को विकास के परिप्रेक्ष्य में देखा न कि स्थिर वस्तु के रूप में।
  184. उनका मानना था कि बच्चों की गलतियाँ विकासगत संकेत हैं।
  185. पियाजे ने अनुभव और अंतर्निहित संरचनाओं का संयोजन माना।
  186. उनका सिद्धांत शिक्षकों को मार्गदर्शक-भूमिका में रखता है।
  187. पियाजे ने तार्किक गति और क्रम समझ को विकासात्मक माना।
  188. उनके अनुसार गणना और अवधारणा विकास क्रम से आते हैं।
  189. पियाजे ने बच्चों के साथ सामग्री-आधारित साक्षात्कार तकनीक विकसित की।
  190. उनकी विधि सवाल-जवाब से बच्चे की अंदरूनी सोच उजागर करती है।
  191. पियाजे ने कहा कि ज्ञान का विकास ऐतिहासिक और व्यक्तिगत दोनों पहलू रखता है।
  192. उनकी लिखित रचनाएँ शिक्षण और अनुसंधान दोनों के लिए मैनुअल बन गईं।
  193. पियाजे की थ्योरी ने शैक्षिक मनोविज्ञान में नया रणभूमि खोली।
  194. उन्होंने बच्चों की तर्क शक्ति के विकास को चरणबद्ध रूप दिया।
  195. पियाजे ने अनुभवजन्य दृष्टिकोण से मनोविज्ञान को सुदृढ़ किया।
  196. उनके सिद्धांत ने शिक्षण में खोज और अनुसंधान को बढ़ावा दिया।
  197. पियाजे ने सामाजिक अंतःप्रक्रिया के माध्यम से सीखने का समर्थन किया।
  198. उनका विश्वास था कि भाषा और संज्ञान आपस में प्रभावित करते हैं।
  199. पियाजे ने नैतिकता और सामाजिक नियमों के विकास का विश्लेषण किया।
  200. उनकी थ्योरी बच्चों को सक्रिय सीखने वाले इकाईयों के रूप में देखती है।
  201. पियाजे ने शिशु विज्ञान (infant studies) में भी योगदान दिया।
  202. वहां उन्होंने शुरुआती संवेदी और क्रियात्मक प्रतिक्रियाएँ नापीं।
  203. पियाजे ने बुद्धिमत्ता को गतिशील, न कि स्थिर, माना।
  204. उनका काम शिक्षकों को गलतियों से सीखने का उत्साह देता है।
  205. पियाजे ने कहा कि ज्ञान का निर्माण सामाजिक वार्तालाप से समृद्ध होता है।
  206. उनके अनुसार कक्षा में वार्तालाप शिक्षण का एक शक्तिशाली साधन है।
  207. पियाजे ने बताया कि बौद्धिक विकास में अभ्यास और परिपक्वता दोनों ज़रूरी हैं।
  208. उनका दृष्टिकोण बच्चों के विचारों को समझने पर केन्द्रित था।
  209. पियाजे ने शिक्षा में 'गलतियाँ' को संकेतक माना न कि नकारात्मक।
  210. उनकी थ्योरी शिक्षकों को छात्र-केंद्रीय गतिविधियाँ अपनाने को प्रेरित करती है।
  211. पियाजे ने विकास के दौरान भाषा-आधारित परीक्षणों का उपयोग किया।
  212. उनका कार्य बाल विकास के पाठ्यक्रमों का आधार बना।
  213. पियाजे ने अनुसंधान में दीर्घकालिक अवलोकन को महत्व दिया।
  214. उनके अनुसार बच्चे अनुभवों से सिद्धांत बनाते और बदलते हैं।
  215. पियाजे का मानना था कि शिक्षा को सोच की संरचनाओं के अनुरूप बनाना चाहिए।
  216. उनकी थ्योरी ने शिक्षण में प्रयोग और अन्वेषण को बढ़ावा दिया।
  217. पियाजे ने बच्चों को सक्रिय और रचनात्मक ठहराया।
  218. उनका काम शिक्षण-विधियों के वैज्ञानिक आधार को मजबूत करता है।
  219. पियाजे ने नैतिक निर्णय की संरचना पर गहन अध्ययन किया।
  220. उनके अनुसार नैतिकता का विकास भी चरणबद्ध होता है।
  221. पियाजे ने भाषा और विचार के बीच द्विपक्षीय संबंध बताया।
  222. उनका कार्य शिक्षा नीति और पाठ्यक्रम में प्रतिबिंबित हुआ।
  223. पियाजे के विचारों ने प्रारम्भिक बाल शिक्षा में नवाचार लाया।
  224. उन्होंने बच्चों के सोच में क्रमिक परिपक्वता को उजागर किया।
  225. पियाजे ने कहा कि शिक्षण अनुभवों को बच्चे की सक्रियता पर केंद्रित करना चाहिए।
  226. उनके अनुसंधान ने शिक्षा जगत में बहु-प्रयोगी पद्धतियाँ प्रस्तुत कीं।
  227. पियाजे की थ्योरी ने कक्षा में परियोजना-आधारित अधिगम को बढ़ावा दिया।
  228. उनका मानना था कि संज्ञानात्मक विकास में गुणात्मक छलाँगें होती हैं।
  229. पियाजे ने ज्ञान के उत्पादन को विकासात्मक प्रक्रिया माना।
  230. उनके सिद्धांत ने शिक्षकों को बच्चों के स्तर के अनुरूप सामग्री सुझाई।
  231. पियाजे ने शैक्षिक विकास में प्रयोगात्मक सीखने को महत्व दिया।
  232. उनका योगदान शोध और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में व्यापक है।
  233. पियाजे ने बच्चों की सोच में संरचनात्मकता को प्रमुख माना।
  234. उनकी थ्योरी ने शिक्षकों को छात्रों के साथ संवाद बढ़ाने को कहा।
  235. पियाजे ने कहा कि सीखना समस्या-समाधान से सबसे अधिक विकसित होता है।
  236. उनका काम बच्चों के तार्किक विकास को मापने के मानक देता है।
  237. पियाजे ने शिक्षा के लिए अनुकूल गतिविधियों के डिजाइन का मार्गदर्शन किया।
  238. उनकी थ्योरी ने बच्चों के लिए उपयुक्त आकलन विधियों को प्रोत्साहित किया।
  239. पियाजे ने दिखाया कि समय के साथ सोच अधिक जटिल होती जाती है।
  240. उनका मत था कि ज्ञान का निर्माण व्यक्तिगत अन्वेषण पर निर्भर करता है।
  241. पियाजे ने बाल विकास में गुणात्मक परिवर्तनों को महत्व दिया।
  242. उनके विचारों ने शिक्षकों को विद्यार्थियों के निरीक्षण पर ज़ोर दिया।
  243. पियाजे ने ज्ञान को संरचनात्मक रूप में देखा न कि रैंडम तथ्य के रूप में।
  244. उनका प्रभाव मनोविज्ञान के शिक्षण में स्पष्ट है।
  245. पियाजे ने बच्चों के साथ प्रयोगों में अन्वेषण को प्राथमिकता दी।
  246. उनकी थ्योरी ने बहु-आयामी अनुसंधान को जन्म दिया।
  247. पियाजे की तकनीकें शिक्षण अनुसंधान की आधारशिला बनीं।
  248. उनका काम शिक्षा के अलावा दर्शन और विज्ञान के सिद्धांतों पर भी प्रभावी रहा।
  249. पियाजे ने जीवन भर बाल विकास का अध्ययन किया।
  250. उनका निधन 16 सितंबर 1980 को हुआ।
  251. पियाजे के विचार आज भी शैक्षिक अनुसंधान में उद्धृत होते हैं।
  252. उनकी विधियाँ केस-स्टडी और अनियमित साक्षात्कार को बढ़ावा देती हैं।
  253. पियाजे ने बच्चों को समझने के लिए प्रश्न पूछने की परंपरा दी।
  254. उनका दृष्टिकोण शिक्षक-केंद्रीय आदेश से अलग है।
  255. पियाजे के अनुसार सीखना सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों प्रक्रियाओं का परिणाम है।
  256. उनकी थ्योरी ने संवादात्मक शिक्षण की उपयोगिता प्रमाणित की।
  257. पियाजे का काम बच्चों के तार्किक विकास के चरणों को स्पष्ट करता है।
  258. उनकी अवधारणाएँ शैक्षिक सामग्री विकास में उपयोगी हैं।
  259. पियाजे ने कहा कि शिक्षण को विद्यार्थियों के पूर्वज्ञान से जोड़ना चाहिए।
  260. उनकी थ्योरी ने कक्षा में सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा दिया।
  261. पियाजे ने सीखने को संरचित द्वंद्व (disequilibrium) के रूप में देखा जो equilibration से सुधरता है।
  262. उनके काम ने शिक्षकों को विद्यार्थियों की सोच को मान्यता देने की सीख दी।
  263. पियाजे ने दिखाया कि बच्चों के विचार तर्क की विरासत नहीं बल्कि विकास का परिणाम हैं।
  264. उनकी थ्योरी ने समस्या-आधारित अधिगम के सिद्धांतों को पुष्ट किया।
  265. पियाजे के अनुसार अवधारणाएँ अनुभव से संरचित होती हैं।
  266. उनके विचारों ने पाठ्यक्रमों को अनुकूल बनाने का आधार दिया।
  267. पियाजे ने बौद्धिक विकास में अनुक्रम और संरचना पर बल दिया।
  268. उनका योगदान विश्वभर की शैक्षिक नीतियों में परिलक्षित है।
  269. पियाजे ने बच्चों की अंदरूनी तर्कशक्ति को समझने के तरीके दिए।
  270. उनकी थ्योरी आज भी प्रारम्भिक शिक्षण डिजाइन में प्रयुक्त होती है।
  271. पियाजे ने शिक्षण में सक्रिय अनुभव और प्रयोग का समर्थन किया।
  272. उनका मानना था कि प्रत्येक बच्चे का विकास विशिष्ट गति से होता है।
  273. पियाजे ने ज्ञान की निर्मिति को शैक्षिक अनुसंधान का केन्द्र बनाया।
  274. उनकी अवधारणा 'schema' शिक्षण सामग्री के संगठन में उपयोगी है।
  275. पियाजे ने बच्चों के तर्क में चरणों के अनुसार परिवर्तन दिखाये।
  276. उनका कार्य शिक्षकों को बच्चों की गलतियों को समझने की क्षमता देता है।
  277. पियाजे का सिद्धांत शिक्षण में प्रश्नोत्तरी और खोज को प्रेरित करता है।
  278. उनकी थ्योरी नैतिक शिक्षा और तर्कशक्ति दोनों में अंतर्संबंध दिखाती है।
  279. पियाजे ने बच्चों के सीखने को सक्रिय, रचनात्मक और सामाजिक माना।
  280. उनकी खोजें शिक्षाशास्त्र के सिद्धांतों में अमूल्य योगदान हैं।
  281. पियाजे ने कहा कि बुद्धि का विकास जीववैज्ञानिक और अनुभवजन्य दोनों कारणों से होता है।
  282. उनका अनुसंधान शिक्षण पद्धतियों के वैज्ञानिक आधार का समर्थन करता है।
  283. पियाजे के विचार आज भी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में पढ़ाए जाते हैं।
  284. उनकी थ्योरी ने शैक्षिक अनुसंधान को गहन और व्यवस्थित बनाया।
  285. पियाजे ने बच्चों के लिए विकासोन्मुख आकलन की आवश्यकता को रेखांकित किया।
  286. उनका दृष्टिकोण शिक्षा को विद्यार्थी-केंद्रित और अन्वेषणीय बनाता है।
  287. पियाजे का योगदान शैक्षिक मनोविज्ञान और विकास के मूल में है।
  288. उनके विचार पाठ्यक्रम, आकलन और शिक्षण-रूपरेखा पर प्रभावी रहे।
  289. पियाजे ने शैक्षिक सिद्धांतों में शोध-प्रमाणिकता को बढ़ाया।
  290. उनके अनुसार शिक्षक का कर्तव्य बालक को सोचने के अवसर देना है।
  291. पियाजे के सिद्धांत शिक्षण में रुचि-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षण को बढ़ावा देते हैं।
  292. उनकी थ्योरी ने बालक-केंद्रित शिक्षा को वैधता दी।
  293. पियाजे ने बताया कि संज्ञानात्मक विकास विभिन्न आयामों में होता है।
  294. उनकी अवधारणाएँ आज के शैक्षिक अनुसंधान में संदर्भित होती हैं।
  295. पियाजे ने विज्ञान और मनोविज्ञान के बीच सेतु बनाया।
  296. उनके काम ने बच्चों की सोच को समझने के लिए नए उपकरण दिए।
  297. पियाजे के विचार शिक्षकों को शिक्षण-रूपरेखा में लचीलापन सुझाते हैं।
  298. उनका सिद्धांत बच्चों के विकास को आधुनिक शिक्षा के केंद्र में रखता है।
  299. पियाजे शिक्षा में प्रयोगात्मक, अवलोकनीय और संरचित अध्ययन के पक्षधर थे।
  300. उनका योगदान प्रारम्भिक शिक्षा और बाल विकास के सिद्धांतों का आधार बना।



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