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मापन का अर्थ एवं परिभाषाएँ उपयोगिता | Meaning Definitions and Utility of Measurment

मापन का अर्थ एवं परिभाषाएँ उपयोगिता

Meaning Definitions and Utility of Measurment

मापन से तात्पर्य प्रदत्तों का अंकों के रूप में वर्णन करने से है । भौतिक राशि का मापन शुद्ध एवं वस्तुनिष्ठ रूप से किया जा सकता है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा कर पाना सम्भव नहीं है, क्योंकि भौतिक राशि में हमारा आधार बिन्दु शून्य होता है तथा इसका मान प्रत्येक स्थान एवं समय पर समान ही होता है। जबकि मानसिक या शैक्षिक मापन इतना वस्तुनिष्ठ एवं सुनिश्चित नहीं होता । इसके आधार पूर्व निर्धारित मापन (Predetermind norms) होते हैं जो आत्मनिष्ठ होने के साथ-साथ विशिष्टता से परे हैं । उदाहरणस्वरूप किसी मेज की लम्बाई और चौड़ाई हम फीते की सहायता से यथासम्भव आसानी से सही माप लेते हैं, लेकिन किसी कक्षा का सही निष्पादन Achievement) आसानी से नहीं मापा जा सकता । सामान्यतः यदि देखा जाय तो ‘मापन' एक निरपेक्ष शब्द है, जिसकी व्याख्या करना कठिन कार्य है । प्रायः मापन के अन्तर्गत मापनकर्ता का सम्बन्ध मापन क्रिया की सुविधा से इतना नहीं है, जितना कि मापन की शुद्धि से है। प्रत्येक मापनकर्ता मापन में शुद्धता लाने का प्रयास करता है, चाहे वह किसी भी विज्ञान से सम्बन्धित ही क्यों न हो। इस शुद्ध मापन को निश्चित प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है । उदाहरणस्वरूप भूगोल में अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं हेतु, अर्थशास्त्र में मुद्राओं हेतु, दैनिक जीवन में भार, लम्बाई, तापक्रम, दूध आदि मापने हेतु प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है । संक्षेप में कहा जा सकता है कि मापन मनुष्य के मानसिक तथा भौतिक पहलुओं से सम्बन्धित व्यवहार एवं कार्य की आंकिक संकेत अथवा प्रतीक प्रदान करने की प्रक्रिया है ।



यद्यपि मापन किसी निश्चित शब्दावली में नहीं बाँधा जा सकता, किन्तु फिर भी अपेक्षाकृत मापन का सम्प्रत्यय सुस्पष्ट है । इस सन्दर्भ में विभिन्न शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों ने मापन को परिभाषित करने का प्रयास किया है। उनमें से कुछ के विचार अग्रलिखित रूप में उद्धृत हैं-

1. थॉर्नडाइक के अनुसार -

"जो कुछ भी अस्तित्त्व है, वह अस्तित्त्व कुछ परिमाण में होता है एवं जो कुछ भी परिमाणात्मक रूप अस्तित्त्व में है, उसका मापन किया जा सकता है।”

"Anything that exists at all, exists in some quantity. Anything that exists in some quantity is capable of being measured."

2. स्टीवेन्सन के अनुसार -

"मापन किन्हीं निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है ।"

"Measurement is the process of assigning number to objects according to certain agreed rules."

3. हेल्मस्टेडटर के अनुसार -

"मापन को एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें किसी व्यक्ति या पदार्थ में निहित विशेषताओं का आंकिक वर्णन होता है।”

"Measurement has been defined as the process of obtaining a numerical description of the extent to which a person or thing possesses some characteristics."

4. ई. वी. वैस्ले के अनुसार -

"मापन मूल्यांकन का वह भाग है, जो प्रतिशत मात्रा अंकों, मध्यमान तथा मध्यांक द्वारा व्यक्त किया जाता है।”

निष्कर्षतः “मापन को किसी वस्तु को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।” विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी मापन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर मापन को और अधिक स्पष्ट करने हेतु मापन की निम्नलिखित विशेषताएँ दी जा सकती हैं-


(1) मापन वस्तुओं की श्रेणियों को व्यक्त करता है ।
(2) मापन संख्याओं की श्रेणी को व्यक्त करता है ।
(3) मापन वस्तुओं को अंक प्रदान करने वाले नियमों को व्यक्त करता है ।
(4) मापन मुख्यतः गणित से सम्बन्धित है, क्योंकि गणित में भी अधिसंख्य अंकों का ही प्रयोग किया जाता है ।
(5) मापन में किसी गुण विशेष को अंक प्रदान कर उसकी मात्रा का वर्णन किया जाता है ।



मापन की उपयोगिता

Utility of Measurement


शिक्षा में मनोविज्ञान के आविर्भाव से एवं प्रगति के साथ-साथ मापन का भी प्रयोग यथावत् बढ़ता जा रहा है। भौतिक रूप से लम्बाई, वजन एवं समय को फुट, पौण्ड एवं सैकण्ड (F P S) पद्धति द्वारा या मीटर, किग्रा. तथा सैकण्ड (M.K.S.) पद्धति द्वारा मापते हैं। इसी प्रकार मनोवैज्ञानिक गुणों— स्मृति, बुद्धि, योग्यता, रुचि, अभिवृत्ति आदि का मापन मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा करते हैं। मापन का प्रयोग मुख्यतः चयन, वर्गीकरण, तुलना, भविष्यवाणी, निदान एवं शोध आदि में किया जाता है। यहाँ इन प्रयोगावस्थाओं का संक्षिप्त विवरण देना भी उपयुक्त होगा-


1. चयन (Selection) -

आज के इस वैज्ञानिक युग में प्रत्येक स्थान पर कर्मचारियों का चयन किसी भी परीक्षा के द्वारा किया जाता है। यद्यपि पूर्व योग्यताओं को भारांकित करके भी चयन प्रक्रिया सम्पन्न की जाती है किन्तु दोनों ही प्रकार से मापन की ही प्रक्रिया सम्पन्न होती है। परीक्षा द्वारा परीक्षार्थी की बुद्धि, योग्यता, उपलब्धि आदि का मापन किया जाता है। इसके अतिरिक्त साक्षात्कार की सहायता से भी उसकी बुद्धि, योग्यता आदि का अंकन किया जाता है और समग्र रूप से व्यक्ति की समस्त क्षमताओं को अंकों के माध्यम से व्यक्त कर दिया जाता है ।

2. वर्गीकरण (Classification) –

बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए मापन का उपयोग और अधिक बढ़ गया है। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्रों की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि उन्हें एक साथ पढ़ाना भी सम्भव नहीं हो पा रहा है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उपयुक्त यह है कि उनकी योग्यतानुसार छात्रों को विभाजित कर लिया जाय। उच्च बुद्धि-लब्धि, सामान्य एवं निम्न बुद्धि-लब्धि छात्रों को समूहों में अलग-अलग विभाजित कर लेना ही प्रभावी होगा, क्योंकि उच्च एवं निम्न बुद्धि वाले छात्रों का पास्परिक समायोजन हो पाना सम्भव नहीं है । इनके वर्गीकरण का आधार मापन ही है, इसी प्रकार अन्य क्षेत्रों में भी वर्गीकरण के लिए मापन का उपयोग करना अपरिहार्य है ।

3. तुलना एवं भविष्यवाणी (Comparasion and Prediction) -

परीक्षा द्वारा प्राप्त किये गये अंकों की सहायता से विभिन्न समूहों, व्यक्तियों आदि की तुलना की जा सकती है। किसी परीक्षा में छात्र A ने छात्र B से कितने अंक अधिक प्राप्त किये हैं, यह मापन ही निर्धारित करता है। मात्रात्मक मापन से (Quantitative Measurement) से सम्बन्धित तुलना सरल एवं शुद्ध होती है । मापन के आधार पर की गयी तुलना ही छात्र के मूल्यांकन का आधार होती है एवं छात्रों के विषय में भविष्यवाणी की जा सकती है। शिक्षा में बहुत से ऐसे मनोवैज्ञानिक परीक्षण हैं जिनकी सहायता से हम किसी भी छात्र विशेष द्वारा प्राप्त किये गये अंकों की सहायता से यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि अमुक छात्र भविष्य में बड़ा होकर इस प्रकार का कार्य करेगा। यदि कोई रुचि परीक्षण छात्रों पर प्रशासित किया जाता हैं, तब उसके आधार पर छात्रों की रुचियों का अध्ययन कर हम उनके भविष्य के लिए उन्हें मार्गदर्शन भी प्रदान कर सकते हैं।

4. निदान (Diagnosis) –

निदान चिकित्सा शास्त्र से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है लक्षणों के आधार पर रोगों की पहचान करना एवं कारणों का पता लगाना। शारीरिक रोगों के निदान में मापन के विभिन्न उपकरणों की सहायता ली जाती है। यदि किसी कक्षा के अन्तर्गत किसी छात्र को गणित में अन्य विषयों की अपेक्षा कम अंक मिलते हैं तब हम निदानात्मक परीक्षा के द्वारा गणित में छात्र की कमजोरी के कारणों का पता लगाकर उसका उपचार कर सकते हैं।

5. शोध (Research) –

शिक्षा एवं मनोविज्ञान के अधिसंख्य शोध कार्यों में मापन की आवश्यकता पड़ती है। शिक्षा एवं मनोविज्ञान के अलावा समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, भूगोल, विज्ञान आदि विभिन्न विषयों के शोध कार्यों में भी मापन की आवश्यकता होती है। किसी भी' शोध में चाहे वह तुलना हो या किसी के व्यवहार पर कार्य हो, प्रदत्तों की आवश्यकता होती है । विभिन्न प्रविधियों से एकत्रित प्रदत्तों के आधार पर ही निष्कर्ष निकाले जाते हैं। वर्तमान एवं भविष्य के सन्दर्भ में मापनाधारित सुझाव प्रस्तुत किये जाते हैं । अतः मापन के आधार पर शोध निष्कर्ष निकाल लिये जाते हैं ।

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