BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास सिलेबस एवं उत्तर
Sangyaan seekhana aur baal vikaas Syllabus and answer
| TOPIC | S 2 संज्ञान, सीखना और बाल विकास सिलेबस एवं उत्तर |
| TOPIC | Sangyaan seekhana aur baal vikaas Syllabus & solution |
| CODE | S2 |
| COURSE | BIHAR D.El.Ed 1st YEAR |
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S2 संज्ञान, सीखना और बाल विकास सिलेबस
Sangyaan seekhana aur baal vikaas Syllabus
इकाई-1- बच्चों में संज्ञानात्मक एवं संप्रत्यय विकास
* संज्ञानात्मक विकास की समझ (बच्चों का संदर्भ)
* संज्ञानात्मक विकास और सीखना (जीन पियाजे के सिद्धांत का विशेष संदर्भ)
* संज्ञानात्मक विकास और बुद्धि की अवधारणा का ऐतिहासिक संदर्भ तथा समकालीन संदर्भ में बुद्धि की सैद्धांतिक समझ
* बच्चों में सम्प्रत्यय विकास :
* सम्बंधित मानसिक प्रक्रियाएँ एवं प्रभावित करने वाले कारक
* बूनर मॉडल एव अन्य सैद्धांतिक आधार
* कार्य-कारण की समझ का विकास
इकाई-2- बाल विकास एवं सीखना
* बाल विकास और सीखने में अंतर्सम्बंध : परिचयात्मक समझ, परिपक्वता और सीखना
* सीखने की योग्यता एवं निर्योग्यता (लर्निंग डिजेबिलिटी)
* सीखने का एवं सीखने के लिए आकलन
इकाई-3 - सीखने के व्यवहारवादी एवं सूचना प्रसंस्करण सिद्धांतों की समझ
> व्यवहारवाद के दृष्टिकोण से सीखने का आशय : अवधारणा एव आधारभूत मान्यताएँ
> अनुक्रिया अनुबंध सिद्धान्त (पावलव) का संदर्भ, विश्लेषण, आलोचनात्मक समझ व शैक्षिक निहितार्थ
> सक्रिय अनुबंध सिद्धान्त (स्किनर) का संदर्भ विश्लेषण, आलोचनात्मक समझ व शैक्षिक निहितार्थ
> सूचना प्रसंस्करण मॉडल के अनुसार सीखने की प्रक्रिया
इकाई -4 - बच्चों के विकास एवं सीखने में समाज की भूमिका
* सीखने और समाज में अंतर्सम्बंध
* सामाजिक अधिगम का सिद्धात (बैन्डूरा ) : प्रेक्षण व समाजीकरण द्वारा सीखना, शैक्षिक निहितार्थ
* सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धात (वायगोत्स्की) : प्रमुख मान्यताएँ, शैक्षिक निहितार्थ एवं समालोचना
इकाई-5- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक
- सीखने के न्यूरोदैहिक (न्यूरो फिजियोलॉजिकल) आधार : मस्तिष्क की सरंचना एवं सीखने में इसकी भूमिका, सीखने के न्यूरोदैहिक सन्दर्भ में हुए शोध के शैक्षिक निहितार्थ
- सीखने में अभिप्रेरणा व अवधान (अटेन्शन) की भूमिका, प्रक्रिया एवं विविध स्वरूप
- सीखने-सिखाने में स्मृति (मेमोरी) की भूमिका एवं शैक्षिक निहितार्थ
| D.El.Ed & CTET | |
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S2 संज्ञान सीखना और बाल विकास सिलेबस एवं उत्तर
प्रश्न–1 संज्ञानात्मक विकास की समझ (बच्चों के संदर्भ में)
- (A) प्रस्तावना
- (B) संज्ञानात्मक विकास की परिभाष
- (C) बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के मुख्य चरण (Jean Piaget के अनुसार)
- (D) बच्चों के संदर्भ में संज्ञानात्मक विकास की समझ
- (E) निष्कर्ष
(A) प्रस्तावना
संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) का अर्थ है – बच्चे की सोचने, समझने, जानने और तर्क करने की क्षमता का क्रमिक विकास। यह विकास बच्चे की बुद्धि, अनुभव, पर्यावरण और शिक्षा से प्रभावित होता है।
(B) संज्ञानात्मक विकास की परिभाषा
स्विस मनोवैज्ञानिक ज्याँ पियाजे (Jean Piaget) के अनुसार –
“संज्ञानात्मक विकास वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बच्चा अपने अनुभवों से ज्ञान अर्जित करता है और दुनिया को समझने की क्षमता विकसित करता है।”
(C) बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के मुख्य चरण (Jean Piaget के अनुसार)
| चरण | आयु सीमा | प्रमुख विशेषताएँ |
| 1. संवेदी-गतिज चरण (Sensory-Motor Stage) | जन्म से 2 वर्ष तक | बच्चा अपनी इन्द्रियों और गतियों से दुनिया को जानता है। वस्तु स्थायित्व (Object Permanence) की समझ विकसित होती है। |
| 2. पूर्व-संक्रियात्मक चरण (Pre-operational Stage) | 2 से 7 वर्ष तक | प्रतीकों और भाषा का प्रयोग शुरू होता है। बच्चा आत्मकेन्द्रित (Egocentric) होता है। कल्पनाशील सोच अधिक रहती है। |
| 3. ठोस संक्रियात्मक चरण (Concrete Operational Stage) | 7 से 11 वर्ष तक | तर्कपूर्ण सोच का विकास होता है। बच्चा ठोस वस्तुओं के साथ मानसिक क्रियाएँ कर सकता है। |
| 4. औपचारिक संक्रियात्मक चरण (Formal Operational Stage) | 11 वर्ष से ऊपर | बच्चा अमूर्त (Abstract) सोचने और काल्पनिक परिस्थितियों पर विचार करने लगता है। तर्क और विश्लेषण क्षमता बढ़ती है। |
- प्रत्येक बच्चा अपने अनुभवों से सीखता है।
- खेल, कहानी, चित्र, और प्रयोगात्मक क्रियाएँ उसके मस्तिष्क के विकास में सहायक होती हैं।
- शिक्षक को बच्चों की सोचने और प्रश्न पूछने की आदत को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- शिक्षण में ठोस उदाहरण, दृश्य सामग्री और गतिविधियाँ शामिल करनी चाहिए ताकि बच्चे बेहतर समझ सकें।
- हर बच्चा अलग गति से सीखता है, इसलिए शिक्षण में विविधता आवश्यक है।
(E) निष्कर्ष
संज्ञानात्मक विकास बच्चे की शिक्षा की नींव है। यदि शिक्षक बच्चों की सोचने और समझने की प्रक्रिया को सही ढंग से समझेगा, तो वह उनके लिए अर्थपूर्ण और रोचक शिक्षण वातावरण बना सकेगा।



