BIHAR D.El.Ed 1ST YEAR S8 हिन्दी का शिक्षणशास्त्र-2 (प्राथमिक स्तर) सिलेबस
इकाई-1 लेखन क्षमता का विकास
> लेखन का अर्थ : संकल्पना और विकास
> शुरुआती लेखन : संकल्पना और विकास
> लेखन की चरणबद्ध प्रक्रिया : आड़ी-तिरछी रेखाएँ, प्रतीकात्मक चित्र, स्व-वर्तनी, पारंपरिक लेखन की ओर।
> पढ़ना और लिखना में संबंध
> प्रारम्भिक कक्षाओं में लेखन क्षमता के विकास के तरीके : चित्र बनाना, रेखाचित्र से कहानी बनाकर लिखना, अपनी रुचि की चीजों के बारे में लिखना, कहानी को रेखाचित्र आगे बढ़ाकर लिखना, श्रुतलेख, लयात्मक शब्द से तुकबंदी करना, पत्र, कहानी, कविता आदि लिखना, विज्ञापन बनाना, विभिन्न उद्देश्यों के लिए लिखना । लिखना सिखाने में आने वाली समस्याएँ व उनके समाधान के तरीके : क्या ये वास्तव में समस्याएँ हैं या बच्चों द्वारा सीखने की प्रक्रिया के स्वाभाविक चरण?
> बच्चों के कार्य पर शिक्षकों की प्रतिक्रिया का महत्त्व और स्वरूप
> भाषा सीखने के संकेतक लेखन के सदर्भ में
इकाई-2 हिन्दी शिक्षण में सीखने की योजना और कक्षा प्रक्रियाएँ
> हिन्दी सीखने का अर्थ और इसके लिए सीखने की योजना के प्रमुख बिन्दु
>हिन्दी शिक्षण के लिए सीखने की योजना के प्रमुख प्रकार
>हिन्दी का रचनात्मक शिक्षण और कक्षा प्रक्रियाएँ
> हिन्दी शिक्षण हेतु सीखने की योजना की चुनौतियाँ
इकाई 3 हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण और वर्तनी
> भाषा संरचना : वर्ण, शब्द, वाक्य
> संदर्भ आधारित व्याकरण
> गतिविधियाँ और व्याकरण
> अशुद्धियाँ और उनका निराकरण
> वर्तनी की अशुद्धियाँ और निराकरण
इकाई-4 हिन्दी शिक्षण में आकलन
> हिन्दी सीखने के संदर्भ में आकलन का अर्थ : सीखने की प्रक्रिया के रूप में, शिक्षार्थी को सीखने में मदद करने के रूप में, शिक्षातंत्र को प्रतिपुष्टि देने के रूप में, उत्पाद तथा प्रक्रिया के रूप में।
> हिन्दी भाषा में सतत् और समग्र आकलन की संकल्पना ।
> भाषा में आकलन के विभिन्न तरीके : विभिन्न क्षमताओं का मूल्यांकन, मौखिक आकलन, अवलोकन, लिखित आकलन, प्रस्तुति, अभिनय, पोर्टफोलियो, जाँच सूची, रेटिंग स्केल आदि।
> सीखने के संकेतकों की समझ ।
> हिन्दी भाषा शिक्षण के आकलन में प्रश्नों की भूमिका

