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अधिगम (सीखने ) की विधियां | ADHIGAM KI VIDHIYA | SIKHNE KI VIDHIYA | Learning Methods


अधिगम (सीखने ) की विधियां 

(Learning Methods) 

ADHIGAM KI VIDHIYA

SIKHNE KI VIDHIYA 


अधिगम (सीखने) के  अनेक  की विधियों का प्रयोग किया जाता है। अधिगम (सीखने)  की प्रमुख विधियां निम्नांकित हैं -

 

1. करके सीखना (Learning by Doing)


2. निरीक्षण करके सीखना (Learning by Observation)


3. परीक्षण करके सीखना (Learning by Experimentation)


4. वाद-विवाद विधि (Discussion Method)


5. वाचन विधि (Recitation Method)


6. अनुकरण विधि (Imitation Method)


6. अनुकरण विधि (Imitation Method)

 

7. प्रयास एवं त्रुटि विधि (Trial and Error Method)


8. पर्ण विधि (Whole Method)


9. अंश विधि (Part Method)


10. अन्तराल विधि (Interval or Spaced Method)


11. सतत विधि (Continuous or Massed Method)



सीखने के निम्नलिखित मुख्य विधिया है जो विस्तार पूर्वक  निम्नलिखित है 


1. करके सीखना (Learning by Doing)- 


करके सीखने में व्यक्ति किसी कार्य को स्वयं करने का अभ्यास करता है तथा जिसके परिणामस्वरूप वह उस कार्य को सीख जाता है। 


2. निरीक्षण करके सीखना (Learning by Observation)-


इसके अंतर्गत व्यक्ति स्वयं निरीक्षण करके नवीन बातों को सीखता है। 



3. परीक्षण करके सीखना (Learning by Experimentation) - 


परीक्षण करके सीखने के अंतर्गत व्यक्ति स्वयं परीक्षण करता है तथा नवीन कार्यों को अपने अनुभवों के आधार पर सीखता है। 



4. वाद-विवाद विधि (Discussion Method) – 


वाद-विवाद विधि में व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से वाद-विवाद करने के दौरान सीखता है।


 

5. वाचन विधि (Recitation Method) 


वाचन विधि के अंतर्गत पाठ का सस्वर वाचन करके उसे सीखा जाता है। 


6. अनुकरण विधि (Imitation Method)-

 

अनुकरण विधि में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार का अनुकरण करके सीखता है। 



7. प्रयास एवं त्रुटि विधि (Trial and Error Method) - 


प्रयास एवं त्रुटि विधि में व्यक्ति अन्तर्दृष्टि के द्वारा कार्य करने का प्रयास करता है तथा बार-बार प्रयास करके सीखता है। 


8. पर्ण विधि (Whole Method) – 


पूर्ण विधि में पाठ को एक साथ, एक बार में सम्पूर्ण दोहराकर याद किया जाता है। 



9. अंश विधि (Part Method)- 


अंश विधि में पाठ को सुविधानुसार कुछ अंशों में बाँटकर एक-एक करके विभिन्न अंशों को याद किया जाता है। 



10. अन्तराल विधि (Interval or Spaced Method)


अन्तराल या विराम विधि में पाठ को सुविधानुसार थोड़े-थोड़े समय के अन्तर के बाद बार-बार दोहरा कर याद किया जाता है। 



11. सतत विधि (Continuous or Massed Method)


सतत या अविराम विधि में पाठ को एक ही बैठक में अनेक बार दोहराकर याद किया जाता है। 

सीखने की उपरोक्त वर्णित विधियाँ परस्पर एक-दूसरे से भिन्न नहीं हैं। व्यक्ति आवश्यकतानसार इनमें से कछ विधियों को एक साथ मिलाकर सीखने में प्रयुक्त कर सकते हैं। सीखने की कौन सी विधि अधिक श्रेष्ठ है यह एक कठिन प्रश्न है। वास्तव में किसी भी एक विधि को सर्वश्रेष्ठ कहना उचित नहीं है। पाठयसामग्री. बालक की शारीरिक व मानसिक स्थिति तथा अन्य वातावरणीय कारकों के अनुरूप कोई एक विधि अन्य विधियों से श्रेष्ठ हो सकती है। शिक्षक की यह भूमिका बढ़ जाती है , शिक्षक  की विचार कर शिक्षण विधि का चुनाव करना चाहिए | 



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