समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा क्वेश्चन पेपर
Samkalin bhartiya samaj mein shiksha Questiopn paper
| TOPIC | S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा पिछले साल का प्रश्न पत्र |
| TOPIC | Samkalin bhartiya samaj mein shiksha Questiopn paper |
| CODE | S -1 |
| COURSE | BIHAR D.El.Ed 2nd Year |
S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा 2025 क्वेश्चन पेपर
1. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें ।
2. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में हैं, खण्ड - 'क' एवं खण्ड- 'ख' ।
3. खण्ड - 'क' में विकल्प के साथ 6 लघु उत्तरीय प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक का उत्तर 75 से 100 शब्दों में देना है, प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है
4. खण्ड - 'ख' में कुल 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है, जिनमें से किन्हीं 4 प्रश्न का उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में देना है, जिसके लिए 10 अंक निर्धारित हैं ।
5. किसी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है ।
(1) समान विद्यालय प्रणाली से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट करें । --5
What do you mean by Common School System ? Clarify.
अथवा / OR
"समावेशीकरण" से आप क्या समझते हैं ? वर्णन करें ।
What do you understand by "Inclusion" ? Describe.
2. भारतीय शैक्षिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है ? व्याख्या करें । -5
What is the impact of Globalization on Indian education system ? Explain.
अथवा / OR
'सामाजिक न्याय' की अवधारणा स्पष्ट कीजिए ।
Explain the concept of 'Social Justice'.
3. 'समग्र शिक्षा अभियान' के अन्तर्गत सार्वत्रीकरण हेतु किस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं ? व्याख्या करें ।-5
For universalization what types of efforts are being made under 'Samagra Shiksha Abhiyan' ? Explain.
अथवा / OR
समाज विद्यालय से अनेक प्रकार के कार्य करने की अपेक्षा रखता है । इनमें से किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख करें ।
Society expects to do a variety of tasks from schools. Describe any three tasks of them.
4. वंचित वर्ग से आप क्या समझते हैं ? इस वर्ग के अन्तर्गत कौन से लोगों को रखा गया है ? -5
What do you understand by deprived class? What kind of people are included in this class?
अथवा / OR
सामाजिक असमानता से आपका क्या अभिप्राय है ? स्पष्ट करें
What do you mean by social inequality? Clarify.
5. भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करें । -5
Describe the constitutional provisions related to education in the Constitution of India.
अथवा / OR
शैक्षिक नवाचार' के उद्देश्य एवं महत्व का उल्लेख करें ।
Mention the objectives and importance of 'Educational Innovation'.
(6) भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में सामाजिक न्याय के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का उल्लेख है ? अनुच्छेद का उल्लेख करते हुए व्याख्या करें । -5
In which article of the Constitution of India are the Directive Principles of Social Justice described ? Write down the article and explain.
अथवा / OR
वर्तमान में विद्यालय के शिक्षकों से संबंधित कौन से मुद्दे प्रमुख हैं ? उनका संक्षेप में वर्णन करें ।
What are the major issues related to school teachers at present ? Explain them briefly.
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions
किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में दें ।
Answer any four questions in approximately 200 to 250 words each.
7. विद्यालय में पढ़ने वाले विभिन्न धर्मों के विद्यार्थियों के मध्य धार्मिक सद्भाव / सौहार्द बनाए रखने के लिए आप कौन सी शैक्षणिक गतिविधियों को अपनाने चाहेंगे ? -10
What educational strategies would you like to adopt for maintaining religious goodwill/ harmony among the students of different religions studing in school?
(8) क्या समुदाय से कटकर किसी विद्यालय का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है ? इस संदर्भ में अपना तर्कपूर्ण अभिमत प्रस्तुत करें। -10
Can any school, by being separated from the community keep its existence secured ? Give your logical opinion in this reference.
(9) शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के सफलता पूर्वक क्रियान्वित होने में सामाजिक- आर्थिक संरचना किस प्रकार से बाधक है ? एक शिक्षक के रूप में आप उसका समाधान कैसे करेंगे ? - 10
How is the socio-economic structure a hurdle to successful implementation of the Right to Education Act-2009 ? How will you find its solution as a teacher ?
(10) वर्तमान में प्रचलित शैक्षिक नीतियों की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डालिए । -10
Throw light in detail on the achievements of educational policies currently in trend.
(11) निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें : 2 × 5 = 10
(क) शिक्षा का सार्वभौमीकरण
(ख) अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा
(ग) सामाजिक न्याय ।
Write short notes on any two of the following:
(a) Universalization of education
(b) Compulsory and free education
(c) Social justice.
S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा 2025 क्वेश्चन पेपर उत्तर
| बिहार डी.एल.एड सेकेण्ड ईयर पेपर S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा क्वेश्चन पेपर के उत्तर को शामिल किया गया है | |
प्रश्न-1 समान विद्यालय प्रणाली से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट करें। -2025
उत्तर:
- (A) प्रस्तावना
- (B) समान विद्यालय प्रणाली का अर्थ है
- (C) समान विद्यालय प्रणाली मुख्य विशेषताएँ :
- (D) समान विद्यालय प्रणाली उद्देश्य :
- (E) निष्कर्ष :
(A) प्रस्तावना :
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में शिक्षा को समान अवसर प्रदान करने का माध्यम माना गया है। "समान विद्यालय प्रणाली" का उद्देश्य यह है कि समाज के सभी वर्गों के बच्चों को समान शिक्षा, समान वातावरण और समान अवसर प्राप्त हों।
(B) समान विद्यालय प्रणाली का अर्थ है —
ऐसी विद्यालय व्यवस्था जिसमें समाज के सभी वर्गों — अमीर, गरीब, ग्रामीण, शहरी, उच्च या निम्न — के बच्चे एक ही प्रकार के विद्यालयों में समान शिक्षा प्राप्त करें। इस प्रणाली में शिक्षा का कोई भी विभाजन — जैसे सरकारी, निजी, मिशनरी या अन्य महंगे विद्यालय — नहीं होता, बल्कि सबके लिए गुणवत्तापूर्ण और निःशुल्क शिक्षा समान रूप से उपलब्ध रहती है।
(C) समान विद्यालय प्रणाली मुख्य विशेषताएँ :
1. सभी बच्चों के लिए समान पाठ्यक्रम और समान अवसर।
2. किसी भी प्रकार का जाति, धर्म, वर्ग या आर्थिक भेदभाव नहीं।
3. शिक्षण की गुणवत्ता सभी विद्यालयों में समान।
4. निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था।
5. शिक्षा में समानता, एकता और सामाजिक समरसता का विकास।
(D) समान विद्यालय प्रणाली उद्देश्य :
• शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करना।
• सामाजिक एवं आर्थिक असमानता को दूर करना।
• लोकतांत्रिक समाज की भावना को सशक्त करना।
• सभी के लिए समान स्तर की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना।
(E) निष्कर्ष :
समान विद्यालय प्रणाली एक ऐसा शैक्षिक विचार है जो शिक्षा को सामाजिक न्याय और समानता का माध्यम बनाता है। यदि इसे सही रूप से लागू किया जाए, तो यह समाज में समानता, एकता और सद्भाव को मजबूत बना सकता है।
1-अथवा
प्रश्न -समावेशीकरण" से आप क्या समझते हैं ? वर्णन करें ? 2025
उत्तर-
- (A) परिचय
- (B) समावेशीकरण की परिभाषा
- (C) समावेशीकरण के उद्देश्य
- (D) समावेशीकरण के प्रमुख सिद्धांत
- (E) समावेशीकरण के लाभ
- (F) समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका
- (G) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
समावेशीकरण शिक्षा का एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें सभी बच्चों को, चाहे वे सामान्य हों या विशेष आवश्यकता वाले, एक ही कक्षा में समान अवसरों के साथ शिक्षा दी जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा भेदभाव का शिकार न बने और सभी को समान रूप से सीखने का अवसर प्राप्त हो।
(B) समावेशीकरण की परिभाषा (Definition):
यूनेस्को (UNESCO) के अनुसार —
“समावेशी शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसमें सभी शिक्षार्थियों को उनके व्यक्तिगत भिन्नताओं के बावजूद समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती है।”
सरल शब्दों में —
समावेशीकरण का अर्थ है “सभी बच्चों को एक समान शिक्षण वातावरण में शामिल करना।”
(C) समावेशीकरण के उद्देश्य (Objectives of Inclusive Education):
a) प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिलाना।
b) विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने का अवसर देना।
c) भेदभाव, अलगाव और असमानता को समाप्त करना।
d) सभी बच्चों में सहयोग, सहानुभूति और सामाजिक समरसता विकसित करना।
(D) समावेशीकरण के प्रमुख सिद्धांत (Main Principles):
1. समान अवसर (Equal Opportunity)
2. सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude)
3. लचीलापन (Flexibility in Teaching)
4. सहयोगात्मक शिक्षण (Cooperative Learning)
5. सहायक संसाधनों की उपलब्धता (Availability of Support Services)
(E) समावेशीकरण के लाभ (Benefits)
* विशेष बच्चों में आत्मविश्वास और सामाजिक सहभागिता बढ़ती है।
* सामान्य बच्चों में सहानुभूति और सहयोग की भावना विकसित होती है।
* शिक्षक अधिक संवेदनशील और रचनात्मक बनते हैं।
* समाज में समानता और एकता को प्रोत्साहन मिलता है।
(F) समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका (Role of Teacher):
* सभी बच्चों के लिए उपयुक्त शिक्षण योजना बनाना।
* विशेष बच्चों को आवश्यक सहयोग और सहारा देना।
* कक्षा में सहिष्णु और सहयोगात्मक वातावरण बनाना।
* अभिभावकों और समुदाय के साथ समन्वय करना।
(G) निष्कर्ष (Conclusion):
समावेशीकरण एक ऐसी शिक्षा प्रक्रिया है जो **“सबके लिए शिक्षा” (Education for All)** के सिद्धांत को साकार करती है। यह न केवल विशेष बच्चों के लिए लाभकारी है, बल्कि पूरे समाज में समानता, सहानुभूति और सामाजिक एकता को मजबूत बनाती है।
Keywords:
समावेशी शिक्षा, समान अवसर, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे, सामाजिक समरसता, सहयोगात्मक शिक्षण
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2 प्रश्न - भारतीय शैक्षिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है ? व्याख्या करें ?-2025
उत्तर-
- (A) परिचय
- (B) वैश्वीकरण की परिभाषा
- (C) भारतीय शिक्षा पर वैश्वीकरण के प्रमुख प्रभाव
- (D) वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव
- (E) वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव
- (F) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
वैश्वीकरण (Globalization) का अर्थ है — विश्व के विभिन्न देशों के बीच विचारों, वस्तुओं, तकनीक, संस्कृति और शिक्षा का आदान-प्रदान। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। शिक्षा के क्षेत्र में वैश्वीकरण ने न केवल गुणवत्ता, तकनीक और प्रतिस्पर्धा बढ़ाई है, बल्कि शिक्षा के स्वरूप और उद्देश्यों को भी बदल दिया है।
(B) वैश्वीकरण की परिभाषा (Definition):
वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दुनिया के सभी देश आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं।
सरल शब्दों में —
“वैश्वीकरण का अर्थ है सीमाओं से परे जाकर विश्व स्तर पर सहयोग और प्रतिस्पर्धा का विकास।”
(C) भारतीय शिक्षा पर वैश्वीकरण के प्रमुख प्रभाव (Main Impacts on Indian Education):
1. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार:
विदेशी शिक्षण पद्धतियों और मानकों के आने से भारत में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है।
2. नई तकनीक का प्रयोग:
ई-लर्निंग, स्मार्ट क्लास, ऑनलाइन कोर्स, वर्चुअल लर्निंग आदि तकनीकी साधनों का प्रयोग बढ़ा है।
3. पाठ्यक्रम में परिवर्तन:
नए विषय जैसे — सूचना प्रौद्योगिकी, बिजनेस मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स आदि को शामिल किया गया।
4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
विदेशी विश्वविद्यालयों और भारतीय संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ा है — जैसे छात्र विनिमय कार्यक्रम (Exchange Programs)।
5. निजीकरण और व्यावसायीकरण:
शिक्षा क्षेत्र में निजी संस्थानों की संख्या बढ़ी है, जिससे प्रतिस्पर्धा और रोजगारमुखी शिक्षा को बढ़ावा मिला।
6. भाषा और संस्कृति पर प्रभाव:
अंग्रेज़ी भाषा का महत्व बढ़ा है, जिससे वैश्विक स्तर पर संचार आसान हुआ, लेकिन भारतीय भाषाओं का उपयोग कुछ कम हुआ।
7. रोज़गार उन्मुख शिक्षा:
अब शिक्षा का लक्ष्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि रोजगार प्राप्त करना भी बन गया है।
(D) वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts):
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास
- तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विस्तार
- अंतरराष्ट्रीय अवसरों की वृद्धि
- शिक्षा में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा
(E) वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts):
- शिक्षा का व्यावसायीकरण (Education as Business)
- गरीब वर्ग की पहुँच घटना
- भारतीय मूल्य एवं संस्कृति पर असर
- विदेशी निर्भरता में वृद्धि
(F) निष्कर्ष (Conclusion):
भारतीय शैक्षिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण का प्रभाव दोनों रूपों में पड़ा है — सकारात्मक और नकारात्मक। जहाँ इसने शिक्षा को आधुनिक, रोजगारपरक और तकनीकी बनाया है, वहीं निजीकरण और व्यावसायीकरण ने समान अवसर की चुनौती भी दी है।अतः आवश्यकता है कि हम वैश्वीकरण के लाभों को अपनाएँ और उसकी कमियों को दूर करें ताकि शिक्षा सच में “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” बन सके।
Keywords:
वैश्वीकरण, तकनीकी शिक्षा, निजीकरण, गुणवत्ता, रोजगार उन्मुख शिक्षा, संस्कृति
----समाप्त ----
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2.अथवा / OR
प्रश्न - 'सामाजिक न्याय' की अवधारणा स्पष्ट कीजिए ।-5-
उत्तर -
- (A) परिचय
- (B) परिभाषा
- (C) सामाजिक न्याय के मुख्य तत्व
- (D) भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय
- (E) सामाजिक न्याय का महत्व
- (F) निष्कर्ष
( A) परिचय (Introduction):
सामाजिक न्याय किसी भी लोकतांत्रिक समाज की नींव है। इसका उद्देश्य समाज में प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार, अवसर और सम्मान प्रदान करना है ताकि कोई भी व्यक्ति जाति, धर्म, लिंग, वर्ग या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का शिकार न बने। भारत के संविधान ने सामाजिक न्याय को एक **मौलिक लक्ष्य** के रूप में स्वीकार किया है।
(B) परिभाषा (Definition):
डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुसार —सामाजिक न्याय का अर्थ है समाज में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की स्थापना।”
सरल शब्दों में —
सामाजिक न्याय का अर्थ है, सभी व्यक्तियों को समान अवसर और अधिकार प्रदान करना, ताकि वे सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से उन्नति कर सकें।
(C) सामाजिक न्याय के मुख्य तत्व (Main Elements of Social Justice):
1. समानता (Equality):
सभी को समान अवसर और अधिकार मिलना।
2. स्वतंत्रता (Liberty):
प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छा से जीवन जीने की स्वतंत्रता।
3. बंधुत्व (Fraternity):
सभी के बीच भाईचारे और सौहार्द की भावना।
4. समान अवसर (Equal Opportunity):
शिक्षा, रोजगार और विकास में समान भागीदारी।
5. भेदभाव का अंत (End of Discrimination):
जाति, लिंग, धर्म या वर्ग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना।
(C) भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय (Social Justice in Indian Constitution):
* संविधान की प्रस्तावना में ही “न्याय — सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक” का उल्लेख है।
* अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता और भेदभाव-निषेध के प्रावधान हैं।
* अनुच्छेद 38 और 39 सामाजिक और आर्थिक न्याय को सुनिश्चित करते हैं।
* आरक्षण नीति (Reservation Policy) सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
(D) सामाजिक न्याय का महत्व (Importance of Social Justice):
* समाज में समानता और एकता को बढ़ावा मिलता है।
* पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने में सहायता मिलती है।
* लोकतंत्र की मजबूती और स्थिरता सुनिश्चित होती है।
* समाज में शांति, सहयोग और सौहार्द का वातावरण बनता है।
(E) निष्कर्ष (Conclusion):
सामाजिक न्याय एक **समतामूलक समाज** की पहचान है। यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को जीवन में उन्नति करने के समान अवसर मिलें और कोई भी व्यक्ति असमानता या अन्याय का शिकार न बने।अतः सामाजिक न्याय केवल कानूनी सिद्धांत नहीं, बल्कि **एक जीवंत सामाजिक मूल्य** है, जो भारत को एकता और समानता के सूत्र में बाँधता है।
Keywords:
समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, संविधान, आरक्षण, भेदभाव-निषेध, समान अवसर
---समाप्त ---
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3 प्रश्न - 'समग्र शिक्षा अभियान' के अन्तर्गत सार्वत्रीकरण हेतु किस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं ? व्याख्या करें ?
उत्तर -
- (A) परिचय
- (B) अभियान की मुख्य अवधारणा
- (C) सार्वत्रिकीकरण का अर्थ है
- (D) सार्वत्रिकीकरण हेतु किए जा रहे प्रमुख प्रयास
- (E) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो 2018 में प्रारंभ की गई। इसका उद्देश्य सर्व शिक्षा, समावेशी शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” को एक ही छत के नीचे लाना है। यह योजना पूर्व-प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक के सभी विद्यार्थियों के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
(B) अभियान की मुख्य अवधारणा (Concept of Samagra Shiksha):
समग्र शिक्षा अभियान तीन प्रमुख योजनाओं का एकीकरण है —
1. सर्व शिक्षा अभियान (SSA)
2. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)
3. शिक्षक शिक्षा योजना (Teacher Education)
इन तीनों को मिलाकर एक व्यापक शिक्षा कार्यक्रम तैयार किया गया है।
(C) सार्वत्रिकीकरण का अर्थ है —
“हर बच्चे तक शिक्षा पहुँचाना, चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग, लिंग या क्षेत्र से संबंधित क्यों न हो।” अर्थात् शिक्षा सबके लिए — बिना किसी भेदभाव के।
(D) सार्वत्रिकीकरण हेतु किए जा रहे प्रमुख प्रयास (Main Efforts for Universalization):
1. सर्वसमावेशी शिक्षा (Inclusive Education):
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य विद्यालयों में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है।
2. शिक्षा का अधिकार (RTE) का कार्यान्वयन:
6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए शिक्षा को निःशुल्क और अनिवार्य बनाया गया है।
3. बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन:
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “बालिका शिक्षा केंद्र” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
4. आधारभूत संरचना का विकास:
विद्यालयों में कक्षाओं, शौचालयों, पेयजल, पुस्तकालय, खेलकूद एवं डिजिटल सुविधाओं का विकास।
5. शिक्षकों का प्रशिक्षण:
शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम (INSET, DIKSHA Portal) संचालित किए जा रहे हैं।
6. डिजिटल और तकनीकी शिक्षा का समावेश:
स्मार्ट क्लास, ई-कंटेंट, टीवी, रेडियो एवं ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से शिक्षा का प्रसार।
7. ड्रॉपआउट रोकथाम (Dropout Reduction):
विद्यालय से बाहर बच्चों को पुनः शिक्षा से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
8. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का समावेश:
आंगनवाड़ी केंद्रों और प्राथमिक विद्यालयों के बीच बेहतर तालमेल बनाकर प्रारंभिक शिक्षा को सशक्त किया जा रहा है।
(E) निष्कर्ष (Conclusion):
समग्र शिक्षा अभियान शिक्षा के क्षेत्र में एकीकृत, समावेशी और सतत सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस अभियान के माध्यम से भारत सरकार ने शिक्षा को प्रत्येक बच्चे तक पहुँचाने, उसे गुणवत्तापूर्ण बनाने और समाज के सभी वर्गों को समान अवसर देने का प्रयास किया है। इस प्रकार, यह योजना सबके लिए शिक्षा — सबके विकास हेतु शिक्षा के उद्देश्य को साकार कर रही है।
Keywords:
समग्र शिक्षा, सार्वत्रिकीकरण, सर्व शिक्षा अभियान, समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल लर्निंग
---समाप्त ---
++++++++++++
(3) अथवा / OR
प्रश्न - समाज विद्यालय से अनेक प्रकार के कार्य करने की अपेक्षा रखता है । इनमें से किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख करें ।
उत्तर
- (A) परिचय
- (B) विद्यालय के प्रमुख सामाजिक कार्य
- (C) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
विद्यालय समाज का अभिन्न अंग है। समाज अपने मूल्यों, संस्कृति और विकास को आगे बढ़ाने के लिए विद्यालय से अनेक प्रकार के कार्यों की अपेक्षा करता है।विद्यालय न केवल शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि बच्चों में नैतिकता, सामाजिक उत्तरदायित्व और नागरिकता के गुण भी विकसित करता है।
(B) विद्यालय के प्रमुख सामाजिक कार्य (Main Social Functions of School):
समाज विद्यालय से कई कार्यों की अपेक्षा करता है, जिनमें से प्रमुख तीन निम्नलिखित हैं —
1. सामाजिककरण (Socialization):
विद्यालय बच्चों को समाज में रहना, व्यवहार करना और दूसरों के साथ सहयोग करना सिखाता है।यह बच्चों को सामाजिक मूल्य, परंपराएँ और नियमों का ज्ञान देता है।➡ उदाहरण: विद्यालय में समूह कार्य, खेलकूद और सामूहिक गतिविधियाँ सामाजिक भावना को बढ़ाती हैं।
2. नागरिकता निर्माण (Citizenship Development):
विद्यालय बच्चों को जिम्मेदार और सजग नागरिक बनने की शिक्षा देता है।यह लोकतांत्रिक मूल्य, समानता, अनुशासन और कर्तव्य पालन की भावना को विकसित करता है।
➡ उदाहरण: राष्ट्रीय पर्व, जन-जागरूकता अभियान, मतदान शिक्षा आदि नागरिकता के गुण सिखाते हैं।
3. नैतिक एवं चारित्रिक विकास (Moral and Character Development):
विद्यालय बच्चों में अच्छे संस्कार, ईमानदारी, अनुशासन और सहानुभूति की भावना विकसित करता है।
➡ उदाहरण: प्रार्थना सभा, नैतिक कहानियाँ, शिक्षक का आदर्श व्यवहार — ये सभी बच्चों में नैतिकता का निर्माण करते हैं।
अन्य कार्य (Other Functions):
- सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण
- पर्यावरण जागरूकता
- स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास
- व्यावसायिक मार्गदर्शन
(C) निष्कर्ष (Conclusion):
विद्यालय समाज का दर्पण है। यह केवल ज्ञान देने का स्थान नहीं, बल्कि सुसंस्कृत और जिम्मेदार नागरिक तैयार करने का केंद्र है।अतः समाज को सशक्त, संगठित और प्रगतिशील बनाने में विद्यालय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Keywords:
विद्यालय, समाज, सामाजिककरण, नागरिकता, नैतिकता, चारित्रिक विकास
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4.प्रश्न - वंचित वर्ग से आप क्या समझते हैं ? इस वर्ग के अन्तर्गत कौन से लोगों को रखा गया है ? -5 2025
उत्तर -
- (A) परिचय
- (B) वंचित वर्ग की परिभाषा
- (C) वंचित वर्ग के अंतर्गत शामिल प्रमुख समूह
- (D) सरकार द्वारा किए गए प्रयास
- (E) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
समाज में हर व्यक्ति को समान अवसर नहीं मिल पाते। कुछ लोग आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक या सांस्कृतिक कारणों से विकास की मुख्यधारा से पीछे रह जाते हैं। ऐसे लोगों को ही “वंचित वर्ग” कहा जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में यह वर्ग विशेष ध्यान और सहायता की आवश्यकता रखता है ताकि इन्हें भी समान अवसर मिल सकें।
(B) वंचित वर्ग की परिभाषा (Definition of Deprived Section):
वंचित वर्ग वे व्यक्ति या समूह हैं जो समाज की मुख्य धारा से सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक कारणों से पीछे रह गए हैं और जिनकी मूलभूत आवश्यकताएँ पूर्ण नहीं हो पातीं।
सरल शब्दों में —
“वंचित वर्ग वे लोग हैं जिन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक मान-सम्मान में समान अवसर प्राप्त नहीं होते।”
(C) वंचित वर्ग के अंतर्गत शामिल प्रमुख समूह (Main Groups Included under Deprived Section):
1. अनुसूचित जातियाँ (Scheduled Castes - SC):
ये वे जातियाँ हैं जिन्हें ऐतिहासिक रूप से सामाजिक भेदभाव और अस्पृश्यता का सामना करना पड़ा।
2. अनुसूचित जनजातियाँ (Scheduled Tribes - ST):
वनवासी या आदिवासी समुदाय जो दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों में रहते हैं तथा शिक्षा और संसाधनों से वंचित हैं।
3. पिछड़े वर्ग (Other Backward Classes - OBC):
ये समाज का वह वर्ग है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है, परंतु अनुसूचित वर्गों में शामिल नहीं है।
4. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Sections - EWS):
ऐसे लोग जिनकी आय कम है और जो गरीबी या बेरोजगारी के कारण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
5. अल्पसंख्यक समुदाय (Minorities):
धार्मिक या भाषाई दृष्टि से अल्पसंख्यक समुदाय जैसे — मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि।
6. महिलाएँ और बालिकाएँ:
कई बार महिलाओं और बालिकाओं को भी सामाजिक परंपराओं या भेदभाव के कारण समान अवसर नहीं मिल पाते।
7. विकलांग / विशेष आवश्यकता वाले बच्चे:
जो शारीरिक, मानसिक या दृष्टि संबंधी कठिनाइयों से जूझ रहे हैं, उन्हें भी वंचित वर्ग में रखा गया है।
(D) सरकार द्वारा किए गए प्रयास (Government Efforts):
- आरक्षण नीति (Reservation Policy)
- छात्रवृत्ति एवं निःशुल्क शिक्षा योजनाएँ
- “समावेशी शिक्षा” (Inclusive Education) के तहत विशेष सुविधाएँ
- “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, “समान शिक्षा अभियान” जैसी पहलें
(E) निष्कर्ष (Conclusion):
वंचित वर्ग समाज का वह हिस्सा है जो विकास की दौड़ में पीछे रह गया है। सच्चे लोकतंत्र की स्थापना तभी संभव है जब इन वर्गों को शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सम्मान के समान अवसर दिए जाएँ। अतः शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि समानता और सामाजिक न्याय स्थापित करना भी होना चाहिए।
Keywords:
वंचित वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, समान अवसर, समावेशी शिक्षा
***समाप्त ***
----- --- ---- --- ---- ---- -----
अथवा
4. प्रश्न - सामाजिक असमानता से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट करें -2025
(Meaning and Explanation of Social Inequality)
उत्तर
- परिचय
- सामाजिक असमानता की परिभाषा
- सामाजिक असमानता के प्रमुख आधार
- सामाजिक असमानता के प्रभाव
- निष्कर्ष
परिचय (Introduction):
समाज में सभी व्यक्तियों को समान अवसर, अधिकार और सम्मान नहीं मिलते। जब किसी समाज में व्यक्ति या समूह के बीच संसाधनों, अवसरों, प्रतिष्ठा या अधिकारों का असमान वितरण होता है, तो उसे सामाजिक असमानता (Social Inequality) कहा जाता है।यह असमानता समाज के विकास में बाधा बनती है और न्याय व समानता के सिद्धांतों के विपरीत होती है।
सामाजिक असमानता की परिभाषा (Definition):
किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) के अनुसार —
“सामाजिक असमानता वह स्थिति है जिसमें समाज के कुछ व्यक्तियों या समूहों को दूसरों की तुलना में अधिक अधिकार, अवसर और सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।”
सरल शब्दों में:
सामाजिक असमानता का अर्थ है समाज में व्यक्तियों के साथ असमान व्यवहार या अवसरों में अंतर।
सामाजिक असमानता के प्रमुख आधार (Main Bases of Social Inequality):
जाति (Caste):
भारत में जाति-व्यवस्था के कारण ऊँच-नीच की भावना और भेदभाव लंबे समय तक बना रहा।
लिंग (Gender):
महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और निर्णय-निर्माण में पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं।
धर्म (Religion):
धार्मिक आधार पर भेदभाव या अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असमान व्यवहार।
आर्थिक स्थिति (Economic Status):
अमीर और गरीब के बीच की खाई समाज में असमानता पैदा करती है।
क्षेत्रीय असमानता (Regional Inequality):
शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और संसाधनों की असमानता।
सामाजिक असमानता के प्रभाव (Effects of Social Inequality):
समाज में अन्याय और असंतोष बढ़ता है।
सामाजिक एकता और भाईचारा कमजोर होता है।
विकास की गति धीमी पड़ती है।
वंचित वर्ग शिक्षा और रोजगार से पीछे रह जाते हैं।
सामाजिक असमानता को दूर करने के प्रयास (Efforts to Reduce Inequality):
संविधान में समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
आरक्षण नीति के माध्यम से पिछड़े वर्गों को अवसर देना।
सर्व शिक्षा अभियान, समग्र शिक्षा अभियान जैसी योजनाएँ।
महिला सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक कल्याण योजनाएँ।
निष्कर्ष (Conclusion):
सामाजिक असमानता किसी भी समाज के संतुलित विकास में बाधक होती है। इसे दूर करने के लिए शिक्षा, समान अवसर और सामाजिक न्याय की भावना आवश्यक है। जब हर व्यक्ति को बिना भेदभाव के समान अधिकार और सम्मान मिलेगा, तभी एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण संभव होगा।
Keywords:-सामाजिक असमानता, समानता, भेदभाव, लिंग, जाति, आर्थिक स्थिति, अवसर
----समाप्त ----
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5. प्रश्न - भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करें । -5 -2025
उत्तर -
- (A) परिचय
- (B) शिक्षा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- (C) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव होती है। भारत के संविधान निर्माताओं ने यह समझा कि बिना शिक्षा के लोकतंत्र, समानता और सामाजिक न्याय का सपना अधूरा रहेगा। इसी कारण संविधान में शिक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रावधान (Provisions) जोड़े गए हैं, जो प्रत्येक नागरिक को शिक्षा का अधिकार और अवसर प्रदान करते हैं।
(B) मुख्य संवैधानिक प्रावधान (Main Constitutional Provisions Related to Education):
1. प्रस्तावना (Preamble):
संविधान की प्रस्तावना में “न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व” का उल्लेख है। ये सिद्धांत शिक्षा के माध्यम से ही साकार किए जा सकते हैं।
2. अनुच्छेद 21(क) – शिक्षा का अधिकार (Right to Education):
वर्ष 2002 में 86वाँ संशोधन करके यह अनुच्छेद जोड़ा गया।
6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया।
इस अधिकार को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) के रूप में स्वीकार किया गया है।
3. अनुच्छेद 45 – राज्य के नीति निदेशक तत्वों में शिक्षा:
राज्य का कर्तव्य है कि वह 6 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल शिक्षा (Early Childhood Care and Education) की व्यवस्था करे।
4. अनुच्छेद 41 – शिक्षा और रोजगार का अधिकार:
राज्य आर्थिक क्षमता के अनुसार नागरिकों को शिक्षा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा।
5. अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जाति और जनजातियों की शिक्षा का प्रोत्साहन:
राज्य अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लोगों की शैक्षिक और आर्थिक उन्नति के लिए विशेष प्रयास करेगा।
6. अनुच्छेद 29 और 30 – अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकार:
अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा करने तथा अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार है।
7. अनुच्छेद 350 (A) – मातृभाषा में शिक्षा:
प्राथमिक स्तर पर बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की जाए।
8. 86वाँ संशोधन अधिनियम (2002):
शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया।
अनुच्छेद 21(A) जोड़ा गया।
अनुच्छेद 45 में संशोधन किया गया।
अभिभावकों के लिए यह कर्तव्य जोड़ा गया कि वे अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएँ (अनुच्छेद 51A (क))।
(C) निष्कर्ष (Conclusion):
भारतीय संविधान ने शिक्षा को केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार माना है। इन संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से राज्य का उद्देश्य है कि हर बच्चे को समान, निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। इस प्रकार संविधान शिक्षा को एक सशक्त साधन के रूप में देखता है जो समाज में समानता, जागरूकता और विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है।
Keywords:-शिक्षा का अधिकार, अनुच्छेद 21(A), अनुच्छेद 45, अनुच्छेद 46, अल्पसंख्यक अधिकार, मातृभाषा, संविधान
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5. प्रश्न - शैक्षिक नवाचार' के उद्देश्य एवं महत्व का उल्लेख करें ।
उत्तर -
- (A) परिचय
- (B) शैक्षिक नवाचार का अर्थ है
- (C) शैक्षिक नवाचार के उद्देश्य
- (D) शैक्षिक नवाचार का महत्व
- (E) निष्कर्ष
(A) परिचय (Introduction):
शिक्षा एक निरंतर विकसित होने वाली प्रक्रिया है।समय के साथ समाज, तकनीक, और विद्यार्थियों की आवश्यकताएँ बदलती रहती हैं। इन परिवर्तनों के अनुरूप शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी, रोचक और व्यवहारिक बनाने के लिए नए-नए प्रयोग किए जाते हैं, जिन्हें शैक्षिक नवाचार (Educational Innovation) कहा जाता है।
(B) शैक्षिक नवाचार का अर्थ है -
शिक्षण–अधिगम प्रक्रिया, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, विद्यालय प्रबंधन या शिक्षण पद्धति में नवीनता (Newness) और सृजनात्मक परिवर्तन (Creative Change) लाना।
(C) शैक्षिक नवाचार के उद्देश्य (Objectives of Educational Innovation):
शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना:
विद्यार्थियों को बेहतर और प्रभावी शिक्षण अनुभव प्रदान करना।
व्यक्तिगत भिन्नताओं का ध्यान रखना:
हर विद्यार्थी की क्षमता और रुचि के अनुसार सीखने के अवसर देना।
सीखने को रोचक बनाना:
नई तकनीक, गतिविधियाँ और खेलों के माध्यम से सीखने में रुचि उत्पन्न करना।
शिक्षण प्रक्रिया में सुधार लाना:
पारंपरिक तरीकों की जगह आधुनिक शिक्षण विधियों जैसे ICT, स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा आदि का प्रयोग।
समस्या समाधान क्षमता विकसित करना:
विद्यार्थियों को रचनात्मक और स्वतंत्र विचार करने के लिए प्रेरित करना।
समानता और समावेशिता को बढ़ावा देना:
सभी वर्गों के विद्यार्थियों को समान अवसर प्रदान करना।
(D) शैक्षिक नवाचार का महत्व (Importance of Educational Innovation):
शिक्षा को आधुनिक बनाता है:
नवीन पद्धतियाँ शिक्षा को समयानुकूल और तकनीकी रूप से उन्नत बनाती हैं। शिक्षण को छात्र-केंद्रित बनाता है:
नवाचार से शिक्षा केवल शिक्षक पर नहीं, बल्कि विद्यार्थी की सक्रिय भागीदारी पर केंद्रित होती है।
सीखने की गति और गुणवत्ता में सुधार:
नए साधनों के प्रयोग से विद्यार्थियों की समझ और उपलब्धि में वृद्धि होती है।
रचनात्मकता और जिज्ञासा का विकास:
नवाचार विद्यार्थियों को सोचने, खोजने और कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है।
शिक्षकों की दक्षता में वृद्धि:
शिक्षकों को नवीन विधियाँ अपनाने से उनके ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन:
नवाचार शिक्षा व्यवस्था को गतिशील और प्रभावी बनाता है।
(E) निष्कर्ष (Conclusion):
शैक्षिक नवाचार आधुनिक युग की आवश्यकता है।यह न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारता है बल्कि शिक्षण को जीवनोपयोगी, रोचक और सृजनात्मक बनाता है।शिक्षा में नवाचार का अर्थ है — परिवर्तन के साथ आगे बढ़ना और विद्यार्थियों को ऐसे ज्ञान से सशक्त करना जो उन्हें विचारशील, आत्मनिर्भर और समाजोपयोगी नागरिक बनाए।
Keywords:-शैक्षिक नवाचार, उद्देश्य, महत्व, गुणवत्ता, ICT, रचनात्मकता, छात्र-केंद्रित शिक्षा
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(6) प्रश्न - भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में सामाजिक न्याय के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का उल्लेख है ? अनुच्छेद का उल्लेख करते हुए व्याख्या करें । -5
उत्तर--
- (A) भूमिका
- (B) सामाजिक न्याय से सम्बंधित प्रमुख अनुच्छेद
- (C) निष्कर्ष
(A) भूमिका
भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का उल्लेख भाग-IV (Part-IV) में किया गया है, जिसे राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy) कहा जाता है। इन सिद्धान्तों का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता, न्याय और कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
(B) सामाजिक न्याय से सम्बंधित प्रमुख अनुच्छेद
1. अनुच्छेद 38 –
राज्य पर यह दायित्व डाला गया है कि वह **सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय** पर आधारित समाज की स्थापना करे, जहाँ सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त हों।
2. अनुच्छेद 39 –
राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसे प्रबंध करे जिससे:
* नागरिकों, पुरुषों और महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले,
* आर्थिक शक्ति कुछ हाथों में केन्द्रित न हो,
* सभी को आजीविका के साधन उपलब्ध हों।
3. अनुच्छेद 41 –
राज्य बेरोजगारी, वृद्धावस्था, बीमारी आदि की स्थिति में नागरिकों को सहायता और सुरक्षा प्रदान करेगा।
4. अनुच्छेद 42–
राज्य श्रमिकों के लिए उचित और मानवीय कार्य दशाओं तथा मातृत्व राहत की व्यवस्था करेगा।
5. अनुच्छेद 46 –
राज्य अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों की रक्षा करेगा।
व्याख्या :
इन अनुच्छेदों के माध्यम से संविधान निर्माताओं ने यह सुनिश्चित किया कि भारत में केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता भी स्थापित हो।
सामाजिक न्याय का अर्थ है -
समाज के प्रत्येक वर्ग को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर, अधिकार और सम्मान देना।राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्त न्यायिक रूप से बाध्यकारी नहीं हैं (यानी अदालतों में लागू नहीं किए जा सकते), किन्तु ये राज्य की नीति और शासन के लिए मार्गदर्शक सिद्धान्त हैं, जिन पर कल्याणकारी योजनाएँ और कानून आधारित होते हैं।
(C) निष्कर्ष
इस प्रकार, अनुच्छेद 38 से 46 तक के नीति निदेशक सिद्धान्तों में सामाजिक न्याय की अवधारणा को प्रमुख रूप से स्थान दिया गया है,जिसका उद्देश्य एक न्यायपूर्ण, समानतापूर्ण और कल्याणकारी समाज की स्थापना करना है।
मुख्य शब्द (Keywords): -भारतीय संविधान, सामाजिक न्याय, नीति निदेशक सिद्धान्त, अनुच्छेद 38-46, समानता, कल्याणकारी राज्य।
----- समाप्त ------
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6. प्रश्न - वर्तमान में विद्यालय के शिक्षकों से संबंधित कौन से मुद्दे प्रमुख हैं ? उनका संक्षेप में वर्णन करें ।
उत्तर:
- (A) भूमिका
- (B) विद्यालय के शिक्षकों से संबंधित मुख्य मुद्दे
- (C) निष्कर्ष:
(A) भूमिका
वर्तमान समय में विद्यालय के शिक्षक शिक्षा प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, लेकिन उनसे संबंधित कई गंभीर समस्याएँ और चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। ये मुद्दे न केवल शिक्षकों के पेशेवर जीवन को प्रभावित करते हैं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर डालते हैं।
(B) विद्यालय के शिक्षकों से संबंधित मुख्य मुद्दे एवं उनका संक्षिप्त वर्णन:
(a) शिक्षकों की कमी (Teacher Shortage)
अनेक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या निर्धारित मानक से कम है।एक ही शिक्षक को कई विषयों को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
(b) प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक विकास की कमी (Lack of Training & Professional Growth)
बहुत से शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों, तकनीकी शिक्षा और नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप प्रशिक्षण नहीं मिलता।इससे उनकी शिक्षण क्षमता और अद्यतन ज्ञान सीमित रह जाता है।
(c) कार्यभार का दबाव (Administrative & Non-Teaching Workload)
शिक्षकों को शिक्षण के साथ-साथ जनगणना, चुनाव, सर्वेक्षण आदि गैर-शैक्षिक कार्यों में लगाया जाता है।इससे उनका पढ़ाने का समय और ध्यान दोनों प्रभावित होते हैं।
(d) वेतन एवं सम्मान की समस्या (Salary and Social Status Issues)-
विशेषकर सरकारी सहायता प्राप्त या निजी विद्यालयों में शिक्षकों को अपर्याप्त वेतन मिलता है। साथ ही, समाज में शिक्षक के प्रति सम्मान पहले की तुलना में कम होता जा रहा है।
(e) तकनीकी चुनौतियाँ (Technological Challenges)
डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन कक्षाओं और स्मार्ट क्लास जैसी तकनीकी सुविधाओं के अभाव में कई शिक्षक तकनीकी रूप से पिछड़ जाते हैं।
(f) विद्यार्थियों एवं अभिभावकों का बदलता व्यवहार (Changing Student & Parent Behavior)
विद्यार्थियों में अनुशासन की कमी और अभिभावकों का बढ़ता हस्तक्षेप भी शिक्षकों के लिए चुनौती बन गया है।
(g) स्थायी नियुक्ति एवं सुरक्षा का अभाव (Job Insecurity)
निजी विद्यालयों में अस्थायी नियुक्ति और अनुबंध आधारित नौकरियों के कारण शिक्षकों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
(C) निष्कर्ष:
इन सभी मुद्दों के समाधान के लिए आवश्यक है कि शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण, सम्मान, वेतन और कार्य की अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान की जाएँ। केवल तभी शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता, नवाचार और सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।
मुख्य शब्द:- शिक्षक, समस्याएँ, प्रशिक्षण, कार्यभार, वेतन, तकनीकी चुनौतियाँ, सामाजिक सम्मान, शिक्षा की गुणवत्ता।
--समाप्त ---
| TOPIC | S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा पिछले साल 2022 का प्रश्न पत्र |
| TOPIC | Samkalin bhartiya samaj mein shiksha Questiopn paper |
| CODE | S -1 |
| COURSE | BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR |
समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा 2022 क्वेश्चन पेपर
खण्ड - क / Section - A
लघु उत्तरीय प्रश्न | Short Answer Type Questions
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है :
It is compulsory to answer every question :
Which administrative components of the school a affect inequality ?
अथवा (OR)
समावेशीकरण' से आप क्या समझते हैं ? समझाएँ ।
What do you understand by 'Inclusion'? Explain.
hat is the impact of globalization on Indian Educational System ?
अथवा (OR)
‘समान विद्यालय प्रणाली' के खूबियों को बताइए ।
Explain the merits of the Common School System'.
Whose role can be important in compliance with the fundamental rights of education?
अथवा (OR)
भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करें ।
Mention the constitutional provisions related to education in the Constitution of India.
Highlight the importance of Educational innovation'.
अथवा (OR)
सामदायिक केन्द्र के रूप में विद्यालय को कैसे विकसित किया जा सकता है ? स्पष्ट करें ।
How can the school be developed as a community centre ? Clarify ?
5. विद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों के लिए पाठ्यक्रम का होना क्यों आवश्यक है ? चर्चा करें।
Discuss why it is necessary for students and teachers in the school to have a syllabus
अथवा (OR)
अच्छे संसाधन और शैक्षिक उन्नति के आपसी सम्बन्धों को बताइए ।
plain the relationship between good resources and academic progress.
6. भारतीय सविधान के किस अनुच्छेद में सामाजिक न्याय के निदेशक सिद्धान्त वर्णित है ? लिखें तथा व्याख्या करें ।
In which article of the Constitution of India is the Directive Principle of social justice described ? Write and explain.
अथवा (OR)
शिक्षकों के प्रशिक्षण को लेकर विभिन्न शैक्षिक नीतियों में क्या कहा गया है ? उसका विश्लेषण
कीजिए।
Analyse what has been said in various educational policies regarding the training
of teachers.
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खण्ड - ख / Section - B
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Long Answer Type Questions
200 से 250 शब्दों में किन्हीं चार प्रश्न का उत्तर दें ।
Answer any four question in 200 to 250 words.
7. अभिवंचित वर्ग के बच्चों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को विद्यालयों द्वारा किस प्रकार उन्नत किया जा सकता है ? स्पष्ट करें ।
How can the socio-economic status of the children of the disadvantaged class be improved by the schools ? Clarify.
अथवा (OR)
क्या आप मानते हैं कि वर्तमान भारतीय समाज की दशाएँ एक समतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में है ? अपने उत्तर के पक्ष में पर्याप्त तर्क दें ।
Do you believe that the conditions of the present Indian society is in the direction of installation of an equalitarian society ? Give sufficient arguments in favour of your answer.
8. वर्तमान में प्रचलित शैक्षिक नीतियों के प्रभावों की चर्चा करें ।
Discuss the effects of educational policies currently in trend.
9. शिक्षक, स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर किस प्रकार से वहाँ की समस्याओं को दूर करने में मददगार हो सकता है ?
How can the teacher work together with the local community to overcome the problems there ?
10. क्या, विद्यालय में सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों के आयोजन की व्यवस्था होनी चाहिए ? अगर हाँ, तो इसकी व्यवस्था आप कैसे करेंगे ? विस्तार से लिखें ।
Should there be a system of organizing social and cultural festivals in the school ? If yes, how will you arrange it ? Write in detail.
11. निम्न में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें :
(क) सामाजिक न्याय
(ख) विद्यालयी शिक्षा में असमानता
(ग) गुणवत्ता शिक्षा
(घ) गुणवत्ता संधारण हेतु कार्यक्रम ।
Write short notes on any two of the following :
(a) Social justice
(b) Inequality in school education
(c) Quality education
(d) Program for quality maintenance.
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NOTE- इस पेपर के किसी प्रश्न असाइनमेंट प्रश्न के उत्तर के लिए निचे कमेंट करे | या 7033746030 पे मैसेज करे |






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