विद्यालय में धार्मिक सद्भाव बनाए रखने हेतु शैक्षणिक गतिविधियाँ
प्रश्न - विद्यालय में पढ़ने वाले विभिन्न धर्मों के विद्यार्थियों के मध्य धार्मिक सदभाव / सौहार्द बनाए रखने के लिए आप कौन सी शैक्षणिक गतिविधियों को अपनाने चाहेंगे ?-(BIHAR D.El.Ed PAPER -1 2025)
उत्तर
विद्यालय में विभिन्न धर्मों के विद्यार्थी एक साथ अध्ययन करते हैं। ऐसे वातावरण में धार्मिक सद्भाव और सौहार्द बनाए रखना शिक्षक की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। इसके लिए विद्यालय में निम्नलिखित शैक्षणिक एवं सह-शैक्षणिक गतिविधियाँ अपनाई जा सकती हैं –
1. नैतिक शिक्षा एवं मूल्य आधारित शिक्षा का समावेश
- पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा, सार्वभौमिक मानव मूल्यों और सभी धर्मों की समानता पर आधारित पाठ शामिल किए जाएँ।
- “सत्य, अहिंसा, प्रेम, सेवा, करुणा” जैसे सार्वभौमिक मूल्यों पर चर्चा की जाए।
2. सामूहिक प्रार्थना सभा (Morning Assembly)
- प्रार्थना सभा में सभी धर्मों की प्रार्थनाएँ, सूक्तियाँ या प्रेरक विचार शामिल किए जाएँ।
- किसी एक धर्म विशेष पर बल न देकर “सर्वधर्म संभाव” की भावना को विकसित किया जाए।
3. उत्सवों का सांस्कृतिक उत्सव के रूप में आयोजन
- विभिन्न धर्मों के प्रमुख त्यौहार (दीवाली, ईद, क्रिसमस, गुरु पर्व आदि) को सांस्कृतिक दृष्टि से मनाया जाए।
- छात्रों को प्रत्येक त्यौहार के ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की जानकारी दी जाए।
4. विचार गोष्ठी, वाद-विवाद एवं निबंध प्रतियोगिताएँ
- “धर्मों में एकता”, “मानवता ही सर्वोच्च धर्म” जैसे विषयों पर प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँ।
- इससे छात्रों में परस्पर समझ, सम्मान और सहिष्णुता की भावना विकसित होती है।
5. सह-अध्ययन समूह (Group Activities)
- मिश्रित समूह बनाकर विद्यार्थियों को परियोजना कार्य (Project Work) दिए जाएँ।
- इससे वे सहयोगपूर्वक कार्य करना और विभिन्न विचारों का सम्मान करना सीखते हैं।
6. शैक्षिक भ्रमण एवं सामाजिक सेवा गतिविधियाँ
- विद्यार्थियों को विभिन्न धार्मिक स्थलों (मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा आदि) का भ्रमण कराया जाए।
- सभी धर्मों के विद्यार्थी सामूहिक रूप से सामुदायिक सेवा कार्यों में भाग लें।
7. शिक्षक की भूमिका
- शिक्षक को सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष, सहिष्णु और संवेदनशील होना चाहिए।
- अपने व्यवहार, भाषा और दृष्टिकोण से वह विद्यार्थियों के लिए आदर्श प्रस्तुत करे।
निष्कर्ष
विद्यालय में धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन तक सीमित न रहकर मानवता, एकता और समानता की भावना को भी विकसित करे। जब विद्यार्थी सभी धर्मों का सम्मान करना सीख जाते हैं, तब विद्यालय सच्चे अर्थों में “सर्वधर्म संभाव” का केंद्र बन जाता है।
