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S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास क्वेश्चन पेपर | Sangyan sikhna aur bal vikas Question Paper

S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER 

TOPIC S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास क्वेश्चन पेपर PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER
CODE S -2
COURSE BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR
FULL MARKS 70+30=100

AB JANKARI के इस पेज में बिहार डी.एल.एड फर्स्ट इयर के पेपर S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास क्वेश्चन पेपर के प्रश्नों को शामिल किया गया है |

S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास 2025 का प्रश्न


Sangyan sikhna aur bal vikas 2025 Question Paper

खण्ड - क / Section - A
लघु उत्तरीय प्रश्न / Short Answer Type Questions
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है :
It is compulsory to answer each question:

(01) बच्चों के विकास में संचार माध्यमों की क्या भूमिका है ? चर्चा करें । - 5

What is the role of mass media in child development ? Discuss.

अथवा / OR

सामाजिक कार्य-कारण संबंध की समझ के विकास में सामाजिक-सांस्कृतिक तत्वों की भूमिका का विश्लेषण करें ।

Analyse the role of socio-cultural elements in developing understanding of social cause-effect relationship.

(02) स्किनर के सक्रिय अनुबन्ध सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या करें ।- 5

Critically explain Skinner's Operant-conditioning theory.

अथवा / OR

अनुक्रिया अनुबंध सिद्धान्त (पावलव) के शैक्षिक निहितार्थों की चर्चा करें ।

Discuss the educational implications of conditional response theory (Pavlov).

(03) क्या सीखना और सामाजिक परिवेश एक-दूसरे से अंतर्संबंधित हैं ? कैसे ? -5

Are learning and social environment interrelated to each other? How ?

अथवा / OR

बैण्डूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धान्त के शैक्षिक निहितार्थ की चर्चा करें ।

Discuss the educational implication of Bandura's social learning theory.

(04) सक्रिय होकर सीखने से क्या आशय है ? संक्षिप्त व्याख्या करें । -5

What is the meaning of active learning? Explain in brief.

अथवा / OR

स्मृति के मुख्य प्रकारों की चर्चा करें ।

Discuss the important types of memory.

(05) एक शिक्षक के लिए बच्चों के संज्ञानात्मक विकास की समझ क्यों महत्वपूर्ण है ?

Why is it important for a teacher to understand the cognitive development of children ?

अथवा / OR

संप्रत्यय विकास' के हुनर मॉडल की संक्षिप्त व्याख्या करें ।

Explain in short Bruner's model of 'Concept development'.

(06) सीखना और परिपक्वता में क्या संबंध है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें ।

How is learning related with maturity ? Clarify it with examples.

अथवा / OR

'सीखने का आकलन' एवं 'सीखने के लिए आकलन' में अन्तर स्पष्ट करें ।

Differentiate between "Assessment of learning" and "Assessment for learning"

.

खण्ड - ख / Section - B

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में दें ।

Answer any four questions in approximately 200 to 250 words each.


7. 'सीखने' का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें । - 10

Clarify the meaning of 'Learning' and describe its main characteristics.

8. जीन पियाजे के सिद्धान्त के आधार पर एक पाठ योजना/सीखने की योजना बनायें - 10

Prepare a Lesson Plan/Learning Plan on the basis of Jean Piaget's theory.

9. "सीखने की निर्योग्यता" (लर्निंग डिसेबिलिटि ) से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकारों की विस्तार से चर्चा करें । -10

What do you understand by "Learning disability"? Discuss in detail its various types.

10. वाइगोत्स्की के सिद्धान्त के अनुसार बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में उसके सामाजिक अधिगम और भाषा की क्या भूमिका होती है ? - 10

According to Vygotsky's theory, what is the role of social learning and language in cognitive development of children?

11. निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें -2 × 5 = 10

. (क) बहु-बुद्धि के प्रकार

(ख) भाषा तथा विचार

(ग) सीखने में अभिप्रेरणा की भूमिका

(घ) संवेगात्मक विकास ।

Write short notes on any two of the following:

(a) Types of multi-intelligence

(b) Language and ideas

(c) Role of motivation in learning

(d) Emotional development.



BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास क्वेश्चन पेपर -उत्तर  

प्रश्न (01) – बच्चों के विकास में संचार माध्यमों की क्या भूमिका है? चर्चा करें।

  • (A) परिचय :
  • (B) बच्चों के विकास में संचार माध्यमों मुख्य भूमिकाएँ :
  • (C) कक्षा में शिक्षक की भूमिका :
  •  (D) निष्कर्ष:

(A) परिचय :

संचार माध्यम (Mass Media) जैसे — टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट, सोशल मीडिया, अख़बार आदि बच्चों के ज्ञान, भाषा, सोच, व्यवहार और सामाजिक विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

(B) बच्चों के विकास में संचार माध्यमों की मुख्य भूमिकाएँ :

  • ज्ञान का विस्तार :
    संचार माध्यम बच्चों को नई जानकारी, विज्ञान, खेल, संस्कृति और तकनीकी ज्ञान प्रदान करते हैं।
  • भाषा एवं संप्रेषण कौशल :
    समाचार, कार्यक्रम और वीडियो से बच्चों की भाषा, उच्चारण और शब्दावली का विकास होता है।
  • सामाजिक व्यवहार का विकास :
    बच्चों में अनुकरण (Imitation) की प्रवृत्ति होती है; वे माध्यमों के पात्रों से व्यवहार और आदर्श सीखते हैं।
  • रचनात्मकता और अभिव्यक्ति :
    शैक्षिक चैनल व कार्यक्रम रचनात्मक सोच और अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करते हैं।
  • सावधानी की आवश्यकता :
    अनुपयुक्त या हिंसक सामग्री बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, इसलिए शिक्षकों व अभिभावकों की देखरेख आवश्यक है।

(C) कक्षा में शिक्षक की भूमिका :

  • शैक्षिक कार्यक्रमों को शिक्षण सामग्री के रूप में उपयोग करें।
  • बच्चों से देखी गई सामग्री पर चर्चा करें ताकि आलोचनात्मक सोच विकसित हो।
  • स्क्रीन-टाइम को सीमित रखने और सक्रिय गतिविधियों को बढ़ाने पर ध्यान दें।
उदाहरण : शिक्षक बच्चों को विज्ञान का एक छोटा टीवी क्लिप दिखाकर उसके सिद्धांत का प्रायोगिक प्रदर्शन करवा सकता है — इससे दृश्य और व्यवहारिक दोनों सीख मजबूत होती हैं।

 (D) निष्कर्ष:

 संचार माध्यम बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं यदि उनका उपयोग शिक्षाप्रद और संतुलित रूप से किया जाए।

-----समाप्त -----


(01) अथवा 

प्रश्न - सामाजिक कार्य-कारण संबंध की समझ के विकास में सामाजिक-सांस्कृतिक तत्वों की भूमिका का विश्लेषण करें ।

 उत्तर

  • परिचय :
  • सामाजिक-सांस्कृतिक तत्वों की भूमिका :
  • शिक्षक की भूमिका :
  •  निष्कर्ष :

परिचय :

सामाजिक कार्य-कारण संबंध का अर्थ है किसी सामाजिक घटना या व्यवहार के कारण और उसके परिणाम को समझना। यह क्षमता बच्चों में स्वाभाविक रूप से नहीं होती बल्कि उनके सामाजिक-सांस्कृतिक अनुभवों के माध्यम से विकसित होती है।

सामाजिक-सांस्कृतिक तत्वों की भूमिका :

  • परिवार व मूल्य: 
    परिवार बच्चों के प्रारंभिक समाजीकरण का केंद्र है, जहाँ वे अच्छे-बुरे कर्मों और उनके परिणामों का अनुभव करते हैं। इससे कारण-परिणाम की समझ विकसित होती है।
  • भाषा और कहानियाँ:
    लोककथाएँ, दंतकथाएँ और नैतिक कहानियाँ बच्चों को यह सिखाती हैं कि हर क्रिया का परिणाम होता है — जैसे “मेहनत का फल मीठा होता है।”
  • संस्कृति और परंपराएँ:
    त्यौहार, सामाजिक रीति-रिवाज और सामूहिक गतिविधियाँ बच्चों को सिखाती हैं कि समाज में कार्यों का परिणाम किस रूप में देखा जाता है।
  • अनुभव आधारित शिक्षा: सामाजिक घटनाएँ जैसे सहायता, दान, या प्राकृतिक आपदाएँ — बच्चों को वास्तविक जीवन से कार्य-कारण संबंध समझने में मदद करती हैं।
  • सामाजिक अनुकरण:
    बच्चे बड़ों के व्यवहार को देखकर यह सीखते हैं कि “कौन-से कार्यों से कौन-से परिणाम मिलते हैं।”

शिक्षक की भूमिका :

  • स्थानीय उदाहरणों का प्रयोग:
    शिक्षक स्थानीय सामाजिक घटनाओं पर चर्चा कर बच्चों में कारण-परिणाम सोच विकसित कर सकता है।
  • कहानी व भूमिका-अभिनय:
    बच्चों को रोल-प्ले गतिविधियों के माध्यम से कार्यों के परिणाम का अनुभव कराना चाहिए।
  • संवेदनशील दृष्टिकोण:
    शिक्षक को यह ध्यान रखना चाहिए कि सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाए।
उदाहरण :
यदि किसी क्षेत्र में बाढ़ आई हो, तो शिक्षक बच्चों से प्रश्न करवा सकता है — “बाढ़ क्यों आई?” और “इसका क्या असर हुआ?” — इससे बच्चे सामाजिक कार्य-कारण संबंध को वास्तविक रूप में समझते हैं।

निष्कर्ष : 

सामाजिक-सांस्कृतिक तत्व बच्चों में सामाजिक, नैतिक और तार्किक सोच के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शिक्षक यदि इन तत्वों को सीखने का आधार बनाता है तो बच्चों में वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण का विकास संभव है।

प्रश्न (02) स्किनर के सक्रिय अनुबन्ध सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या करें ।- 5

उत्तर --
स्किनर का सक्रिय अनुबन्ध सिद्धान्त व्यवहारवाद पर आधारित है, जिसमें सीखना प्रबलन (reinforcement) और दण्ड के माध्यम से होने वाली प्रतिक्रिया का परिणाम माना गया है। इसकी आलोचना इस आधार पर की जाती है कि यह केवल देखने योग्य व्यवहार पर ध्यान देता है और मानसिक प्रक्रियाओं जैसे विचार, भावना एवं प्रेरणा की उपेक्षा करता है। यह सिद्धान्त मानव सीखने को यांत्रिक प्रक्रिया मानकर पर्यावरण पर अत्यधिक निर्भर बनाता है। जटिल एवं रचनात्मक सीखने को केवल प्रबलन से समझाना संभव नहीं। इसके बावजूद यह कक्षा प्रबंधन, आदत निर्माण और व्यवहार संशोधन में उपयोगी माना जाता है।



अथवा
प्रश्न - अनुक्रिया अनुबंध सिद्धान्त (पावलव) के शैक्षिक निहितार्थों की चर्चा करें । 

उत्तर -
अनुक्रिया अनुबन्ध सिद्धान्त (पावलव) के अनुसार सीखना उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच बनने वाले संबंध पर आधारित होता है। इसके शैक्षिक निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक कक्षा में उपयुक्त उद्दीपक जैसे प्रशंसा, प्रोत्साहन या सकारात्मक वातावरण देकर वांछित व्यवहार विकसित कर सकते हैं। भय, दंड या नकारात्मक उद्दीपक से बचकर छात्रों में सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाया जा सकता है। नियमित अभ्यास और दोहराव से प्रतिक्रियाएँ मजबूत होती हैं, इसलिए पाठों को क्रमबद्ध और अभ्यास-आधारित बनाना आवश्यक है। अवांछित प्रतिक्रियाओं को समाप्त करने के लिए निषेधात्मक अनुबन्धन भी उपयोगी है। यह सिद्धान्त व्यवहार संशोधन और अनुशासन में सहायक माना जाता है।


प्रश्न (03) क्या सीखना और सामाजिक परिवेश एक-दूसरे से अंतर्संबंधित हैं ? कैसे ? -5
Are learning and social environment interrelated to each other? How ?

उत्तर - 
हाँ, सीखना और सामाजिक परिवेश एक-दूसरे से गहराई से अंतर्संबंधित हैं। सामाजिक परिवेश व्यक्ति को भाषा, व्यवहार, मूल्य, आदतें और समस्या-समाधान की शैली प्रदान करता है। परिवार, मित्र, शिक्षक और समुदाय के साथ संपर्क के माध्यम से बच्चा नए अनुभव प्राप्त करता है, जो उसके सीखने को आकार देते हैं। सकारात्मक वातावरण जिज्ञासा, सहयोग और आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जबकि नकारात्मक वातावरण सीखने में बाधा उत्पन्न कर सकता है। सामाजिक अंतःक्रिया के दौरान बच्चे अनुकरण, चर्चा, सहयोग और सहभागिता से सीखते हैं। इस प्रकार सीखना केवल व्यक्तिगत प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक परिवेश से निरंतर प्रभावित होने वाली गतिशील प्रक्रिया है।

अथवा / OR

प्रश्न - बैण्डूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धान्त के शैक्षिक निहितार्थ की चर्चा करें ।

Q - Discuss the educational implication of Bandura's social learning theory.

 उत्तर -
बैण्डूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धान्त के अनुसार बच्चे व्यवहार, मूल्य एवं दृष्टिकोण दूसरों को देखकर सीखते हैं। शिक्षा में यह सिद्धान्त मॉडलिंग, अनुकरण, प्रेक्षणीय अधिगम और प्रतिफलन के महत्व को दर्शाता है। शिक्षक का आचरण बच्चों के लिए प्रमुख मॉडल होता है, इसलिए उसका सकारात्मक, सहयोगी और नैतिक व्यवहार सीखने को प्रोत्साहित करता है। कक्षा में सहपाठी-अधिगम, समूह-कार्य तथा अनुकरणीय गतिविधियाँ प्रभावी बनती हैं। पुरस्कार, प्रशंसा और उचित प्रतिफलन से इच्छित व्यवहार सुदृढ़ होता है। डिजिटल माध्यमों में भी वीडियो-मॉडलिंग उपयोगी है। यह सिद्धान्त बताता है कि सीखना केवल अनुभव से नहीं, बल्कि सामाजिक परिवेश से भी गहराई से होता है।

प्रश्न (04) सक्रिय होकर सीखने से क्या आशय है ? संक्षिप्त व्याख्या करें । -2025

Q- What is the meaning of active learning? Explain in brief.

उत्तर -

सक्रिय होकर सीखने से आशय है कि विद्यार्थी सीखने की प्रक्रिया में केवल जानकारी ग्रहण करने वाले निष्क्रिय श्रोता न होकर स्वयं खोज, प्रयोग, चर्चा, समस्या-समाधान तथा चिंतन में भाग लेते हैं। इसमें छात्र प्रश्न पूछते हैं, विचार प्रस्तुत करते हैं, गतिविधियों में भाग लेते हैं और अपने अनुभवों से निष्कर्ष निकालते हैं। सक्रिय अधिगम में शिक्षक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है तथा विद्यार्थी को वास्तविक जीवन से जुड़े कार्यों में संलग्न करता है। इस प्रकार सीखना अधिक सार्थक, स्थायी, आनंददायक और व्यवहारिक बन जाता है, क्योंकि विद्यार्थी स्वयं ज्ञान का निर्माण करते हैं।

अथवा / OR

प्रश्न - स्मृति के मुख्य प्रकारों की चर्चा करें ।

Q- Discuss the important types of memory.

उत्तर- 

स्मृति वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अनुभवों, तथ्यों और सूचनाओं को संचित व पुनःस्मरण करता है। इसके मुख्य प्रकार तीन हैं— संवेदी स्मृति, जो इंद्रियों से प्राप्त जानकारी को कुछ क्षण के लिए रखती है; अल्पकालिक स्मृति, जो लगभग 15–30 सेकंड तक सीमित मात्रा में जानकारी को संजोती है; तथा दीर्घकालिक स्मृति, जो सूचनाओं को लंबे समय तक सुरक्षित रखती है और आवश्यकता पड़ने पर पुनः उपयोग में लाई जाती है। दीर्घकालिक स्मृति में तथ्यात्मक और कौशल संबंधी ज्ञान शामिल होता है। इन तीनों प्रकारों की सामूहिक क्रिया सीखने को प्रभावी बनाती है।

प्रश्न (05) एक शिक्षक के लिए बच्चों के संज्ञानात्मक विकास की समझ क्यों महत्वपूर्ण है ?

Q- Why is it important for a teacher to understand the cognitive development of children ?

उत्तर  -

एक शिक्षक के लिए बच्चों के संज्ञानात्मक विकास की समझ इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वह यह जान पाता है कि किस आयु में बच्चा कैसे सोचता, समझता, तर्क करता और समस्याओं को हल करता है। प्रत्येक चरण में उसकी सीखने की क्षमता, रुचि और समझने के तरीके अलग होते हैं। यदि शिक्षक इन विकासात्मक विशेषताओं को समझेगा, तो वह उपयुक्त पद्धतियाँ, उदाहरण, गतिविधियाँ और शिक्षण रणनीतियाँ चुन सकेगा। इससे न तो बच्चा परिभ्रमित होगा और न ही उससे उसकी क्षमता से अधिक अपेक्षा की जाएगी। इस प्रकार संज्ञानात्मक विकास की समझ सीखने को अधिक प्रभावी और बालकेन्द्रित बनाती है।


अथवा / OR

प्रश्न- संप्रत्यय विकास' के हुनर मॉडल की संक्षिप्त व्याख्या करें ।

Explain in short Bruner's model of 'Concept development'.

उत्तर  -

‘संप्रत्यय विकास’ के हुनर मॉडल के अनुसार किसी भी अवधारणा को सीखना केवल जानकारी याद कर लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि उससे जुड़े कौशलों और मानसिक प्रक्रियाओं के विकास पर निर्भर करता है। यह मॉडल बताता है कि बच्चे उदाहरणों, तुलना, वर्गीकरण, विश्लेषण और सामान्यीकरण के माध्यम से संप्रत्यय बनाते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों को वास्तविक वस्तुओं, चित्रों, गतिविधियों तथा समस्याओं से जोड़कर उन्हें अवधारणा के मूल गुणों को पहचानने में सहायता करता है। इस मॉडल में सक्रिय भागीदारी, अभ्यास, प्रतिक्रिया और निरंतर स्पष्टिकरण आवश्यक हैं। इससे विद्यार्थियों में संप्रत्ययों की गहरी, स्थायी और प्रयोगयोग्य समझ विकसित होती है।


प्रश्न (06) सीखना और परिपक्वता में क्या संबंध है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें ।

How is learning related with maturity ? Clarify it with examples.

उत्तर  -

सीखना और परिपक्वता एक-दूसरे से गहराई से जुड़े होते हैं। परिपक्वता प्राकृतिक, जैविक एवं आयु-आधारित विकास है, जो बिना प्रशिक्षण के स्वतः होती है; जबकि सीखना अनुभव, अभ्यास और वातावरण के प्रभाव से प्राप्त होता है। परिपक्वता सीखने की क्षमता का आधार तैयार करती है, अर्थात कुछ कौशल तभी सीखे जा सकते हैं जब संबंधित शारीरिक या मानसिक अंग पर्याप्त रूप से विकसित हो जाएँ। उदाहरणतः—बच्चा लिखना तभी सीखता है जब उसकी उंगलियों की मांसपेशियाँ परिपक्व होकर पकड़ने और नियंत्रित करने योग्य हो जाती हैं। इसी प्रकार नैतिक या तार्किक सोच भी आयु-उपयुक्त परिपक्वता के बाद ही प्रभावी रूप से विकसित होती है।


अथवा / OR

प्रश्न- 'सीखने का आकलन' एवं 'सीखने के लिए आकलन' में अन्तर स्पष्ट करें ।

Differentiate between "Assessment of learning" and "Assessment for learning"

उत्तर  -

‘सीखने का आकलन’ (Assessment of Learning) वह प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी ने क्या सीखा है, इसका मूल्यांकन किया जाता है। यह प्रायः इकाई, सत्र या वर्ष के अंत में किया जाता है तथा अंक, ग्रेड या प्रमाणपत्र देने पर केंद्रित होता है। दूसरी ओर ‘सीखने के लिए आकलन’ (Assessment for Learning) का उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाना है। इसमें शिक्षक निरंतर अवलोकन, प्रश्न, फीडबैक और गतिविधियों के माध्यम से यह समझता है कि विद्यार्थी कहाँ कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इससे शिक्षण में तुरंत सुधार किया जाता है। पहला मूल्यांकन-उन्मुख है, जबकि दूसरा सीखने को सुगम बनाने वाला।


खण्ड - ख / Section - B

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में दें ।

Answer any four questions in approximately 200 to 250 words each.


7. 'सीखने' का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें । - 10

Clarify the meaning of 'Learning' and describe its main characteristics.



8. जीन पियाजे के सिद्धान्त के आधार पर एक पाठ योजना/सीखने की योजना बनायें - 10

Prepare a Lesson Plan/Learning Plan on the basis of Jean Piaget's theory.




9. "सीखने की निर्योग्यता" (लर्निंग डिसेबिलिटि ) से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकारों की विस्तार से चर्चा करें । -10

Q- What do you understand by "Learning disability"? Discuss in detail its various types.




10. वाइगोत्स्की के सिद्धान्त के अनुसार बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में उसके सामाजिक अधिगम और भाषा की क्या भूमिका होती है ? - 10

Q- According to Vygotsky's theory, what is the role of social learning and language in cognitive development of children?





11. निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें -2 × 5 = 10

(क) बहु-बुद्धि के प्रकार

(ख) भाषा तथा विचार

(ग) सीखने में अभिप्रेरणा की भूमिका

(घ) संवेगात्मक विकास ।



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