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Kishora Avstha me Samajik Vikas | किशोरावस्था में सामाजिक विकास | Social Development in the Adolescence

किशोरावस्था में सामाजिक विकास 
Social Development in the Adolescence

 


किशोरावस्था में सामाजिक विकास 
Social Development in the Adolescence

प्रश्न - किशोरावस्था में सामाजिक विकास का वर्णन करे ?

उत्तर -

 किशोरावस्था में किशोर एवं किशोरियों का सामाजिक परिवेश अत्यंत विस्तृत हो  जाता है। शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक परिवर्तनो के साथ-साथ उनके समाजिक व्यवहार में भी परिवर्तन आना स्वाभाविक है। किशोरावस्था में होने वाले अनुभव तथा बदलते सामाजिक संबंधों के फलस्वरुप किशोर-किशोरिया नए ढग से सामाजिक वातावरण में समायोजित करने का प्रयास करते है |


किशोरावस्था में सामाजिक विकास का स्वरूप निम्नांकित होता है |


1. समूहों का निर्माण 

(Formation of Groups) 


2. मैत्री भावना का विकास 

(Development of Friendship)


(3) समूह के प्रति भक्ति 

(Devotion to the Group)


4. सामाजिक गुणों का विकास 

(Development of Social Qualities)


5. सामाजिक परिपक्वता की भावना का विकास 

(Development of the Feelings of Social Maturity)


6. विद्रोह की भावना 

(Feeling of Revolt)


7. व्यवसाय चयन में रुचि 

(Interest in Selection of Vacation)


8. बहिमुखी प्रवृत्ति 

(Extrovert Tendency)


9.राजनैतिक दलों का प्रभाव

 (Influence of Political Parties) -



1. समूहों का निर्माण 

(Formation of Groups)-


किशोरावस्था में किशोर एवं किशोरियाँ अपने-अपने समूहों का निर्माण कर लेते हैं। परंतु यह समूह बाल्यावस्था के समूहों की तरह अस्थायी नहीं होते हैं। इन समूहों का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन करना होता है । पर्यटन, नृत्य, संगीत, पिकनिक आदि के लिए समूहों का निर्माण किया जाता है। किशोर-किशोरियों के समूह प्रायः अलग-अलग होते हैं। 


2. मैत्री भावना का विकास 

(Development of Friendship) -


किशोरावस्था में मैत्रीभाव विकसित हो जाता ह। प्रारम्भ में किशोर किशोरी से तथा किशोरियाँ किशोरियों से मित्रता करती हैं, परंतु उत्तर किशोरावस्था में किशोरियों की रुचि किशोरों से तथा किशोरों की रुचि किशोरियों से मित्रता करने की भी हो जाती है। वे अपनी सर्वोत्तम वेशभूषा, श्रृंगार व सजधज के साथ एक दूसरे के समक्ष उपस्थित होते हैं। 


(3) समूह के प्रति भक्ति 

(Devotion to the Group)-


किशोरों में अपने समूह के प्रति अत्यधिक भक्तिभाव होता है। समूह के सभी सदस्यों के आचार विचार, वेशभूशा , तौर तरीके आदि लगभग एक ही जैसे होते हैं। किशोर अपने समूह के द्वारा स्वीकृत वातों को आदर्श मानता है तथा उनका अनुकरण करने का प्रयास करता है |


4. सामाजिक गुणों का विकास 

(Development of Social Qualities) --


समूह के सदस्य होने के कारण किशोर-किशोरियों में उत्साह, सहानुभूति, सहयोग, सदभावना, नेतृत्व आदि सामाजिक गुणों का विकास होने लगता है। उनकी इच्छा समूह में विशिष्ट स्थान प्राप्त करने की होती है, जिसके लिए वे विभिन्न सामाजिक गुणों का विकास करते हैं।

 

5. सामाजिक परिपक्वता की भावना का विकास 

(Development of the Feelings of Social Maturity)-


किशोरावस्था में बालक-बालिकाओं में वयस्क व्यक्तियों की भाँति व्यवहार करने की इच्छा प्रवल हो जाती है। वे अपने कार्यों तथा व्यवहारों के द्वारा समाज में सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं । स्वयं को सामाजिक दृष्टि से परिपक्व मान कर वे समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करने का प्रयास करते हैं। 


6. विद्रोह की भावना 

(Feeling of Revolt) -


किशोरावस्था में किशोर किशोरियों में अपने माता-पिता तथा अन्य परिवारजनों से संघर्ष अथवा मतभेद करने की प्रवृत्ति आ जाती है । यदि माता-पिता उनकी स्वतंत्रता का हनन करके उनके जीवन को अपने आदर्शों के अनुरुप ढालने का प्रयत्न करते हैं अथवा उनके समक्ष नैतिक आदर्शों का उदाहरण देकर उनका अनुकरण करने पर बल देते हैं तो किशोर-किशोरियाँ विद्रोह कर देते हैं। 


7. व्यवसाय चयन में रुचि 

(Interest in Selection of Vacation) -


किशोरावस्था के दौरान किशोरों की व्यावसायिक रुचियाँ विकसित होने लगती है। वे अपने भावी व्यवसाय का चुनाव करने के लिए सदैव चिन्तित से रहते हैं। प्रायः किशोर अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा तथा अधिकार सम्पन्न व्यवसायों को अपनाना चाहते है |


8. बहिमुखी प्रवृत्ति 

(Extrovert Tendency)-


किशोरावस्था में बहिमुखी प्रवृत्ति  का विकास होता है। किशोर-किशोरियों को अपने समूह के क्रियाकलापों तथा  विभिन्न सामाजिक क्रियाओं में भाग के अवसर मिलते हैं जिसके फलस्वरुप बहिर्मुखी रुचियाँ विकसित होने लगती हैं। वे लिखने-पढ़ने, संगीत, कला, समाजसेवा जनसम्पर्क आदि से संबंधित कार्यों में रूचि लेने लगते हैं। 


9.राजनैतिक दलों का प्रभाव

 (Influence of Political Parties) -


किशोरावस्था में राजनैतिक दलों की विचारधारओं का किशोरों पर प्रभाव पडला है। किशोर प्रायः किसी राजनैतिक विचारधारा से प्रभावित होकर किसी राजनैतिक दल के अनुयायी बन जाते हैं। दल में सम्मान, प्रतिष्ठा तथा प्रशंसा प्राप्त करने के लिए किशोर आदम्य उत्साह तथा समपर्णभाव से जनकल्याण के कार्य करते हैं। इससे एक 

ओर जहाँ किशोरों को अपने सामाजिक विकास में सहायता मिलती है, वहीं दूसरी ओर दूषित राजनैतिक वातावरण में पड़कर गलत रास्ते पर चलकर किशोरों के दादा बन जाने की सम्भावना भी रहती है। 


किशोरावस्था में होने वाले सामाजिक विकास की उपरोक्त वर्णित मुख्य विशेषताओं के अवलोकन से स्पष्ट है कि किशोरावस्था सामाजिक विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण अवस्था है। 


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किशोरावस्था में शारीरिक विकास 
(Physical Development in Adolescence) 


बाल्यावस्था के उपरान्त किशोरावस्था प्रारंभ होती है। किशोरावस्था, बाल्यावस्था तथा प्रौढ़ावस्था के बीच का काल है जिसमें प्रजनन क्षमता का विकास होता है। यह 18 वर्ष की आयु तक रहती है। किशोरावस्था में बालक तथा बालिकाओं का विकास अत्यंत तीव्र गति से होता है।


 किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक विकास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नांकित हैं 


1. लम्बाई  (Length)

 

2. भार  (Weight) 


3. सिर तथा मस्तिष्क (Head and Brain) 


4. हड्डियाँ (Bones) 


 5. दांत (Teeth) 


6. माँस पेशियाँ (Muscles) 


7. अन्य अंग 

(Other Organs)



1. लम्बाई  (Length) 


किशोरावस्था में बालक तथा बालिकाओं की लम्बाई बहुत तीव्र गति से बढ़ती हैं। बालिकाएं प्रायः 16 वर्ष की आयु तक तथा बालक लगभग 18 वर्ष की आयु तक अपनी अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर लेते हैं। किशोरावस्था में बालकों की लम्बाई बालिकाओं से अधिक रहती हैं। अट्ठारह वर्ष की आयु का बालक इसी आयु की बालिका से लगभग 10 सें०मी० अधिक लम्बा होता है। 



2. भार  (Weight) 


किशोरावस्था में भार में काफी वृद्धि होती है। बालकों का भार बालिकाओं के भार से अधिक बढ़ता है। इस अवस्था के अंत में बालकों का भार बालिकाओं के भार की तुलना में लगभग 10-11 किग्रा० अधिक होता है। किशोरावस्था के विभिन्न वर्षों में बालक तथा बालिकाओं का औसत भार निम्नांकित तालिका में दर्शाया गया है 


3. सिर तथा मस्तिष्क (Head and Brain) 


किशोरावस्था में सिर तथा मस्तिष्क का विकास जारी रहता है, परंतु इसकी गति काफी मंद हो जाती है । लगभग 16 वर्ष की आयु तक सिर तथा मस्तिष्क का पूर्ण विकास हो जाता है। मस्तिष्क का भार प्रायः 1200 ग्रा० से लेकर 1400 ग्रा० के बीच होता है |


4. हड्डियाँ (Bones) 


किशोरावस्था में हड्डियों के दृढ़ीकरण अर्थात् अस्थिकरण (Ossification) की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है। जिसके परिणाम-स्वरुप अस्थियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है तथा वे दृढ़ हो जाती हैं। किशोरावस्था में हड्डियों की संख्या कम होने लगी है | अस्थिपंजर की कुछ हड्डियाँ आपस में मिलकर एक हो जाती हैं । प्रौढ़ व्यक्ति में केवल 206 हड्डियाँ होती हैं।


 5. दांत (Teeth) 


किशोरावस्था में प्रवेश करने से पूर्व बालक तथा बालिकाओं के लगभग 27-28 स्थायी दाँत निकल जाते हैं। प्रज्ञा दन्त सबसे अन्त में निकलते हैं। प्रज्ञादन्त (Wisdom Teeth) प्रायः किशोरावस्था के अन्तिम वर्षों में अथवा प्रौढ़ावस्था के प्रारम्भिक वर्षों में निकलते हैं। कुछ व्यक्तियों में प्रज्ञादंत नहीं निकलते हैं। 


6. माँस पेशियाँ (Muscles) 


किशोरावस्था में माँसपेशियों का विकास तीव्र गति से होता है । किशोरावस्था की समाप्ति पर माँसपेशियों का भार शरीर के कुल भार का लगभग 45% हो जाता है। माँसपेशियों के गठन में भी दृढ़ता आ जाती है।


7. अन्य अंग 

(Other Organs) 


किशोरावस्था के अन्त तक बालक तथा बालिकाओं की सभी ज्ञानेन्द्रियों (आँख, कान, नाक, त्वचा तथा जिह्वां) तथा कमेन्द्रियों (हाथ, पैर, मुख) का पूर्ण विकास हो जाता है। वे शारीरिक दृष्टि से परिपक्व हो जाते हैं। शरीर के सभी अंग पुष्ट तथा सुडौल दिखाई देते हैं। किशोरों के कंधे चौड़े हो जाते हैं एवं मुख पर दाढ़ी तथा मूंछ आने लगती हैं।किशोर तथा किशोरियों के प्रजनन अंगों का पूर्ण विकास हो जाता है।  । थॉयरायड ग्रंथि के सक्रिय हो जाने के कारण किशोरों की आवाज में भारीपन आ जाता है, जबकि किशोरियों की आवाज में कोमलता तथा मृदुलता आ जाती है। हृदय की धडकन की गति में निरन्तर कमी आती जाती है। प्रौढावस्था में प्रवेश करते समय व्यक्ति का हृदय एक मिनट में लगभग 72 बार धड़कता है। 

किशोरावस्था में सामाजिक विकास के वीडियो देखने के लिए इसे क्लिक करें >>>



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