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JIVAN ETIHAS VIDHI | जीवन-इतिहास विधि | Case-History Method

JIVAN ETIHAS VIDHI | जीवन-इतिहास विधि   |  Case-History Method
AdJIVAN ETIHAS VIDHI | जीवन-इतिहास विधि | Case-History Method 
 

जीवन-इतिहास विधि   (Case-History Method) 

कभी-कभी मनोवैज्ञानिकों को किसी व्यक्ति विशेष की विलक्षणता तशी समस्याओं को जानना होता है, तब मनोवैज्ञानिक प्रायः जीवन-इतिहास विधि का प्रयोग करत है। जिस व्यक्ति की विलक्षणता का अध्ययन किया जाता है वह कोई अपराधी मानसिक रोगी, झगड़ालू, प्रतिभाशाली, समाज-विरोधी कार्य करने वाला, समस्यात्मक बालक आदि कुछ भी हो सकता है। व्यक्ति की विलक्षणता का कारण उसका भौतिक, पारिवारिक या सामाजिक वातावरण हो सकता है। व्यक्ति अपनी पूर्वगत परिस्थितियों तथा अनुभवो के फलस्वरूप विलक्षण व्यवहार करने लगता है। मनोवैज्ञानिकगण व्यक्ति कावलक्षण व्यवहार के वास्तविक कारण को जानने के लिए उसके जीवन इतिहास का अध्ययन करते हैं। वे उस व्यक्ति के माता-पिता, भाई-बहन, पड़ोसियो, सम्बन्धिया, मित्रों, अध्यापकों आदि से उस व्यक्ति के द्वारा विगत में किए गए क्रियाकलापों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी एकत्रित करते हैं। व्यक्ति के वंशानुक्रम, पारिवारिक व सामाजिक वातावरण, शारीरिक स्वास्थ्य, शैक्षिक, मानसिक, संवेगात्मक विकास तथा उसकी रुचियों व अनुभवों से सम्बन्धित सूचनाओं को एकत्रित करके मनोवैज्ञानिक उन कारणों की खोज करता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति के व्यवहार में विलक्षणता उत्पन्न हुई है। स्पष्ट है कि जीवन-इतिहास विधि का उद्देश्य उन कारणों का निदान करना है जो व्यक्ति को किसी विशिष्ट प्रकार का व्यवहार करने के लिए मजबूर करते हैं। 

जीवन-इतिहास विधि की विशेषताएं (Characteristics of Case-History Method) 

इस विधि की मुख्य विशेषताएं निम्नवत् हैं


 (i) उपचारात्मक परामर्श व निर्देशन की दृष्टि से यह विधि सर्वोत्तम है। 


(ii) मन्द बुद्धि व पिछडे बालकों तथा मानसिक रोगों से ग्रस्त बालकों के अध्ययन 

के लिए यह विधि उपयोगी है। (iii) इस विधि में विभिन्न स्त्रोतों से तथा व्यापक ढंग से सूचनाएं संकलित की जाती हैं इसलिए इस विधि से प्राप्त निष्कर्ष विश्वसनीय होते हैं। जीवन-इतिहास विधि की सीमाएँ (Limitations of Case-I listory Method) 

इस विधि की प्रमुख सीमाएं निम्नलिखित हैं 

(i) इस विधि का प्रयोग विशेषज्ञ ही कर सकते हैं।

 (ii) इस विधि में समय, श्रम व धन अधिक लगता है, जिसके कारण यह विधि 

अधिक व्ययशील हो जाती है। 

(iii) कभी-कभी व्यक्ति तथा उसके इष्टमित्र प्रश्नगत व्यक्ति से सम्बंधित 

सूचनाओं को छिपाने का प्रयास करते हैं, जिसके फलस्वरूप इस विधि से 

प्राप्त निष्कर्ष गलत हो सकते हैं।

 (iv) इस विधि से प्राप्त सूचनाओं की व्याख्या करते समय मनोवैज्ञानिकगणों में 

भी मतभेद रहता है। 


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