प्रतिभाशाली बालक
Gifted Children
जिन बालकों की बुद्धि सामान्य बालकों से अधिक होती है उन्हें प्रतिभाशाली बालक कहा जाता है। किसी भी राष्ट्र अथवा समाज की प्रगति उस राष्ट्र के प्रतिभाशाली बालकों के ऊपर निर्भर करती है। प्रतिभाशाली बालकों में विकास की अधिक सम्भावनायें होती हैं । उच्च मानसिक योग्यता वाले बालकों को इंगित करने के लिए अनेक शब्दों जैसे-प्रतिभाशाली बालक (The Gifted), श्रेष्ठ बालक (Superior Children), निपुण बालक (Talented Children), तीत्र सीखने वाले (Rapid Learners), होशियार छात्र (Brilliant Students) तथा तीव्र छात्र (Bright Students) आदि का प्रयोग किया जाता है। ये सभी शब्द लगभग एक दूसरे के पर्यायवाची के रुप में योग्यता, उपलब्धि, क्षमता आदि में सामान्य वालकों से सार्थक रुप से अधिक योग्यता वाले बालकों के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं। सामान्य तौर पर प्रतिभाशाली बालकों को उच्च बुद्धि (High Intelligence) के आधार पर परिभापित किया जाता है। प्रतिभा को सामान्य वौद्धिक योग्यता अथवा विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, संगीत, नेतृत्व आदि में विशिष्ट योग्यता के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है । बौद्धिक दृष्टि से प्रतिभाशाली बालकों से तात्पर्य उच्च बुद्धिलब्धि (I.Q.) वाले बालका से है। वृद्धिलब्धि से तात्पर्य मानसिक आयु व शारीरिक आयु के अनुपात से है जिसे 100 से गुणा करके दशमलव बिन्दु हटा दिया जाता है । अतः
बुद्धिलब्धि (IQ) = मानसिक आयु x 100/
शारीरिक आयुविभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने विशिष्ट बालकों की वद्धिलब्धि के लिए भिन्न-भिन्न सीमायें बताई हैं। जैसे टरमैन ने 140 से अधिक बुद्धिलब्धि (IQ) वाले बालको का प्रतिभाशाली कहा, जवकि डनलप ने 132 से अधिक वद्धिलब्धि (IQ) वाले वालको का प्रतिभाशाली माना है। सामान्य तौर पर 130 से अधिक वुद्धिलब्धि वाले वालकों को प्रतिभाशाली वालक माना जा सकता है। कुछ: विद्वान वृद्धि की दृष्टि से श्रेष्ठ दो से पाँच प्रतिशत वालकों को प्रतिभाशाली वालक मानते हैं। इसके विपरीत कुछ विद्वान विभिन्न क्षेत्रों में उनके द्वारा किये जाने वाले असाधारण प्रदर्शन (Unusal Performance) को प्रतिभा की कसौटी मानते हैं। उनके अनुसार संगीत, कला, अभिनय, लेखन, गायन आदि क्षेत्रों में असाधारण योग्यता वाले वालकों को प्रतिभाशाली बालक माना जा सकता है।
प्रतिभाशाली बालकों की विशेषतायें
Characteristics of the Gifted Children
प्रतिभाशाली वालकों की प्रमुख विशेषतायें निम्नवत् हैं
1. इनकी पढ़ने-लिखने में अधिक रुचि होती है।
2. इनका शब्द भंडार व्यापक होता है।
3. ये कठिन विषयों में रुचि लेते हैं।
4. इनकी ज्ञानेन्द्रियों का विकास तीव्र गति से होता है।
5. इनमें मानसिक क्रियाओं जैसे अवधान, निरीक्षण, प्रत्यक्षीकरण, प्रत्ययीकरण, कल्पना, तर्क, चिन्तन, निर्णय, व स्मरण करने की क्षमता अधिक तीव्र होती है।
6. इनका सामान्य ज्ञान अधिक अच्छा होता है।
7. ये अद्भूत विषयों में अधिक रुचि लेते हैं।
8. ये समस्याओं का समाधान शीघ्र कर लेते हैं।
9. इनमें वौद्धिक नेतृत्व के गुण होते हैं।
10. ये विद्यालयी. परीक्षाओं में अधिक अंक पाते हैं।
11. बुद्धि परीक्षाओं में इनके अंक अधिक होते हैं।
12. इनके क्रियाकलापों में विभिन्नतायें पाई जाती हैं।
13. ये अपना विद्यालयी कार्य तथा गृह कार्य शीघ्रता से कर लेते हैं।
14. इनमें अन्तर्दृष्टि अधिक होती है।
प्रतिभाशाली बालकों की उपरोक्त वणित विशेषताएं उनकी सामकिन विशेषताओं को इंगित करती है तथा यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक प्रतिभाशाली बाल में ये सभी विशेषतायें विद्यमान हों।
प्रतिभाशाली बालकों की पहचान
Identification of the Gifted Children
प्रतिभाशाली बालकों के लिए किए जाने वाले शैक्षिक प्रावधानों की चर्चा करने से पूर्व यह आवश्यक है कि उन्हें पहचानने की विधियों का वर्णन किया जाये। प्रतिभाशाली बालकों के पहचानने के उपरान्त ही उनके लिए विशिष्ट शैक्षिक देखभाल करना सम्भव हो सकता है। प्रतिभाशाली बालकों को पहचानने के लिए विधिवत् अवलोकन (Systematic Observation) तथा मानकीकृत परीक्षणों (Standardized Tests) का प्रयोग किया जा सकता है। कुछ योग्यताओं की पहचान परीक्षणों के द्वारा की जा सकती है तथा कुछ योग्यताओं को जानने के लिए अवलोकन विधि का ही उपयोग करना होता है जबकि कुछ योग्यताओं को जानने के लिए इन दोनों को ही प्रयोग में लाना होता है। प्रतिभाशाली बालकों की पहचान के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली इन दोनों विधियों के विभिन्न उपप्रकारों के नाम आगे प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इनकी विस्तृत चर्चा अन्यत्र की गई है।
1. विधिवत् अवलोकन
(Systematic Observation)
A. अध्यापक निर्णय (Judgement of Teachers)
B. सहपाठी निर्णय (Judgement of Classmates)
2. मानकीकृत परीक्षण (Standardized Tests)
A. समूह बुद्धि परीक्षण (Group Tests of Intelligence)
B. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Tests of Intelligence)
C. सम्प्राप्ति परीक्षण (Tests of Achievement)
D. विशिष्ट योग्यता परीक्षण (Tests of Special Abilities)
E. रुचि सूचि (Interest Inventories)
E. व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Tests)
इनमें से उपयुक्त उपकरणों का प्रयोग करके अध्यापकगण अपनी कक्षा अथवा विद्यालय के प्रतिभाशाली बालकों की पहचान कर सकते हैं।
प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा
Education of the Gifted Children
प्रतिभाशाली बालकों के लिए कौन कौन से विशेष शैक्षिक प्रयास किये जाने चाहिए, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है । प्रायः प्रतिभाशाली बालकों की शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है तथा अध्ययन की दृष्टि से उनकी समस्यायें नहीं होती हैं। यही कारण है कि प्रायः कहा जाता है कि ऐसे बालकों की शिक्षा की चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वे स्वयं अपनी पढ़ाई ठीक ढंग से कर लेगें। दरअसल प्रतिभाशाली बालको में शारीरिक दृष्टि से विकलांग बालकों जैसे गंगे, बहरे, अन्धे आदि की तरह से अथवा मानसिक दृष्टि से पिछडे बालकों की तरह से अपनी ओर विशिष्ट ध्यान आकषित करन की संवेगात्मक अपील (Emotional Appeal) नहीं होती है। यही कारण है कि पहले प्रतिभाशाली बालकों के लिए विशिष्ट शैक्षिक कार्यक्रमों के विचार को हतोत्साहित किया जाता रहा था, परंतु विगत कुछ वर्षों में विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में हुए आविष्कारों तथा उनमें प्रतिभाशाली व्यक्तियों के द्वारा किए गए योगदान को ध्यान म रखकर अब प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रतिभाशाली बालकों के लिए उपयोगी तथा प्रभावशाली शैक्षिक व्यवस्था करने के लिए अनेक विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। प्रतिभाशाली बालको के वांछित सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करने के विशिष्ट कक्षाओं (Special Class), तीव्र गति से आगे बढाने (Acceleration) की व्यवस्था तथा संपुष्ट कार्यक्रमों (Enrichment Programme) का प्रयोग किया जा सकता है।
विद्यालय में प्रतिभाशाली वालकों की शिक्षा को निम्न ढंग से प्रोत्साहित किया जा सकता है
1. विशिष्ट कक्षायें (Special Classes)
प्रतिभाशाली बालकों के लिए "विशिष्ट कक्षा-विशिष्ट पाठ्यक्रम अभिगमन" एक अत्यंत महत्वपूर्ण विधा है । इसके अंतर्गत प्रतिभाशाली बालकों को अधिक व्यापक तथा विस्तृत पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है जिससे उनकी विशिष्ट योग्यताओं का अधिक से अधिक विकास हो सके।
2. तीव्र गति (Acceleration)-
तीव्र गति से तात्पर्य प्रतिभाशाली बालकों को प्रारम्भ से ही तीव्र गति से शैक्षिक प्रक्रिया से गुजारना है। विद्यालय में जल्दी प्रवेश दिला कर तथा तीव्र गति से विद्यालयी शिक्षा समाप्त करके बालकों की प्रतिभा का विकास किया जा सकता है। वर्ष में एक से अधिक बार कक्षा उन्नति (Skipping) के द्वारा ऐसे बालकों की शैक्षिक गति को तीव्रता प्रदान की जा सकती है।
3. संपुष्ट कार्यक्रम (Enrichment Programme)-
संपुष्ट कार्यक्रम से तात्पर्य प्रतिभाशाली बालकों को अधिक पुष्ट, व्यापक तथा विस्तृत अनुभव कराने से है। प्रतिभाशाली बालकों को पुस्तकालय, भ्रमण आदि की विशेष सुविधायें देकर उनके ज्ञानार्जन में सहायता की जा सकती है।
4. व्यक्तिगत ध्यान (Individual Attention)-
अध्यापकों तथा अभिभावकों को प्रतिभाशाली बालकों के प्रति व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए। इन बालकों को उचित परामर्श तथा निर्देश देकर उनकी विशिष्ट योग्यताओं का अधिकाधिक विकास करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
5. श्रेष्ठ अध्यापक (Excellent Teachers)-
प्रतिभाशाली बालकों को शिक्षा प्रदान करने के लिए श्रेष्ठ अध्यापकों की आवश्यकता होती है। सुयोग्य अध्यापकों के सम्पर्क में आने पर ही वे अपनी क्षमताओं व योग्यताओं का विकास कर सकते हैं। प्रतिभाशाली बालकों के अध्यापकों को ऐसे बालकों के मनोविज्ञान का ज्ञान भी होता चाहिए।
6. प्रोत्साहन (Motivation)-
प्रतिभाशाली बालकों को अपनी योग्यता का अधिकतम विकास करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। परिवार, विद्यालय तथा समाज को प्रतिभाशाली बालकों के विकास में प्रारम्भ से ही रूचि लेनी चाहिए तथा ऐसे अवसर प्रदान करने चाहिए जिससे ऐसे बालकों का सर्वांगीण विकास हो सके।