Course- 4 (language across the curriculum)
मातृभाषा का महत्व
(importance of mother tung)
मातृभाषा के महत्व को निम्नवत रेखांकित किया जा सकता है -
5. बौद्धिक एवं संज्ञानात्मक विकास
6. सामाजिक रचना तथा सामाजिक क्रियाकलाप
7. सांस्कृतिक जीवन और मातृभाषा
8. जीवन तथा मातृभूमि के प्रति स्वास्थ्य दृष्टिकोण
मातृभाषा के महत्व को निम्नवत रेखांकित किया जा सकता है -
1. भावों और विचारों की अभिव्यक्ति का साधन -
जीव वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक अनुसार नवजात शिशु अपने मस्तिष्क में ध्वनि इकाइयों को इकट्ठा करता है तथा उनके सहारे वह नए-नए शब्दों को सीखता है और जोड़ता है ! ये इकाइयां अर्थबोध संबंधी इकाइयां होती है, जो मस्तिष्क के स्नायु कोषो में अंकित हो जाती है यह काया मात्रिभाषा की होती है ! जब शिशु के को अन्य भाषी स्थान पर पहुंचा दिया जाता है तो वह इस भाषा की ध्वनि इकाइयों का संग्रह करने लगता है !
2. विचारों की जननी -
मातृभाषा से बालक विचारों को ग्रहण करता है और आदान -प्रदान करता है ! अन्य किसी भाषा में बालक अपने विचारों को मौलिकता से अभिव्यक्त नहीं कर सकता !3. भावात्मक विकास का उत्तम साधन -
बच्चे अपनी मातृभाषा से बड़ा जुड़ाव् महसूस करते हैं ! इसलिए जिन बच्चों की मातृभाषा एक होती है वे एक -दूसरे से मित्रता करना पसंद करते हैं ! एक समूह बनाकर समूह -भावना से जुड़े रहते हैं !4. सृजनात्मकता का विकास -
मातृभाषा संस्कृति का हस्तांतरण करने में प्रमुख भूमिका निभाती है ! अन्य भाषा की अपेक्षा बालक मातृभाषा पर जल्दी अधिकार प्राप्त कर लेता है ! मातृभाषा पर अधिकार प्राप्त कर बालक कविताएं, कहानियां आदि लिखने को प्रेरित होता है ! इस प्रकार उन्हें आत्माभिव्यक्ति का अवसर प्राप्त होता है ! उनकी सृजनात्मकता का विकास होता है !5. बौद्धिक एवं संज्ञानात्मक विकास -
मातृभाषा हमारे मनन, चिंतन तथा अनुभूति का साधन है ! G.M.थॉमसन के अनुसार - ''मुक और बधिर बालक बुद्धि परीक्षाओं में सफल नहीं होते क्योंकि उनके पास भाषा की शक्ति नहीं होती ! '' अर्थात भाषा के अभाव में हमारी बुद्धि अधिक सक्रिय नहीं हो पाती ! एनी बीसेंट के अनुसार - मातृभाषा द्वारा शिक्षा न देने की स्थिति में निश्चित रूप से भारत देश को विश्व के सभी देशों में अति अज्ञानी बना दिया है ! इसी कारण देश में उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों की संख्या न्यूनतम तथा अशिक्षतो की संख्या सबसे अधिक है !6. सामाजिक रचना तथा सामाजिक क्रियाकलाप -
पूरे देश की मातृभाषा हिंदी को माना गया है ! लेकिन फिर भी क्षेत्रीय भाषाओं ने देश की एकता को विखंडित कर रखा है ! आज दक्षिण भारत में हिंदी कम समझते हैं, क्षेत्रीय भाषा पर अधिक दबाव है ! एक भाषीओं में सहज आत्मीयता होती है ! फिर अधिक शिक्षित वर्ग अंग्रेजी का प्रचलन त्याग नहीं पाते इससे भी समाजीक क्रियाकलापों में कमी आती है ! अतः सभी कार्य मातृभाषा में ही होने चाहिए !7. सांस्कृतिक जीवन और मातृभाषा -
मातृभाषा में ही देश संस्कृति निहित होती है ! अतः मातृभाषा शिक्षण से भारतीयों में चार पुरुषार्थ, त्रिगुण आदि के भाव जागृत होते हैं, यही भारतीय संस्कृति है ! इससे भारत की गरिमा चित्रित होती है जिसके साथ हमारा भावात्मक संबंध है !8. जीवन तथा मातृभूमि के प्रति स्वास्थ्य दृष्टिकोण -
"जननी जन्मभूमिशच स्वर्गादपि गरीयसी "मातृभाषा और उसका साहित्य अपने धरती और परिवेश के प्रति आत्मीयता के भाव उत्पन्न करता है ! मातृभाषा के साहित्य में सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन का परिचय मिलता है ! भारतीय साहित्य में रीति -नीति, विश्वास प्रथाएं, समाजिक मनोवृति तथा आस्थाऐ व मानवीय संबंध आदि सभ्यता एवं संस्कृति के तत्व प्रतिबिंबित होते हैं !
महत्वपूर्ण लिंक
(Important Link )
(1) सोसल नेटवर्क का लिंक -
डी.एल.एड , बी.एड. , एम.एड. , CTET ,सभी राज्यों के STET एवं सरकारी नोकरी सम्बन्धी NEWS & NOTES एवं SYLLABUS का PDF के लिए AB JANKARI के सोसल नेटवर्क को ज्वाइन करे
(1) टेलीग्राम पर NEWS & NOTES & सिलेबस के PDF के लिए इसे क्लिक कर ज्वाइन करे >>>
(2) फेसबुक पेज पर NEWS , NOTES & सिलेबस के PDF के लिए इसे ज्वाइन करे >>>
(3) Youtube पर न्यूज़ ,नोट्स सिलेबस के लिए इसे क्लिक करे >>>
(4) AB JANKARI व्हाट एप्प ग्रुप ज्वाइन करने के लिए इसे क्लिक करे >>>
(5 ) B.Ed & D.El.Ed CTET ,STET News Notes PDF के लिए व्हाट ऐप ग्रुप 3 ज्लिवाइन के लिए इसे क्लिक करे >>>
(2) महत्वपूर्ण प्रश्नों के नोट्स का लिंक-
(1) बी.एड. फर्स्ट ईयर के सभी विषय के नोट्स के लिए इसे क्लिक करे >>>
(2) डी .एल.एड. फर्स्ट इयर के सभी विषय के नोट्स PDF के लिए इसे क्लिक करे >>>
(2) महत्वपूर्ण विडिओ का लिंक -