KASH AGR MAI BETA HOTI
काश अगर मैं बेटा होती
कालिंदी पाठक
काश अगर मैं बेटा होती...
किसी के सर पर बोझ ना होती
पापा का आखिरी दर्द ना होती
मेरी मां को ना झुकना पड़ता
डर-डर कर ना जीना रहता
आजाद परिंदे सी मैं भी
खुले आसमान में उड़ सकती
काश अगर मैं बेटा होती...
मां सहमी-सहमी ना रहती
दुनिया के ताने ना सुनती
कोई दर्द ना मां होने देती।
कोई जुल्म हमें ना सहना होता
किसी की चाल ना चलने देती
हर ख्वाहिश पुरी कर पाती
काश अगर मैं बेटा होती...
- कालिंदी पाठक