सीखने और परिपक्वता में सम्बन्ध
Relationship between Learning and Maturity
आप इस पोस्ट में निम्नलिखित प्रश्नों के उतर पढ़ेंगे -
(1.1) अधिगम (LEARNING)
(1.2) अधिगम का प्रत्यय (Concept of Learning)
(1.3) अधिगम की परिभाषायें
(1.4) सीखने और परिपक्वता में सम्बन्ध
Relationship between Learning and Maturity
अधिगम (LEARNING)
सीखना एक निरन्तर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया हैं । व्यक्ति जन्म से ही सीखना प्रारम्भ कर देता है तथा मृत्युपर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता है। सीखने की गति परिस्थिति के अनुरुप घटती-बढती रहती है। सीखने के लिए कोई स्थान विशेष निश्चित नही होता है। व्यक्ति कहीं भी, किसी भी समय, किसी से भी, कुछ भी सीख सकता है। सीखने को अधिगम भी कहते हैं। प्रस्तत अध्याय में सीखने तथा अधिगम को पर्यायवाची शब्दों के रूप में प्रयुक्त किया गया है। सीखना अथवा अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसे न केवल शिक्षा मनोविज्ञान में वरन् मनोविज्ञान की समस्त शाखाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। |
अधिगम का प्रत्यय
(Concept of Learning)
'अधिगम या सीखना' वैसे तो एक सामान्य बोलचाल में प्रयुक्त होने वाला शब्द है तथा लगभग सभी व्यक्ति सीखने शब्द के अर्थ को समझते होंगें। परतुं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस प्रश्न पर विचार करना उपयुक्त होगा कि 'अधिगम' शब्द से क्या अभिप्राय है ? अधिगम से अभिप्राय अनुभवों के द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया से है । अधिगम अर्थात सीखना शब्द का अर्थ मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तत की गई परिभाषाओं के अवलोकन से अधिक स्पष्ट हो सकेगा। इसलिए अधिगम की परिभाषायें आगे दी जा रही हैं|
अधिगम की परिभाषायें
वुडवर्थ के अनुसार -
"नवीन ज्ञान तथा नवीन प्रतिक्रियाओं का अर्जन करने की प्रक्रिया अधिगम प्रक्रिया है।"
The process of acquiring new knowledge and new responses is the process of learning.
-Woodworth
गेटस व अन्यों के शब्दों में -
"अनुभव तथा प्रशिक्षण के द्वारा व्यवहार का उन्नयन अधिगम है।
क्रो एवं क्रो के अनुसार –
“आदतों, ज्ञान तथा अभिवृत्तियों का अर्जन ही अधिगम है |
Learning is the acquisition of habits, knowledge and attitudes.
--Crow and Crow
सीखने और परिपक्वता में सम्बन्ध
Relationship between Learning and Maturity
सीखना और परिपक्वता में इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है, कि इसे मनोवैज्ञानिकों ने दोनों को विकास शब्द से सम्बोधित किया है। सीखने में व्यक्ति के व्यवहार में प्रगतिशील बदलाव होता है। इसी तरह परिपक्वता से भी व्यक्ति के व्यवहार में प्रगतिशील परिवर्तन होता है। परिपक्वता के अभाव में सीखना असंभव है तथा सीखने की चाह के अभाव में परिपक्वता निरर्थक एवं निस्सार। इस प्रकार सीखने और परिपक्वता से घनिष्ठ सम्बन्ध है।
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