CREATING AN INCLUSIVE SCHOOL
समावेशी विद्यालय का सृजन
विषय | समावेशी विद्यालय का सृजन |
SUBJECT | CREATING AN INCLUSIVE SCHOOL |
COURSE | B.Ed 2nd Year |
PAPER CODE | PAPER -10 |
AB JANKARI इस पेज में बी.एड सेकेण्ड इयर पेपर समावेशी शिक्षा सिलेबस , समावेशी शिक्षा क्वेश्चन पेपर ,समावेशी शिक्षा असाइनमेंट , समावेशी शिक्षा नोट्स ,समावेशी शिक्षा बुक पीडीएफ डाउनलोड को सामिल किया गया है |
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प्रश्न -1 विकलांग अक्षम तथा बीमार बालको के लिए शैक्षिक प्रवधानो का वर्णन करे
उत्तर - विकलांग और बीमार बच्चों के लिए शैक्षिक प्रावधान बच्चों के विशेष शैक्षिक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप बनाए जाते हैं। इन बच्चों के लिए शिक्षा का उद्देश्य उन्हें समान अवसर प्रदान करना, उनकी विशिष्ट क्षमताओं के अनुरूप शिक्षा देना और समाज में समान अधिकारों के साथ जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रावधान किए जाते हैं:
1. विशेष शिक्षा (Special Education)
विकलांग और बीमार बच्चों के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियाँ तैयार की जाती हैं। इसमें बच्चों की शारीरिक और मानसिक क्षमताओं के आधार पर शिक्षा दी जाती है। उदाहरण के लिए, कुछ बच्चों को सामान्य कक्षा में शिक्षा मिल सकती है, जबकि कुछ को विशेष कक्षाओं में भेजा जाता है, जहाँ उनके लिए अलग तरीके से शिक्षा दी जाती है।
2. व्यक्तिगत शिक्षा योजना (Individualized Education Plan - IEP)
प्रत्येक विकलांग या बीमार बच्चे के लिए व्यक्तिगत शिक्षा योजना बनाई जाती है। यह योजना बच्चे की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है, जिसमें उसके लिए निर्धारित लक्ष्यों, उपायों और शिक्षण पद्धतियों का विवरण होता है। IEP में बच्चे की प्रगति की निगरानी भी की जाती है और समय-समय पर आवश्यक समायोजन किए जाते हैं।
3. समावेशी शिक्षा (Inclusive Education)
समावेशी शिक्षा का मतलब है कि विकलांग और सामान्य बच्चों को एक ही कक्षा में एक साथ शिक्षा दी जाती है, ताकि वे एक दूसरे से सीख सकें और सामाजिक एकता का अनुभव कर सकें। इसमें बच्चों को शिक्षा, गतिविधियाँ और खेल सभी सामान्य बच्चों के साथ मिलकर करने का अवसर मिलता है। इसमें विशेष शिक्षक और सहायक कर्मचारियों की मदद भी दी जाती है।
4. सहायक उपकरण और प्रौद्योगिकी (Assistive Devices and Technology)
विकलांग बच्चों के लिए सहायक उपकरण जैसे व्हीलचेयर, बृल (ब्रेल) पुस्तकें, सुनने के उपकरण, स्पीच-टू-टेक्स्ट सॉफ़्टवेयर, और अन्य प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है, जो उनके शिक्षा में सहायक होते हैं। इसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा को अधिक सुलभ और उपयोगी बनाया जाता है।
5. विशेष शैक्षिक प्रशिक्षक (Specialized Educators)
विकलांग बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षक होते हैं, जो बच्चों की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक आवश्यकताओं को समझकर उनकी शिक्षा देते हैं। ये प्रशिक्षक बच्चों के विभिन्न विकासात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उनके लिए उपयुक्त शिक्षण विधियाँ अपनाते हैं।
6. शारीरिक और मानसिक समर्थन (Physical and Mental Support)
विकलांग बच्चों को शारीरिक और मानसिक सहायता प्रदान की जाती है। शारीरिक उपचार जैसे फिजिकल थेरेपी, और मानसिक समर्थन जैसे काउंसलिंग और मानसिक विकास से संबंधित गतिविधियाँ बच्चों के शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने और समाज में समग्र रूप से विकास करने में मदद करती हैं।
7. सामाजिक और भावनात्मक समर्थन (Social and Emotional Support)
विकलांग बच्चों के लिए सामाजिक और भावनात्मक समर्थन बहुत जरूरी है। इसके लिए काउंसलिंग, सहायता समूह, और खेल गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिससे बच्चों को अपनी स्थिति से निपटने में मदद मिलती है और वे आत्मनिर्भर बन पाते हैं।
8. पारिवारिक सहयोग (Parental Involvement)
विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा में परिवार का सहयोग भी महत्वपूर्ण है। माता-पिता को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाता है ताकि वे बच्चे के विकास को समझ सकें और उसकी आवश्यकताओं के अनुसार घर पर भी सहायता प्रदान कर सकें।
9. समाज में समावेश (Social Integration)
विकलांग बच्चों को समाज में समावेशी बनाने के लिए उन्हें विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर दिए जाते हैं। इससे बच्चों को समाज में सम्मान और स्वीकार्यता मिलती है और वे आत्म-सम्मान महसूस करते हैं।
10. नौकरी और करियर विकास (Vocational Training and Career Development)
विकलांग बच्चों के लिए भविष्य में आत्मनिर्भर बनने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और करियर विकास की योजनाएं भी बनाई जाती हैं। यह उन्हें रोजगार की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है और वे अपने जीवन को स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम होते हैं।
निष्कर्ष:
विकलांग और बीमार बच्चों के लिए शैक्षिक प्रावधान इस उद्देश्य से बनाए जाते हैं कि वे शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग कर सकें और समाज में समान अधिकारों के साथ समर्पित योगदान दे सकें। ऐसे बच्चों के लिए शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह उन्हें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
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प्रश्न-2 श्रवण क्षति युक्त बालको की शिक्षा का वर्णन करे
उत्तर-1. विशेष शिक्षण विधियाँ (Special Teaching Methods)
श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष शिक्षण विधियों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं:
कुलरी भाषा (Total Communication): इसमें भाषा के सभी रूपों का उपयोग किया जाता है जैसे कि संकेत भाषा, श्रवण उपकरण, lip-reading (होंठों के माध्यम से पढ़ना), और लेखन, ताकि बच्चे को अधिकतम जानकारी प्राप्त हो।
संकेत भाषा (Sign Language): बहुत से श्रवण क्षति युक्त बच्चों के लिए संकेत भाषा का उपयोग सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है। यह एक मानकीकृत प्रणाली है, जिसमें हाथों के इशारों के माध्यम से बातें की जाती हैं। यह बच्चों को भाषा और संचार के साथ जोड़ने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
वाचन और लेखन (Reading and Writing): इन बच्चों को पढ़ाई और लेखन पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि यह उनके विचारों को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका होता है।
2. सहायक उपकरण और प्रौद्योगिकी (Assistive Devices and Technology)
श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए विभिन्न सहायक उपकरण और तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो उनकी सुनने की क्षमता में मदद करते हैं:
हियरिंग एड्स (Hearing Aids): यह श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए एक सामान्य उपकरण है, जो उनके कान में लगाए जाते हैं और वे सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
कोचियुलर इम्प्लांट (Cochlear Implants): यह एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया होती है, जिसमें बच्चे के कान के अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस प्रत्यारोपित किया जाता है, जो ध्वनि को सीधे सुनने की प्रणाली में बदलता है।
FM सिस्टम (FM Systems): इसमें एक विशेष माइक्रोफोन और रिसीवर का उपयोग होता है, जिससे बच्चों को शिक्षक की आवाज़ अधिक स्पष्ट रूप से सुनाई देती है, खासकर जब वे एक समूह में होते हैं।
टेक्स्ट-टू-स्पीच सॉफ़्टवेयर (Text-to-Speech Software): यह कंप्यूटर या मोबाइल उपकरणों पर काम करने वाला एक सॉफ़्टवेयर है, जो लिखे गए टेक्स्ट को आवाज़ में बदल देता है, जिससे बच्चों को पढ़ाई में मदद मिलती है।
3. समावेशी शिक्षा (Inclusive Education)
श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें बच्चों को सामान्य कक्षाओं में रखा जाता है, जहाँ वे अन्य बच्चों के साथ मिलकर सीख सकते हैं। इसके लिए विशेष शिक्षक और सहायक उपकरण की आवश्यकता होती है। समावेशी शिक्षा के लाभ हैं:
बच्चों को समाज में घुलने-मिलने का अवसर मिलता है, जो उनकी सामाजिक और मानसिक विकास में मदद करता है।
वे अन्य बच्चों के साथ मिलकर शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
4. व्यक्तिगत शिक्षा योजना (Individualized Education Plan - IEP)
श्रवण क्षति युक्त बच्चों के लिए एक व्यक्तिगत शिक्षा योजना (IEP) तैयार की जाती है, जिसमें उनकी शैक्षिक, सामाजिक और मानसिक जरूरतों के हिसाब से शिक्षा के लक्ष्यों और विधियों का निर्धारण किया जाता है। यह योजना बच्चे की प्रगति के आधार पर समय-समय पर संशोधित की जाती है, ताकि बच्चे के विकास को अधिकतम रूप से बढ़ावा दिया जा सके।
5. अधिकारिक समर्थन (Official Support)
कई देशों में श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए विशेष कानूनी प्रावधान होते हैं, जैसे कि उनके लिए विशेष कक्षाओं का निर्माण, और उन्हें सरकारी स्कूलों में समान शिक्षा अवसर प्रदान करना। इसके तहत इन बच्चों को विशेष शिक्षा के लिए अनुदान, सहायक उपकरण, और संसाधन प्रदान किए जाते हैं।
6. भाषा और संचार (Language and Communication Skills)
श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए भाषा का विकास एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। इन बच्चों को विशेष रूप से संचार कौशल सिखाए जाते हैं, जैसे:
संकेत भाषा: बच्चों को संकेत भाषा सिखाई जाती है, ताकि वे अपनी भावनाओं और विचारों को प्रभावी रूप से व्यक्त कर सकें।
होंठ पढ़ाई (Lip-Reading): बच्चे होंठों के हिलने के माध्यम से बोलचाल को समझने की क्षमता विकसित करते हैं।
स्पीच थेरेपी (Speech Therapy): बच्चों को शब्दों और ध्वनियों का सही उच्चारण सिखाने के लिए स्पीच थेरेपी की जाती है। यह उनकी बोलने की क्षमता को बेहतर बनाता है और उनकी आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
7. सामाजिक और मानसिक विकास (Social and Emotional Development)
श्रवण क्षति वाले बच्चों के लिए मानसिक और सामाजिक विकास के लिए कई गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। ये बच्चों को सामाजिक मेल-जोल, खेल, और अन्य सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से अपने आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ाने में मदद करती हैं। साथ ही, उन्हें अपनी भावना और विचारों को व्यक्त करने के विभिन्न तरीके सिखाए जाते हैं।
निष्कर्ष:
श्रवण क्षति युक्त बच्चों के लिए शिक्षा का उद्देश्य उन्हें समाज में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का होता है। विशेष शिक्षा, सहायक उपकरण, और समावेशी शिक्षा के माध्यम से इन बच्चों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाते हैं, ताकि वे अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें।
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प्रश्न:-(01) WHAT IS FULL MARKS OF CREATING AN INCLUSIVE SCHOOL ?
उत्तर :-AB JANKARI.in - FULL MARKS 40+10=50
प्रश्न:-(02) प्रश्न -
उत्तर :-AB JANKARI -|
SESSION (2020-22)
B.Ed. (2nd year ) Annual Examination 2021
[Paper : C-10 ]
Time : Three Hours. ]
CREATING AN INCLUSIVE SCHOOL ,
समावेशी शिक्षा
[ Maximum Marks :40
B.Ed. (II Year)
Session, 2019-2021
Examination, 2021
Note : Candidates are required to give their answers in their own words as far as practicable. The question are of equal value. Answer five questions selecting one from each unit.
निर्देश : परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें। सभी प्रश्नों के मान बराबर हैं। प्रत्येक इकाई से कम से कम एक-एक प्रश्न चुनते हुए पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
UNIT-I/इकाई-I
Q-1 What do you understand by Special Education? Describe its objectives. 8
विशिष्ट शिक्षा से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन करें।
Q-2. Throw light on the development of Special Education in India.
भारत में विशिष्ट शिक्षा के विकास पर प्रकाश डालें।
Q-3. What is the concept of an inclusive school? What infrastructural resources are needed in an inclusive school?
समावेशी विद्यालय की संकल्पना क्या है? एक समावेशी विद्यालय में किन अवसंरचनात्मक संसाधनों की आवश्यकता होती है?
UNIT-II/इकाई-II
Q-4. Explain the Mental HealthAct.
मानसिक स्वास्थ अधिनियम की व्याख्या करें
Q-5. What are the measures to create Barriers free Environment?
बाधारहित वातावरण तैयार करने के उपाय क्या-क्या
6. Throw light on problem of Gifted children.
प्रतिभाशाली बालक की समस्याओं पर प्रकाश डालें।
UNIT-III/इकाई-III
Q-7. What are the various practices of inclusion which can be used by a teacher in a classroom?
समावेशीकरण की विभिन्न प्रक्रियायें क्या हैं जिन्हें एक शिक्षक कक्षा में प्रयोग कर सकता है?
8. Explain the kind of learning disabilities.
शिक्षण विकलांगता के प्रकार की व्याख्या करें।
9.Write short notes on the following:
निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए :
(a) Nature of inclusion.
समावेशीकरण की प्रकृति का
(b) Teacher's notion of inclusive classroom.
शिक्षकों में समावेशी कक्षाकक्ष की अवधारणा
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(01) Knowledge and Curriculum >>
(02) Assessment for Learning >>
(03) Creating an Inclusive School >>
(04) EPC-4 Understanding the Self >>
O.C-1 Work Education
O.C-2 Knowledge and Curriculum
O.C-3 Peace Education
O.C-4 Guidance and Counseling
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