प्रसिद्ध बक्सर महाकाव्य की अवधि से प्रसिद्ध है। पुरातात्विक खुदाई से प्राप्त अवशेष, बक्सर की प्राचीन संस्कृतियों के साथ मोहंजोदरो और हड़प्पा को भी जोड़ता है।
भारत के पूर्वी प्रदेश बिहार के पश्चिम भाग में गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है| यह शहर मुख्यतः धर्मिक स्थल के नाम से जाना जाता है।। प्राचीन काल में इसका नाम 'व्याघ्रसर' था। क्योंकि उस समय यहाँ पर बाघों का निवास हुआ करता था |यह शहर (बक्सर) रेलवे लाइन के किनारे स्थित है।
सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और कासिम अली खाँ की तथा अंग्रेज मेजर मुनरो की सेनाओं के बीच यहाँ ही १७६४ ई॰ में लड़ी गई थी जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई।
प्रसिद्ध बक्सर का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। बक्सर में गुरु विश्वामित्र का आश्रम था। यहीं पर राम और लक्ष्मण का प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण हुआ। प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का वध राम द्वारा यहीं पर किया गया था। 1764 ई॰ का 'बक्सर का युद्ध' भी इतिहास प्रसिद्ध है | इसका संबंध भगवान राम के प्रारंभिक जीवन से भी जोड़ा जाता है।
बक्सर का मेला
प्रसिद्ध बक्सर का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। बक्सर में गुरु विश्वामित्र का आश्रम था। यहीं पर राम और लक्ष्मण का प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण हुआ। प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का वध राम द्वारा यहीं पर किया गया था। 1764 ई॰ का 'बक्सर का युद्ध' भी इतिहास प्रसिद्ध है | इसका संबंध भगवान राम के प्रारंभिक जीवन से भी जोड़ा जाता है।
बक्सर का मेला
बक्सर में एक प्रसिद्ध मेला भी लगता है ,जो काफी पुराने समय से लगता आ रहा है | यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को लगता है | आस पास एवं दूर दूर के उप और बिहार के लोग इस मेले में सामिल होते है | और अपने हाथो से गंगा के तट पर लिटी चोखा बनाकर इसे खाते है |
बक्सर का युद्ध --
सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और कासिम अली खाँ की तथा अंग्रेज मेजर मुनरो की सेनाओं के बीच यहाँ ही १७६४ ई॰ में लड़ी गई थी जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई||
जनसँख्या -
प्रसिद्ध बक्सर ज़िले की जनसँख्या 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 1,707,643 है।
सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और कासिम अली खाँ की तथा अंग्रेज मेजर मुनरो की सेनाओं के बीच यहाँ ही १७६४ ई॰ में लड़ी गई थी जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई||
जनसँख्या -
प्रसिद्ध बक्सर ज़िले की जनसँख्या 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 1,707,643 है।
बक्सर के नाम -
यह स्थान प्राचीन इतिहास में “सिद्धाश्रम”, “वेदगर्भापुरी”, “करुष”, “तपोवन”, “चैत्रथ “, “व्याघ्रसर”, “बक्सर” के नाम से भी जाना जाता था। कहा जाता है कि बक्सर शब्द व्यघ्रासार से निकला है।
ऋषि दुर्वासा के अभिशाप का परिणाम से ,ऋषि वेदशीरा के बाघ के चेहरे को एक पवित्र कुंड में स्नान करने के बाद पूर्वावस्था की प्राप्ति हुआ था जिसे बाद नाम व्याघ्रसर नामित किया गया था।
यह स्थान प्राचीन इतिहास में “सिद्धाश्रम”, “वेदगर्भापुरी”, “करुष”, “तपोवन”, “चैत्रथ “, “व्याघ्रसर”, “बक्सर” के नाम से भी जाना जाता था। कहा जाता है कि बक्सर शब्द व्यघ्रासार से निकला है।
ऋषि दुर्वासा के अभिशाप का परिणाम से ,ऋषि वेदशीरा के बाघ के चेहरे को एक पवित्र कुंड में स्नान करने के बाद पूर्वावस्था की प्राप्ति हुआ था जिसे बाद नाम व्याघ्रसर नामित किया गया था।
बक्सर के स्थिति-
बक्सर नगर भारत गणराज्य के राज्य बिहार के ऐतिहासिक नगर, पटना से 120 कि.मी. पश्चिम में, गंगा नदी के दक्षिण तट पर स्थित है।
राक्षसी तड़का का वध --
जिस स्थान पर भगवान राम ने प्रसिद्ध राक्षसी तड़का का वध किया था , वह क्षेत्र वर्तमान बक्सर शहर के अतर्गत आते हैं। और आज भी उसका एक डरावना मूर्ति है जिसे बच्चे बड़े बड़ी ध्यान से देखने है , और उस समय की घटना को कल्पना करते है |
भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण शिक्षाएं--
भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने बक्सर में अपनी शिक्षाएं लीं। जिसका रामायण में वर्णन है |
अहिल्या, जो गौतम ऋषि की पत्नी थी--
कहा गया है कि अहिल्या, जो गौतम ऋषि की पत्नी थी ,भगवान राम के चरणों के एक मात्र स्पर्श से मुक्ति प्राप्त कर अपने मानव शरीर को पत्थर से प्राप्त किया। इस जगह को वर्तमान में अहिरौली के नाम से जाना जाता है और बक्सर शहर से छह किलोमीटर दूर स्थित है। कमलदह पोखरा, जो कि व्याघ्रसर के नाम से भी जाना जाता है,अब एक पर्यटक स्थल है।
BUXAR KA ETIHAS || HISTORY OF BUXAR BY AB JANKARI || बक्सर का इतिहास
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