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Path Yojna ki Ruprekha || पाठ योजना की रूपरेखा || Structure of Lesson Plan pdf

Path Yojna ki Ruprekha

Structure of Lesson Plan

पाठ योजना की रूपरेखा

Path Yojna In hindi

पाठ योजना की रूपरेखा Structure of Lesson Plan

पाठ योजना (Lesson Plan) शिक्षण के लिए  एक बेहतरीन तरीका है। इसके माध्यम से बच्चों को निर्धारित समय में प्रभावी शिक्षा दी  सकती है। कक्षा में अध्यापक या छात्र-अध्यापक द्वारा शिक्षण से पूर्व पाठ योजना तैयार किया जाता है। इसके लिए एक रूपरेखा बनाई जाती है। यहां पाठ योजना की रूपरेखा प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसकी सहायता से आप आसानी से Lession Plan का निर्माण कर  सकते है | 


Post Title:- D.El.Ed.  & B,EdPath Yojna ki Ruprekha || पाठ योजना की रूपरेखा  
Post Date:- 2 Feb 2022
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Short Information DElEd BEd Path Yojna ki Ruprekha || पाठ योजना की रूपरेखा 

(01) सामान्य सूचना (General information)

(02) प्रकरण (Topic):-

(03) सामान्य उद्देश्य (General Purpose)

(04) विशिष्ट उद्देश्य (specific objective)

(05) शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching aids)

(06) शिक्षण विधि (Teaching method)

(07) पूर्व ज्ञान (previous knowledge)

(08) प्रस्तावना (introduction)

(09) उद्देश्य कथन (purpose statement)

(10) प्रस्तुतीकरण (Submission)

(11) श्यामपट कार्य (Blackboard work)

(12) बोधात्मक प्रश्न (comprehension question)

(13) पुनरावृत्ति प्रश्न (Repetition question)

(14) मूल्यांकन प्रश्न (Evaluation question)

(15) गृह कार्य (Home work)





(01) सामान्य सूचना (General information)

पाठ योजना को तैयार करने में सामान्य सूचना पाठ योजना( Lesson plan) में उपलब्ध कराना एक महत्वपूर्ण चरण होता है. पाठ योजना में सबसे पहले पाठ योजना संख्या, विद्यालय का नाम, छात्र-अध्यापक का नाम, कक्षा, विषय, उपविषय, दिनांक, कलांश/घंटी/चक्र, अवधि इत्यादि शामिल किया जाता है।



(02) प्रकरण (Topic)

पाठ योजना को तैयार करने में सामान्य सूचना के बाद प्रकरण शामिल किया जाता है। जिससे संबंधित कक्षा लेना होता है उसे प्रकरण या टॉपिक (Topic) कहा जाता है। जैसे- प्रथम विश्व युद्ध ।



(03) सामान्य उद्देश्य (General Purpose):-

पाठ योजना को तैयार करने में सामान्य उद्देश्य लिखना बहुत आवश्यक है | जिस विषय या उपविषय की कक्षा ली जा रही है, उससे संबंधित उद्देश्य को सामान्य उद्देश्य कहते हैं। एक पाठ योजना तैयार करने में 8 से 10 तक सामान्य उद्देश्य लिख सकते हैं। ये सामान्य उद्देश्य एक विषय/उपविषय के लिए सभी पाठ योजनाओं में एक ही हो सकता है। ये जरुरी नही की सभी लेसन प्लान में अलग अलग सामान्य उदेश्य हो अर्थात् सभी पाठ योजनाओं में इन सामान्य उद्देश्यों को रिपीट कर सकते हैं। जैसे गणित विषय के लिए गणित से संबंधित सामान्य उद्देश्यों को यहां दुबारा लिख सकते हैं। सामान्य उदेश्य विषयानुसार (जैसे- हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, आदि विषयों) में पाठ योजना में अलग-अलग होते हैं | आवश्यकता के अनुसार कुछ परिवर्तन कर सकते है |



(04) विशिष्ट उद्देश्य (specific objective)

पाठ योजना को तैयार करने में विशिष्ट उदेश्य का महत्वपूर्ण भूमिका है| हरेक पाठ योजना में विशिष्ट उद्देश्य भिन्न-भिन्न होता है। ये विशिष्ट उद्देश्य प्रकरण अर्थात टॉपिक (topic) पर निर्भर करता है। जिस पाठ योजना का जो प्रकरण है अर्थात टॉपिक है उस पाठ योजना का विशिष्ट उद्देश्य उसी से संबंधित होगा। एक पाठ योजना में तीन से पांच तक विशिष्ट उद्देश्य लिख सकते हैं। जैसे- प्रकरण यदि “प्रथम विश्व युद्ध ” है तो इससे संबंधित तीन से पांच विशिष्ट उद्देश्य लिख सकते हैं। पाठ योजना बनाते के समय पाठ(lesson) को पढ़ाने में जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आप पाठ पढ़ा रहे वह इसमें लिखा जाता है| विशिष्ट उद्देश्य चार प्रकार के हो सकते है इसमें शिक्षक पाठ के अनुसार तय कर सकता है.-

( i ) ज्ञानात्मक
( i i ) बोधात्मक,
( i i i ) प्रयोगात्मक
( i v ) कौशलात्मक

नोट - विशिष्ट उद्देश्य को ज्ञानात्मक, बोधात्मक ,प्रयोगात्मक ,कौशलात्मक भागो में बाटना आवश्यक नही |



(05) शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching aids)

पाठ योजना को तैयार करने में कक्षा में पाठ अध्यापन के दौरान अधिगम सामग्री की आवश्यकता पड़ती है। जिसे शिक्षण सहायक सामग्री कहा जाता है। जिसका उल्लेख पाठ योजना में भी करना आवश्यक होता है। जैसे:- चाक, डस्टर, मानचित्र, किताब, ग्लोब, OHP ,प्रोजेक्टर इत्यादि। यह शिक्षक आपने पाठ के अनुसार तय करता कि उसको किन-किन शिक्षण सहायक सामग्री की आवश्यकता है |



(06) शिक्षण विधि (Teaching method) :-

पाठ योजना को तैयार करने में कक्षा में अध्यापन के लिए कई तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। जैसे कहानी के द्वारा कहानी विधि, उदाहरण के द्वारा आगमन विधि, प्रश्नों के माध्यम से प्रश्नोत्तर विधि, भाषण के द्वारा व्याख्यान विधि इत्यादि शिक्षण विधि का प्रयोग किया जाता है। इन विधियों को शिक्षण विधि कहते हैं| अध्यापक/ अध्यापिका कौन-कौन सी शिक्षण विधि का इस्तेमाल करेंगे. उसे यहाँ लिखा जाता है.



(07) पूर्व ज्ञान (previous knowledge)

पाठ योजना को तैयार करने में पूर्व ज्ञान में बच्चों को पढ़ाई जाने वाले पाठ से संबंधित ज्ञान, जो पहले से उन्हें मालूम है यहां उसका उल्लेख करना है। जैसे:- हमारा टॉपिक – “ प्रथम विश्व युद्ध ” तो इस प्रकरण में पूर्व ज्ञान होगा “बच्चे युद्ध के बारे में सामान्य जानकारी रखते हैं”



(08) प्रस्तावना (introduction)

पाठ योजना को तैयार करने में प्रस्तावना के प्रश्न पढ़ाए जाने वाले पाठ से संबंधित पूर्व ज्ञान पर आधारित होते हैं। इसमें आसान से आसान प्रश्न पूछे जाते हैं। ताकि बच्चों को विषय वस्तु (Topic) पर लाया जा सके। इसमें तीन से पांच प्रश्न दे सकते हैं, अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है। वैसे प्रश्न जिसे बच्चे उत्तर नहीं दे पाते हैं उसे समस्यात्मक प्रश्न कहा जाता है। इसी से पाठ अर्थात प्रकरण (topic) की शुरुआत की जाती है।



(09) उद्देश्य कथन (purpose statement)

पाठ योजना को तैयार करने में इस चरण में पाठ को पढने के बाद छात्र के कौन-कौन से उद्देश्य पूरे होंगे, उनको लिखा जाता है.



(10) प्रस्तुतीकरण (Submission)

पाठ योजना को तैयार करने में पाठ योजना के इस भाग का खास महत्व है | पाठ योजना के इस भाग में बच्चों के समक्ष नवीन ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है। अर्थात जो पाठ पढ़ाना है उसे इसी भाग में अध्यापक/छात्र-अध्यापक प्रस्तुत करते हैं। इसे शिक्षण बिंदु, अध्यापक क्रियाकलाप, छात्र-छात्रा क्रियाकलाप तथा श्यामपट्ट कार्य के रूप में चार भागों में विभक्त किया जा सकता है। इसके अंतर्गत प्रस्तुतीकरण के बीच में बोध प्रश्न तथा सबसे अंतिम में पुनरावृति, मूल्यांकन तथा गृह कार्य से संबंधित क्रियाकलाप शामिल है। इसमे आंशिक परिवर्तन सम्भव है |



(11) श्यामपट्ट कार्य (Blackboard work)
:-

पाठ योजना को तैयार करने में श्यामपट्ट कार्य का महत्वपूर्ण भूमिका है | अध्यापक या छात्र-अध्यापक प्रस्तुतीकरण के बीच में श्यामपट्ट (Black Board) पर कुछ महत्वपूर्ण बातों को लिखते हैं, या चित्र बनाते हैं। जिसे विद्यार्थी अपने नोटबुक में नोट भी करते हैं। इसे श्यामपट्ट क्रियाकलाप कहते हैं। श्यामपट्ट कार्य से विद्यार्थी सक्रिय (Active) रहते हैं। तथा इससे टीचिंग विद्यार्थी केन्द्रित हो जाती है |



(12) बोधात्मक प्रश्न (comprehension question)

पाठ योजना को तैयार करने में बोधात्मक प्रश्न को भी सामिल किया जाता है | प्रस्तुतीकरण के बीच में ही पढ़ाए जा रहे पाठ से बच्चों के ज्ञान परखने के लिए दो या तीन प्रश्न पूछे जाते हैं, उसे बौद्ध प्रश्न करते हैं। यह प्रश्न अति लघु उत्तरीय होते हैं।जिनसे कम समय लगे और शिक्षक पढ़ा सके |



(13) पुनरावृत्ति प्रश्न (Repetition question)

पाठ योजना को तैयार करने पाठ समाप्ति के उपरांत पाठ को संक्षिप्त में दोहराया जाता है, उसे पाठ का पुनरावृति कहते हैं।


(14) मूल्यांकन प्रश्न (Evaluation question)

पाठ योजना को तैयार करने में मूल्यांकन के प्रश्न जोड़े जाते है | अध्यापक द्वारा पढ़ाए गए पाठ से अध्यापक बच्चों से प्रश्न पूछते हैं। जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति का भी ज्ञात होता है। साथ ही यह भी पता चलता है कि बच्चों ने कहां तक नवीनतम ज्ञान सीखा है। उसे मूल्यांकन कहते हैं। इसमें तीन से पांच प्रश्न पूछे जा सकते हैं। तीन प्रश्नों में दो प्रश्न अति लघु उत्तरीय तथा एक प्रश्न लघु उत्तरीय हो सकता है। जिससे यह पता चलता कि बालको ने कितना नवीन ज्ञान अर्जित किया है।



(15) गृह कार्य (Home work)

पाठ योजना को तैयार करने में सबसे अंत में पढ़ाए गए पाठ से कुछ प्रश्न के रूप में गृह कार्य के लिए दिया जाता है। जिसे श्यामपट्ट भी पर भी लिखा जाता है। इसे स्टूडेंट्स अपने नोटबुक में नोट कर लेते हैं और अगले दिन उसे घर से बना कर लाते हैं। जिसे अध्यापक अगले दिन नोटबुक को चेक करते हैं। गृह कार्य के रूप में दो से तीन प्रश्न दिए जा सकते हैं जो लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय हो सकते हैं।





Path Yojna ki Ruprekha pdf 

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