खेल क्या है? विभिन्न प्रकार के खेलों का वर्णन
Khel kya hai ? Vibhin prkar ke khelo ka vrnan kre
प्रश्न | खेल क्या है? विभिन्न प्रकार के खेलों का वर्णन कीजिए,खेल को प्रभावित करने वाले कारक |
Course | D.El.Ed. |
YEAR | 1st |
UNIT | 04 |
Paper Code | F-2 |
CTET Teligram group | CLIK HERE |
D.El.Ed Teligram Group | CLIK HERE |
Short Information | (1) बिहार डी.एल.एड 1st ईयर पेपर F 2 यूनिट -4 खेल क्या है? विभिन्न प्रकार के खेलों का वर्णन कीजिए (2) CTET तैयारी के लिए CTET टेलीग्राम ज्वाइन करे | (3) डी.एल.एड तैयारी के लिए D.El.Ed T टेलीग्राम ज्वाइन करे | |
खेल क्या है?
खेल एक स्वाभाविक, सार्वभौमिक, आत्मप्रेरित और आनन्दमयी क्रिया है। खेलों द्वारा बालकों का ही नहीं, बड़ों का मनोरंजन तथा शारीरिक, मानसिक सामाजिक और संवेगात्मक विकास होता है। बालकों के लिए खेल एक ऐसी क्रिया है जो उन्हें अपूर्व आनन्द प्रदान करती है तथा उनमें उनमें स्वच्छन्दता, स्फूर्ति, उत्साह एवं प्रसन्नता का स्फुरण करती है।
बालको में खेलों की प्रवृत्ति जन्मजात होती है। आनन्द प्राप्ति की इच्छा से बालक खेलो को खेलता है, किन्तु खेल शिशु के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास में अभूतपूर्व योगदान करते हैं। खेल के दौरान शिशु के शारीरिक अंग क्रियाशील होते हैं जिसमें बालक के अविकसित अंगों का विकास होता है। साथ ही मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक तथा नैतिक कास में भी खेलों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। खेलों से सक्रियता, सजगता एवं उत्साह उत्पन्न होता है। प्रारंभ में बालकों के खेलों में दौड़ना, उछलना, कूदना, सीढ़ी चढ़ना आदि क्रियाये रहती हैं, किन्तु बड़े हो जाने पर उनके खेलों का स्वरूप बदल जाता है जो फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस, बैंडमिंटन, उनकी अपनी व्यक्तिगत रूचि के अनुसार होता है।
बच्चो के खेल के प्रकार
बच्चों में खेल के कौशल के विकास के आधार पर खेल को चार वर्गों में बाँटा गया है1. खोजपरक अथवा अन्वेषणात्मक खेल-
2. रचनात्मक खेल-
3. कल्पनात्मक खेल–
4. नियमबद्ध खेल-
बच्चे किसी वस्तु को देखता, सूंघता, सुनता, छूता और स्वाद लेता है, ऐसा करके वह रंग, रूप, आकार, भार, बनावट और आकृति के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। रेत, पानी, मिट्टी, पेंट, लकड़ी आदि से खेलता है और सूखी रेत, गीली रेत और में अंतर समझता है, उनका उपयोग समझता है। इससे बच्चों में हस्तप्रयोगी कौशलों और समन्वय का विकास होता है।
2. रचनात्मक खेल-खेल में बच्चा उपलब्ध सामग्री की सहायता से नवीन वस्तुओं का निर्माण करता है। रेत का किला बनाना या ब्लॉक द्वारा किसी ढाँचे का निर्माण करना रचनात्मक खेल के उदाहरण है।
3. कल्पनात्मक खेल–बच्चा घर बनाने के बाद यह कल्पना कर सकता है कि वह घर का मालिक है, वह माता-पिता की तरह व्यवहार करना शुरू कर देता है। ऐसे खेल बच्चे में कल्पना का विकास करते हैं।
4. नियमबद्ध खेल-नौ-दस वर्ष के बच्चे नियमबद्ध और व्यवस्थित रूप से खेल खेलने लगते हैं_फूटबॉल या क्रिकेट का खेल। ऐसे खेल में वे स्वयं नियमों का हेर-फेर करके खेल को सुगम बनाते हैं। नियम ऐसे बनाए जाते हैं जो सबको स्वीकार्य हों। ऐसे खेलों से बच्चे सामाजिक कौशल सीखते हैं।
Khelo ke prkar pdf
खेल को प्रभावित करने वाले कारक
(Factors Affecting The Game)
शिक्षा के क्षेत्र में खेल आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी बन गया है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि हम कारणों का अवश्य पता लगाएँ, जिनसे खेल प्रभावित होते हैं। खेलों को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है
(1) आर्थिक दशा-
खेल की इच्छा होने पर भी अनेक बच्चे खेलने से वंचित रह जाते हैं क्योंकि उनकी आर्थिक दशा ठीक नहीं होती। जबकि अपेक्षाकृत धन सम्पन्न छात्र कम क्षमता रखने के बावजूद इस क्षेत्र में आगे बढ़ जाते हैं।
(2) शारीरिक अक्षमता-
कुछ छात्र शारीरिक रूप से अक्षम/विकलांग/कमजोर होते हैं। यद्यपि खेल के प्रति उनमें अभिरुचि तो विशिष्ट होती है. तथापि वे खेल में पर्याप्त पीछे रह जाते हैं। जबकि शारीरिक रूप से स्वस्थ बच्चे कम योग्यता रखते हुये भी आगे बढ़ जाते हैं
(3) जलवायु-
गर्म जलवायु के क्षेत्रों की अपेक्षा ठण्डी जलवायु के क्षेत्र खेल में आगे रहते हैं। अतः जलवायु भी खेल को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाती है।
(4) सामाजिक वातावरण-
व्यक्ति के कुछ बनने या बिगड़ने में पर्यावरण (सामाजिक वातावरण) अपना प्रमुख स्थान रखता है। खिलाड़ी व्यक्ति का वातावरण यदि उसके अनुकूल नहीं है, तो ऐसी स्थिति में खेल की मानसिकता पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है ।