पियाजे के सिद्धान्त की विशेषता एवं दोष
jean Piyaje Sidhant ke Visheshtaye Aevm Dosh
इस पोस्ट में आप निम्नलिखित दो प्रश्नों का उत्तर दिया गया है
(1) पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त की विशेषताएँ
पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त की विशेषताएँ
इस सिद्धान्त की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास चार भिन्न और सार्वभौमिक अवस्थाओं की शृखला या क्रम में होता है। जिनमें विचारों का अमूर्त स्तर बढता जाता है। ये अवस्थाये सदैव एक ही क्रम में होती हैं तथा प्रत्येक अवस्था पिछली अवस्था में सीखी वस्तुओं पर आधारित होती है।
(ii) संज्ञानात्मक विकास में आत्मसातीकरण और संयोजन में समन्वय पर बल दिया जाता है।
(iii) पियाजे ने बालक के ज्ञान को "स्कीमा' से निर्मित माना है। स्कीमा ज्ञान की वह मूल इकाई है जिसका प्रयोग पूर्व अनुभवों को संगठित करने के लिए किया जाता है। जो नये ज्ञान के लिए आधार का काम करती है।
(iv) संज्ञानात्मक विकास में मानसिक कल्पना, भाषा, चिन्तन, स्मृति-विकास, तर्क, समस्या समाधान आदि समाहित होते हैं।
(v) यह सिद्धान्त बताता है कि सीखने हेतु पर्यावरण और क्रिया की आवश्यकता होती है।
(vi) इस सिद्धान्त के अनुसार बालकों में चिंतन एवं खोज करने की शक्ति उनकी जैविक परिपक्वता एवं अनुभव इन दोनों की अन्तःक्रिया पर निर्भर है।
(vii) पियाजे के अनुसार सीखना क्रमिक एवं आरोही प्रक्रिया होती है।
रोजगार एवं शिक्षा सम्बन्धी News & Notes के लिए
सोसल मिडिया लिंक
1
FAST जानकारी के लिए व्हाट एप्प ग्रुप -
व्हाट एप्प ग्रुप ज्वाइन करने के लिए इसे क्लिक करे >>>
2
नोट्स PDF के लिए टेलीग्राम ग्रुप -
टेलीग्राम में ज्वाइन के लिए इसे क्लीक करे >>>
3
News & Notes के लिए फेसबुक पेज
4
News & Notes विडिओ यूट्यूब पर देखने के लिए
रोजगार एवं शिक्षा सम्बन्धी News & Notes के लिए
सोसल मिडिया लिंक
1
FAST जानकारी के लिए व्हाट एप्प ग्रुप -
व्हाट एप्प ग्रुप ज्वाइन करने के लिए इसे क्लिक करे >>>
2
नोट्स PDF के लिए टेलीग्राम ग्रुप -
टेलीग्राम में ज्वाइन के लिए इसे क्लीक करे >>>
3
News & Notes के लिए फेसबुक पेज
4
News & Notes विडिओ यूट्यूब पर देखने के लिए
जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त के दोष
JEAN PIYAJE KE SNGYATMK VIKAS KE SIDHANT KE DOSH
(i) इस सिद्धान्त में केवल ज्ञानात्मक सम्प्रत्ययों की ही व्याख्या की गई है। यहाँ कुछ कमी-सी प्रतीत होती है।
(ii) यह सिद्धान्त बताता है कि मूर्त संक्रियात्मक अवस्था से पहले तार्किक और क्रमबद्ध चिन्तन नहीं कर सकता, जबकि शोधों से यह प्रदर्शित है कि वह पहले भी चिन्तन कर सकता है।
(iii) इस सिद्धान्त में संज्ञानात्मक विकास का एक विशेष क्रम बताया गया है जबकि यह तथ्य भी आलोचना से नही बच सकता है।
(iv) यह सिद्धान्त वस्तुनिष्ठ कम व्यक्तिनिष्ठ अधिक है।
(v) इस सिद्धान्त में विकास के अन्य पक्षों पर ध्यान नहीं दिया गया है।
(vi) पियाजे ने कहा कि संज्ञानात्मक विकास व्यक्ति की जैविक परिपक्वता से सम्बन्धित है।
बिहार डी.एल.एड सेकेण्ड ईयर निचे सभी पेपर का नोट्स का लिंक दिया गया है | जिस पेपर का नोट्स चाहिए , उस पेपर के आगे Clik Here पर क्लिक करे
BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR All Subject Notes
D.El.Ed. 2nd YEAR Paper Code | D.El.Ed. 2nd YEAR Paper(Subject) NAME | Notes Link |
Paper S1 | समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा | |
Paper S2 | संज्ञान सीखना और बाल विकास | |
Paper S3 | कार्य और शिक्षा | |
Paper S4 | स्वयं की समझ |
|
Paper S5 | विद्यालय में स्वास्थ्य योग एवं शारीरिक शिक्षा | |
Paper S6 | Pedagogy of English (Primary Level) | |
Paper S7 | गणित का शिक्षणशास्त्र – 2 (प्राथमिक स्तर) | |
Paper S8 |
हिंदी का शिक्षणशास्त्र – 2 (प्राथमिक स्तर) |
|
Paper S9 A | गणित का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |
Paper S9 B | विज्ञान का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |
Paper S9 C | सामाजिक विज्ञान का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |
Paper S9 D | Pedagogy of English (Upper – Primary Level) | Clik Here |
Paper S9 E | हिंदी का शिक्षण शास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |
Paper S9 F | संस्कृत का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |
Paper S9 G | मैथिली का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |
Paper S9 H | बांग्ला का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर)
| Clik Here |
Paper S9 | उर्दू का शिक्षणशास्त्र (उच्च-प्राथमिक स्तर) | Clik Here |