संवेग की विशेषताएं
Characteristics of Emotions
संवेग की विशेषताएं
Characteristics of Emotions
संवेगों की निम्नांकित विशेषतायें होती हैं
Universality of Emotions
Bodily Changes
Not Functioning of Thinking Process
संवेगों की विशेषताएं
Characteristics of Emotions
1. संवेगों की व्यापकता
Universality of Emotions
संवेग सभी प्राणियों में पाए जाते हैं। मानव हो अथवा पशु-पक्षी, बालक हो अथवा वृद्ध, सभी भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न संवेगों को प्रदर्शित करते हैं। सभी देशों के निवासियों में संवेग पाए जाते हैं।
2. शारीरिक परिवर्तन
Bodily Changes
संवेगों के उदय होने पर अस्थायी शारीरिक परिवर्तन हो जाते हैं। ये परिवर्तन दो प्रकार के हो सकते हैं
(i) आन्तरिक शारीरिक परिवर्तन
(ii) बाह्य शारीरिक परिवर्तन।
आन्तरिक शारीरिक परिवर्तनों के अंतर्गत जल्दी-जल्दी श्वाँस लेना, हृदय की धड़कन का बढ़ जाना, पाचन क्रिया का प्रभावित हो जाना आदि प्रमुख हैं। बाह्य शारीरिक परिवर्तनों में आवाज में परिवर्तन आ जाना, मुखमडंल के प्रकाशन में अंतर आ जाना, अंग संचालन की गति में परिवर्तन आ जाना आदि प्रमुख हैं।
3. विचार प्रकिर्या का का लोप हो जाना
Not Functioning of Thinking Process
सांवेगिक दशा में व्यक्ति की विचार प्रक्रिया लुप्त हो जाती है। बुद्धि तथा विवेक का उसके व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रहता है। वह उचित-अनुचित का विचार नही कर पाता है। यही कारण है कि व्यक्ति संवेगों के वशीभूत होकर अनेक ऐसे कार्य कर जाता है , जो वह सामान्य दशा में करना कदापि पसन्द नहीं करता है।
4. व्यक्तिगतता
(Individuality)
संवेगों की अभिव्यक्ति से व्यक्तिगतता होती है। एक ही स्थिति में भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के भिन्न-भिन्न संवेग हो सकती है । जैसे किसी गरीब बच्चे को भीषण शीत में ठिठुरता देखकर उसे पहनने के लिए पुराने कपड़े दयावश दे देता है, जबकि अन्य कोई व्यक्ति स्थिति पर हँस सकता है । इसी प्रकार से पुत्र के शैतानी करने पर किसी पिता को क्रोध आ सकता है,जबकि किसी अन्य पिता के चेहरे पर मन्द मुस्कान तिरोहित हो सकती है।
5. संवेगों की अस्थिरता
Instability of Emotions
संवेगों की प्रकृति अस्थायी (Temporary) होती है। संवेग थोड़े समय तक रहते हैं, फिर व्यक्ति सामान्य स्थिति में आ जाता है । क्रोध की मनोदशा में माँ अपने बच्चों को डाँटती है, परंतु थोडी देर बाद ही वह सामान्य हो जाती है। इसी प्रकार से करूणा, घृणा, भय, आश्चर्य, कामुकता आदि संवेग कुछ समय के उपरान्त शान्त हो जाते हैं।
6. संवेगों का स्थानान्तरण
Transfer of Emotions
संवेग कभी-कभा स्थानान्तिरत हो जाते हैं। जैसे यदि कोई व्यक्ति क्रोध में अपने नौकर को डाँट रहा होता है तथा उस समय कोई अन्य व्यक्ति आकर उससे कुछ बात करना चाहता है तो व्यक्ति को आगन्तुक पर भी क्रोध आने लगता है।
7.मूल प्रवृत्तियों से सम्बन्ध
Relations with Instincts
संवेगों की उत्पत्ति मूल प्रवृत्तियों से होती है जैसे जिज्ञासा प्रवृत्ति से आश्चर्य की उत्पत्ति होता है।
8. संवेगों की क्रियात्मक प्रवृत्ति
Conative Tendency in Emotions
संवेगों का सम्बन्ध क्रियात्मक प्रवृत्तियों से होता है। प्रत्येक संवेग किसी न किसी एक क्रियात्मक प्रवृत्ति से सम्बंधित होता है। भय में व्यक्ति भागता है, आमोद में व्यक्ति हँसता है तथा क्रोध में व्यक्ति की भवें तन जाती हैं।
9.सुख-दुख का भाव निहित होना
Inclusion of the Feeling of Pleasure or Pain
संवेगों में या तो दुख का भाव निहित होता है अथवा सुख का भाव निहित होता है। प्रेम, स्नेह व वात्सल्य जैसे संवेगों में सुख का भाव निहित रहता है जबकि भय, घृणा, ईर्ष्या जैसे संवेगों में दुख का भाव निहित रहता है।
अन्य सम्बन्धित प्रश्न एवं उसके उत्तर
संवेग का अर्थ
Meaning of Emotion
संवेग शब्द का शाब्दिक अर्थ है-वेग से युक्त अर्थात् जब व्यक्ति वेगवान होकर कार्य करता है तो उसे संवेग कहते हैं । अंग्रेजी भाषा में संवेग को इमोशन ( Emotion) कहते हैं । 'इ' (E) का अर्थ है-अंदर से तथा 'मोशन' (Motion) का अर्थ है गति | अतः इमोशन का अर्थ है-आन्तरिक भावों को बाहर की ओर गति देना । दसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि संवेग आन्तरिक भावो का बाह्य प्रकाशन है। संवेग वास्तव में भावों का तीव्र होना है।
संवेग का परिभाषा
(1) वूडवर्थ के शब्दों में-
"संवेग आवेश में आने की स्थिति है।
" lotion is a ‘moved' or 'stirred-up' state of the individual.
-Woodworth ०
(2) पीoटीo यंग के अनुसार-
“संवेग मनोवैज्ञानिक कारणों से उत्पन्न व्यक्ति का तीब्र उपद्रव है जिसके अंतर्गत व्यवहार, चेतन अनुभव तथा अंतरंग क्रियायें सम्मिलित रहती है |
motion is an acute disturbance of the individual as a whole. psychological in origin, involving behaviour, conscious experience and visceral functioning.
-P.T.Young
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