Subject-Teaching Of Mathematics)
गणित के मुख्य शिक्षण सहायक सामग्री
(Teaching Aids of Mathematics)
मुख्य के रूप से जिन सहायक सामग्री का गणित में उपयोग किया जाता है ! उनका वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है -
1. श्यामपट्ट व चाक (Blackboard and calk)
2. वास्तविक वस्तुएं (Real objects)
3. प्रतिमूर्ति (Models)
4. चित्र, चार्ट व रेखाचित्र (picture,charts,sketches,and diagram) -
5. ग्राफ ( Graph) -
गणित के मुख्य शिक्षण सहायक सामग्री
1. श्यामपट्ट व चाक (Blackboard and calk) -
गणित विषय में श्यामपट्ट का अत्यधिक महत्व है ! इसकी अनुपस्थिति में गणित का शिक्षण कार्य अत्यधिक कठिन है ! सभी समस्याओं के हल अंकगणित, बीजगणित व रेखा गणित के श्यामपट्ट पर किए जाते हैं ! श्यामपट्ट पर चित्र और चित्रों की सहायता से प्रश्नों के हल बहुत ही सुविधाजनक तरीके से हो जाते हैं ! गणित की किसी समस्या का हल बिना श्यामपट्ट के हल नहीं हो सकता है !
गणित में कभी-कभी लम्बे हल देने पड़ते हैं ! इसलिए श्यामपट्ट का प्रयोग बडै विवेक से करना चाहिए ! उसे भिन्न-भिन्न भागों में बांटकर कहीं चित्र बनाना है कहा लिखना है ! श्यामपट्ट को व्यवस्थित कर सभी बातों का समावेश उचित होना चाहिए !
2. वास्तविक वस्तुएं (Real objects) -
सहायक सामग्री में सबसे अधिक महत्व प्रत्यक्ष या वास्तविक वस्तुओं का है क्योंकि इनसे छात्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है ! यह मनोवैज्ञानिक सत्य है, कि जो ज्ञान वस्तु को प्रत्यक्ष देखकर व स्वयं करके होता है ! वह कक्षा में मौखिक शिक्षण से नहीं होता ! गणित का शिक्षण कार्य करते समय कभी-कभी ऐसे पाठ्य-वस्तु आती है कि उसे स्पष्ट करने के लिए छात्रों के समक्ष वह वस्तु मूल रूप से प्रस्तुत करने का पर उनके मस्तिष्क में ठीक प्रकार बैठ सकती हैं ! जैसे यदि हमें नाप,तौल, आयतन के पैमाने का स्पष्ट ज्ञान देना है तो छात्रों के समक्ष किलोग्राम, 500 ग्राम, 200 ग्राम, 100 ग्राम, 50 ग्राम 20 ग्राम, 10 ग्राम तथा 5 ग्राम के बाट प्रस्तुत किए जाने चाहिए ! इसी प्रकार मीटर व उसके आंशिक भाग प्रस्तुत किए जाने चाहिए ! क्षेत्रफल हेतु छात्रों को खेतों पर ले जाकर वास्तविक मापन से परिचित कराया जा सकता है ! शिक्षक का कर्तव्य है कि छात्रों को क्षेत्रफल, कमरों की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि का ज्ञान कराने के लिए उन्हें वास्तविक अवस्था में रखकर नापवाकर स्पष्ट ज्ञान कराया जाए जिससे वास्तविकता से परिचित हो सके !
3. प्रतिमूर्ति (Models) -
कक्षा शिक्षण कार्य करते समय वास्तविक वस्तुओं को कक्षा में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना संभव नहीं हो पाता है ! क्योंकि या तो वे बहुत आकार में बड़ी होती है अथवा बहुत छोटी ! ऐसी परिस्थितियों में उन वस्तुओं की प्रतिमूर्ति (Models) का प्रयोग किया जाना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है ! जैसे ठोस ज्यामिति के शिक्षण में गोला,शंकु , बेलन, आयतफलकी आदी को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ! क्योंकि ये तीन क्षेत्रीय होते हैं, इन्हें केवल मौखिक या कल्पना के माध्यम से नहीं समझाया जा सकता है ! जो नमूने प्रयोग किये जाये वे वास्तविक पाठ से संबंधित होने चाहिए ! अध्यापक छात्रों को उचित दिशा निर्देशन देकर अच्छे मॉडलों का निर्माण विद्यालय प्रांगण में मिट्टी, लकड़ी,गत्ता आदि का प्रयोग करके करवा सकते हैं !
4. चित्र, चार्ट व रेखाचित्र (picture,charts,sketches,and diagram) -
मॉडल और वास्तविक पदार्थों के अभाव में चित्रो, चार्टो का प्रयोग किया जाता है ! चित्रों को देखकर छोटे-छोटे बच्चे विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं ! अतः प्राथमिक स्तर पर इनका उपयोग अधिक -से -अधिक किया जाना चाहिए ! छोटी कक्षा के छात्रों को गिनती का बोध कराने हेतु, जोड़ सिखाने हेतु, घटाने हेतु, गिनतारा या चित्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए ! रेखागणित के अध्ययन में चित्रों का अत्यधिक प्रयोग होता है ! चित्र स्पष्ट, प्रभावशाली और गणित के तथ्यों से संबंधित होना चाहिए ! चित्रों का उपयोग अत्यंत सावधानी और परिस्थितियों के अनुसार करना चाहिए !
5. ग्राफ ( Graph) -
गणित विषय में ग्राफ का अत्यंत महत्व है ! दो चर राशियों में क्या संबंध होता है उसी के दिग्दर्शन हेतु ग्राफ का प्रयोग किया जाता है ! वर्गात्मक समीकरण हल करने में तथा युगपत समीकरण हल करने में ग्राफ को बहुत उपयोगी माना गया है ! सांख्यिकी में ग्राफ की उपयोगिता सबसे अधिक होती है ! ग्राफ के प्रयोग से सबसे अधिक लाभ यह है कि किसी वस्तु के विशेष तथ्यों को एक दृष्टि में देखा जा सकता है ! जब दो वस्तुओं की तुलना समान गुणों पर होती है तो ग्राफ द्वारा प्रदर्शन सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है ! दो देशों के रनरेट व ओवरों का ग्राफ टीवी पर स्पष्ट एवं झलक में सामने से गुजरता हुआ तुलना देता है !
(2) डी .एल.एड. फर्स्ट इयर के सभी विषय के नोट्स PDF के लिए इसे क्लिक करे >>>
गणित में कभी-कभी लम्बे हल देने पड़ते हैं ! इसलिए श्यामपट्ट का प्रयोग बडै विवेक से करना चाहिए ! उसे भिन्न-भिन्न भागों में बांटकर कहीं चित्र बनाना है कहा लिखना है ! श्यामपट्ट को व्यवस्थित कर सभी बातों का समावेश उचित होना चाहिए !
2. वास्तविक वस्तुएं (Real objects) -
सहायक सामग्री में सबसे अधिक महत्व प्रत्यक्ष या वास्तविक वस्तुओं का है क्योंकि इनसे छात्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है ! यह मनोवैज्ञानिक सत्य है, कि जो ज्ञान वस्तु को प्रत्यक्ष देखकर व स्वयं करके होता है ! वह कक्षा में मौखिक शिक्षण से नहीं होता ! गणित का शिक्षण कार्य करते समय कभी-कभी ऐसे पाठ्य-वस्तु आती है कि उसे स्पष्ट करने के लिए छात्रों के समक्ष वह वस्तु मूल रूप से प्रस्तुत करने का पर उनके मस्तिष्क में ठीक प्रकार बैठ सकती हैं ! जैसे यदि हमें नाप,तौल, आयतन के पैमाने का स्पष्ट ज्ञान देना है तो छात्रों के समक्ष किलोग्राम, 500 ग्राम, 200 ग्राम, 100 ग्राम, 50 ग्राम 20 ग्राम, 10 ग्राम तथा 5 ग्राम के बाट प्रस्तुत किए जाने चाहिए ! इसी प्रकार मीटर व उसके आंशिक भाग प्रस्तुत किए जाने चाहिए ! क्षेत्रफल हेतु छात्रों को खेतों पर ले जाकर वास्तविक मापन से परिचित कराया जा सकता है ! शिक्षक का कर्तव्य है कि छात्रों को क्षेत्रफल, कमरों की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि का ज्ञान कराने के लिए उन्हें वास्तविक अवस्था में रखकर नापवाकर स्पष्ट ज्ञान कराया जाए जिससे वास्तविकता से परिचित हो सके !
3. प्रतिमूर्ति (Models) -
कक्षा शिक्षण कार्य करते समय वास्तविक वस्तुओं को कक्षा में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना संभव नहीं हो पाता है ! क्योंकि या तो वे बहुत आकार में बड़ी होती है अथवा बहुत छोटी ! ऐसी परिस्थितियों में उन वस्तुओं की प्रतिमूर्ति (Models) का प्रयोग किया जाना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है ! जैसे ठोस ज्यामिति के शिक्षण में गोला,शंकु , बेलन, आयतफलकी आदी को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ! क्योंकि ये तीन क्षेत्रीय होते हैं, इन्हें केवल मौखिक या कल्पना के माध्यम से नहीं समझाया जा सकता है ! जो नमूने प्रयोग किये जाये वे वास्तविक पाठ से संबंधित होने चाहिए ! अध्यापक छात्रों को उचित दिशा निर्देशन देकर अच्छे मॉडलों का निर्माण विद्यालय प्रांगण में मिट्टी, लकड़ी,गत्ता आदि का प्रयोग करके करवा सकते हैं !
4. चित्र, चार्ट व रेखाचित्र (picture,charts,sketches,and diagram) -
मॉडल और वास्तविक पदार्थों के अभाव में चित्रो, चार्टो का प्रयोग किया जाता है ! चित्रों को देखकर छोटे-छोटे बच्चे विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं ! अतः प्राथमिक स्तर पर इनका उपयोग अधिक -से -अधिक किया जाना चाहिए ! छोटी कक्षा के छात्रों को गिनती का बोध कराने हेतु, जोड़ सिखाने हेतु, घटाने हेतु, गिनतारा या चित्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए ! रेखागणित के अध्ययन में चित्रों का अत्यधिक प्रयोग होता है ! चित्र स्पष्ट, प्रभावशाली और गणित के तथ्यों से संबंधित होना चाहिए ! चित्रों का उपयोग अत्यंत सावधानी और परिस्थितियों के अनुसार करना चाहिए !
5. ग्राफ ( Graph) -
गणित विषय में ग्राफ का अत्यंत महत्व है ! दो चर राशियों में क्या संबंध होता है उसी के दिग्दर्शन हेतु ग्राफ का प्रयोग किया जाता है ! वर्गात्मक समीकरण हल करने में तथा युगपत समीकरण हल करने में ग्राफ को बहुत उपयोगी माना गया है ! सांख्यिकी में ग्राफ की उपयोगिता सबसे अधिक होती है ! ग्राफ के प्रयोग से सबसे अधिक लाभ यह है कि किसी वस्तु के विशेष तथ्यों को एक दृष्टि में देखा जा सकता है ! जब दो वस्तुओं की तुलना समान गुणों पर होती है तो ग्राफ द्वारा प्रदर्शन सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है ! दो देशों के रनरेट व ओवरों का ग्राफ टीवी पर स्पष्ट एवं झलक में सामने से गुजरता हुआ तुलना देता है !
**************************
*************************
NOTE-1 असाइनमेंट लिखने के लिए 10 से ज्यादा स्टूडेंट्स 7033746030 पर मैसेज करते है तो उसका उत्तर दिया जायेगा ||
NOTE -2 किसी प्रश्न के Assistant professor का नोट्स मात्र 10 रूपये में प्राप्त कर सकते है 7033746030 मैसेज करे |
महत्वपूर्ण प्रश्नों के लिंक
(Link For Important Question)
(1) बी.एड. फर्स्ट ईयर के सभी विषय के नोट्स के लिए इसे क्लिक करे >>>
(2) डी .एल.एड. फर्स्ट इयर के सभी विषय के नोट्स PDF के लिए इसे क्लिक करे >>>
आवश्यक सूचना --------
डी.एल.एड , बी.एड, STET ,CTET की तैयारी , सरकारी नोकरी एवं NEWS , NOTES & PDF के लिए निचे लिक दिया गया है /इसे क्लिक कर जुड़ सकते है /
(1) यूट्यूब से जुड़ने के लिए लिक
(2) फेसबुक लिंक -
(3) टेलीग्राम लिंक --
(4) ट्विटर (Twitter) लिंक -
(5)व्हाट एप ग्रुप - 2
(6 )व्हाट एप ग्रुप -3
(Other Important Link )