S4 स्वयं की समझ PREVIOUS YEAR QUESTION SOLUTION
| TOPIC | S 4 स्वयं की समझ 2025 QUESTION PAPER SOLUTION |
| TOPIC | Understanding Towards Your self 2025 Questiopn paper |
| CODE | S 4 |
| COURSE | BIHAR D.El.Ed 2nd Year |
AB JANKARI के इस पेज में बिहार डी.एल.एड सेकेण्ड इयर पेपर S 4 स्वयं की समझ के पिछले साल के प्रश्नों को शामील किया गया है | जल्द ही सभी प्रश्नों के उत्तर को शामिल किया जायेगा |
स्वयं की समझ 2025 PREVIOUS YEAR QUESTION
S4 स्वयं की समझ 2025 PREVIOUS YEAR QUESTION
लघु उत्तरीय प्रश्न
Short Answer Type Questions
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है।
It is compulsory to answer each question
(01) व्यक्तित्व क्या है? अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए स्वयं से आप क्या-क्या विश्लेषण करेंगे? - 5
What is personality ? How will you do self analysis to know your personality P
अथवा / OR
अस्मिता से आप क्या समझते हैं ?
What do you understand by identity ?
(02) किसी व्यक्ति की वृजातीय पहचान की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ?
What are the characteristics of ethnic identification of a person?
अथवा / OR
अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए सेल्फ पोर्ट्रेट का क्या महत्व है ?
What is the importance of self-portrait to know your personality?
(03) आत्म-अभिप्रेरणा क्या है ? आत्म-अभिप्रेरणा को सबल बनाने के लिए आप क्या करेंगे ? -5
What is self-motivation? What will you do for strengthening self-motivation
अथवा / OR
पेशेवर विकास के लिए शिक्षक प्रोफाइल क्यों आवश्यक है ?
Why is the teacher profile necessary for professional development ?
(04) आप में क्या-क्या सद्गुण हैं, उसकी सूची बनाएँ । किसी एक सद्गुण को आप शिक्षण में किस प्रकार उपयोग करेंगे ? - 5
Enlist your virtues. How will you use any ofic of the virtues in teaching ?
अथवा / OR
दैनिक रिफ्लेक्टिव डायरी के महत्व के बारे में वर्णन कीजिए ।
Describe about the importance of daily reflective diary.
(05) शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित करनेवाले कारकों का उल्लेख कीजिए । -5
Mention the factors affecting the behaviour of teacher.
अथवा / OR
आत्म-विश्वास के विकास के क्या-क्या उपाय हैं ?
What are the measures for the development of self-confidence?
खण्ड - ख / Section - B
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions
किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 200 से 250 शब्दों में दें।
Answer any one question in approximately 200 to 250 words.
6. विद्यालय संस्कृति के आयामों के बारे में वर्णन कीजिए ।
Describe about the dimensions of school culture.
7. निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें | 2 × 5 = 10
(क) व्यक्तिगत अस्मिता
(ख) शिक्षक प्रोफाइल का महत्व
(ग) मननात्मक शिक्षक के गुण
(घ) सेल्फ बनाम ईगो
Write short notes on any two of the following
(a) Personal identity
(b) Importance of teacher profile
(c) Quality of reflective teacher
(d) Self us Ego.
S4 स्वयं की समझ previous year question solution
(01) प्रश्न व्यक्तित्व क्या है? अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए स्वयं से आप क्या-क्या विश्लेषण करेंगे ?-2025
- परिचय :
- व्यक्तित्व की परिभाषा :
- स्वयं के व्यक्तित्व को जानने के लिए आत्म-विश्लेषण के बिंदु :
- निष्कर्ष :
परिचय :
व्यक्ति के बाहरी आचरण, सोच, भावनाओं, व्यवहार और दृष्टिकोण का संगठित रूप ही व्यक्तित्व (Personality) कहलाता है। यह व्यक्ति की पहचान और विशिष्टता को दर्शाता है।
व्यक्तित्व की परिभाषा :
गॉर्डन ऑलपोर्ट के अनुसार — “व्यक्तित्व व्यक्ति के मनो-दैहिक तंत्रों का ऐसा संगठन है जो उसके अनुकूलनशील व्यवहार और विचारों को निर्धारित करता है।”
व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएँ :
- सर्वांगीण गुणों का समन्वय:
शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक सभी पहलू व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। - व्यक्ति की विशिष्टता:
प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग होता है, जो उसे दूसरों से भिन्न बनाता है। - अनुभवों से विकसित:
यह जन्मजात नहीं बल्कि अनुभवों और शिक्षा से विकसित होता है। - सामाजिक प्रभाव:
परिवार, विद्यालय और समाज के प्रभाव से व्यक्तित्व आकार लेता है।
स्वयं के व्यक्तित्व को जानने के लिए आत्म-विश्लेषण के बिंदु :
- 1. अपनी रुचियाँ (Interests):
मैं किन कार्यों में आनंद महसूस करता हूँ? जैसे — पढ़ाना, चित्र बनाना, मदद करना आदि। - 2. अपनी क्षमताएँ (Abilities):
मुझमें कौन-सी विशेष योग्यता या कौशल है — जैसे बोलने, सिखाने या नेतृत्व की। - 3. अपनी कमजोरियाँ (Weaknesses):
मुझे किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है — जैसे धैर्य, समय-प्रबंधन आदि। - 4. अपने मूल्य और विश्वास (Values):
मैं किन नैतिक सिद्धांतों और आदर्शों को जीवन में महत्व देता हूँ। - 5. व्यवहार और संबंध:
मैं दूसरों से कैसा व्यवहार करता हूँ — क्या मैं सहयोगी, विनम्र और ईमानदार हूँ? - 6. आत्म-नियंत्रण और भावनाएँ:
क्या मैं कठिन परिस्थितियों में संयम बनाए रखता हूँ या जल्दी प्रतिक्रिया करता हूँ?
निष्कर्ष :
व्यक्तित्व व्यक्ति के संपूर्ण विकास का दर्पण है। स्वयं का विश्लेषण व्यक्ति को आत्म-जागरूक बनाता है, जिससे वह अपने गुणों को विकसित और कमियों को सुधार सकता है। यह शिक्षक-प्रशिक्षण के लिए भी अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया है।
अथवा / OR
(01) अस्मिता से आप क्या समझते हैं ? 2025
उत्तर +- भूमिका
- अस्मिता के विभिन्न प्रकार
- शिक्षक के रूप में भूमिका
- निष्कर्ष
भूमिका
अस्मिता का अर्थ होता है 'पहचान' या 'अस्तित्व'। यह वह भाव है जिससे कोई व्यक्ति या समूह खुद को दूसरों से अलग और विशिष्ट महसूस करता है। D.El.Ed. के स्तर पर, अस्मिता को बच्चे के विकास से जोड़कर समझा जा सकता है। यह सिर्फ नाम या लिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बच्चे के व्यक्तित्व के कई पहलू शामिल होते हैं, जैसे उसकी भाषा, संस्कृति, परिवार और उसका शारीरिक-मानसिक विकास।
अस्मिता के विभिन्न प्रकार
एक शिक्षक के रूप में, बच्चों की अस्मिता के इन आयामों को समझना महत्वपूर्ण है:
- व्यक्तिगत अस्मिता: जब बच्चा खुद को एक अलग व्यक्ति के रूप में समझना शुरू करता है। वह अपने पसंद-नापसंद, विचारों और भावनाओं को पहचानने लगता है।
- सामाजिक अस्मिता: यह उस पहचान से संबंधित है जो बच्चे को उसके परिवार, दोस्तों, स्कूल और समाज से मिलती है।
- सांस्कृतिक अस्मिता: यह बच्चे के सांस्कृतिक मूल्यों, भाषा, रीति-रिवाजों और परंपराओं से बनती है।
- लैंगिक अस्मिता: बच्चा जब खुद को लड़का या लड़की के रूप में पहचानता है, तो यह उसकी लैंगिक अस्मिता का हिस्सा होता है।
- सामूहिक अस्मिता: जब बच्चा किसी समूह का हिस्सा होता है (जैसे, खेल टीम या एक ही कक्षा के बच्चे), तो वह सामूहिक अस्मिता महसूस करता है।
शिक्षक के रूप में भूमिका
D.El.Ed. के प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में, यह समझना ज़रूरी है कि अस्मिता का निर्माण एक जटिल और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। एक शिक्षक के तौर पर आप इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं:
- बच्चों की पहचान को सम्मान दें: हर बच्चे की पृष्ठभूमि अलग होती है। उनकी भाषा, संस्कृति और विचारों का सम्मान करें।
- आत्मविश्वास बढ़ाएं: बच्चों को उनकी क्षमताओं और योग्यताओं को पहचानने में मदद करें, ताकि उनमें आत्म-सम्मान की भावना विकसित हो।
- सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास करें: बच्चों को यह सिखाएं कि हर व्यक्ति की पहचान अलग होती है और सभी का सम्मान करना चाहिए।
- समावेशी माहौल बनाएं: कक्षा में ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ हर बच्चा सुरक्षित महसूस करे और अपनी पहचान को बिना किसी डर के व्यक्त कर सके।
निष्कर्ष
बच्चों में अस्मिता का विकास उनके सर्वांगीण विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक शिक्षक के रूप में, हमें बच्चों की अनूठी पहचान को समझने और उसका सम्मान करने की आवश्यकता है। यह उन्हें आत्मविश्वास के साथ बढ़ने और समाज में अपनी जगह बनाने में मदद करता है।
प्रश्न (02) किसी व्यक्ति की वृजातीय पहचान की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ?
Q- What are the characteristics of ethnic identification of a person?
उत्तर -
वृजातीय पहचान किसी व्यक्ति की उस भावना को दर्शाती है जिसमें वह अपने समुदाय, संस्कृति और पूर्वजों से गहरा संबंध महसूस करता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं—साझा भाषा, समान परंपराएँ, रीति-रिवाज और जीवनशैली। व्यक्ति अपने समूह के इतिहास, मूल्यों और प्रतीकों से भावनात्मक जुड़ाव अनुभव करता है। यह पहचान सामाजिक संबंधों को मजबूत करते हुए अपनेपन की भावना विकसित करती है। वृजातीय पहचान व्यक्ति के व्यवहार, सोच, दृष्टिकोण और सामाजिक भागीदारी को भी प्रभावित करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं को एक विशिष्ट सांस्कृतिक समूह का सदस्य मानकर गर्व और सुरक्षा की भावना प्राप्त करता है
अथवा / OR
प्रश्न - अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए सेल्फ पोर्ट्रेट का क्या महत्व है ?
What is the importance of self-portrait to know your personality?
प्रश्न (03) आत्म-अभिप्रेरणा क्या है ? आत्म-अभिप्रेरणा को सबल बनाने के लिए आप क्या करेंगे ? -5
Q- What is self-motivation? What will you do for strengthening self-motivation
उत्तर-
अथवा / OR
प्रश्न - पेशेवर विकास के लिए शिक्षक प्रोफाइल क्यों आवश्यक है ?
Q- Why is the teacher profile necessary for professional development ?
उत्तर -
प्रश्न (04) आप में क्या-क्या सद्गुण हैं, उसकी सूची बनाएँ । किसी एक सद्गुण को आप शिक्षण में किस प्रकार उपयोग करेंगे ? -2025
Q- Enlist your virtues. How will you use any ofic of the virtues in teaching ?
उत्तर-
मेरे भीतर सत्यनिष्ठा, धैर्य, सहानुभूति, अनुशासन, सहयोग की भावना, निरंतर सीखने की प्रवृत्ति, और जिम्मेदारी जैसे सद्गुण हैं। इन सद्गुणों में से धैर्य को मैं शिक्षण में विशेष रूप से उपयोग कर सकता हूँ। धैर्य के माध्यम से मैं प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति को स्वीकार करूँगा, कठिन विषयों को सरल तरीके से बार-बार समझाऊँगा और विद्यार्थियों को बिना किसी दबाव के प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करूँगा। धैर्यपूर्ण व्यवहार से शिक्षक और विद्यार्थी के बीच विश्वास बनता है, जिससे सीखने का वातावरण सकारात्मक और प्रेरणादायक बनता है तथा सभी बच्चे अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ पाते हैं।
अथवा / OR
प्रश्न - दैनिक रिफ्लेक्टिव डायरी के महत्व के बारे में वर्णन कीजिए ।
Q- Describe about the importance of daily reflective diary.
उत्तर-
प्रश्न (05) शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित करनेवाले कारकों का उल्लेख कीजिए । -5
Mention the factors affecting the behaviour of teacher.
शिक्षक के व्यवहार को कई प्रकार के कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्तिगत कारकों में शिक्षक का व्यक्तित्व, भावनात्मक संतुलन, आत्म-विश्वास, मूल्य, दृष्टिकोण और अनुभव शामिल हैं। व्यावसायिक कारकों में प्रशिक्षण, विषय-ज्ञान, शिक्षण कौशल और कक्षा प्रबंधन क्षमता महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, विद्यालय का वातावरण, प्रशासन का सहयोग, विद्यार्थियों का व्यवहार, अभिभावकों की अपेक्षाएँ और उपलब्ध संसाधन भी शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियाँ, कार्यभार और समय-प्रबंधन की स्थिति भी प्रभाव डालती हैं। इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से शिक्षक का व्यवहार सकारात्मक या नकारात्मक रूप ले सकता है।
अथवा / OR
प्रश्न -आत्म-विश्वास के विकास के क्या-क्या उपाय हैं ?-2025
Q- What are the measures for the development of self-confidence?
उत्तर-
प्रश्न 6. विद्यालय संस्कृति के आयामों के बारे में वर्णन कीजिए ।
Describe about the dimensions of school culture.
भूमिका :
विद्यालय संस्कृति वह समग्र माहौल, मूल्य, व्यवहार, परंपराएँ और गतिविधियाँ हैं जो किसी विद्यालय को उसकी विशिष्ट पहचान प्रदान करती हैं। यह विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा विद्यालय समुदाय के बीच संबंधों की गुणवत्ता को दर्शाती है। एक सकारात्मक विद्यालय संस्कृति सीखने के वातावरण को प्रेरक बनाती है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होती है।
विद्यालय संस्कृति के प्रमुख आयाम :
-
मूल्य एवं विश्वास – विद्यालय किन नैतिक मूल्यों, आचरण सिद्धांतों और शैक्षिक विश्वासों को बढ़ावा देता है, यही विद्यालय संस्कृति का केंद्र बिंदु है।
-
शिक्षण-अधिगम वातावरण – कक्षाओं में अनुशासन, शिक्षण विधियाँ, सीखने के अवसर, प्रेरक गतिविधियाँ और संसाधनों का उपयोग संस्कृति को उन्नत बनाते हैं।
-
नेतृत्व शैली – प्रधानाचार्य एवं शैक्षिक नेतृत्व की शैली विद्यालय के वातावरण को प्रभावित करती है। लोकतांत्रिक, सहयोगात्मक नेतृत्व संस्कृति को सकारात्मक दिशा देता है।
-
सामाजिक संबंध और संवाद – शिक्षक-विद्यार्थी, शिक्षक-शिक्षक तथा विद्यार्थी-विद्यार्थी के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध विद्यालय संस्कृति का महत्वपूर्ण आयाम है।
-
नियम, परंपराएँ और रीति-रिवाज़ – विद्यालय के समारोह, परंपराएँ, दैनिक दिनचर्या, अनुशासन के नियम और व्यवहार मानक संस्कृति को सुव्यवस्थित बनाते हैं।
-
भौतिक परिवेश – स्वच्छ, सुरक्षित और प्रेरक भौतिक वातावरण विद्यालय संस्कृति की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है।
-
अभिभावक एवं समुदाय सहभागिता – समुदाय और अभिभावकों की सहभागिता विद्यालय संस्कृति को मजबूत और समावेशी बनाती है।
निष्कर्ष :
उपरोक्त सभी आयाम मिलकर विद्यालय संस्कृति को एक समग्र, जीवंत और प्रेरक रूप प्रदान करते हैं। एक सकारात्मक विद्यालय संस्कृति न केवल शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ाती है, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, अनुशासन, सहयोग और नैतिक चरित्र का विकास भी सुनिश्चित करती है। ऐसी संस्कृति ही आदर्श विद्यालय का आधार बनती है।
प्रश्न 7. निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें | 2 × 5 = 10
(क) व्यक्तिगत अस्मिता
(ख) शिक्षक प्रोफाइल का महत्व
(ग) मननात्मक शिक्षक के गुण
(घ) सेल्फ बनाम ईगो
(क) व्यक्तिगत अस्मिता (100 शब्द)
व्यक्तिगत अस्मिता वह भावना है जिसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं को एक अलग, विशिष्ट और अद्वितीय पहचान वाले इंसान के रूप में देखता है। इसमें व्यक्ति के मूल्य, विश्वास, क्षमताएँ, रुचियाँ और जीवन के प्रति दृष्टिकोण शामिल होते हैं। व्यक्तिगत अस्मिता व्यक्ति की आत्म-धारणा को मजबूत करती है और उसे जीवन में निर्णय लेने, लक्ष्य निर्धारित करने तथा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है। स्वस्थ अस्मिता सामाजिक संबंधों में आत्मविश्वास बढ़ाती है और व्यक्ति को अपनी भूमिकाओं एवं जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में सहायता करती है। इस प्रकार यह समग्र व्यक्तित्व विकास का मूल आधार है।
(ख) शिक्षक प्रोफाइल का महत्व (100 शब्द)
शिक्षक प्रोफाइल किसी शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, शिक्षण शैली, उपलब्धियों और व्यावसायिक मानकों का संक्षिप्त विवरण होता है। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिक्षक की क्षमताओं और विशेषज्ञता को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। विद्यालय प्रशासन द्वारा नियुक्ति, प्रशिक्षण, मूल्यांकन तथा जिम्मेदारियों के निर्धारण में यह प्रोफाइल उपयोगी होता है। विद्यार्थियों और अभिभावकों को भी शिक्षक की योग्यता तथा शिक्षण दृष्टिकोण जानने में सहायता मिलती है। इससे शिक्षक में आत्मनिरीक्षण, पेशेवर विकास और सुधार की प्रेरणा उत्पन्न होती है। एक सशक्त शिक्षक प्रोफाइल शिक्षक की विश्वसनीयता और पेशेवर पहचान को मजबूत बनाता है।
(ग) मननात्मक शिक्षक के गुण (100 शब्द)
मननात्मक शिक्षक वह होता है जो अपने शिक्षण, व्यवहार और निर्णयों पर निरंतर विचार करके स्वयं में सुधार लाने का प्रयास करता है। ऐसे शिक्षक के गुणों में आत्म-चिंतन की क्षमता, फीडबैक स्वीकार करने का दृष्टिकोण, गलतियों से सीखने का साहस और सीखने की निरंतर इच्छा शामिल है। वे विद्यार्थियों की आवश्यकताओं का विश्लेषण करते हुए अपनी शिक्षण विधियों में परिवर्तन लाते हैं। मननात्मक शिक्षक लचीला, रचनात्मक और संवेदनशील होता है। वह कक्षा के अनुभवों को समझकर बेहतर रणनीतियाँ विकसित करता है। ऐसे शिक्षक प्रभावी अधिगम वातावरण का निर्माण करते हैं और विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देते हैं।
(घ) सेल्फ बनाम ईगो (100 शब्द)
सेल्फ व्यक्ति की वास्तविक पहचान, आंतरिक चेतना, मूल्य और आत्म-स्वीकृति को दर्शाता है। यह विनम्र, संतुलित और यथार्थवादी होता है तथा व्यक्ति को सही निर्णय लेने में मार्गदर्शन देता है। इसके विपरीत, ईगो वह मानसिक संरचना है जो व्यक्ति को स्वयं को श्रेष्ठ या अधिक महत्वपूर्ण दिखाने की प्रवृत्ति से जोड़ती है। ईगो अक्सर तुलना, प्रतिस्पर्धा, असुरक्षा और अहंकार को जन्म देता है। जहाँ सेल्फ आत्मविकास और सकारात्मक संबंधों को प्रोत्साहित करता है, वहीं ईगो रिश्तों में तनाव और गलतफहमी बढ़ा सकता है। संतुलित जीवन के लिए सेल्फ को मजबूत और ईगो को नियंत्रित रखना आवश्यक है।
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