CTET EVS NCERT CLASS 04 आस - पास NOTES IN HINDI
CTET EVS OBJECTIVE NOTES IN HINDI
EXAM | CTET 2024 |
SUBJECT | EVS - पर्यावरण |
MARKS | 30 |
PAPER | 1 (ONE), CLASS ( 1 TO 5 ) |
TOPIC | EVS NCERT CLASS 04 आस - पास |
Short Information | CTET के पेपर 01 में 30 प्रश्न पर्यावरण से पूछे जाते है ,NCERT के class 3 से class 5 तक के EVS से प्रश्न पूछे जात्ते है |है | इसी को ध्यान में रखते हुए इस पेज में EVS NCERT CLASS 3 के बुक से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न यहाँ दिये गये है , आशा है अगर CTET में EVS NCERT CLASS 3 सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते है तो इस पेज को पढने से विद्यार्थी को अवश्य लाभ मिलेगा | |
क्रम संख्या | Main Point | विस्तार (Details) |
01 | ट्रॉली | यह एक लकड़ी से बना हुआ झूला है, जो लोहे की रस्सी पर लगी होती है और पुली की मदद से इस रस्सी पर सरकता है। चार-पांच बच्चे एक साथ इसमें बैठ सकते हैं। |
02 | सीमेंट का पुल | यह सीमेंट ईटों तथा लोहे के सरियों से बने होते हैं |
03 | वल्लम | ल्लम केरल में नदी पार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। वल्लम लकड़ी की बनी छोटी नाव है। |
04 | ऊंट गाड़ी | राजस्थान में एक जगह से दूसरे जगह आने जाने के लिए होती है, जो की रेत में भी चल सकती है। |
05 | बैलगाड़ी | मैदानी इलाकों के गांवों में अक्सर प्रयोग में लाई जाती है। |
06 | उत्तराखंड | उत्तराखंड मैं उबड़ खाबड़ पथरीला रास्ते पाए जाते हैं। |
07 | पक्षियों के कान | पक्षियों के कान दिखते नहीं हैं, लेकिन उनके सिर के दोनों तरफ छोटे-छोटे छेद होते हैं। यह पंखों से ढके रहते हैं, और इन्हीं की मदद से पक्षी सुनते हैं। |
08 | छिपकली के कान | छिपकली के भी छोटे छेद जैसे कान होते हैं जो बहुत ध्यान से देखने पर दिखाई देते हैं। |
09 | मगरमच्छ छेद जैसे कान | मगरमच्छ के भी छोटे छेद जैसे कान होते हैं, लेकिन आसानी से दिखाई नहीं देते हैं। |
10 | खाल पर डिजाइन | जानवरों की खाल पर डिजाइन उनके शरीर पर बाल होने के कारण होते हैं। |
11 | हाथी | |
एक बड़ा हाथी 1 दिन में 100 किलो से ज्यादा पत्ते और झाड़ियां खा लेता है। | ||
हाथी बहुत कम आराम करता है हाथी केवल 1 दिन में 2 से 4 घंटे ही सोता है | ||
हाथी को पानी और कीचड़ में खेलना बहुत पसंद है, इससे उसके शरीर को ठंडक मिलती है। | ||
हाथी के कान पंखे जैसे होते हैं गर्मी लगने पर हाथी अपने कान हिलाकर हवा करता है। | ||
3 महीने के हाथी का वजन 200 किलोग्राम के आस पास होता है। | ||
12 | हाथी का झुंड | |
हाथी के झुंड में केवल हथिनियाँ और बच्चे ही रहते हैं। | ||
झुंड की सबसे बुजुर्ग हथिनी ही पूरे झुंड की नेता होती है। | ||
हाथी के एक झुंड में 10 से 12 हथिनी और बच्चे होते हैं। | ||
14 से 15 साल तक के हाथी झुंड में रहते हैं। उसके बाद फिर वह झुंड छोड़ देते हैं। | ||
हाथी परेशानी आने पर एक दूसरे की मदद करते हैं। | ||
13 | खेजड़ी | |
खेजड़ी की फलियां सब्जी के काम आती हैं, पत्तियां वहां रहने वाले जानवर खाते हैं, और इस पेड़ की छाया में बच्चे खेलते हैं। | ||
यह पेड़ रेगिस्तानी इलाकों में खूब पाया जाता है इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। | ||
इस पेड़ की छाल दवा के काम आती है और इसकी लकड़ी में कभी कीड़ा नहीं लगता। | ||
14 | चमकते सितारे | चमकते सितारे उन साधारण लड़कियों की असाधारण कहानियां है, जिन्होंने स्कूल जाकर अपनी जिंदगी बदली |
15 | बिहार, लोचाहा गांव | इस इलाके में लीची के पेड़ बहुत पाए जाते हैं। |
लीची के फूल मधुमक्खियों को बहुत लुभाते हैं। इसलिए इस क्षेत्र के लोग मधुमक्खी पालन कर शहद बनाने का काम करते हैं। | ||
अक्टूबर से दिसंबर मधुमक्खी के अंडे देने का समय होता है, और मधुमक्खी पालन शुरू करने का उपयुक्त समय भी माना जाता है। | ||
लीची के फूल फरवरी में खेलते हैं, मधुमक्खी एक बक्से से 10 किलो शहद प्राप्त होता है। | ||
16 | मधुमक्खी का छत्ता | |
हर छत्ते में एक रानी मधुमक्खी होती है,जो अंडे देती है। | ||
छत्ते में बहुत सारी काम करने वाली मधुमक्खियां भी होती है। यह दिन भर काम करती हैं। शहद के लिए फूलों का रस भी यही ढूंढती रहती हैं। | ||
जब किसी मधुमक्खी को रस मिल जाता है, तो वह एक तरह का नाच (dance) करती हैं, जिससे दूसरी मक्खियों को पता चल जाता है, कि रस कहां पर है। | ||
काम करने वाली मधुमक्खियां इसी रस से शहद बनाती हैं। छत्ता बनाने का काम भी इन्हीं का होता है। | ||
बच्चों को पालने का काम भी इन्हीं बेचारी काम करने वाली मधुमक्खियों का होता है, रानी मक्खी केवल अंडे देती है। | ||
17 | चीटि | |
चीटियों का काम बटा रहता है। रानी चीटियां => अंडे देती हैं, सिपाही चीटियां => बिल का ध्यान रखती हैं काम करने वाली चीटियां => भोजन ढूंढ कर बिल तक लाती हैं | ||
18 | गांधीधाम, अहमदाबाद, वलसाड | गांधीधाम, अहमदाबाद, वलसाड => गुजरात में है | |
19 | कोजीकोड | कोजीकोड => केरल मडगांव |
20 | मडगाँव | मडगाँव => गोवा (लाल मिट्टी) |
21 | गोवा से केरल | गोवा से केरल तक के रेल के रास्ते में 92 सुरंगे हैं और 2000 पुल है। |
22 | मलयालम में | मां की बड़ी बहन को => वलियम्मा कहते है मां की मां को => अम्मूमा कहते है |
23 | ||
23 | कर्णनम मल्लेश्वरी | कर्णनम मल्लेश्वरी :- ◆ कर्णनम मल्लेश्वरी आंध्र प्रदेश की रहने वाली एक वेटलिफ्टर है। अब वह 130 किलो ग्राम तक वजन उठा लेती हैंं। भारत के बाहर कर्णनम मल्लेश्वरी ने 29 मेडल जीते हैं। इनके पिताजी पुलिस में हवलदार थे । |
24 | फूलों की घाटी | उत्तराखंड में पहाड़ों के बीच फूलों की घाटी स्थित है। |
मधुबनी :- | बिहार में मधुबनी नाम का जिला है। त्योहारों एवं खुशी के मौकों पर वहां घर की दीवारों पर और आंगन में खास तरह के चित्र बनाए जाते हैं। | |
◆ यह चित्र पिसे हुए चावल के घोल में रंग मिलाकर बनाए जाते हैं। | ||
◆ इन रंगों को बनाने के लिए नील, हल्दी, फूल, पेड़ों के रंग आदि को इस्तेमाल किया जाता है। | ||
◆ इन चित्रों में इंसान, जानवर, पेड़, फूल, पंछी, मछलियां आदि जीव जंतु साथ में मनाए जाते हैं। | ||
◆ उत्तर प्रदेश में कचनार के फूलों की सब्जी बहुत बनाई जाती है। | ||
◆ केरल में केले की फूलों की सब्जी प्रसिद्ध है। | ||
◆ महाराष्ट्र में सहजन के फूलों के पकौड़े बनाए जाते हैं। | ||
◆ गुलदावरी, जीनिया से रंग भी बनाए जाते हैं, उन रंगों से कपड़ों को रंगा जाता है। | ||
◆ उत्तर प्रदेश का कन्नौज जिला इत्र के लिए मशहूर है। | ||
◆ उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में फूलों से इत्र, गुलाब जल और केवड़ा तैयार किया जाता है। | ||
◆ डेरा गाजीखान => पाकिस्तान | ||
◆ मिट्टी में गोबर मिलाने से मिट्टी में कीड़ा नहीं लगता। | ||
◆ लकड़ी को दीमक से बचाने के लिए नीम व कीकर की लकड़िया फ्रेम पर बिछा दी जाती है। | ||
सोहना गाँव – हरियाणा :- सोहना से दिल्ली जाने में रास्ते में गुड़गांव मिलता है। | ||
◆ पानी को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका है पानी को उबाल लेना। | ||
◆ बेलवनिका गाँव – कर्नाटक | ||
◆ जुलाई के महीने में प्याज उगाने का काम शुरू होता है। | ||
◆ खूंटी की मदद से खेत की मिट्टी को नरम किया जाता है। | ||
◆ कर्नाटक में हल को कूरिगे कहा जाता है। | ||
◆ कुछ पौधे बिना बोए खेतों में अपने आप हो जाते हैं, जिन्हें खरपतवार कहते हैं। | ||
◆ खरपतवार को खेतों से निकालना जरूरी होता है, नहीं तो सारा खाद-पानी खरपतवार ही ले लेते हैं और फसल कम होती है। | ||
◆ अगर प्याज को समय से ना खोदा जाए, तो वह जमीन के अंदर ही सड़ जाएगी। | ||
◆ कर्नाटक में हसिया को इलगे कहा जाता है। | ||
◆ गिजुभाई बधेका :- | ||
गिजुभाई गुजरात में रहते थे, और वह बच्चों के लिए मजेदार किस्सेे-कहानियां और पत्र लिखा करते थे। | ||
पक्षियों के बारे में जानकारी :- | ||
कलचिड़ी => इंडियन रोबिन :- | ||
◆ कलचिड़ी के घोसले में पौधों की नाजुक टहनी, जड़े ऊन, बाल, रुई सब बिछा होता है। | ||
◆ कलचिड़ी की चोंच अंदर से लाल होती है। | ||
◆ कलचिड़ी छोटे-छोटे कीड़े खाती है। | ||
◆ कौवे => के घोंसले में लोहे के तार और लकड़ी की शाखाएं जैसी चीजें भी होती हैं। | ||
कोयल => अपना घोंसला नहीं बनाती है। | ||
कोयल कौवे के घोंसले में अंडे देती है, कौवा अपने अंडो के साथ कोयल के अंडे को भी सेता है। | ||
कभी-कभी कोयल कौवा के अंडे को फेंक देती है और अपने अंडे रख देती हैं। | ||
कौवा => पेड़ की ऊंची डाल पर घोंसला बनाता है। | ||
फाख्ता => कैक्टस के कांटो के बीच या मेहंदी के पेड़ में घोंसला बनाता है। | ||
गौरैया => अलमारी के ऊपर आईने के पीछे भी घोंसला बना लेती हैं। | ||
कबूतर => पुराने मकान या खंडहर में घोंसला बना लेती हैं। | ||
बसंत गौरी => यह गर्मियों में पेड़ों में टुक-टुक करते रहते हैं, और पेड़ के तने में गहरा छेद बनाकर उसमें अंडे रखते हैं। | ||
दर्जिन चिड़िया => अपनी नुकीली चोंच से पत्तों को सी लेती है, और उसकेेेेे बीच की बनी थैली को अंडे देने के लिए तैयार करती है। | ||
शक्कर खोरा => यह किसी छोटे पेड़ या झाड़ी की लटकती डाली पर अपना लटकता हुआ घोसला बनाती है। | ||
शक्कर खोरा => अपना घोसला बाल, बारीक घास पतली टहनियां, सूखे पत्ते, रुई, पेड़ की छाल के टुकड़ेेे, मकड़ी के जाले और कपड़ों के चीथड़ों से बनाते हैं। | ||
नर वीवर पक्षी => अपने अपने घोंसले बनाते हैं। | ||
मादा वीवर पक्षी => नर के बनाए हुए घोसले को देखती हैं, और उनमेंं से और उनमें से जो सबसे अच्छा लगा उनमें अंडे देती हैं। | ||
पक्षी केवल => अंडे देने के लिए घोसला बनाते हैं जब अंडों से बच्चे निकल जाते हैं, तो वह घोसला छोड़ कर उड़ जाते हैं। | ||
घोसला छोड़कर पक्षी अलग-अलग जगहों पर चले जाते हैं जैसे पेड़, जमीन पर और पानी में। | ||
जानवरों के बारे में CTET Class 4th EVS नोट्स :- गाय => के आगे के दांत पत्तों को काटने के लिए छोटे होते हैं। घास चबाने के लिए पीछे के दांत चपटे और बड़े होते हैं। | ||
बिल्ली के दांत | बिल्ली के दांत => नुकीले होते हैं जो मांस को फाड़ने और काटने के काम आते हैं। | |
सांप के दांत | सांप के दांत => भी नुकीले होते हैं, पर वह अपने शिकार को चबाकर नहीं खाते हैं, बल्कि पूरा निकल जाते हैं। | |
गिलहरी के दांत | गिलहरी के दांत => हमेशा बढ़ते रहते हैं, क्योंकि गिलहरी के दांत काटने और कुतरने के कारण हमेशा घिसते रहते हैं। | |
पर्यावरण शिक्षा केंद्र | पर्यावरण शिक्षा केंद्र :- अहमदाबाद में है। | |
दस्त और हैजा | गंदा पानी पीने से दस्त और हैजा हो सकता है। | |
दस्त या उल्टी | दस्त या उल्टी में शरीर का बहुत सारा पानी बाहर निकल जाता है। इसलिए पानी की कमी को पूरा करने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिए। | |
कर्नाटक => होलगुण्डी गाँव | ||
बच्चों की पंचायत => भीमा संघ होलगुण्डी गाँव | ||
नल्लमडा => आंध्र प्रदेश | ||
बाजार गाँव => महाराष्ट्र | ||
घास की जड़े बहुत मजबूत होती हैं, इन्हें खुरपी से खोदकर ही निकाला जा सकता है। | ||
घास का पौध | घास का पौधा जितना जमीन के ऊपर होता है उससे कहीं ज्यादा जमीन के अंदर फैला हुआ होता है। | |
बरगद के पेड़ की लटकन, उसकी जड़े होती हैं, वे टहनियों से निकलती है, और बढ़ते-बढ़ते जमीन के अंदर चली जाती हैं। | ||
लटकन वाली जड़ें | बरगद की लटकन वाली जड़ें मजबूत खंभों की तरह पेड़ को सहारा देती हैं। | |
हरा पेड़ | आप कोई हरा पेड़ नहीं काट सकते भले ही उसे आप ने ही लगाया हो। पेड़ काटने के खिलाफ कानून है अतः इसके लिए सरकारी दफ्तर से लिखित में निकली लेनी पड़ती है। | |
रेगिस्तानी ओक पेड़ | रेगिस्तानी ओक पेड़ :- रेगिस्तानी ओक पेड़ ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में पाया जाता है, इसकी ऊंचाई 11 से 12 फीट होती हैं और पत्तियां बहुत ही कम होती हैं। | |
इस रेगिस्तानी ओक पेड़ की जड़े 200 से 300 फीट की गहराई तक जाती हैं, जब तक कि वे पानी तक न पहुंच जाएं। | ||
रेगिस्तानी ओक पेड़ के तने में पानी जमा होता रहता है, जब कभी इस इलाके में पानी की कमी होती है, तो वहां के लोग इसके तने के अंदर पतला पाइप डालकर पानी निकाल लेतें थे। | ||
बिहू का त्यौहार :- बिहू का त्योहार असम में चावल की नई फसल के कटने पर मनाया जाता है। | ||
भेला घर => असम में घास और बांस से बना घर | ||
उरूका | उरूका => बिहू से पिछले दिन की शाम | |
बोरा व चेवा => चावल के दो प्रकार है जो पकने के बाद चिपचिपे हो जाते हैं, इसे असम में खाया जाता है। | ||
चेवा चावल | चेवा चावल => ताओ (कड़ाही) को आग में रखकर उसमें पानी उबालेगें और भीगे हुए चावल से भरी हुई कढ़ाई इस पर रख देंगे, तथा उसे केले के पत्तों से ढक देंगे। थोड़ी देर बाद चेवा चावल खाने के लिए तैयार। | |
चाय के साथ पीठा | असम में चाय के साथ पीठा दिया जाता है। | |
पीठा | पीठा => बना हुआ केक है जो भारत के असम, उड़ीसा और पश्चिम बंगाााल में ज्यादा खाया जाता है। | |
बिहू त्योहार | बिहू त्योहार में औरतें पीले रंग के कपड़े पहनती हैं। | |
लड़कियां रंग बिरंगी मेखला चादर पहनती हैं। | ||
भात-शुक्तो | भात-शुक्तो => चावल और रसेवाली सब्जी | |
पोचमपल्ली | पोचमपल्ली जिला आंध्र प्रदेश => इस जिले के अधिकतर लोग बुनकर है, अतः इस बुनाई को पोचमपल्ली के नाम से जाना जाता है। | |
कुल्लू की शॉल, मधुबनी पेंटिंग, असम की सिल्क, कश्मीरी कढ़ाई | ||
चिट्यप्पन | मलयालम में चिट्यप्पन => पिता का छोटा भाई | |
कुंजम्मा => पिता के छोटे भाई की पत्नी | ||
मसलों का बगीचा | केरल => मसलों का बगीचा | |
वहीदा प्रिज् | लेफ्टिनेंट कमांडर वहीदा प्रिज्म => पहली महिला जिन्होंने पूरी परेड की कमान संभाली | |
धन्ना मंडी गाँव => राजौरी, जम्मू-कश्मीर | ||
धन्ना मंडी गाँव | जब परेड होती है तो पीछे 4 टुकड़ियों चलती हैं, पूरी परेड में 36 निर्देश देने होते हैं। | |
स्किटपो पुल => लद्दाख का एक गांव | ||
लद्दाख | लद्दाख में माँ को => आमा-ले | |
पिता को => आबा-ले | ||
बाबा को => मेमे-ले | ||
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