EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT
Subject | EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT |
Course | B.Ed 1st Year |
University | All |
AB JANKARI इस पेज में बी.एड फर्स्ट इयर के EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT Assignment , EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT Notes ,EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT Question answer को शामील किया गया है |
(01) EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT BOOK PDF DOWNLOAD ?
(01) EPC 1 READING & REFLECTING ON TEXT BOOK PDF DOWNLOAD |
(02) प्रश्न पुस्तकालय से आप क्या समझते है ? पुस्तकालय के व्यवस्था पर प्रकाश डाले ?
(02) प्रश्न -पुस्तकालय से आप क्या समझते है ? पुस्तकालय के व्यवस्था पर प्रकाश डाले ? |
उत्तर –
पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं?
पुस्तकालय (Library) वह स्थान होता है जहाँ पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, समाचार-पत्रों, शोध-पत्रों, संदर्भ सामग्री और अन्य ज्ञान-स्रोतों को एकत्र, संरक्षित और उपलब्ध कराया जाता है। यह अध्ययन, शोध और ज्ञान-वृद्धि का केंद्र होता है। पुस्तकालय व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की बौद्धिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पुस्तकालय न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि आम जनता के लिए भी जानकारी और मनोरंजन का एक समृद्ध स्रोत होता है। आज के डिजिटल युग में पुस्तकालयों में ई-बुक्स, ऑडियो बुक्स और इंटरनेट सुविधाओं का भी समावेश हो गया है।
पुस्तकालय की व्यवस्था पर प्रकाश डालें
पुस्तकालय की व्यवस्था को सुव्यवस्थित, उपयोगकर्ता-मित्र और सुलभ बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व होते हैं:1. पुस्तक संग्रहण प्रणाली (Classification System)
• पुस्तकों को विषय, लेखक या डिवी डिवीमा (जैसे DDC – Dewey Decimal Classification) के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है।
• इससे पुस्तकें आसानी से खोजी जा सकती हैं।
2. सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology)
• आजकल पुस्तकालयों में ऑनलाइन कैटलॉग (OPAC), डिजिटल डेटाबेस, ई-लाइब्रेरी, और बारकोडिंग सिस्टम जैसी तकनीकों का उपयोग होता है।
3. पुस्तकालय स्टाफ
• पुस्तकालयाध्यक्ष (Librarian): मुख्य जिम्मेदार व्यक्ति जो पूरे पुस्तकालय की व्यवस्था और संचालन देखता है।
• सहायक कर्मचारी: जो पुस्तकों को संभालने, वर्गीकृत करने और पाठकों की सहायता करने का कार्य करते हैं।
4. सदस्यता प्रणाली
• पुस्तकालय में आने वाले लोगों को सदस्यता प्रदान की जाती है जिससे वे पुस्तकें उधार ले सकें।
5. नियम और समय-सारणी
• प्रत्येक पुस्तकालय में उपयोग और उधारी से संबंधित कुछ नियम होते हैं, जैसे पुस्तकें कितने दिनों के लिए ली जा सकती हैं, विलंब शुल्क आदि।
6. पठन कक्ष और सुविधाएँ
• पुस्तकालय में शांति पूर्ण पठन कक्ष, प्रकाश व्यवस्था, इंटरनेट, बैठने की सुविधा आदि प्रदान की जाती है।
(03) प्रश्न मूल्यांकन को परिभषित करे एवं प्रश्नों के प्रकार का वर्णन करे ?
(03) प्रश्न - मूल्यांकन को परिभषित करे एवं प्रश्नों के प्रकार का वर्णन करे |
मूल्यांकन (मूल्यांकन की परिभाषा):
(Definitions of Evaluation):
मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति, वस्तु, प्रक्रिया या कार्यक्रम की गुणवत्ता, महत्व, दक्षता या सफलता का निर्धारण किया जाता है। शिक्षा के संदर्भ में, मूल्यांकन का अर्थ होता है छात्रों के ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार में आए परिवर्तनों की जाँच करना।
1. टायलर (Tyler):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यह निर्धारित किया जाता है कि शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति किस हद तक हुई है।"
2. बी. एस. ब्लूम (B.S. Bloom):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति का निर्धारण किया जाता है।"
3. डब्ल्यू. डब्ल्यू. टायलर (W.W. Tyler):
"मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे यह निर्धारित किया जाता है कि छात्र ने कितनी प्रगति की है और उद्देश्यों को किस हद तक प्राप्त किया है।"
4. क्रॉनबैक (Cronbach):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जो निर्णय लेने के लिए सूचनाओं को एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य करती है।"
5. एन.एल. गेज (N.L. Gage):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों को मापा जाता है।"
🎯 सरल शब्दों में:
मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा यह जाना जाता है कि किसी व्यक्ति ने कितना ज्ञान प्राप्त किया है, और उसमें क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं।
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions):
o जिनका उत्तर संक्षेप में और निश्चित होता है।
o उदाहरण: बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), सही-गलत, रिक्त स्थान भरें आदि।
2. वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive or Subjective Questions):
o जिनका उत्तर विस्तार से दिया जाता है।
o यह छात्र के विचार, विश्लेषण और तर्कशक्ति को दर्शाते हैं।
o उदाहरण: लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न।
3. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):
o जिनके उत्तर 2–4 पंक्तियों में दिए जाते हैं।
o यह प्रश्न मुख्य रूप से मुख्य तथ्य जानने के लिए होते हैं।
4. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):
o जिनके उत्तर विस्तार से लिखे जाते हैं, आमतौर पर 100–200 शब्दों में।
o इसमें छात्र की समझ, विश्लेषण एवं प्रस्तुतीकरण क्षमता देखी जाती है।
5. व्यवहारिक प्रश्न (Practical Questions):
o जिनमें किसी प्रयोग या व्यवहारिक क्रिया को करके परिणाम दर्शाया जाता है।
o विशेष रूप से विज्ञान, कंप्यूटर या तकनीकी विषयों में उपयोगी।
6. निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions):
o इसमें छात्र को किसी विषय पर स्वतंत्र रूप से विस्तृत उत्तर देना होता है।
o यह छात्र की सृजनात्मकता और अभिव्यक्ति की क्षमता को दर्शाता है।
प्रश्न - हिंदी साहित्य के विभिन्न विधाओ प्रकारों का उल्लेख करे
उत्त्तर -
हिंदी साहित्य एक समृद्ध और विविध साहित्यिक परंपरा है, जिसमें अनेक विधाएँ (Genres/Forms) और प्रकार (Types) सम्मिलित हैं। ये विधाएँ रचनाओं की शैली, उद्देश्य और अभिव्यक्ति के आधार पर विभाजित की गई हैं। नीचे हिंदी साहित्य की प्रमुख विधाओं और उनके अंतर्गत आने वाले प्रकारों का विवरण दिया गया है:
📚 1. काव्य (Poetry)
काव्य हिंदी साहित्य की सबसे प्राचीन और समृद्ध विधा है। इसमें भावों की अभिव्यक्ति छंद, रस और अलंकारों के माध्यम से की जाती है।
काव्य के प्रमुख प्रकार:
• वीर रस काव्य – वीरता, शौर्य और उत्साह को व्यक्त करता है (जैसे: "पृथ्वीराज रासो")
• श्रृंगार रस काव्य – प्रेम और सौंदर्य की अभिव्यक्ति (जैसे: "गीत गोविंद")
• भक्ति काव्य – ईश्वर के प्रति भक्ति की भावना (जैसे: सूरदास, तुलसीदास की रचनाएँ)
• नीति काव्य – नैतिकता और जीवन मूल्यों की शिक्षा (जैसे: रहीम, कबीर के दोहे)
• वात्सल्य काव्य – मातृत्व या पितृत्व के प्रेम को व्यक्त करता है
✍️ 2. गद्य (Prose)
गद्य में विचारों की अभिव्यक्ति सरल और स्पष्ट भाषा में होती है।
गद्य के प्रमुख प्रकार:
(क) उपन्यास (Novel)
लंबी काल्पनिक कथा जिसमें पात्र, घटनाएँ और परिवेश का विस्तार होता है।
उदाहरण:
• गोदान (मुंशी प्रेमचंद)
• गुनाहों का देवता (धर्मवीर भारती)
(ख) कहानी (Short Story)
संक्षिप्त कथा जिसमें किसी एक विचार, पात्र या घटना पर केंद्रित होता है।
उदाहरण:
• कफन (प्रेमचंद)
• पूस की रात (प्रेमचंद)
(ग) नाटक (Drama)
मंच पर अभिनय के लिए लिखी गई रचना। संवाद प्रधान होता है।
उदाहरण:
• अंधा युग (धर्मवीर भारती)
(घ) निबंध (Essay)
किसी विषय पर लेखक के विचारों की व्यवस्थित प्रस्तुति।
प्रकार: वर्णनात्मक, विचारात्मक, आलोचनात्मक, हास्य-व्यंग्य आदि
उदाहरण:
• “तुलसीदास” (रामचंद्र शुक्ल)
• “पानी के ऊपर बर्फ” (हरिशंकर परसाई)
(ङ) आत्मकथा/संस्मरण/यात्रा-वृत्तांत
लेखक के स्वयं के जीवन या अनुभवों पर आधारित गद्य।
उदाहरण:
• “मेरे बचपन के दिन” (महादेवी वर्मा)
• “यात्रा के पन्ने” (सत्यनारायण)
📖 3. आलोचना (Literary Criticism)
किसी रचना की साहित्यिक गुणवत्ता, शैली, भाव आदि की समीक्षा।
प्रमुख आलोचक: रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
🎤 4. पत्रकारिता एवं लेख
समसामयिक विषयों पर लेख और स्तंभ लेखन, जो साहित्य का एक आधुनिक स्वरूप बन चुका है।
प्रमुख लेखक: काका कालेलकर, हरिशंकर परसाई (व्यंग्य लेखन)
📜 5. लोक साहित्य (Folk Literature)
जनमानस में प्रचलित मौखिक साहित्य।
प्रकार:
• लोकगीत
• लोककथाएँ
• पहेलियाँ
• कहावतें
प्रश्न- नाटक पढ़ाने के कौन कौन सी विधि है ? कक्षा अध्यापन में कौन कौन सा विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए |
उत्तर –
2. बी. एस. ब्लूम (B.S. Bloom):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति का निर्धारण किया जाता है।"
3. डब्ल्यू. डब्ल्यू. टायलर (W.W. Tyler):
"मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे यह निर्धारित किया जाता है कि छात्र ने कितनी प्रगति की है और उद्देश्यों को किस हद तक प्राप्त किया है।"
4. क्रॉनबैक (Cronbach):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जो निर्णय लेने के लिए सूचनाओं को एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य करती है।"
5. एन.एल. गेज (N.L. Gage):
"मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों को मापा जाता है।"
🎯 सरल शब्दों में:
मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा यह जाना जाता है कि किसी व्यक्ति ने कितना ज्ञान प्राप्त किया है, और उसमें क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं।
प्रश्नों के प्रकार
(Types of Questions):
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions):
o जिनका उत्तर संक्षेप में और निश्चित होता है।
o उदाहरण: बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), सही-गलत, रिक्त स्थान भरें आदि।
2. वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive or Subjective Questions):
o जिनका उत्तर विस्तार से दिया जाता है।
o यह छात्र के विचार, विश्लेषण और तर्कशक्ति को दर्शाते हैं।
o उदाहरण: लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न।
3. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions):
o जिनके उत्तर 2–4 पंक्तियों में दिए जाते हैं।
o यह प्रश्न मुख्य रूप से मुख्य तथ्य जानने के लिए होते हैं।
4. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions):
o जिनके उत्तर विस्तार से लिखे जाते हैं, आमतौर पर 100–200 शब्दों में।
o इसमें छात्र की समझ, विश्लेषण एवं प्रस्तुतीकरण क्षमता देखी जाती है।
5. व्यवहारिक प्रश्न (Practical Questions):
o जिनमें किसी प्रयोग या व्यवहारिक क्रिया को करके परिणाम दर्शाया जाता है।
o विशेष रूप से विज्ञान, कंप्यूटर या तकनीकी विषयों में उपयोगी।
6. निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions):
o इसमें छात्र को किसी विषय पर स्वतंत्र रूप से विस्तृत उत्तर देना होता है।
o यह छात्र की सृजनात्मकता और अभिव्यक्ति की क्षमता को दर्शाता है।
(04) प्रश्न हिंदी साहित्य के विभिन्न विधाओ प्रकारों का उल्लेख करे ?
(04) प्रश्न -हिंदी साहित्य के विभिन्न विधाओ प्रकारों का उल्लेख करे |
उत्त्तर -
हिंदी साहित्य एक समृद्ध और विविध साहित्यिक परंपरा है, जिसमें अनेक विधाएँ (Genres/Forms) और प्रकार (Types) सम्मिलित हैं। ये विधाएँ रचनाओं की शैली, उद्देश्य और अभिव्यक्ति के आधार पर विभाजित की गई हैं। नीचे हिंदी साहित्य की प्रमुख विधाओं और उनके अंतर्गत आने वाले प्रकारों का विवरण दिया गया है:
📚 1. काव्य (Poetry)
काव्य हिंदी साहित्य की सबसे प्राचीन और समृद्ध विधा है। इसमें भावों की अभिव्यक्ति छंद, रस और अलंकारों के माध्यम से की जाती है।
काव्य के प्रमुख प्रकार:
• वीर रस काव्य – वीरता, शौर्य और उत्साह को व्यक्त करता है (जैसे: "पृथ्वीराज रासो")
• श्रृंगार रस काव्य – प्रेम और सौंदर्य की अभिव्यक्ति (जैसे: "गीत गोविंद")
• भक्ति काव्य – ईश्वर के प्रति भक्ति की भावना (जैसे: सूरदास, तुलसीदास की रचनाएँ)
• नीति काव्य – नैतिकता और जीवन मूल्यों की शिक्षा (जैसे: रहीम, कबीर के दोहे)
• वात्सल्य काव्य – मातृत्व या पितृत्व के प्रेम को व्यक्त करता है
✍️ 2. गद्य (Prose)
गद्य में विचारों की अभिव्यक्ति सरल और स्पष्ट भाषा में होती है।
गद्य के प्रमुख प्रकार:
(क) उपन्यास (Novel)
लंबी काल्पनिक कथा जिसमें पात्र, घटनाएँ और परिवेश का विस्तार होता है।
उदाहरण:
• गोदान (मुंशी प्रेमचंद)
• गुनाहों का देवता (धर्मवीर भारती)
(ख) कहानी (Short Story)
संक्षिप्त कथा जिसमें किसी एक विचार, पात्र या घटना पर केंद्रित होता है।
उदाहरण:
• कफन (प्रेमचंद)
• पूस की रात (प्रेमचंद)
(ग) नाटक (Drama)
मंच पर अभिनय के लिए लिखी गई रचना। संवाद प्रधान होता है।
उदाहरण:
• अंधा युग (धर्मवीर भारती)
(घ) निबंध (Essay)
किसी विषय पर लेखक के विचारों की व्यवस्थित प्रस्तुति।
प्रकार: वर्णनात्मक, विचारात्मक, आलोचनात्मक, हास्य-व्यंग्य आदि
उदाहरण:
• “तुलसीदास” (रामचंद्र शुक्ल)
• “पानी के ऊपर बर्फ” (हरिशंकर परसाई)
(ङ) आत्मकथा/संस्मरण/यात्रा-वृत्तांत
लेखक के स्वयं के जीवन या अनुभवों पर आधारित गद्य।
उदाहरण:
• “मेरे बचपन के दिन” (महादेवी वर्मा)
• “यात्रा के पन्ने” (सत्यनारायण)
📖 3. आलोचना (Literary Criticism)
किसी रचना की साहित्यिक गुणवत्ता, शैली, भाव आदि की समीक्षा।
प्रमुख आलोचक: रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
🎤 4. पत्रकारिता एवं लेख
समसामयिक विषयों पर लेख और स्तंभ लेखन, जो साहित्य का एक आधुनिक स्वरूप बन चुका है।
प्रमुख लेखक: काका कालेलकर, हरिशंकर परसाई (व्यंग्य लेखन)
📜 5. लोक साहित्य (Folk Literature)
जनमानस में प्रचलित मौखिक साहित्य।
प्रकार:
• लोकगीत
• लोककथाएँ
• पहेलियाँ
• कहावतें
(05) प्रश्न नाटक पढ़ाने के कौन कौन सी विधि है ? कक्षा अध्यापन में कौन कौन सा विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए | ?
(05) प्रश्न -नाटक पढ़ाने के कौन कौन सी विधि है ? कक्षा अध्यापन में कौन कौन सा विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए | |
उत्तर –
नाटक पढ़ाने की विधियाँ (Methods of Teaching Drama)
शिक्षण को रोचक, प्रभावशाली और सहभागितापूर्ण बनाने में मदद करती हैं। नाटक एक क्रियात्मक (Activity-based) विधा है, इसलिए इसे पढ़ाने में केवल पाठ पढ़वाने से काम नहीं चलता — विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक होती है।
🎭 नाटक पढ़ाने की प्रमुख विधियाँ (Methods of Teaching Drama)
1. पाठ आधारित विधि (Textual Method)
• इसमें शिक्षक पाठ को शब्दशः पढ़ाते हैं और उसका अर्थ स्पष्ट करते हैं।
• पात्रों, संवादों, घटनाओं और भावनाओं की व्याख्या की जाती है।
🔹 उपयुक्त तब जब छात्रों की पृष्ठभूमि कमजोर हो या जब नाटक की भाषा कठिन हो।
2. भूमिका-निर्माण विधि (Role-Playing Method)
• छात्र विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हैं और संवादों को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं।
• यह विधि छात्रों में आत्मविश्वास, संवाद कौशल, और भाव-प्रदर्शन विकसित करती है।
🔹 बहुत प्रभावी विधि — छात्रों की सहभागिता और रुचि बढ़ाती है।
3. वार्तालाप / संवाद पद्धति (Dialogue Method)
• शिक्षक और छात्र मिलकर संवादों पर चर्चा करते हैं।
• संवादों के पीछे छिपे भाव, उद्देश्य, और शैली को समझाया जाता है।
4. नाट्य प्रस्तुति विधि (Dramatization Method)
• संपूर्ण नाटक को मंच पर प्रस्तुति के रूप में किया जाता है (स्कूल स्तर पर लघु रूप में)।
• छात्र निर्देशन, संवाद, वेशभूषा आदि में भाग लेते हैं।
🔹 यह विधि टीमवर्क और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है।
5. चर्चा विधि (Discussion Method)
• नाटक पढ़ने के बाद उसके पात्रों, घटनाओं और मूल संदेश पर चर्चा की जाती है।
• इससे आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) बढ़ती है।
6. प्रश्नोत्तर विधि (Question-Answer Method)
• शिक्षक प्रश्न पूछते हैं, जिससे छात्र पाठ को समझने का प्रयास करते हैं।
• विशेष रूप से परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी।
7. श्रव्य-दृश्य विधि (Audio-Visual Method)
• नाटक के वीडियो, नाट्य मंचन की रिकॉर्डिंग, या ऑडियो क्लिप सुनाकर पढ़ाना।
• इससे दृश्य और श्रवण प्रभाव से सीखना आसान होता है।
👩🏫 कक्षा अध्यापन में किस विधि का प्रयोग करना चाहिए?
अभ्यास और विषयवस्तु के अनुसार मिश्रित विधियाँ (Eclectic Method) का प्रयोग सबसे उपयुक्त होता है।
🔹 शिक्षक को चाहिए कि वह:
• पहले पाठ की भाषा और पृष्ठभूमि को स्पष्ट करे (Textual Method),
• फिर विद्यार्थियों को भूमिका-निर्माण या नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से सक्रिय करे,
• बीच-बीच में चर्चा और प्रश्नोत्तर से मूल्यांकन करता चले।
🎭 नाटक पढ़ाने की प्रमुख विधियाँ (Methods of Teaching Drama)
1. पाठ आधारित विधि (Textual Method)
• इसमें शिक्षक पाठ को शब्दशः पढ़ाते हैं और उसका अर्थ स्पष्ट करते हैं।
• पात्रों, संवादों, घटनाओं और भावनाओं की व्याख्या की जाती है।
🔹 उपयुक्त तब जब छात्रों की पृष्ठभूमि कमजोर हो या जब नाटक की भाषा कठिन हो।
2. भूमिका-निर्माण विधि (Role-Playing Method)
• छात्र विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हैं और संवादों को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं।
• यह विधि छात्रों में आत्मविश्वास, संवाद कौशल, और भाव-प्रदर्शन विकसित करती है।
🔹 बहुत प्रभावी विधि — छात्रों की सहभागिता और रुचि बढ़ाती है।
3. वार्तालाप / संवाद पद्धति (Dialogue Method)
• शिक्षक और छात्र मिलकर संवादों पर चर्चा करते हैं।
• संवादों के पीछे छिपे भाव, उद्देश्य, और शैली को समझाया जाता है।
4. नाट्य प्रस्तुति विधि (Dramatization Method)
• संपूर्ण नाटक को मंच पर प्रस्तुति के रूप में किया जाता है (स्कूल स्तर पर लघु रूप में)।
• छात्र निर्देशन, संवाद, वेशभूषा आदि में भाग लेते हैं।
🔹 यह विधि टीमवर्क और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है।
5. चर्चा विधि (Discussion Method)
• नाटक पढ़ने के बाद उसके पात्रों, घटनाओं और मूल संदेश पर चर्चा की जाती है।
• इससे आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) बढ़ती है।
6. प्रश्नोत्तर विधि (Question-Answer Method)
• शिक्षक प्रश्न पूछते हैं, जिससे छात्र पाठ को समझने का प्रयास करते हैं।
• विशेष रूप से परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी।
7. श्रव्य-दृश्य विधि (Audio-Visual Method)
• नाटक के वीडियो, नाट्य मंचन की रिकॉर्डिंग, या ऑडियो क्लिप सुनाकर पढ़ाना।
• इससे दृश्य और श्रवण प्रभाव से सीखना आसान होता है।
👩🏫 कक्षा अध्यापन में किस विधि का प्रयोग करना चाहिए?
अभ्यास और विषयवस्तु के अनुसार मिश्रित विधियाँ (Eclectic Method) का प्रयोग सबसे उपयुक्त होता है।
🔹 शिक्षक को चाहिए कि वह:
• पहले पाठ की भाषा और पृष्ठभूमि को स्पष्ट करे (Textual Method),
• फिर विद्यार्थियों को भूमिका-निर्माण या नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से सक्रिय करे,
• बीच-बीच में चर्चा और प्रश्नोत्तर से मूल्यांकन करता चले।
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