Type Here to Get Search Results !

कक्षा -10 अध्याय 01 -यूरोप में राष्ट्रवाद | YUROPE ME RASTRVAD

कक्षा -10 अध्याय 01 -यूरोप में राष्ट्रवाद

यूरोप में राष्ट्रवाद : उदय ONE LINER
 
 

* फ्रांसीसी दार्शनिक रेनन के अनुसार राष्ट्र एक बड़ी और व्यापक एकता है जिसे फ्रांसीसी कलाकार सारयू ने कल्पना से चित्रित किया।

* शिक्षित मध्यमवर्ग के उदय और कुलीनों की जीवन शैली का प्रभाव राष्ट्रवाद के विकास में सहायक होते हैं।

* 1789 की क्रांति के बाद राजशाही को समाप्त कर, फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने यूरोप में राष्ट्रवाद का प्रसार किया।

* नेपोलियन ने विजित राज्यों में नेपोलियन संहिता लागू कर विशेषाधिकार समाप्त कर कानून के समक्ष सबको बराबरी का अधिकार दिया। इससे तानाशाही के विरुद्ध आवाजें उठीं।

* कानून के समक्ष सबको बराबरी, निरंकुशवाद के स्थान पर संविधान और प्रतिनिधि सरकार की स्थापना पर बल, आर्थिक क्षेत्र में मुक्त व्यापार का समर्थन तथा व्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल दिया जाता है।

* मेटरनिक व्यवस्था द्वारा निरंकुशवाद को बढ़ावा तथा राष्ट्रवाद और संसदीय प्रणाली के विकास को रोकने का प्रयास किया गया।

* क्रांतिकारियों ने उदारवाद और राष्ट्रवाद के विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

* रूमानिवादियों ने संस्कृति द्वारा राष्ट्रवाद की भावना का विकास करने का प्रयास किया।

* ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के द्वारा 1707 के ऐक्ट ऑफ यूनियन द्वारा यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया।

* जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी और बोहेमिया में 1848 में क्रांतियाँ हुई और फ्रांस में द्वितीय गणराज्य की स्थापना हुई।

* यूरोप के मरीज' ऑटोमन साम्राज्य की दुर्बलता का लाभ उठाकर 1832 में कुस्तुनतुनिया की संधि द्वारा स्वतंत्र यूनान राष्ट्र की स्थापना की।

* मेजिनी, काबर और गैरबाल्डी तथा विक्टर इमैनुएल के प्रयासों द्वारा 1870 में एकीकृत इटली का जन्म हुआ।

* बिस्मार्क की (रक्त और तलवार) की नीति द्वारा 1871 में प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण हुआ।

* पर्यावरण के वे सारे अवयव जो विद्यमान तकनीक की सहायता से मानव जीवन की आवश्यकताओं को पूर्ण करने की क्षमता रखता है, संसाधन कहलाता है। * मानव भी एक संसाधन है।

* तकनीक अथवा प्रौद्योगिकी का विकास मानव की क्षमता और कुशलता पर निर्भर करता है

* संसाधन होते नहीं, बनते हैं।

* संसाधन का निर्माता एवं उपभोगकर्ता, दोनों मानव ही है।

* मनुष्य के आर्थिक विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धि अत्यावश्यक है।

* संसाधनों का वर्गीकरण :

(क) उपलब्धता के आधार पर

प्रकृतिप्रदत्त एवं मानवकृत

(ख) स्रोत के आधार पर जैविक और अजैविक

(ग) पुनः प्राप्ति के आधार पर नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय

(घ) स्वामित्व के आधार पर-निजी, सामुदायिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय

(ङ) विकास के स्तर के आधार पर

* संभाव्य, ज्ञात, भंडारित एवं संचित

* प्रकृति द्वारा दी गई सभी वस्तुएँ एवं पदार्थ-जैसे-हवा, जल, भूमि इत्यादि प्रकृति प्रदत्त संसाधन है।

* भवन, सड़क, रेल लाइन, स्कूल, कॉलेज एवं अन्य संस्थान इत्यादि मानवकृत संसाधन पेड़, पौधे, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, मानव इत्यादि जैविक संसाधन है।

* वातावरण के सभी निर्जीव पदार्थ जैसे खनिज, चट्टान, मिट्टी, नदियाँ, पर्वत, पठार इत्यादि अजैविक संसाधन है।

* प्रकृति द्वारा स्वतः बननेवाले संसाधन, जैसे—सूर्य-प्रकाश, हवा, पानी, पेड़-पौधे, जीव-जंतु इत्यादि नवीकरणीय संसाधन है।

* एक बार प्रयोग होने पर खत्म होनेवाले संसाधन, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम एवं अन्य खनिज अनवीकरणीय संसाधन कहलाते है।

* मकान, कृषि, भूमि, कार, मोटरसाइकिल, टेलीफोन, साइकिल इत्यादि निजी संसाधन कहलाते हैं।

* चरागाह, मंदिर, खेल का मैदान, तालाब, श्मशान भूमि, बाजार, पंचायत भूमि, विद्यालय भवन, पर्यटन स्थल इत्यादि सामुदायिक संसाधन कहलाते हैं।

* किसी देश के अंदर पाए जानेवाले सभी प्रकार के संसाधन राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। सागर तट से दूर 19.2 किमी. तक का भाग भी राष्ट्रीय संपत्ति है।

* 19.2 किमी. के बाहर का सागरीय क्षेत्र एवं उसमें पाया जानेवाला संसाधन अंतर्राष्ट्रीय संसाधन कहलाती है।

* जिन संसाधनों का उपयोग वर्तमान में किसी कारण से नहीं हो रहा हो परंतु जिनके उपयोग की संभावना है, संभाव्य संसाधन कहलाते हैं। जैसे—भारत में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा इत्यादि।



कक्षा -10 अध्याय 01 -यूरोप में राष्ट्रवाद | YUROPE ME RASTRVAD OBJECTIVE

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad