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मनोविज्ञान की उपयोगिता - MNOVIGYAN KI UPYOGITA

मनोविज्ञान की उपयोगिता (Applications of Psychology)

मनोविज्ञान की उपयोगिता 

MNOVIGYAN KI UPYOGITA 


मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है। इसकी सहायता से किसी व्यक्ति विशेष तथा समूह-विशेष के व्यवहार का अध्ययन उनके अपने पर्यावरण तथा परिस्थितियों के सन्दर्भ में भली-भाँति कर सकते हैं। इसके अध्ययन का क्षेत्र तथा इसकी सीमाएँ भी काफी विस्तृत हैं जिसका परिचय इस अध्याय में पहले दिये गये विवरण से भली-भाँति प्राप्त हो सकता है। इसकी विभिन्न शाखाओं द्वारा प्राप्त ज्ञान और अनुभवों के माध्यम से इस विषय की उपयोगिता, उपादेयता तथा अनुप्रयोग आदि का बहुत-कुछ अनुमान लगाया जा सकता है। आज हमारे जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ मनोविज्ञान के सिद्धान्तों तथा नियमों को व्यवहारिक रूप से प्रयोग में नहीं लाया जाता हो। जीवन की सम्पूर्ण अभिव्यक्ति हम सभी के व्यवहार द्वारा होती है और इसी जीवन को अच्छी तरह जानने की कुंजी हम सभी की व्यवहार क्रियाओं में निहित होती है। इन व्यवहार क्रियाओं को ठीक तरह समझकर उचित दिशा और गति प्रदान करने का कार्य मनोविज्ञान द्वारा सम्पादित किया जाता है और यही कारण है कि आज हम सभी के जीवन से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों तथा कार्य-व्यापार में मनोविज्ञान के उपयोग की सम्भावनाएँ काफी बढ़ गई हैं। मनोविज्ञान की इस उपयोगिता तथा उपादेयता का आभास हमें आगे की पंक्तियों में दिये गये विवरण से भली-भाँति हो सकता है।


 1. शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की उपयोगिता 

(Application in the field of education)-

शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है शिक्षार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना तथा उनके व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाना । यह कार्य तभी हो सकता है जबकि विद्यार्थियों के व्यवहार के स्तर की यथानुकूल वस्तुनिष्ठ जाँच हो सके, यह पता चल सके कि व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास क्या होता है, इसके विकास में वंशानुक्रम तथा पर्यावरण सम्बन्धी कौन से कारक अपनी भूमिका निभाते हैं, बालकों को कैसे ऐसी बातें सिखाई तथा अनुभव कराई जा सकती हैं जिनसे उनके व्यवहार में परिवर्तन या व्यक्तित्व का विकास सार्थक ढंग से सम्पन्न हो सके। निःसन्देह इन सभी कार्यों को करने में मनोविज्ञान शिक्षा के रूप में प्रशंसनीय भूमिका निभाने का कार्य सफलतापूर्वक कर रहा है। 


शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत शिक्षा मनोवैज्ञानिक निरन्तर इसी प्रयास में रहते हैं कि किस तरह ऐसी विधियाँ, तकनीक तथा युक्तियाँ काम में लायी जाएँ तथा पढ़ने-पढ़ाने की परिस्थितियाँ, साधनों तथा शिक्षण-अधिगम सामग्री को किस तरह नियोजित एवं नियन्त्रित किया जाए कि जिससे शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति सहज एवं प्रभावपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो सके। इसलिए बालकों की रूचियों, आवश्यकताओं तथा विकास स्तर की आवश्यकताओं को पहचानकर शिक्षा को विद्यार्थी केन्द्रित कैसे बनाया जाये यह बात भी मनोविज्ञान के शिक्षा में उपयोग द्वारा सम्भव हो सकी है। बालकों की समस्याओं के निराकरण में भी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों तथा नैदानिक तकनीकों ने बहुत सहायता की है। विशिष्ट बालकों (Exceptional Children) जैसे मंदबुद्धि, प्रतिभाशाली, सृजनशील, पिछड़े हुए बालक, बाल-अपराधी और समस्याग्रस्त बालकों की पहचान उनकी समस्याओं के निदान, उपचार तथा समायोजन सम्बन्धी उपायों को कारगर बनाने में तो मनोविज्ञान न बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक तरह से कहा जाए तो शिक्षा मनोविज्ञान के रूप में मनोविज्ञान शिक्षा जगत से जुड़े हुए सभी व्यक्तियों, शिक्षार्थी, शिक्षक, प्रशासक, शैक्षिक शोधकर्ता आदि सभी को अपनी-अपनी भूमिका प्रभावशाली ढंग से निभाने में जो मदद कर रहा है उसी से मनोविज्ञान के शिक्षा क्षेत्र में उपयोग की बात हमारी समय में पूरी तरह से आ जानी चाहिये और यही कारण है कि आज शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन और प्रचलन शिक्षा के विद्यार्थियों तथा भावी अध्यापकों के लिए प्रत्येक स्तर पर अनिवार्य बना दिया है।


 2. निर्देशन एवं परामर्श के क्षेत्र में मनोविज्ञान की उपयोगिता 
(Application of psychology in the field of guidance and counselling)-

मनोविज्ञान के उपयोग का दूसरा बड़ा क्षेत्र एवं कार्य व्यापार, निर्देशन एवं परामर्श सेवाओं को लेकर है। जिन्दगी के ऐसे अनेक मोड़ हैं तथा ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ व्यक्ति यह अनुभव करता है कि उसे वांछित सूचनाएँ चाहिएं, वांछित तथा उपयुक्त मार्गदर्शन एवं परामर्श चाहिए। इस प्रकार विद्यार्थी जीवन में ही नहीं पहले और बाद की अवस्थाओं में भी उसे किसी-न-किसी रूप में निर्देशन एवं परामर्श सम्बन्धी आवश्यकता पड़ती ही रहती है। इस प्रकार का शैक्षिक, व्यावसायिक तथा व्यक्तिगत मार्गदर्शन व्यक्ति को मनोविज्ञान की अनुकम्पा से ही भली-भाँति मिल सकता है। मनोविज्ञान की सहायता से ही उसके व्यवहार एवं व्यक्तित्व सम्बन्धी थाह मिलती है, उसकी योग्यताओं, क्षमताओं, रुचियों तथा अभिरुचियों का पता चलता है। उसकी व्यवहारगत समस्याओं के मूल कारणों की खोज भी परामर्शदाता द्वारा मनोविज्ञान की तकनीकों द्वारा ही की जाती है तथा उनका उपचार एवं पुनः समायोजन के कार्य के लिये भी मनोविज्ञान के नियम, सिद्धान्त तथा तकनीकों का पग-पग पर उपयोग करने की आवश्यकता होती है। अपने आपको परामर्शदाता, निर्देशक तथा मार्गदर्शन के रूप में प्रशिक्षित करने वाले हर व्यक्ति को भी इसलिए मनोविज्ञान के निर्देशन तथा परामर्श के बहुमुखी उपयोग को लेकर मनोविज्ञान का विशेष अध्ययन करना पड़ता है।


 3. चिकित्सा क्षेत्र में मनोविज्ञान का उपयोग 
(Application of psychology in the field of medicine) 


आषाध एव चिकित्सा क्षेत्र में भी मनोविज्ञान ने अपने पैर अच्छी तरह जमाये हुए हैं। कोई भी चिकित्सक तब तक चिकित्सा कार्य में सफल नहीं हो सकता जब तक वह जिस मरीज का इलाज कर रहा है उसके व्यवहार एवं व्यक्तित्व से भली-भाँति अवगत न हो जाए। कहते हैं दवा तो अपना कार्य करती है परन्तु इससे ज्यादा प्रभाव इस बात का पड़ता है कि मरीज का डॉक्टर पर तथा उसके द्वारा की जाने वाली चिकित्सा एवं दवाइयों पर कितना विश्वास है। खाली ग्लूकोज का इंजैक्शन लेने से ही मरीज को यह विश्वास हो जाता है कि उसकी बीमारी के लिये उसे बढ़िया दवा मिल गई है तथा उसकी हालत सुधरने लगती है। डॉक्टर भी यह बात जानता है कि मरीज को केवल आराम की जरूरत थी, दवाई की नहीं परन्तु यह इंजेक्शन इसलिये दिया गया ताकि मरीज को यह विश्वास हो जाये कि उसकी देखभाल हो रही है तथा उसे जो दवा चाहिए थी वह मिल गई। इस प्रकार की बहुत सारी बातें हैं, मनोवैज्ञानिक इलाज हैं जिनसे मरीजों के मन, व्यवहार एवं इरादों की दिशा अनुकूल बनाकर उन्हें फिर से स्वस्थ एवं सबल बनाने में पहल की जा सकती है। निराशा, कुंठा, चिन्ता, कलह, झगड़े-फसाद की इस भौतिकवादी दुनिया में आज बहुत सी बीमारियाँ मन की दर्बलता से पैदा होती हैं और मन को स्वस्थ एवं सबल बनाने की कुंजी मनोविज्ञान के हाथ में है। कुसमायोजित व्यक्तित्व मानसिक अस्वस्थता तथा रोगों का शिकार अवश्य होता है । इस प्रकार की अस्वस्थता एवं रोगों का इलाज मनोवैज्ञानिक विधियों से ही किया जाता है। यही कारण है कि चिकित्सालयों में एक विभाग पूरी तरह से केवल मनोवैज्ञानिक चिकित्सा (Psychological cure and treatment) प्रदान करने के लिए ही होता है। व्यवहार चिकित्सा (Behaviour Therapy), खेल चिकित्सा (Play Therapy), योग चिकित्सा (Yoga Therapy), विद्युत आघात चिकित्सा (Shock Therapy), मनोविश्लेषण (Psychoanalysis) तथा सम्मोहन (Hypnosis) आदि जिन तकनीकों का प्रयोग आज चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहा है वे सभी मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों तथा विधियों पर ही आधारित हैं। 



4. व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में मनोविज्ञान का उपयोग 
(Use of psychology in the field of business and industry)


व्यापार एवं उद्योग के क्षेत्र में भी मनोविज्ञान का उपयोग आज दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जिन व्यापार संगठनों 
तथा उद्योग घरानों ने मनोविज्ञान के ज्ञान तथा नवीन अनसन्धानों को व्यवहार में लाने के प्रयत्न किये हैं उन्होंने अपना कार्यशैली में सुधार लाकर बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त किये हैं। सक्षेप में व्यापर एवं उद्योग जगत में मनोविज्ञान के उपयोगों तथा लाभों को निम्न प्रकार लिपिबद्ध किया जा सकता है: 
• उपभोक्ता मनोविज्ञान (Consumer Psychology) की सहायता से यह समझा जा सकता है कि उपभोक्ता को किस प्रकार का व्यवहार तथा किस प्रकार की उपभोग सामग्री चाहिये। उत्पादन की दिशा में उसी तरह का बदलाव लाया जा सकता है तथा ग्राहक और उपभोक्ता से वैसा ही अनुकूल व्यवहार किया जा सकता है जिसकी वह व्यापारी वर्ग तथा निर्माताओं से अपेक्षा करता है। 


प्रचार (Propaganda) तथा विज्ञापन (Advertisement) 


किसी भी वस्तु के विक्रय में बहुत बड़ी भूमिका निभाते है। मनोविज्ञान को आज दोनों कार्यों में अधिक से अधिक उपयोग किया जा सकता है। कौन-सा विज्ञापन या प्रचार तरीका जनसाधारण को कितना प्रभावित करेगा यह बात मनोवैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधानों के आधार पर ही तय की जाती है और यही कारण है कि एक साधारण किस्म के उत्पादन की धूम मच जाती है और एक बढ़िया उत्पादन जिसके उत्पादन में काफी खर्च आया है, उचित विज्ञापन तथा प्रचार के अभाव 
में घाटे का सौदा बन जाता है। 


• कोई भी व्यापार एवं उद्योग तब तक सफलता अर्जित नहीं कर सकता जब तक कि उसका प्रबन्ध एवं प्रशासन 
चुस्त एव सक्षम न हो। प्रबन्ध तथा संगठनात्मक कौशल के अर्जन में मनोविज्ञान की व्यावहारिकता ही काम आती है। प्रबन्ध, प्रशासन तथा संगठनात्मक कार्यों को करने से सम्बन्धित जितने भी प्रशिक्षण तथा अध्ययन कोर्स जैसे एम.बी.ए. (MBA), एम.एस.डब्ल्यू. (MSW) आदि हैं, उनमें प्रबन्ध एवं संगठनात्मक मनोविज्ञान (Organisation and Managerial Psychology) के नाम से प्रसिद्ध मनोविज्ञान की व्यावहारिक शाखा का ही 
अध्ययन और अध्यापन किया जाता है।

 
• उत्पादन में वृद्धि के लिये दो प्रकार के संसाधन चाहिएं - मानवी और भौतिक । संसाधन के रूप में जो भी 
मशीनें तथा कच्चा माल चाहिए उसे भली-भाँति भरपूर उपयोग में लाने की बात तभी बन सकती है जब कि कार्य करने के लिये उचित वातावरण, अनुकूल परिस्थितियाँ, कार्य करने वालों में कार्य के प्रति उत्साह तथा निष्ठा पूरी तरह बनी रहे। प्रदूषण रहित वातावरण हो तथा मजदूर-मालिक, अफसर-कर्मचारी आदि के बीच पर्याप्त तालमेल एवं मधुरता बनी रहे। मनोविज्ञान की उपयोगिता इसी में है कि वह सम्बन्धों को ठीक बनाने तथा उपलब्ध परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है। मनोविज्ञान के उपयोग से ही आए दिन तालाबन्दी, हड़ताल, घेराव आदि पर उचित नियन्त्रण स्थापित करके व्यापार और उद्योग की कार्यक्षमता तथा कार्यकुशलता बढ़ाई जा सकती है। व्यापार एवं उद्योग जगत में कार्यकुशलता की वृद्धि उपयुक्त व्यक्तियों का चयन, योग्यतानुसार कार्य विभाजन तथा सही व्यक्तियों की सही समय पर पदोन्नति आदि बातों पर निर्भर करती है। इन सभी कार्यों को मनोवैज्ञानिकी परीक्षण तथा मापन ने अधिकतर वस्तुनिष्ठ बना दिया है और यह मनोविज्ञान की उद्योग तथा 
व्यापार जगत् के लिए काफी महत्त्वपूर्ण देन है।


 5. कानून एवं अपराध क्षेत्र में मनाविज्ञान का उपयोग
 (Application of psychology in the field of law and criminology) 


अपराध और अपराधियों की खोज और पहचान, अपराध के मूल सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारण, अपराधियों को पुनः अपराधी न बनने देने के उपाय करने तथा उनका उपयुक्त सामाजीकरण कर व्यवस्थापन करने आदि बातों को लेकर मनोविज्ञान अपराधी दुनिया और अपराध से जुड़े हुए व्यक्तियों के व्यवहार परिवर्तन के कार्य में पूरी-पूरी सहायता करने का प्रयत्न करता है। मनोविज्ञान ने ही इस सत्य को उजागर किया है कि अपराध (Crime) जातिगत, वंशगत या जन्मजात नहीं होता बल्कि कोई भी व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के वशीभूत ही अपराध करने को मजबूर होता है, इसलिए अपराधी से घृणा नहीं करनी चाहिये बल्कि उसके उन हालात का विश्लेषण किया जाना 
चाहिये जिनमें वह अपराधी बना। इस दृष्टि से कानन का उद्देश्य महज सजा देना या अपराधी को सबक सिखाना नहा हाना चाहिए। कठोरता, दमन तथा क्ररता का सहारा न लेकर सहानभति तथा सहयोग का रास्ता पकड़कर अपराल को उसके व्यवहार में परिवर्तन करने, अपने गलत व्यवहार पर पश्चाताप करने तथा सुधरने का मौका दिया जाता चाहिय। जेलो का स्वरूप सधार-गह का होना चाहिये तथा अदालतों का मानवीय आधार पर न्याय करने एवं निर्ण लेने का। इस प्रकार के सुधारात्मक उपाय तथा मानवीय विचारों को अपराधियों से निपटने में लाने का सारा ही मनोविज्ञान को ही है। सार रूप में मनोविज्ञान के इस उपयोग की कानून एवं अपराध विज्ञान का जो अमूल्य देन की जा सकती है उनमें से प्रमुख निम्न हैं: 


• अपराधियों के व्यवहार तथा व्यक्तित्व का अध्ययन कर उनकी खोज तथा पहचान में सहायक बनना। 
• साक्षी मनोविज्ञान (Psychology of Evidence) के उपयोग द्वारा गवाहों की गवाही तथा कथनों में किती - सत्यता है इसकी परख करके न्याय एवं कानून की मदद करना। 
• अपराधियों के अपराधपूर्ण व्यवहार के मूल कारणों का पता लगाकर अपराधी न बनने देने हेतु उपाय 
सुझाना। 
• अपराधियों के हृदय परिवर्तन के सम्भावित उपाय सुझाना एवं इस कार्य हेतु अदालत तथा जेल की कार्य 
प्रणाली में उपयुक्त सुधार लाते रहने की चेष्टा करना।


 6. राजनीति के क्षेत्र में मनोविज्ञान की उपयोगिता 
(Application of psychology in the field of politics) 


मनोविज्ञान के उपयोग ने राजनीति के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। राजनीति के प्रत्येक विद्यार्थी तथा राजनीति को व्यावहारिक रूप में काम में लाने को प्रत्येक व्यक्ति को आज मनोविज्ञान की सहायता लेना भी अनिवार्य सा हो गया है। जनमत (Public Opinion) क्या होता है, जनमत को प्रतिकूल तथा अनुकूल बनाने वाली बातें क्या हैं, अच्छा तथा कुशल नेतृत्व क्या होता है, प्रचार, सुझाव तथा समयानुसार व्यवहार करने का राजनीति में क्या महत्त्व है, इस तरह की बहुत सी बातें ऐसी हैं जिन्हें जानने, समझने तथा व्यवहार में लाने के लिए मनोविज्ञान की सहायता लेना आवश्यक ही होता है। राजनीति में वही खिलाड़ी मैदान मारता है जो परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार करने में कुशल होता है तथा जो जनमानस की भावनाओं, विचारों तथा इच्छाओं के अनुसार बहने या उनको अपने अनुसार बहा सकने में सिद्धहस्त होता है और यही कारण है कि राजनीति को पढ़ने तथा उसे काम में लाने वाले हर व्यक्ति को मनोविज्ञान के राजनीतिक क्षेत्र में उपयोग हेतु सिद्धहस्त होना ही चाहिए।


 

7. सैन्य विज्ञान के क्षेत्र में मनोविज्ञान की उपयोगिता 
(Application of psychology in the field of military science)


सैन्य विज्ञान के अध्ययन तथा प्रशिक्षण सम्बन्धी पाठ्यक्रमों में भी मनोविज्ञान को काफी महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। उसका कारण यही है कि सैनिकों के काम-काज की दुनिया में भी अच्छे परिणामों को सामने लाने में मनोविज्ञान ने अपनी बहुमुखी उपयोगिता अच्छी तरह सिद्ध कर दी है। संक्षेप में मनोविज्ञान के इन उपयोगों को यहाँ निम्न प्रकार लिपिबद्ध किया जा सकता है : 
. सैनिकों तथा अफसरों के उचित चयन, योग्यतानुसार कार्य विभाजन, पदोन्नति आदि कार्यों में सहायता करना। 
• सैनिकों तथा अफसरों के व्यवहार एवं व्यक्तित्व का अध्ययन कर उनमें समायोजन स्तर तथा मानसिक 
स्वस्थता से अवगत होना। . उनकी कामकाज की दुनिया तथा परिवेश सम्बन्धी बातों का अध्ययन कर उसमें उपयक्त सुधार करने की 
चेष्टा करना। युद्ध के समय सैनिकों तथा अफसरों के मनोबल को बनाए रखने तथा दुश्मन के मनोबल को गिराने की सभी 
सम्भावित तकनीकें और उपाय सुझाना। . विषम परिस्थितियों में भी भली-भाँति रह सकने तथा देश की सेवा करने के लिये पर्याप्त उत्साह पैदा करना। 
 इस तरह से मनोविज्ञान के ज्ञान से सैनिकों के काम-काज की दुनिया और व्यवहार को सदैव ही एक अनुकूल दिशा देने का सुझाव, अनुकरण, अभिप्रेरणा, समूह मनोविज्ञान, व्यवहार परिमार्जन, प्रचार, जनमत, नेतृत्व एवं कुशल संगठन तकनीक आदि का समयानुसार प्रयोग किया जाता है। हर अवस्था में प्रयत्न यही होता है कि जो व्यक्ति जिस बात के लिये योग्य है उससे वही कार्य उसकी पूर्ण शक्ति और सामर्थ्य से कराया जाये तथा हर अवस्था में उसका मनोबल इतना ऊँचा रखा जाये कि वह कठिन-से-कठिन कार्य को विषम-से-विषम परिस्थितियों में अच्छी से अच्छी तरह सिर-धड़ की बाजी लगाकर व्यक्तिगत या सामूहिक स्तर पर सम्पन्न कर सके।


 8. समायोजन और मानसिक स्वास्थ्य हेतु मनोविज्ञान की उपयोगिता (Application of psychology in the area of adjustment and mental health)-


जीवन में स्वस्थ, सुखी एवं सफल होने के लिये अपने आप से तथा अपने वातावरण से समायोजित होना काफी आवश्यक है। व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी भी इसी समायोजन के हाथ में होती है। कोई व्यक्ति किस सीमा तक समायोजित और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी मूलभूत आवश्यकताओं की किस रूप में, किस प्रकार, कहाँ तक पूर्ति हो रही है अथवा उनकी पूर्ति होने के प्रति वह कितना आश्वस्त है? मनोविज्ञान का ज्ञान व्यक्ति को यह सब कुछ समझने में मदद करता है तथा पर्यावरण में निहित परिस्थितियों में अपना तालमेल बनाता है तथा व्यर्थ की चिन्ताओं, भग्नाशाओं (Frustration) तथा तनाव आदि से अपने को मुक्त रखने का प्रयत्न करता है और परिणामस्वरूप अपने आपको कुसमायोजन तथा मानसिक अस्वस्था का शिकार होने से बचा लेता है। इसी रूप में अध्यापक, माँ-बाप, मार्गदर्शन और परामर्शदाता के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति तथा मानसिक रोगों के चिकित्सक आदि बालकों तथा रोगियों की सहायता करते रहते हैं। व्यक्ति चाहे अपने आप से उपाय करे अथवा कोई दूसरा उसे इस कार्य में सहायता पहुँचाये, भली-भाँति समायोजित होने की यह प्रक्रिया या अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति मनोविज्ञान के ज्ञान और विधियों के उपयोग के बिना कदापि सम्भव नहीं है और इस दृष्टि से समायोजन तथा मानसिक स्वास्थ्य हेतु मनोविज्ञान की उपयोगिता तथा उपादेयता असंदिग्ध ही है। 


9. सद्भावना एवं विश्व शान्ति हेतु मनोविज्ञान की उपयोगिता
 (Application of psychology for human relationships and world peace)


मनोविज्ञान का हमारे जीवन में एक विशेष और सार्थक उपयोग सद्भावना बनाने तथा शान्ति का मार्ग प्रशस्त करने को लेकर है। दुनिया में, अशान्ति कलह तथा झगड़े का मूल कारण आपसी अविश्वास, एक-दूसरे से भय तथा एक-दूसरे को नीचा दिखाने या उसका शोषण करने की भावनाओं में निहित है। एक-दूसरे के व्यवहार को न समझने की बात इसमें सबसे ऊपर उभर कर आती है। मनोविज्ञान का उपयोग यहाँ हमारी सभी तरह से सहायता कर सकता है। फलस्वरूप हम दूसरों को अच्छी तरह समझ सकते हैं तथा अपने व्यवहार एवं महत्त्वाकांक्षाओं को इस तरह नियोजित कर सकते हैं कि इससे दूसरों के हितों तथा भावनाओं को ऐसी ठेस न पहुँचे कि सम्बन्धों में कटुता तथा व्यवहार में आपसी वैमनस्य एवं संदेह की विषवेल पैदा हो जाए। मनोविज्ञान विषय ही ऐसा है जिसका व्यवहारिक ज्ञान हमें दूसरों को ठीक प्रकार समझ कर अपने व्यवहार की दिशा को अपेक्षित रूप में मोड़ने में सक्षम बनाता है, इससे सम्बन्धों में टकराव नहीं आता और आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। सद्भावना की यह लहर धीरे-धीरे अन्तर्राष्ट्रीय भाईचारे, सहयोग और विश्वशान्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।


 10. आत्मविकास हेतु मनोविज्ञान की उपयोगिता 
(Application of psychology for the development of the self)-


अपने स्वयं के पूर्ण और सर्वांगीण विकास में जितनी सहायता मनोविज्ञान के ज्ञान और समझ द्वारा हो सकती है उतना किसी और विषय के द्वारा नहीं। मनोविज्ञान सही अर्थों में जीवन का विज्ञान है जो हमें जीवन को अच्छी तरह समझने और उसे अच्छी तरह जीने के योग्य बनाता है। दूसरी ओर यह अध्यापकों, माँ-बाप तथा समाज के अन्य जिम्मेदार सदस्यों को वह ज्ञान तथा समझ देता है जिसकी सहायता से वे अपने पर आश्रित नन्हें मुन्नों तथा परामर्श एवं निर्देशन चाहने वाली युवा पीढ़ी को उनके जीवन की सार्थकता हेतु उनके आत्मविश्वास में भरपूर सहयोग दे सकें। हमारे व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का स्वप्न और संकल्प मनोविज्ञान के उपयोग के बिना कभी भी ठीक प्रकार 


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