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ध्वनि-प्रदूषण के स्रोत क्या है? इसका प्रभाव एवं इससे बचाव के उपाय का वर्णन करें।| Dhwani Pradushan ke Srot Prbhav , Bchav ke Upay

ध्वनि-प्रदूषण के स्रोत क्या है? इसका प्रभाव एवं इससे बचाव के उपाय का वर्णन करें।

What are the sources of sound pollution ? Describe its effect and suggestions of protection from it.




ध्वनि-प्रदूषण-Dhwani Pradushan
Post Title:- ध्वनि-प्रदूषण -Dhwani Pradushan   
CourseCTET & B.Ed & D.El.Ed
Question type Subjective
Short Information  ध्वनि-प्रदूषण के स्रोत क्या है? इसका प्रभाव एवं इससे बचाव के उपाय


प्रस्तावना -

ध्वनि जीवन का एक आम लक्षण है। मानव के साथ अन्य जन्तुओं के लिए भी ध्वनि का विशेष महत्व है। ध्वनि का सम्बन्ध गतिज ऊर्जा से है। अतः ध्वनि भी ऊर्जा का एक स्वरूप है। ध्वनि अधिक या कम हो सकती है। यह प्राकृतिक रूप से किसी प्रकार की हलचल चाहे वह किसी वस्तु के गिरने, सरकने या लुढ़कने से हो, चाहे बिजली की कड़क, नदी की धारा प्रवाह, वायु वेग या तूफान के कारण उत्पन्न होती हो, या मानव द्वारा बनाये गये अनेक कृत्रिम उपकरण के कार्यों द्वारा उत्पन्न होती हो। अधिक आवाज वाली ध्वनि, जो सामान्यतया कानों को अप्रिय लगने लगे, शोर की सीमा में आ जाती है, जो ध्वनि प्रदूषण का कारण बन जाती है।


अलेक्जेण्डर ग्राहम बेल ने टेलीफोन के आविष्कार के समय ध्वनि मापन हेतु जो स्केल (पैमाना) दिया था उसकी इकाई डीबी (डेसीबल) कहलाती है। सामान्यतया एक व्यक्ति 70-80 डीबी तक की ध्वनि सहन कर सकता है। अतः 80 डीबी को सामान्य एवं औसत व्यक्ति की ध्वनि श्रवण क्षमता स्वीकार कर ली गई है। इससे अधिक माप की आवाज चाहे वह सुरमय संगीत ही क्यों न हो, शोर की श्रेणी में आ जाती है और वह ध्वनि प्रदूषण का कारण है। अतः कोई भी ध्वनि जब मानसिक क्रियाओं में विघ्न उत्पन्न करने लगती है तो इसे शोर कहते हैं और शोर के कारण उत्पन्न अवांछित शारीरिक अथवा मानसिक प्रभाव ही ध्वनि प्रदूषण को जन्म देता है। इस प्रकार सामान्यतया 25 से 65 डेसीबल तक की ध्वनि को शान्त, 66 से 75 डेसीबल तक की ध्वनि को साधारण तथा 75 डेसीबल से अधिक की ध्वनि को शोर कहा जा सकता है।


ध्वनि प्रदूषण के स्त्रोत (Sources of Sound Pollution)

1. प्राकृतिक स्रोत (Natural Sources)
2. कृत्रिम स्रोत (Artificial Sources)



1. प्राकृतिक स्रोत (Natural Sources)-

इसके अंतर्गत आँधी, तूफान, तेज वर्षा, बिजली की कड़कड़ाहट आदि आते हैं।

2. कृत्रिम स्रोत (Artificial Sources)-

इसके अंतर्गत वे सभी साधन आते हैं, जिनका आविष्कार औद्योगीकरण तथा भौतिकवाद से जुड़ा है। जैसे- वाहनों के सायरन, रेडियो, टेपरिकार्डर, लाउडस्पीकर, जनरेटर, परमाणु विखण्डन आदि की आवाजें।



ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव (Effect of Sound Pollution)

1. मनुष्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर (On Physical and Mental Health of Human Being)

2. छोटे जीव की जैविक क्रिया पर (On Life Activities of Small Living Creatures)

3. सामाजिक परेशानियाँ बढ़ाने पर (On Increasing Social Troubles)





ध्वनि प्रदूषण से बचाव (Protection from Sound Pollution)

1. शोर के ध्वनि स्रोत पर नियंत्रण (To Control on the sources of High Decibal Sound)

2. शोर को फैलने से रोकना (To prevent the spread of High Decibal Sound)

3. मनोरंजन के साधनों को धीमी आवाज में बजाना (Playing on Electronic Sources in Low Sound)

4. लाउडस्पीकर जूलुस आदि पर रोक लगाना (To prevent on the use of Loudspeakers, etc.)

5. कारखानों में काम करने वाले व्यक्तियों को कान में प्लग लगाना (Use Plugin ears for working Man in Industries)

6. परमाणु परीक्षण पर रोक लगाना (to Prevent on Nuclear Testing)

7. ध्वनि प्रदूषण के बारे में लोगों को शिक्षित करना (TO Educate the People about Sound Pollution)


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