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पर्यावरण शिक्षा अर्थ , परिभाषाएँ , उद्देश्य , आवश्यकता , प्रकृति , क्षेत्र , महत्व , प्रारूप , पर्यावरण शिक्षा जरूरत क्यों ? | ENVIRONMENTAL STUDY Needed Meaning , Definitions , Aims , Nature , Scope ,Importance , Forms


पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा

 CONCEPT OF ENVIRONMENTAL STUDY

पर्यावरण शिक्षा

 ENVIRONMENTAL EDUCATION


विषय बी.एड , डी.एल.एड , CTET
टौपिक पर्यावरण
प्रश्न पर्यावरण शिक्षा अर्थ , परिभाषाएँ , उद्देश्य , आवश्यकता , प्रकृति , क्षेत्र , महत्व , प्रारूप पर्यावरण शिक्षा जरूरत क्यों ?


TABLE OF CONTANT





(01) पर्यावरण शिक्षा  प्रस्तावना
(01) पर्यावरण शिक्षा की प्रस्तावना 
(01) Environmental Education  Introducton


 पर्यावरण शिक्षा  प्रस्तावना  
 Environmental Education Introduction 

पर्यावरण शिक्षा आज बहुत  आवश्यक हो गया है , हमारी कल्पना की तुलना में पर्यावरण बहुत तेजी से दूषित हो रहा है। ज्यादातर मानव गतिविधियों के कारण प्रदूषित  होते हैं। जिससे वैश्विक तथा क्षेत्रीय दोनों स्तर प्रभावित होते हैं। ओजोन स्तर का पतला होना और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि वैश्विक स्तर पर होने वाले नुकसानों के उदाहरण हैं।

 

जबकि जल प्रदूषण, मृदा अपरदन, मानव गतिविधियों द्वारा रचित कुछ क्षेत्रीय परिणामों में से एक हैं और उनके द्वारा पर्यावरण को भी प्रभावित किया जाता है। 


(02) पर्यावरण शिक्षा का अर्थ
(02) Meaning of Environment

पर्यावरण का अर्थ 

Meaning of Environment

पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के 'परि' उपसर्ग (चारों ओर) और 'आवरण' से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ऐसी चीजों का समुच्चय जो किसी व्यक्ति या जीवधारी को चारों ओर से घेरे हुए हैं।

हिन्दी शब्द पर्यावरण का 'परि' तथा 'आवरण' शब्दों का युग्म है।जिसमे 

'परि' का अर्थ - 'चारों तरफ'। 

आवरण का अर्थ - 'घेरा'। 

अर्थात् प्रकृति में जो भी चारों ओर परिलक्षित है; यथा—वायु,  मृदा, पेड़ तथा पौधे तथा प्राणी सभी पर्यावरण के अंग हैं। 


(03) पर्यावरण शिक्षा परिभाषाएँ

(03) Definitions of Environment Education

पर्यावरण शिक्षा की परिभाषाएँ
 
Definitions of Environment Education

(01) डवर्थ के अनुसार- 

 "पर्यावरण शब्द का अर्थ उन सभी गहरी शक्तियों एवं तत्त्वों से है जो व्यक्ति को आजीवन प्रभावित करते हैं।" 

(02) रॉस जे. एम. के अनुसार-

 "वातावरण एक बाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करता है।" एनास्टासी के अनुसार, "पर्यावरण वह प्रत्येक वस्तु है जो जीन्स के अतिरिक्त व्यक्ति को प्रभावित करते है |

“The environment is everything that effect the individual except the genes.” 

(03) सी. सी. पार्क के अनुसार-  

“मनुष्य एक विशेष स्थान पर विशेष समय पर जिन सम्पूर्ण परिस्थितियों से घिरा हुआ है उसे पर्यावरण कहा जाता है।" 

"Environment refer to the sum total of conditions which surround man at a given point in psace and time.” 

-C. C. Park 


पर्यावरण अध्ययन परिवेश के सामाजिक और भौतिक घटकों को अन्त:क्रियाओं का अपमान घटक मिलकर ही हमारे सम्पूर्ण परिवेश का निर्माण करते हैं।

 

सामाजिक घटकों में संस्कृति जिसक अन्तर्गत भाषा, मूल्य, दर्शन, आदि आते हैं तथा प्राकृतिक घटकों में हवा, पानी, मिट्टी, धूप, पशु-पक्षी, खनिज लवण, जंगल, वनस्पति, इत्यादि शामिल 

पर्यावरण अध्ययन में हम एक और मानव एवं निर्मित समाज का अध्ययन करते हैं। 


दूसरी ओर प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों तथा उनकी कार्य प्रणाली का अध्ययन किया जाता है।



(04) पर्यावरण शिक्षा उद्देश्य

(4) पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य

Aims of Environment Education

 पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य
Aims of Environment Education


पर्यावरण शिक्षा का मुख्य उद्देश्य तात्कालिक परिस्थतियों को देखते हुए अत्यन्त आवश्यक है। यदि अब नहीं चेतेंगे तो हमारी प्रकृति में पाये जाने वाले अनमोल रत्न; जैसे—जल, खनिज लवण, वाय समाप्त हो जायेंगे तथा हम अपनी आगामी पीढ़ी को क्या देंगे? 

अत: पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य इन सभी प्राकृतिक संसाधनों को बचाना है। अतः हमें अपने पाठक में पर्यावरण शिक्षा को सम्मिलित करना चाहिए।


यदि शिक्षा का उद्देश्य समझ का विकास है तो प्राथमिक शिक्षा में हम उस विकास की आधारभमिक तैयार कर सकते हैं तथा पर्यावरण अध्ययन वह क्षेत्र है जो उपर्युक्त विषयों को समाहित करता है। 

Thermosphere 

Mesosphere 

Stratosphere 

Atmosphere Layers 

Trophosphere 

Earth 

हमारे सौर्य मण्डल में 9 ग्रह हैं, लेकिन जीवन सिर्फ धरती पर ही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है, धरती में एक अनुकूल वायुमण्डल का होना। हमारी धरती विभिन्न गैसों से मिलकर बनी है, जिसे वायुमण्डल कहते हैं। ये वायुमण्डल हमें सूर्य की पराबैंगनी किरणों से भी बचाता है तथा धरती का तापमान भी नियन्त्रित रहता है |



(05) पर्यावरण शिक्षा आवश्यकता

पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है-


पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है

(1) पर्यावरण के विभिन्न घटकों से परिचय कराना। 

(ii) पर्यावरण के घटक किस प्रकार एक-दूसरे से क्रियात्मक सम्बन्ध रखते हैं ? इसकी समुचित जानकारी देना। 

(iii) पर्यावरण के विभिन्न घटकों का मानव के क्रियाकलापों पर प्रभाव का ज्ञान प्रदान करना।

(iv) पर्यावरण प्रदूषण के स्वरूप, कारण तथा प्रभावों का ज्ञान देना। 

(v) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण में व्यक्ति एवं समाज की भूमिका को उजागर करना। 


(06) पर्यावरण शिक्षा प्रकृति

Nature of Environment

पर्यावरण की प्रकृति 
Nature of Environment


पर्यावरण का मानव जीवन में विशेष महत्त्व है। उसका अपना प्रभाव होता है। मानव संस्कृति और मानव जीवन के विकास, उन्नयन में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान पर्यावरण का ही रहता है। 


पर्यावरण प्रकृति का वह घटक है जो मानव जीवन से सम्बन्धित है और उसे प्रभावित करता है। पर्यावरण और प्रकृति में वस्तुत: कोई भी अन्तर नहीं है जो मानव जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करता है। 


अत: पर्यावरण तथा प्रकृति एक-दूसरे के द्योतक हैं। यदि पर्यावरण में परिवर्तन होगा तो मनुष्य एवं सम्पूर्ण धन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। 

पर्यावरणीय शिक्षा की प्रकृति
PRYAVRN SHIKSHA KI PRAKRITI PDF
Nature of Environmental Education)

शिक्षा की भाँति पर्यावरणीय शिक्षा का भी अपना स्वरूप होता है । पर्यावरणीय शिक्षा की प्रकृति पर निम्नलिखित बिन्दु प्रकाश डालते हैं



(01) पर्यावरणीय शिक्षा समाजीकरण की प्रक्रिया
(02) पर्यावरण शिक्षा द्वारा मानव-पर्यावरण सम्बन्धों का ज्ञान–
(03) पर्यावरणीय शिक्षा का व्यावहारिक ज्ञान पर बल—
(04) पर्यावरण शिक्षा द्वारा कौशल, अभिवृत्तियों तथा मूल्यों का विकास
(05) पर्यावरणीय शिक्षा समन्वित शिक्षा है—
(06) पर्यावरण शिक्षा मानव विकास से सम्बन्धित-
(07) पर्यावरण शिक्षा का सम्बन्ध मानव के भविष्य से है-
(08) पर्यावरण शिक्षा द्वारा ज्ञानात्मक, क्रियात्मक व भावात्मक पक्षों का विकास



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(01) पर्यावरणीय शिक्षा समाजीकरण की प्रक्रिया -

समाजीकरण में आज केवल परस्पर सहयोग, भ्रातृत्व भाव का विकास; सहकारिता जैसे गुणों को ही सम्मिलित नहीं किया जाता है अपितु समाजीकरण का एक गुण पर्यावरण के प्रति चेतना का विकास भी है। आज पारिस्थितिक असंतुलन, पर्यावरण प्रदूषण आदि सम्पूर्ण प्राणी समाज के अस्तित्व के खतरा बना गया है । अत: आवश्यक है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण हास को नियंत्रित में सहयोग करें । इस कार्य में पर्यावरण शिक्षा ही इस सामाजिक गुण का विकास कर सकती है।



(02) पर्यावरण शिक्षा द्वारा मानव-पर्यावरण सम्बन्धों का ज्ञान–

पर्यावरण शिक्षा मनुष्य को पर्यावरण तथा उसके प्रकारों का अवबोध करवाकर मानव और पर्यावरण । सम्बन्धों का ज्ञान करवाती है। पर्यावरण शिक्षा से ही स्पष्ट होता है कि किस प्रकार पर्यावरण मनुष्य का पालन-पोषण करता है। पर्यावरण उसके रहन-सहन, खान-पान तथा उसकी क्रियाओं को किस प्रकार प्रभावित करता है। मनुष्य के कृत्यों का पर्यावरण पर पड़ने वाल प्रभाव का ज्ञान भी पर्यावरणीय शिक्षा के द्वारा होता है।



(03) पर्यावरणीय शिक्षा का व्यावहारिक ज्ञान पर बल—

पर्यावरणीय शिक्षा और सामान्य शिक्षा में यही अन्तर है कि सामान्य शिक्षा सैद्धान्तिक पक्ष पर बल देती है जबकि पर्यावरणीय शिक्षा में व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है । पर्यावरणीय शिक्षा में पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याएँ प्रस्तुत कर छात्रों को उन समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित किया जाता है । समस्या सामाधान. में सैद्धान्तिक ज्ञान का प्रायोगिक रूप में उपयोग होता है।



(04) पर्यावरण शिक्षा द्वारा कौशल, अभिवृत्तियों तथा मूल्यों का विकास

पर्यावरण शिक्षा द्वारा छात्रों में विविध कौशलों का विकास किया जाता है । उदाहरण के लिए प्राकृतिक संकट पैदा होने पर बचाव करने का कौशल, वन्य जीवों के संरक्षण का कौशल उनको सिखाकर निपुण बनाया जाता है। पर्यावरण शिक्षा, पर्यावरण के विभिन्न घटकों के प्रति उचित दृष्टिकोण पैदा का उनको मूल्यों का ज्ञान कराती है । इनके कारण ही पर्यावरण में सुधार सम्भव होता है।



(05) पर्यावरणीय शिक्षा समन्वित शिक्षा है—

यह एक गलत धारणा है कि पर्यावरण शिक्षा का अन्य पाठ्य-विषयों से कोई सम्बन्ध नहीं है । जबकि वस्तु स्थिति यह है कि पर्यावरण शिक्षा का विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान के सभी विषयों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। जीव विज्ञान और पर्यावरण का प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण शिक्षा अर्थशास्त्र, भूगोल, समाजशास्त्र, नागरिकशास्त्र आदि विषयों से भी सम्बन्धित है। इसी कारण इसको एकीकृत शिक्षा का रूप कहा जाता है ।



(06) पर्यावरण शिक्षा मानव विकास से सम्बन्धित-

पर्यावरण शिक्षा का सीधा सम्बन्ध मानव के स्वास्थ्य से है। पर्यावरण के ज्ञान तथा पर्यावरण के ह्रास के कारणों की जानकारी द्वारा पर्यावरण शिक्षा छात्रों को पर्यावरण सुधार के लिए प्रेरित करती है। पर्यावरण सुधार द्वारा ही हम पर्यावरण को स्वास्थ्यप्रद बना सकते हैं। स्वच्छ एवं शुद्ध पर्यावरण ही मानव विकास का आधार है ।



(07) पर्यावरण शिक्षा का सम्बन्ध मानव के भविष्य से है-

सामान्य शिक्षा जैस - बालक को भावी जीवन के लिए तैयार करती है उसी प्रकार पर्यावरण शिक्षा मानव के भविष्य पर बल देती है। उदाहरण के लिए पर्यावरण शिक्षा सचेत करती है कि जिस गति से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आजकल हो रहा है तो भविष्य में इनकी उपलब्धता असम्भव हो जाए और ये कल-कारखाने बन्द हो जाएँ । मानव विकास धराशायी हो जाए। यदि पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता रहे तो भविष्य में सभी जीवधारी नष्ट हो जाएँ । इस प्रकार पर्यावरण शिक्षा मनुष्य के बारे में सचेत करती है।



(08) पर्यावरण शिक्षा द्वारा ज्ञानात्मक, क्रियात्मक व भावात्मक पक्षों का विकास—

पर्यावरण शिक्षा द्वारा समस्याएँ प्रस्तुत करके छात्रों को उनके समाधान करने का अवसर प्रदान किया जाता है जिससे छात्र नवीन अनुभव अर्जित करके अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं तथा साथ ही उनका ज्ञानात्मक पक्ष विकसित होता है ।


(07) पर्यावरण शिक्षा क्षेत्र

Scope of Environment Study

पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र 

Scope of Environment Study


पर्यावरण के प्रति सोच का आरम्भ कुछ प्रमुख घटनाओं के घटित होने के कारण हुआ है। 


आज हमारा पर्यावरण का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। हमारा रहन-सहन एवं भौतिक वस्तुओं का अत्यधिक प्रयोग पर्यावरण के लिए अत्यधिक नुकसानदायक है। हम पर्यावरणीय पदार्थों को नहीं बचायेंगे तो हमारी आगामी पीढ़ी इन संसाधनों का प्रयोग नहीं कर पायेगी। 


इसके क्षेत्रों का निम्न तरह से सार प्रस्तुत किया जाता है 


* प्राकृतिक सम्पदा एवं उनकी समस्याओं का संरक्षण एवं सुरक्षा इसमें जल, मृदा, वन, खनिज, बिजली एवं परिवहन शामिल हैं।


* इसका अध्ययन लोगों में क्षेत्र के विभिन्न अक्षय और गैर-अक्षय सम्पदा के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है।


* यह वनस्पति एवं जन्तु के प्रकारों एवं उनकी सुरक्षा के बारे में अध्ययन करता है।

 

* मानव एवं पर्यावरण के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है। 


* यह पर्यावरण में जैव विविधता की समृद्धि एवं पौधे, जन्तु वं सूक्ष्म जीवों की प्रजाति के खतरे के प्रति जरूरी जानकारी प्रदान करता है।


*  पर्यावरण अध्ययन हमें प्राकृतिक आपदाओं; जैसे- बाढ़, भूकम्प, भूस्खलन, चक्रवात, आदि के कारण एवं परिणाम को समझने एवं प्रभावों जैसे रेडियोधर्मी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा जल, वायु, आदि प्रदूषणों को कम करने के उपायों में मदद करता है।


* पर्यावरण से सम्बन्धित सामाजिक मुद्दे।

* पर्यावरण मुद्दों से सम्बन्धित नीति एवं कानून। 

* पर्यावरण संरक्षण सुरक्षा एवं सुधार। 



अत: उपलब्ध संसाधनों के उपयोग द्वारा आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित भविष्य प्रदान करने के लिए हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखना अति आवश्यक है। 


(8) पर्यावरण शिक्षा का महत्व 

Importance of Environment Education

 

पर्यावरण शिक्षा का महत्व 
Importance of Environment Education

 

आज के दौर के बढ़ते प्रदूषण और पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर दिया है। इसी कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी बढ़ रही है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम पानी या फिर पर्यावरण ऑक्सीजन न मिलने के कारण विलुप्त होने के कगार पर पहुँच जायेंगे। लेकिन उस समय हमें बचाने वाला कोई नहीं होगा।

 

पर्यावरणीय अध्ययन को आज एक नवीनतम अनुशासन के रूप में अपनाया जा रहा है। वर्तमान में फैले प्रदूषण द्वारा मानव को सचेत करना एवं संकेत देना प्रारम्भ कर दिया है कि हम सभी पर्यावरण के महत्त्व को जाने तथा स्वीकार करें। पर्यावरण को संरक्षित करते हुए हम सम्पूर्ण मानव जाति को भी संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।


विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं; जैसे—भूकम्प, बाढ़, सूखा, भूस्खलन ने मानव जाति को विवश कर दिया है कि वह पर्यावरण के उपयोग एवं महत्त्व को समझें तथा उसके संरक्षण के लिए ठोस तथा समुचित नियन्त्रण के उपायों पर विशेष रूप से बल देना प्रारम्भ करें, जिससे सामाजिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सके। 


अतः पर्यावरण अध्ययन के महत्त्व पर विशेष स्थान देते हुए व्यावहारिक रूप में अध्ययन पर बल दिया जाना चाहिए -

 

(i) पर्यावरण अध्ययन मानव को भिन्न-भिन्न पर्यावरणीय दशाओं से अवगत कराता है ताकि पर्यावरण के प्रति सूझ का विकास हो सके। 

(ii) किसी भी देश या क्षेत्र के विकास में उसके पर्यावरण का बहुत अधिक महत्त्व है अच्छा पर्यावरण। 


(iii) पर्यावरण का महत्त्व एंव उपयोगिता पर्यावरण सम्बन्धी अनेक समस्याओं के उत्पन्न होने से और अधिक बढ़ गयी है।


मानव जीवन को गुणवत्ता में हास तथा पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से पर्यावरण अध्ययन की महत्ता को अधिक प्रबल बनाया गया है।


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(09) पर्यावरण शिक्षा प्रारूप

(9) पर्यावरणीय शिक्षा का प्रारूप

Forms of Environmental Education


पर्यावरणीय शिक्षा का प्रारूप
Forms of Environmental Education


पर्यावरणीय शिक्षा को प्रभावशाली बनाने हेतु इसकी विषय-वस्तु का चयन सावधानीपूर्वक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करना आवश्यक है। इसके प्रारूप के निर्धारण में सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्षों का सुनियोजित समावेश होना चाहिए तथा शिक्षा के स्तर के अनुरूप इसकी विषय-वस्तु में भी विकास आवश्यक 


1981 में पर्यावरण शिक्षा' पर भारतीय पर्यावरण संस्था ने जो सुझाव दिये उनका सार निम्नांकित है.... 


(i) पर्यावरण शिक्षा का स्वरूप पर्यावरण नीति के विकास में सहायक हो तथा मानव के प्राकृतिक  वातावरण के प्रति सम्बन्धों का द्योतक है। इसके अध्ययन से प्रत्येक व्यक्ति में यह भावना विकसित होनी 

 चाहिए कि वह भी पर्यावरण का अभिन्न अंग है। 


(ii) माध्यमिक स्तर तथा विश्वविद्यालय स्तर पर पर्यावरण शिक्षा में समन्वय हो तथा उसके अध्ययन से छात्रों में पर्यावरणीय जागरूकता का विकास होना चाहिए। 


(iii) इसके द्वारा पर्यावरण की विभिन्न संकल्पनाओं तथा सिद्धान्तों का ज्ञान होना चाहिए। 


(iv) पर्यावरण शिक्षा हेतु वर्तमान में संलग्न अध्यापकों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, नियोजकों, सामाजिक  कार्यकर्ताओं, राजनीतिज्ञों, प्रशासकों का दिशा-निर्देश कार्यक्रम प्रारम्भ किया जाये। 


(v) विश्वविद्यालय स्तर पर छात्रों को मानव-पर्यावरण के सम्बन्धों का अध्ययन कराया जाये |


(vi) प्रत्येक स्तर पर विद्यार्थियों को पर्यावरणीय जागरूकता तथा प्रशिक्षण देना चाहिए। 

 

(vii) समन्वित ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में पर्यावरणीय विचार का समायोजन होना चाहिए।

 

(viii) इसके माध्यम से स्थानीय एवं क्षेत्रीय पर्यावरण के उपयोग, समस्याओं और उनके निराकरण का ज्ञान कराया जाये।

 

पाठ्यक्रम का उपर्युक्त निर्देश संकेत मात्र हैं इनको पूर्ण रूप से विकसित करने की आवश्यकता है। पर्यावरण शिक्षा का स्वरूप मूलतः भारतीय परिवेश में ही प्रस्तुत किया जा रहा है। क्योंकि प्रत्येक देश की परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं यद्यपि मूल स्वरूप समान ही होता है। 



(10) पर्यावरण शिक्षा आज की जरूरत क्यों ?

(10) पर्यावरण शिक्षा  आज की जरूरत क्यों ? 

Why Environmental Education is Needed Today?


 पर्यावरण शिक्षा  आज की जरूरत क्यों ? 
Why Environmental Education is Needed Today?

हमारी कल्पना की तुलना में पर्यावरण बहुत तेजी से दूषित हो रहा है। ज्यादातर मानव गतिविधियों के कारण प्रदूषित  होते हैं। जिससे वैश्विक तथा क्षेत्रीय दोनों स्तर प्रभावित होते हैं। ओजोन स्तर का पतला होना और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि वैश्विक स्तर पर होने वाले नुकसानों के उदाहरण हैं।

 

जबकि जल प्रदूषण, मृदा अपरदन, मानव गतिविधियों द्वारा रचित कुछ क्षेत्रीय परिणामों में से एक हैं और उनके द्वारा पर्यावरण को भी प्रभावित किया जाता है। 


इसलिए, हम लोगों द्वारा जो कुछ भी गलत किया गया है उसे केवल हम लोगों को ही सुधारना है। अतः पर्यावरण की सुरक्षा एवं प्रबन्धन के लिए हमारी आवाज पर्यावरण शिक्षा के लिए आवश्यक है। 


“The only way forward, if we are going to improve the quality of the environment, it to get everybody involved." 

- Richard Rogers 


“यदि हमें पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाना है तो केवल एक ही तरीका है, सबको शामिल करना।" 



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